मणिपुर स्टूडेंट्स के हाथों में बंदूकें, किसने बनाया वार जोन

मणिपुर में छात्रों के हाथों में भी बंदूक, बोले- हिफाजत के लिए हथियार उठाए, गश्त कर रहे
मणिपुर में हिंसा चल रही है. सरकार हिंसा को रोकने के तमाम प्रयास कर रही है. कुकी और मैतेई समुदाय लोगों से अब तक छह दौर की बात हो गई है. सरकार का दावा है कि बातचीत अंतिम दौर में हैं. जल्द सुलह होगी और शांति बहाली होगी. मणिपुर की आबादी में मैतेई की संख्या करीब 53 प्रतिशत है और ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं. जबकि नागा और कुकी समुदाय 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं.
मणिपुर के कांगपोकपी जिले में स्टूडेंट्स के हाथों में बंदूकें देखी जा रही हैं.
मणिपुर की हिंसा को 84 दिन से ज्यादा हो चुके हैं. 150 लोगों की मौत हो चुकी है. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते कहा था कि सरकार बताए क्या एक्शन लिया? शुक्रवार को फिर सुनवाई होनी थी. लेकिन, नहीं हो पाई. इससे पहले सरकार ने ये जरूर सबको बताया कि 3 मई से तनाव शुरू हुआ और पांच मई से ही कितनी तेजी से मणिपुर को लेकर तमाम फैसले लिए गए. हालांकि, आज के हालात क्या हैं? ये हम इस रिपोर्ट के जरिए आपको बताएंगे…

दरअसल, मणिपुर में मैतेई और कुकी-नागा समुदाय के बीच जातीय हिंसा देखने को मिल रही है. दोनों ग्रुप से जुड़े लोग ही हिंसा में शामिल हैं. बंदूक उठाने वाले हाथ ज्यादातर मणिपुर के युवाओं के हैं. मांएं मणिपुर की हिफाजत के लिए मशाल के साथ सुरक्षा घेरा बनाकर चल रही हैं. दोनों समुदायों के बीच हिंसा में अब देसी ग्रेनेड बनाकर हमला एक-दूसरे पर किया जा रहा है.

मणिपुर में तनाव भरी शांति के बीच वॉर जोन ऐसा अब भी बना हुआ है, जहां एक-दूसरे पर अत्याधुनिक हथियारों से गोलियां चलाई जा रही हैं. हाइटेक हथियार और गोला-बारूद लेकर मणिपुर में दोनों समुदाय अपने-अपने इलाके की सीमा रेखा खींचकर तैनात होते हैं. सात दिन बाद भी जो संसद मणिपुर पर चर्चा नहीं कर पाई, वो ये सुनकर चौंक जाएंगे कि मणिपुर में छात्रों के हाथ में भी बंदूकें हैं.
कांगपोकपी जिले में बच्चों के हाथों में हथियार थमा दिए गए हैं. इनमें ज्यादातर छात्र हैं. ये रात में हथियार लिए देखे जा रहे हैं. इनका कहना है कि उन्होंने हिफाजत के लिए हथियार उठाए हैं. जिस जगह हथियार लेकर ये युवा खड़े हैं, उसके पीछे बफर जोन है. जो कुकी और मैतेई के इलाके को बांटती है. ये कुकी समाज के लड़के हैं.
मौके पर टीन शेड वाला एक ढांचा तैयार किया गया है. ये इलाके की रक्षा के लिए सुरक्षा बंकर बनाया गया है. जब एक लड़के से पूछा कि क्या करते हो तो उसने बताया कि पढ़ाई कर रहे हैं. इस समय बीए के स्टूडेंट हैं. उससे पूछा कि ये गन कभी चलाई है या सीधे बंकर पर आ गए? इस युवक का कहना था कि उसने सुरक्षा के लिए हथियार उठाया है.

बीए में पढ़ने वाला छात्र दो समुदायों के बीच तनाव में अपने लोगों की रक्षा के लिए बंदूक लेकर बैठा है. इसके हाथ से जब तक बंदूक हटाकर वापस कॉलेज नहीं पहुंचाया जाता, तब तक मणिपुर शांत होने वाला नहीं है. यह भी सवाल है कि क्या षड्यंत्र में बॉर्डर पार से कुकी समुदाय के लोगों को हथियार और गोली और बाकी बंदूकें दी जा रही हैं?
उसके बाद आजतक विष्णुपुर में मैतेई समुदाय से जुड़े एक रिलीफ कैंप में पहुंचा. वहां टीन शेड पर मोटे-मोटे छेद नजर आते हैं. जानते हैं ये कैसे हुए हैं? सिर्फ गोलियां ही नहीं, देसी मोर्टार, पॉम्पि गन बनाकर ऐसे ग्रेनेड बनाए गए हैं, इन इलाकों में गिरे हैं, बच्चे की मौत हो गई. कई लोग घायल हुए हैं. रात में गोलियां चलती हैं. आग लगाई जाती है. सुबह आपसी दुश्मनी में तबाही का धुआं नजर आता है.

सबको आशंका है कि मणिपुर में भले दो समुदाय आमने-सामने आए हों, लेकिन अब जितना दीवार भेद देने वाला गोला- बारूद चलाने के पीछे साजिश जरूरी है. तभी तो इतनी गोलियां चलती हैं, जहां शेल सड़क पर बिखरे मिलते हैं. इसीलिए सुरक्षा बल तैनात हैं.

कुकी और मैतेई के इलाके के बीच उस बफर जोन को बड़ा करने के लिए, जहां दूरी बनाकर माहौल में बम बारूद और गोली को पहले रोका जाए.

विष्णुपुर के रिलीफ कैंप के पास जहां आजतक पहुंचा, वहां सेना के जवान की निगरानी है. बड़ा हिस्सा बफर जोन बन चुका है. यहां ना कुकी आएगा, ना मैतेई, इसलिए ताकि एक-दूसरे की तरफ ना आएं. कंटीले तार लाए गए हैं ताकि बफर जोन बड़ा किया जा सके।

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