मणिपुर हिंसा के पीछे चीन: जनरल नरवणे

‘बॉर्डर स्टेट में अस्थिरता के गंभीर मायने, मणिपुर हिंसा के पीछे विदेशी ताकतें!’, नॉर्थईस्ट की हलचलों पर पूर्व आर्मी चीफ ने चेताया
पूर्व सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने शुक्रवार को कहा कि मणिपुर हिंसा में विदेशी एजेंसियों की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता। जनरल (सेवानिवृत्त) नरवणे ने कहा कि सीमावर्ती राज्यों में अस्थिरता देश की समग्र राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अच्छी नहीं है।
मणिपुर हिंसा पर पूर्व सेना प्रमुख जरनल नरवणे ने कही बड़ी बात

नई दिल्ली 29 जुलाई। पूर्व सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने शुक्रवार को बड़ा बयान देते हुए कहा कि मणिपुर हिंसा में विदेशी एजेंसियों की संलिप्तता से ‘इनकार नहीं किया जा सकता’ है. साथ ही उन्होंने ‘विभिन्न विद्रोही समूहों को चीनी सहायता’ मिलने की भी बात को रेखांकित किया. जनरल (सेवानिवृत्त) नरवणे ने कहा कि सीमावर्ती राज्यों में अस्थिरता देश की समग्र राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ठीक नहीं है. वह इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में ‘राष्ट्रीय सुरक्षा परिप्रेक्ष्य’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान मणिपुर हिंसा से संबंधित पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे.

चीन करता है उग्रवादियों को मदद

जनरल (सेवानिवृत्त) नरवणे ने कहा, ‘मुझे पूरा यकीन है कि जो लोग जिम्मेदार पदों पर आसीन हैं और आवश्यक कार्रवाई करने की जिनकी जवाबदेही है, वे बेहतर ढंग से अपने काम को अंजाम दे रहे हैं. मणिपुर हिंसा में विदेशी एजेंसियों का हाथ होने से इनकार नहीं किया जा सकता. एक और बात जो मैं खासतौर पर कहूंगा कि विभिन्न उग्रवादी संगठनों को चीन की ओर से सहायता मिलती है. उग्रवादी संगठनों को चीन की मदद कई वर्षों से मिल रही है और यह अब तक जारी है.’

मादक पदार्थों की होती है तस्करी

पूर्वोत्तर राज्य में चल रही हिंसा में मादक पदार्थों की तस्करी की भूमिका से संबंधित सवाल का जवाब देते हुए जनरल (सेवानिवृत्त) नरवणे ने कहा कि नशीले मादक पदार्थों की तस्करी बहुत लंबे समय से हो रही है और बरामद की गई नशीले मादक पदार्थों (ड्रग) की मात्रा पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी है. उन्होंने कहा, ‘हम गोल्डन ट्राइएंगल (वह क्षेत्र जहां थाईलैंड, म्यांमार और लाओस की सीमाएं मिलती हैं) से थोड़ी ही दूर हैं. म्यांमार में हमेशा अव्यवस्था और सैन्य शासन रहा है. म्यांमार के सबसे अच्छे समय में भी वहां केवल मध्य म्यांमार में सरकार का नियंत्रण था और सीमावर्ती देशों, चाहे वह भारत के साथ हो या चीन के साथ या थाईलैंड के साथ, वहां सरकार का नियंत्रण बहुत कम रहा है. इसलिए नशीले मादक पदार्थों की तस्करी हमेशा से होती रही है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘संभवतः हिंसा के खेल में ऐसी एजेंसियां या अन्य कलाकार होंगे जो इसससे लाभान्वित होंगे और जो नहीं चाहेंगे कि स्थिति सामान्य हो क्योंकि जब यह अस्थिरता रहेगी, तो उन्हें लाभ होगा. यही वजह है कि लगातार प्रयासों के बावजूद भी वहां हिंसा रूकने का नाम नहीं ले रही है. मुझे यकीन है कि इस पर काबू पाने के लिए राज्य और केंद्र सरकार प्रयास कर रही हैं.’

अग्निपथ योजना पर कही ये बात

जनरल (सेवानिवृत्त) नरवणे से सेना भर्ती योजना अग्निपथ, भारतीय रक्षा क्षेत्र में पुनर्गठन और गलवान घाटी में चीन-भारत झड़प से संबंधित कई सवालों के जवाब भी दिए. अग्निपथ भर्ती योजना पर उन्होंने कहा कि समय ही बताएगा कि यह अच्छी योजना है या नहीं. उन्होंने कहा, ‘अग्निपथ को काफी विचार-विमर्श के बाद लॉन्च किया गया था. कई लोग कहते हैं कि इसे वित्तीय और आर्थिक कारणों से लॉन्च किया गया था. इसका भी प्रभाव पड़ने वाला है लेकिन तथ्य यह है कि हमें एक युवा सेना की जरूरत है.’

‘गलवान हिंसा का कारण नहीं समझ पाया’

जब उनसे मई 2020 में गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प का कारण पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह कुछ ऐसा है जिसे वह स्पष्ट नहीं कर पा रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘गलवान के बाद, वह पहली चीज़ थी जो हम एक-दूसरे से पूछते थे कि चीन ने ऐसा क्यों किया. क्या यह एक स्थानीय स्तर की कार्रवाई थी या इसे ऊपर से मंजूरी या आशीर्वाद मिला था? जब पूरी दुनिया कोविड से जूझ रही थी, तो उसने ऐसा दुस्साहस क्यों किया? मैं दुस्साहस इसलिए कह रहा हूं क्योंकि आखिरकार उसे वापस जाना पड़ा लेकिन मैं इसके कारण नहीं समझ पाया. या इसके पीछे यह जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के दो केंद्र शासित प्रदेशों का निर्माण था.’

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