दंगों पर सुप्रीम कोर्ट:गुजरात के असंतुष्ट अफसरों से मिल कुछ लोग सनसनी पैदा कर रहे थे

2002 गुजरात दंगे में मुस्लिम विरोधी साजिश का कोई सबूत नहीं… मोदी को क्‍लीन चिट  के समर्थन में SC ने ये कहा

Supreme Court On 2002 Gujarat Riots: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन आरोपों के पक्ष में कोई कोई सबूत नहीं हैं कि 2002 गुजरात दंगे ‘सुनियोजित साजिश’ थे। शीर्ष अदालत ने ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट के तत्‍कालीन सीएम नरेंद्र मोदी को क्‍लीन चिट के आदेश को भी बरकरार रखा।

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सुप्रीम कोर्ट ने 2002 गुजरात दंगा मामले में SIT की ओर से नरेंद्र मोदी को दी गई क्‍लीन चिट यथावत रखी है। कोर्ट ने SIT के काम की तारीफ करते हुए कहा कि राज्य प्रशासन के कुछ अधिकारियों की लापरवाही का मतलब यह नहीं कि राज्य प्रशासन का षड्यंत्र था। कोर्ट ने मोदी और अन्‍य को फंसाने को झूठी गवाही देने वाले आईपीएस अधिकारियों- आरबी श्रीकुमार और संजीव भट्ट को फटकारा। SC ने मामले को 16 साल तक सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन आरोपों को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं हैं कि गोधरा कांड और उसके बाद ही हिंसा सुनियोजित षड्यंत्र का नतीजा थी। पूर्व कांग्रेस सांसद जकिया जाफरी की याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्‍पणी की।
जस्टिस एएम खानविलकर, दिनेश माहेश्‍वरी और सीटी रविकुमार की बेंच ने 452 पन्‍नों में फैसला सुनाया है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि जो छानबीन हुई, उसमें ऐसा कोई तथ्य नहीं है, जो बताए कि मुस्लिम समुदाय के विरुद्ध हिंसा के लिए हाई लेवल पर षड्यंत्र रचा गया था । पढ़ें सुप्रीम कोर्ट के फैसले की प्रमुख बातें।

‘मुसलमानों को निशाना बनाने के षड्यंत्र के सबूत नहीं’

तीन जजों की बेंच ने मामले को दोबारा शुरू करने के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि जांच के दौरान जो भी सबूत मिले, उनसे मुसलमानों के खिलाफ सामूहिक हिंसा भड़काने के लिए ‘सर्वोच्च स्तर पर आपराधिक षड्यंत्र रचने संबंधी कोई संदेह उत्पन्न नहीं होता है।’ अदालत कहा, ‘मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाकर करके राज्य भर में सामूहिक हिंसा का कारण बनने को आपराधिक साजिश रचने में नामित व्यक्तियों की संलिप्तता को लेकर स्पष्ट और प्रत्यक्ष सामग्री का अभाव है।’

आरोपों के पक्ष में न तो सबूत हैं, न ही तथ्‍य: सुप्रीम कोर्ट

अपीलकर्ता की दलील कि 27 फरवरी, 2002 की गोधरा घटना और इसके बाद की घटनाएं, राज्य में उच्चतम स्तर पर रची गई आपराधिक षड्यंत्र पूर्व नियोजित था, का समर्थन करने के लिए तथ्य उपलब्ध नहीं हैं। इन दलीलों के समर्थन में कोई वास्तविक सामग्री भी नहीं है।
-सुप्रीम कोर्ट

‘कुछ की विफलता को पूरी सरकार का षड्यंत्र नहीं मान सकते’

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि SIT ने आरोप खारिज करने के लिए राय बनाने से पहले अधिकारियों सहित सभी संबंधित व्यक्तियों के बयान दर्ज किए थे। यही अंतिम रिपोर्ट में बताया गया है। कोर्ट ने कहा, ‘हमें अपील में कोई दम नजर नहीं आता और हम इसे खारिज करते हैं।’ बेंच ने कहा कि राज्य प्रशासन के एक वर्ग के कुछ अधिकारियों की निष्क्रियता या विफलता, राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा पूर्व नियोजित आपराधिक षड्यंत्र का अनुमान लगाने या इसे अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ राज्य द्वारा प्रायोजित अपराध (हिंसा) के रूप में घोषित करने का आधार नहीं हो सकता है।

‘सनसनी पैदा करना चाहते थे कुछ लोग’

हमें ऐसा लगता है कि गुजरात सरकार के असंतुष्ट अधिकारियों के साथ-साथ अन्य लोगों का एक साझा प्रयास (इस तरह के) खुलासे करके सनसनी पैदा करना था, जबकि उनकी जानकारी झूठ पर आधारित थी।
सुप्रीम कोर्ट

‘अदालत का दुरुपयोग करने वाले को कठघरे में खड़ा किया जाए’

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में 2006 से कार्यवाही चल रही है… इसमें शामिल हर पदाधिकारी की ईमानदारी पर सवाल खड़े करने की हिमाकत हुई ताकि गुप्‍त उद्देश्‍य के लिए मामले को गरमाये रखा जा सके।’ अदालत ने कहा कि जो प्रक्रिया का इस तरह से गलत इस्तेमाल करते हैं, उन्हें कठघरे में खड़ा करके उनके खिलाफ कानून के दायरे में कार्रवाई की जानी चाहिए।’

सुप्रीम कोर्ट ने की SIT के काम की तारीफ

कोर्ट ने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में विशेष जांच दल (SIT) के ‘अथक प्रयासों’ के लिए उसकी सराहना की। अदालत ने कहा कि SIT ने बेहतरीन काम किया है। बेंच ने कहा कि SIT की जांच में कोई दोष नहीं पाया जा सकता और मामले को बंद करने से संबंधित उसकी आठ फरवरी 2012 की रिपोर्ट पूरी तरह से तथ्यों पर आधारित है।

याचिका में मोदी को मिली क्‍लीन चिट को दी थी चुनौती

जकिया जाफरी ने SIT द्वारा मामले में मोदी सहित 64 लोगों को दी गई क्लीन चिट को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को बंद करने संबंधी 2012 में सौंपी गई SIT की रिपोर्ट को स्वीकार करने और उसके खिलाफ दाखिल जाकिया की याचिका को खारिज करने के विशेष मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश को बरकरार रखा। जकिया ने हाई कोर्ट के 5 अक्टूबर, 2017 के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें अदालत ने SIT की रिपोर्ट के खिलाफ उनकी याचिका को खारिज कर दिया था। 2002 के गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी सरकार की भूमिका पर लगातार सवाल उठते रहे। अदालत से क्‍लीन चिट के बावजूद मोदी निशाने पर बने रहे।

मामला क्‍या है?

कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी (जकिया के पति) 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी में मारे गए 68 लोगों में शामिल थे। एक दिन पहले गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आग लगा दी गई थी, जिसमें 59 लोग मारे गए थे। इसके बाद गुजरात में बड़े पैमाने पर दंगे भड़क गए थे। इन दंगों में 1,044 लोग मारे गए थे, जिसमें से अधिकतर मुसलमान थे। केंद्र सरकार ने मई 2005 में राज्यसभा को बताया कि गोधरा कांड के बाद के दंगों में 254 हिंदू और 790 मुस्लिम मारे गए थे।

 

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