संसदीय समिति ने रगड़ा ट्वीटर,दो टूक- भारतीय कानून के सामने नहीं चलेगी आपकी नीति

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संसदीय समिति ने ट्विटर से कहा: देश का कानून सर्वोपरि, आपकी नीति नहीं
Misuse of Social Media: सूचना और प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थायी समिति ने पिछले सप्ताह इस मंच के दुरुपयोग और नागरिकों के अधिकारों के संरक्षण से संबंधित विषयों पर ट्विटर को तलब किया था.
संसदीय समिति ने ट्विटर से कहा: देश का कानून सर्वोपरि, आपकी नीति नहीं
दिल्ली पुलिस ने इस मामले में 31 मई को ट्विटर इंडिया के प्रबंध निदेशक मनीष माहेश्वरी से सवाल-जवाब किये थे
नई दिल्ली. सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी नये नियमों को लेकर केंद्र सरकार तथा ट्विटर (Twitter) में गतिरोध के बीच इस माइक्रोब्लॉगिंग साइट के अधिकारियों ने शुक्रवार को कांग्रेस सांसद शशि थरूर (Shashi Tharoor) की अध्यक्षता वाली एक संसदीय समिति के समक्ष सोशल मीडिया (Social Media) के दुरुपयोग को रोकने पर पक्ष रखा. सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि संसदीय समिति ने ट्विटर के प्रतिनिधियों से पूछा कि क्या वह भारत के कानूनों का पालन करते हैं, इस पर ट्विटर की ओर से जवाब दिया गया कि वह अपनी नीतियों का पालन करते हैं.
सूत्रों ने बताया कि संसदीय स्थायी समिति के सदस्यों ने ट्विटर के सामने पेश होने वाले प्रतिनिधियों से लिखित रूप में प्रस्तुत करने के लिए कहा, “आपको ट्विटर इंडिया में कैसे रखा गया है और महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय लेने के मामले में आपके पास कितने कार्यकारी अधिकार है.” बैठक के बाद ट्विटर के प्रवक्ता ने कहा “हम संसदीय समिति के समक्ष अपने विचार साझा करने का अवसर दिए जाने की सराहना करते हैं. पारदर्शिता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और गोपनीयता के हमारे सिद्धांतों के अनुरूप नागरिकों के अधिकारों की ऑनलाइन सुरक्षा के महत्वपूर्ण कार्य पर समिति के साथ काम करने के लिए ट्विटर तैयार है.” प्रवक्ता ने कहा, “हम सार्वजनिक बातचीत की सेवा और सुरक्षा के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता के हिस्से के तौर पर भारत सरकार के साथ काम करना जारी रखेंगे.”

केंद्र सरकार ने इस महीने की शुरुआत में ट्विटर को नोटिस जारी कर नये आईटी नियमों का तत्काल अनुपालन करने का आखिरी मौका दिया था और चेतावनी दी थी कि नियमों का पालन नहीं होने पर इस प्लेटफॉर्म को आईटी अधिनियम के तहत जवाबदेही से छूट नहीं मिलेगी.
सूचना और प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थायी समिति ने पिछले सप्ताह इस मंच के दुरुपयोग और नागरिकों के अधिकारों के संरक्षण से संबंधित विषयों पर ट्विटर को तलब किया था. ट्विटर इंडिया की लोक नीति प्रबंधक शगुफ्ता कामरान और विधिक परामर्शदाता आयुषी कपूर ने शुक्रवार को समिति के समक्ष अपना पक्ष रखा.

पिछले कुछ दिन से केंद्र और ट्विटर के बीच अनेक विषयों पर गतिरोध की स्थिति है. कुछ दिन पहले ट्विटर उस समय भी विवाद में आ गया था जब उसने उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत समेत संगठन के कई वरिष्ठ पदाधिकारियों के खातों से सत्यापन वाला ‘ब्लू टिक’ कुछ देर के लिए हटा दिया था.

दिल्ली पुलिस ने भेजा था ट्विटर को नोटिस

इससे पहले दिल्ली पुलिस ने ट्विटर को नोटिस भेजकर पूछा था कि उसने केंद्र सरकार के खिलाफ कथित ‘कांग्रेसी टूलकिट’ को ‘मैनिपुलेटिड मीडिया’ का तमगा कैसे दिया. दिल्ली पुलिस ने इस मामले में 31 मई को ट्विटर इंडिया के प्रबंध निदेशक मनीष माहेश्वरी से सवाल-जवाब किये थे. पुलिस 24 मई को टूलकिट के मुद्दे पर ट्विटर के दिल्ली और गुड़गांव स्थित दफ्तरों में भी पहुंची थी. (भाषा के इनपुट सहित)

 

संसदीय समिति ने ट्विटर को घेरा, फैक्ट चेकर भी उठाए सवाल

Parliamentary Committee: पूरी समिति एकमत थी कि ट्विटर भारत के कानूनों की अवहेलना करता आ रहा है. लेकिन ट्विटर ये साफ नहीं कर पाया कि वो ऐसा क्यों कर रहा है

