जिहादी कांगी वामपंथी टूल किट DM नैनीताल के पीछे,मौलाना काजमी ने किया एजेंडा पंक्चर

फैक्ट फाइंडिंग के नाम पर हल्द्वानी की आग फिर भड़काने पहुँचा हर्ष मंदर, मौलाना काजमी ने ही फेर दिया पानी: कहा–कोई भी दंगाई मत छोड़ो, अधिकारियों को दिया धन्यवाद
जिहादियों की गालियों के बीच DM नैनीताल की दोषियों पर कार्रवाई जारी रखने की घोषणा,कथित फैक्ट फाइंडिंग कमेटी रिपोर्ट की पोल पट्टी सामने

देहरादून 18 फरवरी 2024 । हल्द्वानी हिंसा को 11 दिन हो चुके। पिछले 10 दिनों में यहाँ मुख्यमंत्री से ले कर देश के तमाम मीडिया संस्थान घूम चुके हैं। लगभग हर स्तर की आधिकारिक जाँच और तमाम मीडिया संस्थानों की ग्राउंड रिपोर्ट में यह बात निर्विवाद रूप से सामने है कि वनभूलपुरा में अवैध कब्ज़ा हटाने गए प्रशासन पर उन्मादी भीड़ ने जानलेवा हमला किया। हमले के न सिर्फ प्रत्यक्षदर्शी और परिस्थितिजन्य प्रमाण सार्वजनिक हैं बल्कि कई भुक्तभोगी भी अभी हल्द्वानी में मिल जाएँगे। हिंसा के इन भुक्तभोगियों में सामान्य नागरिक भी हैं जिनका किसी विवाद से कोई लेना-देना नहीं था।

हमारी  ग्राउंड रिपोर्ट में यह बात निकल कर सामने आई थी कि पहले से षड्यंत्र रचे तैयार बैठी हिंसक भीड़ का सामना प्रशासन और शांतिप्रिय  जनता ने मिल कर किया था। इस बीच जब हालत तेजी से सामान्य हो रहे थे तब फैक्ट फाइंडिंग के नाम पर दिल्ली के कुछ खुराफातियों का टिड्ढी दल  मामले को तूल देने हल्द्वानी पहुँची । दल ने सबसे पहले पत्थरबाजों,अग्निकांड आरोपितों, भूमाफियाओं को क्लीन चिट दी। इस कथित फैक्ट फाइंडिंग टीम ने अंत में घुमा-फिरा कर सारा दोष प्रशासन के सिर मढ़ दिया।

जिला प्रशासनिक मुखिया जिलाधिकारी वंदना सिंह को पूरे विवाद का दोषी बताया। गलती में नगर निगम के अधिकारी को भी शामिल बताया। इस कथित फैक्ट फाइंडिंग टीम का नेतृत्व कथित एक्टिविस्ट नदीम खान कर रहा था। उसने जिलाधिकारी वंदना सिंह पर कुछ आरोप लगाए। अपने NGO में बेइमान में CBI जाँच का सामना कर रहे हर्ष मंदर भी इस कथित फैक्ट फाइंडिंग टीम में था। इन आरोपों में 20 साल पुरानी मस्जिद गिरा देना, किसी से न मिलना, उलेमाओं को विश्वास में न लेना, जाँच पुलिस से करवाना आदि शामिल हैं। एक मज़हबी उलेमा का तो यहाँ तक दावा है कि किसी भी इमाम तक कोई खबर नहीं पहुँची।

 

 

इस्लामी हैंडलों से महिला अफसर को दीं गईं गालियाँ
इस कथित फैक्ट फाइंडिंग की रिपोर्ट आने के बाद इसे बाकायदा इस्लामी हैंडलों से सोशल मीडिया पर वायरल करवाया गया। इसको वायरल करने वालों में UP पुलिस से फर्जी खबर फैलाने में गिरफ्तार किए जा चुके अली शोहराब और आए दिन हिन्दू धर्म के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट करने वाले कई अन्य X हैंडल भी शामिल हैं। इन सभी ने मिल कर #ArrestVandanaSingh नाम से ट्विटर ट्रेंड भी चलाया। मोदी जी नाम से हैंडल बनाने वाले हुजैफा (@ItxHuzaifa61) ने IAS वंदना सिंह को गंदी गाली दी।

वैस आजमी का ट्वीट

कथित फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के अलावा सोशल मीडिया पर IAS वंदना सिंह के खिलाफ आपत्तिजनक शब्द प्रयोग कर रहे एक खास वर्ग के लोगों ने कुछ अन्य आरोप लगाए हैं। इसमें से पुलिस दबिश के नाम पर वनभूलपुरा के मुस्लिमों के साथ कथित अत्याचार प्रमुख हैं।

हल्द्वानी के इमाम ने ही खोल दी फैक्ट फाइंडिंग की पोल
कथित फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट में आरोप है कि नैनीताल की जिलाधिकारी किसी से मिलती नहीं हैं। हमारी सहयोगी ग्राउंड रिपोर्ट में उन्हें न सिर्फ शहर के विभिन्न हिस्सों में पुलिस प्रशासन, पैरामिलिट्री और शहर के तमाम लोगों के साथ मीटिंग करते पाया गया था बल्कि हिंसा प्रभावित वनभूलपुरा में भी वो कई बार जा कर आम लोगों से मुलाक़ात करते दिखीं थीं। इस बीच फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के दावों से उलट जिलाधिकारी वंदना सिंह ने 17 फरवरी 2024 (शनिवार) को हल्द्वानी में हर वर्ग और धर्म से संबंधित तमाम संभ्रांत लोगों की मीटिंग बुलवाई। इस मीटिंग में सबने अपने-अपने विचार रखे।

