ढाई लाख रुपए किलो आम?, वैज्ञानिक बता रहे डीएनए जांच की जरूरत

 

दुनिया का सबसे महंगा आम!:MP के किसान ने 2.5 लाख रु. किलो कीमत वाले आम लगाए, इनकी सुरक्षा में 4 गार्ड और 6 कुत्ते तैनात

चेन्नई से ढाई हजार रुपए में लाए थे एक पौधा, 21 हजार रुपए किलो के भाव का मिल चुका है ऑफर

जबलपुर 18 जून।फलों का राजा आम अब अपनी कीमत में भी बादशाहत कायम कर रहा है। वैसे तो देश में आम की 1200 किस्में हैं, लेकिन जबलपुर में एक आम की कीमत लाखाें रुपए किलो में बताई जा रही है। फार्म हाउस संचालक का दावा है कि ये जापानी वैरायटी का यह आम अपने देश में 2.50 लाख रुपए प्रति किलो तक बिक चुका है। फार्म हाउस संचालक काे एक व्यापारी ने 21 हजार रुपए का भाव का ऑफर किया था।

जबलपुर से चरगवां रोड पर संकल्प सिंह परिहार अपने 12 एकड़ के फार्म हाउस में दुनिया के सबसे महंगे आम को उगाने का दावा कर रहे हैं। उनके फार्म हाउस में 14 अलग-अलग किस्म के आम लगाए हैं, जिसमें जापानी प्रजाति के ‘टाइयो नो टमैगो’ के 7 पेड़ हैं। अब इनकी सुरक्षा के लिए चार गार्ड, 6 डॉग लगाए हैं। संकल्प इस फल से और पौधे बनाने की बात कहते हैं।

14 वैरायटी के आम हैं परिहार के बगीचे में

परिहार के मुताबिक, आम की ये वैरायटी जापान में पाली हाउस में उगाया जाता है। वहां इसे एग ऑफ सन यानी सूर्य का अंडा कहा जाता है। ऐसा इसके सुर्ख लाल रंग और आकार के चलते कहा जाता है। बाग में आम चोरी की वारदात के बाद उन्हें सुरक्षा गार्ड लगाने पड़े।

जापान की तुलना में इसे संकल्प परिहार ने खुले वातावरण और बंजर पड़ी जमीन में उगाया है। उनके बाग में 14 हाईब्रिड आम हैं। उसमें मल्लिका प्रजाति का आम भी है, जो अपने वजन के कारण देश भर में प्रसिद्ध है।

फार्मर संकल्प परिहार अपने आम के बगीच में।

‘टाइयो नो टमैगो’ आम मिलने की कहानी

संकल्प के मुताबिक 5 साल पहले नारियल के पौधे लेने चेन्नई जा रहे थे। ट्रेन में एक व्यक्ति से मुलाकात हुई थी। बागवानी में मेरी गहरी रुचि देखकर उन्होंने बताया कि उनकी नर्सरी में 6 दुर्लभ किस्म के पौधे हैं। वह चेन्नई के उस नर्सरी से 6 किस्मों के कुल 100 पौधे 2.50 लाख रुपए में लाए थे। इसमें 52 पौधे अभी जीवित हैं।

‘टाइयो नो टमैगो’ में पिछले साल आम आने शुरू हुए तो सोशल मीडिया के माध्यम से इसकी किस्म का पता लगाने की कोशिश की। तब उन्हें इसकी कीमत का अंदाजा हुआ। उन्होंने ‘टाइयो नो टमैगो’ आम का नाम अपनी मां दामिनी के नाम पर रखा है।

कृषि विज्ञान सहमत नहीं

संकल्प के फार्म में लगे दुनिया के सबसे महंगे आम पर कृषि विज्ञानियों की अलग ही राय है। जवाहरलाल नेहरू विवि के हाॅर्टिकल्चर विभाग के प्रोफेसर एसके पांडे ने बताया कि देश में 1200 किस्म के आम होते हैं। यह आम ताइयो नो टमैगो किस्म का ही है, यह नहीं कहा जा सकता है। जब तक कि डीएनए से मिलान न हो जाए।

फार्म मालिक को इसकी किस्म के बारे में पता ही नहीं है और न ही उसने पौधे अधिकृत नर्सरी से लिए हैं। चेन्नई में कई नर्सरी संचालक कई किस्मों को मिलाकर नई किस्म तैयार करते हैं। इससे यह पता लगाना संभव नहीं होता कि असल किस्म कौन सी है।

विदेश से पौधे लाने की है प्रक्रिया

कृषि मंत्रालय भारत सरकार के बागवानी विभाग के अपर आयुक्त डॉक्टर नवीन पटले के मुताबिक विदेश से पौधे या बागवानी से जुड़ी सामग्री लाने की पूरी प्रक्रिया है, इसमें परीक्षण कमेटी होती है। आवेदन के बाद कमेटी ही यह तय करती है कि जो पौधा अन्य देश से यहां लाया जा रहा है, वह देश के लिए उपयुक्त है या नहीं। प्रक्रिया का पालन किए बिना अन्य देशों से पौधे या बीज लाना नियमों के खिलाफ है जो दंडनीय है।