ट्विटर भारत के कानूनों की अवहेलना करता आ रहा है.
आईटी मामलों के लिए बनी संसद की स्थायी समिति के सामने ट्विटर की पेशी का तमाम सांसदों को अरसे से इंतजार था. बैठक शुरु होते ही एक सुर में सभी सांसदों ने ट्विटर को घेरा और कहा कि वो भारत में मध्यथ के तौर पर संरक्षण खो चुके हैं इसलिए यहां के कानूनों के तहत कारवाई के लिए तैयार रहें. समिति के सदस्यों ने जब पूछा कि वो भारत में कब से काम कर रहे हैं और इतने सालों में उन्होंने कोई कंप्लायंस अफसर क्यों नहीं लगाया. जब भारत सरकार ने अपने दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं, तब भी ट्वीटर ने भारत में अपने कंप्लायंस अफसर क्यों नहीं नियुक्त किए. जबाव में ट्विटर ने कहा कि एक अस्थायी अफसर नियुक्त किया है तो समिति के सदस्य नाराज भी हुए. जब दुनिया के कुछ देशों में उन पर बड़े जुर्माने लग चुके हैं तो फिर भारत में उन पर जुर्माना क्यों नहीं लगाया जाए. समिति ने साफ कर दिया कि ट्वीटर अपना संरक्षण खो चुका है.
पूरी समिति एकमत थी कि ट्विटर भारत के कानूनों की अवहेलना करता आ रहा है. लेकिन ट्विटर ये साफ नहीं कर पाया कि वो ऐसा क्यों कर रहा है. ट्विटर सिर्फ अपनी नीतियों के बारे में कह कर तमाम आरोपों से बचने की कोशिश करता रहा. उन्होंने ये भी कहा कि सरकार के साथ वो डायलॉग करते रहेंगे. सूत्रों ने बताया कि ट्विटर समिति के किसी भी सवाल का कोई सीधा जवाब नहीं दे रहा था. उनके पास कई सवालों के जवाब तक नहीं थे.

सूत्रों ने बताया कि बीजेपी सांसद और समिति के सदस्य निशिकांत दूबे ने ट्विटर से यहां तक पूछ डाला कि आखिर वो हैं कौन. सूत्रों के मुताबिक निशिकांत दूबे ने यहां तक आरोप लगाया कि उनके फैक्ट चेकर भी न्यूट्रल नहीं हैं. अगर वे गैर सरकारी संस्थाओं से पूछ कर अपनी राय बना रहे हैं तो फिर ये बेमानी है क्योंकि यही संस्थाएं कभी सूचना के अधिकार के लिए आवाज लगाती थीं और अब निजता के अधिकार की लड़ाई लड़ने का दावा कर रहीं हैं. जबाव में ट्विटर ने बताया कि वो सही ट्वीट को बढ़ाते हैं और खराब ट्वीट्स को रोकते हैं तो समिति ने आरोप लगाया कि अगर वे प्रमोट और डिमोट कर रहे हैं तो वे पब्लिशर ही हैं. जिसका ट्वीटर के पास कोई जवाब नहीं था.

संसदीय समिति ने ट्विटर से पूछे कई सवाल

संसदीय समिति ने आरोप लगाया कि ट्विटर कैपिटल हिल पर हुए हंगामे को अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ मानता है और राष्ट्रपति ट्रंप के अकाउंट ब्लॉक कर देता है. तो फिर भारत सरकार के कहने के बावजूद 26 जनवरी को हुए हंगामे पर उन्होंने ऐसे कदम क्यों नहीं उठाए. समिति ने कहा कि कांग्रेस के टूलकिट का मामला हो या फिर गाजियाबाद का मामला, ट्वीटर ने क्यों नहीं कारवाई की. लेकिन ट्विटर के पास इसका कोई पुख्ता जवाब नहीं था.
समिति ने ट्विटर पर पॉक्सो के उल्लंघन का भी आरोप लगाया. सदस्यों ने कहा कि अगर वो ऐसी विजुल्स अमरीका की ऐजेंसी से शेयर कर सकते हैं तो फिर वो ऐसी चीजें भारत की ऐजेंसियों को क्यों नहीं देते. ट्वीटर के पास कोई जवाब नहीं था.
सूत्रों ने बताया कि पूरे वक्त ट्विटर अपनी पॉलिसी की दुहाई दे कर सवालों में फंसने से बचने में लगा रहा. सूत्रों के मुताबिक ट्विटर के अधिकारी हर सवाल के जवाव में यही कह रहे थे कि उनकी पॉलिसी ऐसी है या फिर उन्हें अमेरिका स्थित अपने मुख्यालय से पूछना पड़ेगा. लेकिन आईटी मामलों की संसद की स्थायी समिति एकमत थी की अगर भारतीय कानूनों की अवहेलना कर रहे हैं तो वे अपना संरक्षण खो चुके हैं और कानूनी प्रक्रिया को झेलने के लिए तैयार रहें.

 

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