इसी मीटिंग में हल्द्वानी की उमर मस्जिद के इमाम मोहम्मद मुकीम काज़मी ने वनभूलपुरा हिंसा पर बेहद अफ़सोस जताते हुए नैनीताल प्रशासन की दिल खोल कर तारीफ की। इमाम काज़मी ने प्रशासन से यह भी अपील की है कि दंगाई भले ही कोई भी हो उसे किसी भी हालत में छोड़ा न जाए। जिलाधिकारी वंदना सिंह को खासतौर पर इमाम ने न सिर्फ दंगा रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली अधिकारी बताया बल्कि उन्होने भविष्य में वनभूलपुरा में बिगड़ रहे युवाओं को सुधारने में भी उनकी मदद माँगी। मस्जिद के इमाम काज़मी ने पुलिस और नगर निगम के कर्मचारियों की भी तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने दंगाइयों के पत्थर सह कर भी धैर्य नहीं खोया जो कि काबिल ए तारीफ है।

 

 

इमाम काज़मी ने मीटिंग में मौजूद सामान्य जन का भी इस बात को शुक्रिया अदा किया है कि उन्होंने इतनी हिंसक गतिविधियों के बाद भी वनभूलपुरा के लोगों को गैर नहीं समझा। साथ ही काज़मी ने यह भी कहा कि हल्द्वानी प्रशासन की लगातार कोशिशों के चलते ही बेहद ही कम समय में अब हालत सामान्य हो रहे हैं।

लीज थी खत्म,गरीबों की भलाई को जमीन का होना है प्रयोग

कथित फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने 20 साल पुरानी मस्जिद और कानूनी मदरसा जैसे दावे अपनी रिपोर्ट में किये हैं। 17 फरवरी की मीटिंग में जिलाधिकारी वंदना सिंह का बयान सामने आया है जिसमें उन्होंने बताया है कि जिस जगह से अतिक्रमण हटाया है वहाँ की लीज शून्य थी। लीज खत्म होने पर भी अतिक्रमणकारी उसे छोड़ने को तैयार नहीं थे। अवैध कब्जे वाली जगह उत्तराखंड सरकार जनकल्याणकारी योजनाएं लागू करने के प्रयास में है।

इन योजनाओं में विशेषतः उन गरीबों के बच्चे केंद्र में होंगे  जिनके परिजन कहीं बाहर से कमाने-खाने हल्द्वानी आते हैं। हालाँकि कथित फैक्ट फाइंडिंग कमेटी यह नहीं स्पष्ट कर पाई है कि जमीन पर गरीब बच्चों का आवास उचित होगा या अरबपति भूमाफिया अब्दुल मलिक का अतिक्रमण।

दोषियों के खिलाफ जारी रहेगी कार्रवाई
अपने खिलाफ लग रहे तमाम भ्रामक आरोपों और हो रही गाली गलौज अनदेखा कर जिलाधिकारी नैनीताल वन्दना सिंह ने दोषियों के खिलाफ अपना रूख कठोर रखा। उन्होंने कहा कि जिले में हर प्रकार के गलत कार्यों में संलिप्त लोग चिन्हित किये जा रहे है और जाँच करवा कर उनके खिलाफ जरूरी कार्रवाई होगी।

 

मुआवजा दंगाइयों को नहीं बल्कि घायल प्रशासनिक स्टाफ को
17 फरवरी को हल्द्वानी में हुई इस मीटिंग में उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग उपाध्यक्ष मजहर नईम नवाब भी थे। उन्होंने भी अपने बयान में जो कुछ भी कहा वो कथित फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के रिपोर्ट्स ध्वस्त करता है। मज़हर नईम ने मुआवजे की माँग दंगाइयों की बजाए उन पुलिस और नगर निगम स्टाफ के लिए की जो हिंसक पत्थरबाजी की चपेट में घायल हुए थे। उनके अनुसार इस आशय का पत्र मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भेजा जा चुका है। मज़हर दंगाइयों नहीं बल्कि प्रशासनिक अधिकारियों के साथ खड़े हुए।

पहले भी उड़ाई गईं थीं अफवाहें लेकिन समय रहते हुआ फैक्ट चेक

बतातें चलें कि हल्द्वानी हिंसा के तुरंत बाद मीडिया का एक खास गिरोह अफवाहों को तूल देने लगा था। हिंसा के 48 घंटों में ही यह गिरोह प्रभावित इलाकों में दूध और अन्य दैनिक जरूरतें रोकने और मुस्लिमों के भूखे-प्यासे मरने जैसी भ्रामक खबरें फैलाने लगा था। हालाँकि ग्राउंड जीरो पर मौजूद हमारी सहयोगी टीम ने तभी प्रमाणों से बताया था कि प्रभावित क्षेत्रों में पुलिस सुरक्षा में प्रशासनिक अधिकारी तमाम जरूरी सामान की आपूर्ति में जुटे हुए थे। हालाँकि तब भी पोल खुल जाने के बाद खास गिरोह ने न तो अपनी खबर अपडेट की और न ही उसे डिलीट किया ।

TOPICS:Demography Land Jihad Fact Check Uttarakhand फैक्ट चेक हल्द्वानी जमीन कब्जा हल्द्वानी हिंसा ग्राउंड रिपोर्ट

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