Miyazaki Mangoes: भारत के इस स्थान पर है दुनिया का सबसे महंगा आम, सुरक्षा में लगे 4 गार्ड और 6 खूंखार कुत्ते

खबर है कि मध्यप्रदेश के जबलपुर में रहने वाले एक दंपति ने ‘मियाजाकी आम’ की खेती की है। इस खास किस्म के आम की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में दुनिया का सबसे मंहगा माना जाने वाला आम है। इसे लेकर दंपति रानी और संकल्प परिहार का कहना है कि उन्होनें कुछ साल पहले ही सिर्फ दो आम के पौधे लगाए थे। यह आम माणिक रंग का है, जो कि जापान का मशहूर मियाजाकी आम है। खास बात यह है कि पिछले साल इसे इंटरनेशनल बाजार में 2.70 लाख रुपये प्रति किलोग्राम के भाव से बेचा गया था।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ये कपल एक ट्रेन से एक बार चैन्नई जा रहे थे, उसी समय ट्रेन में एक व्यक्ति ने उन्हें आम के दो पेड़ दिए थे। उस समय इस बात का बिलकुल भी अंदाजा नहीं था कि ये दुनिया का बेहद ही मशहूर आम है। जब उन्होनें मुझे ये पेड़ दिया था तो कहा था कि ‘‘इस पेड़ का आम अपने बच्चों की तरह ध्यान रखना’’। पौधा तो मैंने लगा दिया था लेकिन इसके कलर और इसके बढ़ने से मैं हैरान था। यह मणिक रंग का था और इस आम का असली नाम पता नहीं था इसलिए हमने इसका नाम दामिनी रख दिया। जब बाद में इस आम के बारे में पता लगाया तो असली नाम तो पता चल गया लेकिन आज भी यह मेरे लिए दामिनी ही है।

इसलिए सुरक्षागार्ड की आवश्यकता पड़ी

दंपति ने बताया कि इस आम की खासियत अंतरराष्ट्रीय बाजार में है और लोकल मार्केट में इसे बेचने में काफी दिक्कत होती है। क्योंकि इतना ज्यादा दाम कोई देने के लिए तैयार नहीं होता था। इसके अलावा ये फल दिखने में इतना ज्यादा आकर्षक है कि इसे भले लोग खरीद न पाएं लेकिन चोरी कर ले जाते थे। इसलिए हमने आम के इन 2 पेड़ की सिक्योरिटी के लिए 4 गार्ड और 6 खूंखार डाॅग को हायर किया है। चलिए अब इस ‘मियाजाकी आम‘ की खासियत के बारे में बात करते हैं।स्ट्स्स्ट्स््ट्स्स््ट्स्स्ट्

इसलिए कहते हैं मियाजाकी आम

अब तक आप यह तो समझ ही गए होगें कि यह आम भारत के बाहर का है। दरअसल ये आम जापान के क्यूशू प्रान्त में मियाज़ाकी शहर में उगाय जाते हैं। बस यही वजह है कि इसे मियाजाकी नाम से पुकारा जाता है। इस खास किस्म के आम का वजन 350 ग्राम से ज्यादा होता है। इसमें चीनी की मात्रा 15 प्रतिशत से अधिक होती है। यह अन्य आमों से दिखने में बिलकुल ही अलग और आकर्षित है। यह भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में फेमस है।

इस जगह होती है सबसे ज्यादा पैदावार

मियाजाकी आम भले ही भारत में एक ही स्थान पर मिलते हों लेकिन देश के बाहर इसे व्यापक पैमाने पर उगाया जाता हैं यह आम एक तरह का ‘‘इरविन’’ है, जो दक्षिण पूर्व एशिया में बहुत अधिक मात्रा में उगाए जाते हैं। मियाजाकी के आम पूरे जापान में भेजे जाते हैं, और ओकिनावा के बाद जापान में इनका उत्पादन मात्रा दूसरे स्थान पर है। इसे लेकर रेड प्रमोशन सेंटर ने कहा कि इन आमों में बीटा-कैरोटीन और फोलिक एसिड होता है, जो आंखो की समस्या से परेशान होते हैं उनके लिए फायदेमंद है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट भी पाया जाता है।

80 के दशक से हो रहा इसका उत्पादन

मियाजाकी आम के बारे में तो आपने अब तक बहुत कुछ जान ही लिया है अब इसके उत्पादन के शुरूआत की अगर बात करें तो यह 70 के दशक के अंत और 80 के दशक की शुरूआत से इसका उत्पादन हो रहा है। भरपूर बारिश, गर्म मौसम और लंबे समय तक धूप ने मियाजाकी के किसानों को इस आम की खेती के लिए आसान रास्ता बना दिया है, इसलिए यह अब यहां कि प्रमुख उपज माना जाता है। इस आम को पूरे राष्ट्र में निर्यात करने से पहले जांच से गुजरना पड़ता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *