संदेशखाली:NCSC की जांच रिपोर्ट राष्ट्रपति को, बंगाल में राष्ट्रपति शासन की संस्तुति

Sandeshkhali Violence: पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश, NCSC ने राष्ट्रपति को सौंपी रिपोर्ट
Sandeshkhali violence अध्यक्ष अरुण हलदर ने बताया कि आयोग ने संदेशखाली में टीएमसी समर्थकों द्वारा महिलाओं के कथित उत्पीड़न पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी अपनी रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की है। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को संदेशखाली का दौरा किया था। रिपोर्ट में बताया गया है कि वहां के हालात ठीक नहीं है।

कोलकाता 18 फरवरी। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) जमीनी स्तर पर जानकारी जुटाने के बाद सक्रिय है। संदेशखाली की यात्रा के 24 घंटे के भीतर राष्ट्रपति भवन को एनसीएससी की पूर्ण पीठ ने रिपोर्ट भेज दी है, जिसमें हर कदम पर बंगाल पुलिस प्रशासन  के असहयोग से लेकर जांच में लापरवाही समेत कई और आरोप लगाकर बंगाल में राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा की गई है।
महिलाओं का यौन उत्पीड़न
अरुण हलदर ने बताया कि आयोग ने संदेशखाली में टीएमसी समर्थकों के महिलाओं के कथित उत्पीड़न पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी अपनी रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की संस्तुति की है। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को संदेशखाली का दौरा किया था।

अनुसूचित जाति आयोग ने राष्ट्रपति को रिपोर्ट सौंपी
बताते चलें कि संदेशखाली मामले में अनुसूचित जाति की महिलाओं व लोगों पर अत्याचार का आरोप तृणमूल नेता उत्तम सरदार और शिवप्रसाद हाजरा उर्फ शिबू पर लगा है। अनुसूचित जाति आयोग की टीम गुरुवार संदेशखाली गई थी। क्षेत्र का दौरा करने के बाद अनुसूचित जाति आयोग ने राष्ट्रपति भवन को रिपोर्ट सौंपी। हालांकि रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई, लेकिन आयोग के अध्यक्ष अरुण हलदर ने कहा कि वे राष्ट्रपति शासन की मांग करते हैं।

केंद्रीय बल की तैनाती के लिए हाई कोर्ट में याचिका
इधर, संदेशखाली को लेकर फिर से कलकत्ता हाई कोर्ट में जनहित मामला दायर किया गया है। वकील ने मुकदमा दायर करने की अनुमति मांगी। उस क्षेत्र की स्थिति को देखते हुए शीघ्र केंद्रीय बलों की तैनाती का अनुरोध किया गया है। जस्टिस जयमाल्य बागची ने केस दायर करने की अनुमति दे दी है। अगले सोमवार को सुनवाई संभव है।

एसआइटी जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका
संदेशखाली मामला बंगाल से बाहर ले जाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है। याचिका में संदेशखाली घटना की जांच शीर्ष अदालत की निगरानी में विशेष जांच दल (एसआइटी) या सीबीआइ से कराने की मांग गई है। सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव ने दायर की है। उनके मुताबिक संदेशखाली से जो ‘भयानक’ जानकारी सामने आई है, उससे बंगाल में निष्पक्ष जांच होना संभव नहीं है।

शाहजहां की पुलिस से मिलीभगत
न्याय के हित में मामले को राज्य से बाहर ले जाया जाना चाहिए। वकील ने कहा कि मुख्य आरोपित शाहजहां शेख अभी भी फरार है। इससे यह समझा जा सकता है कि स्थानीय पुलिस प्रशासन निष्क्रिय है। आरोप ये भी हैं कि पुलिस शाहजहां शेख से मिली हुई हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआइटी या सीबीआइ से जांच होना जरूरी है। याद रहे, जनहित मामले में आलोक की याचिका पर ही सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा मामले में हाई कोर्ट के तीन रिटायर जजों की एक कमेटी गठित की थी।

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संदेशखाली हिंसा: देर रात TMC दफ्तर में बुलाते थे शाहजहां शेख के लोग…महिलाओं ने सुनाई आपबीती
पश्चिम बंगाल में 24 उत्तरी परगना जिले के संदेशखाली को लेकर राजनीति गरमाई हुई है, इस पर भाजपा और टीएमसी आमने-सामने हैं, तो वहीं दूसरी तरफ इस मामले में महिलाओं ने मीडिया से बातचीत में अब टीएमसी के दफ्तर को कठघरे में खड़ा किया है।
मुख्य बिंदु
संदेशखाली के मुद्दे पर भाजपा और टीएमसी में राजनीति जारी
भाजपा का आरोप, संदेशखाली में कानून-व्यवस्था खत्म हो चुकी है
भाजपा का आरोप है कि कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित किया जा रहा है
संदेशखाली हिंसा में शाहजहां शेख के दो साथियों के नाम सामने आए
संदेशखाली हिंसा मामले में महिलाओं ने बताई आपबीती।

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से 75 किलोमीटर की दूरी पर आने वाले 24 उत्तरी परगना जिले का संदेशखाली राजनीति का गढ़ बन गया। इलाके में टीएमसी नेताओं के 2011 से यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद राजनीति गरमा गई है। NCSC (राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग) ने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की है तो वहीं भाजपा और कांग्रेस नेताओं को संदेशखाली जाने से रोके जाने पर दिल्ली तक राजनीति गर्म है। संदेशखाली पर जारी राजनीति के बीच नए आरोप सामने आए हैं। इसमें कहा जा रहा है कि संदेशखाली में टीएमसी का दफ्तर ही शोषण का केंद्र था।
कठघरे में टीएमसी का दफ्तर
आज तक की रिपोर्ट ने अपनी ग्राउंड रिपोर्ट में कुछ महिलाओं ने बताया कि उन्हें पार्टी के दफ्तर में बुलाया जाता था। नहीं जाने पर उनके परिवार के पुरुषों को धमकी दी जाती है। इस मामले में महिलाओं ने संदेशखाली के मास्टमाइंड कहे जा रहे टीएमसी नेता शाहजहां शेख के अलावा शिबू हजारा और उत्तम सरकार के नाम लिए हैं। ग्राउंड रिपोर्ट में सामने आए ये आरोप टीएमसी को परेशान करने वाले हैं। ममता बनर्जी भले ही संदेशखाली को RSS का बंकर बताकर मामले को दबाने की कोशिश कर रही हैं लेकिन कैमरे पर बोल रही महिलाएं अब गंभीर सवाल खड़े कर रही हैं। मीडिया से बातचीत में महिला ने न सिर्फ चेहरे को ढक लिया बल्कि कपड़े भी छिपा लिए। महिलाओं के इस डर पर सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर ऐसा क्या है जिसे राज्य सरकार छिपाना चाहती है? ग्राउंड रिपोर्ट में अपना दर्द बयां करने वाली इन महिलाओं ने कहा कि टीएमसी की समर्थक हैं, लेकिन इसके बाद भी उनपर जुल्म हो रहा था। कुछ महिलाओं ने आरोप लगाया कि सालों से शिकायत दर्ज कराना चाहती लेकिन पुलिस लिखने को तैयार नहीं होती थी, ईडी ने जब शाहजहां शेख के यहां कार्रवाई के लिए पहुंची और वह फरार हुआ तो इससे उन्हें बोलने की हिम्मत मिली।

2011 से चल रहा है उत्पीड़न

संदेशखाली में महिलाओं से बातचीत में सामने आया है कि शाहजहां शेख के लोगों न सिर्फ महिलाओं से अत्याचार किया बल्कि उनके मछली पालन की जमीन भी कब्जा ली थी। इसी से जब राशन घोटाले में पहली ईडी टीम पांच जनवरी को शाहजहां शेख के खिलाफ कार्रवाई को पहुंची तो वहां के लोगों को लगा कि अब अत्याचार से छुटकारा मिला। हिम्मत मिलने पर महिलाओं ने प्रदर्शन किया तो आरोप है कि उन्हें शाहजहां शेख के करीबी शिबू हजारा ने धमकाया। महिलाओं ने गुस्से में उसका पोल्ट्री फार्म फूंक दिया। आरोप है कि हजारा ने कुछ कब्जे की जमीन के साथ सरकारी जमीन पर पोल्ट्री फार्म बनाए थे।

देर रात बुलाने का आरोप

संदेशखाली में 13 साल के लंबे अत्याचार और भय के बाद टूटी महिलाओं की खामोशी में सामने आया है कि उन्हें देर रात पार्टी दफ्तर में बुलाया जाता था। इसके बाद उन्हें मनोरंजन करने को कहा जाता थ। अगर महिलाएं मना करती थीं तो उन्हें शाहजहां शेख के लोग परेशान करते थे। महिलाओं ने टीवी इंटरव्यू में बताया कि शाहजहां शेख, शिबू हजारा और उत्तम सरकार के लोग नाबालिग बच्चों को नहीं छोड़ते थे। उन्हें शराब के साथ हथियार थमा देते थे। ईडी पर हमले के बाद सुर्खियों में आए टीएमसी नेता शाहजहां शेख के बांग्लादेश में होने की आशंका जताई जा रही है। इस पूरे मामले में स्थानीय पुलिस की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे है कि आखिर जो पुलिस अब विपक्ष के नेताओं की इंट्री रोक रही है और संदेशखाली की ड्रोन से निगरानी कर रही है। उस पुलिस की तत्परता के बाद भी शाहजहां शेख कैसे भाग गया? यहां फिर मिलीभगत सिद्ध होगी?

कोर्ट जाने की तैयारी में भाजपा

पश्चिम बंगाल में मुख्य विपक्षी दल भाजपा इस मुद्दे पर हमलावर है। पार्टी की प्रदेश इकाई के नेता इस मुद्दे पर उग्र हैं तो वहीं केंद्रीय नेतृत्व से अब स्मृति मंत्री, गौरव भाटिया, रविशंकर प्रसाद इस मुद्दे को उठा चुकी हैं। अब भाजपा की केंद्रीय राज्य मंत्री दर्शना जरदोश और स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने कोर्ट जाने के संकेत दिए हैं। संदेशखाली में धक्का-मुक्की के बाद घायल हुए राज्य भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार को अस्पताल से छुट्‌टी मिल चुकी है। भाजपा नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों को संदेशखाली नहीं जाने दिए जाने पर अब भाजपा इस मामले को लेकर कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है तो वहीं टीएमसी दफ्तर में शोषण के आरोप टीएमसी के लिए नई मुश्किल खड़ी कर सकते हैं। यह भी कहा जा रहा है कि अगर संदेशखाली के हालात नहीं संभले तो केंद्र सरकार दखल देगी, तो वहीं पूर्व में टीएमसी में रह चुके पूर्व रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने इस मामले की तुलना नंदीग्राम से की है।

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