अब्दुल मलिक का मृतक नाम से फर्जीवाड़ा,देगा अब 13 बीघे के कब्जे और 500 पेड़ों का हिसाब

Haldwani violence:Action Will Be Taken soon Against Movable And Immovable Properties Of Mastermind Abdul Malik

मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक का खेल खत्म, अब चल-अचल संपत्ति पर होगी कार्रवाई;14 दिन का मिलेगा समय
नैनीताल 23 फरवरी 2024। हल्द्वानी हिंसा के मास्टर माइंड अब्दुल मलिक से 2.68 करोड़ की वसूली का नगर निगम का नोटिस तहसील पहुंच गया। अब तहसील के माध्यम से अब्दुल मलिक से वसूली की प्रक्रिया होगी। इसमें चल-अचल संपत्ति की कुर्की के अलावा गिरफ्तारी भी की जा सकती है।
इसमें तहसील की तरफ से एक साइटेशन देकर 14 दिन में राशि जमा करने का समय दिया जाएगा। ऐसा न करने पर तहसील प्रशासन मलिक को लेकर दंडात्मक कार्रवाई शुरू करेगा जिसमें चल-अचल संपत्ति की कुर्की और बंदीकरण भी होगा। तहसीलदार सचिन ने आरसी पहुंचने की पुष्टि की है।

बता दें कि, कूटरचना कर सरकारी जमीन हड़पने, मरे हुए व्यक्ति के नाम से शपथ पत्र देने, न्यायालय में मरे हुए व्यक्ति के नाम से रिट डालने के मामले में नगर निगम के सहायक नगर आयुक्त गणेश भट्ट ने कोतवाली में लिखित शिकायत सौंपी है। शिकायत के आधार पर पुलिस ने अब्दुल मलिक, उसकी पत्नी साफिया मलिक सहित छह लोगों पर धोखाधड़ी, आईपीसी की 417 और 120 बी की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

Haldwani Violence Mastermind Abdul Malik Fraud
अब्दुल का बड़ा फर्जीवाड़ा:1988 में मृत नबी रजा खां को जिंदा किया,फिर काले कारनामों से मलिक का बगीचा बना डाला
हल्द्वानी हिंसा के मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक 1988 में मृत नबी रजा खां के नाम से नगर निगम, जिलाधिकारी से लेकर कोर्ट तक पैरवी करता रहा। जब मामले ने तूल पकड़ा तो नगर निगम ने इस जमीन से संबंधित कागजों की जांच की। जांच में कई तथ्य चौकानें वाले सामने आए।
नबी रजा खां की 1988 में मौत हो गई। इसके बाद भी हल्द्वानी हिंसा के मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक उनके नाम से नगर निगम, जिलाधिकारी से लेकर कोर्ट तक पैरवी करता रहा। 16 साल तक सरकारी विभागों को इसकी जानकारी तक नहीं हुई। कंपनी बाग की 13 बीघा जमीन को खुर्द-बुर्द करने को अब्दुल मलिक, उसकी पत्नी साफिया मलिक सहित छह लोगों ने जमकर कागजों में कूट रचना की। नबी रजा खां के मरने के बाद भी उसके नाम से कोर्ट में मुकदमा दायर किया गया। जब नबी रजा खां को बाग को लीज में मिली जमीन का फ्री होल्ड नहीं हुआ तो जमीन 10 रुपये से 100 रुपये के स्टांप पर बेच दी गई।

जब मामले ने तूल पकड़ा तो नगर निगम ने इस जमीन से संबंधित कागजों की जांच की। जांच में कई तथ्य चौकानें वाले सामने आए। नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय ने प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि मलिक का बगीचा की उनके वहां कंपनी बाग नाम से नजूल अनुभाग में फाइल है। नबी खां को ये बाग लीज में मिला था।
सईदा बेगम (पत्नी नबी रजा खां), सलीम रजा खां (पुत्र नबी रजा खां), अख्तरी बेगम (पत्नी नन्हें खां) ने 1991 में अध्यक्ष नगर पालिका परिषद हल्द्वानी एक शपथ पत्र दिया था। उसमें कहा गया था कि नबी रजा खां की मृत्यु तीन अक्तूबर 1988 को हो गई थी। उन्होंने कहा कि ऐसे ही कई झूठे शपथ पत्र और झूठे शपथ पत्र के आधार पर रिट भी डाली गई। मामले पकड़ में आने पर नगर निगम ने कोतवाली में लिखित शिकायत दी है।

1988 में जब नबी रजा खां मर गए तो कोर्ट में उनके नाम पर 2007 में किसने डाली रिट

2007 में कोर्ट में एक रिट अख्तरी बेगम (पत्नी नन्हें खां) और नबी रजा खां (पुत्र अशरफ खां) की ओर से डाली गई है। इस रिट में जो शपथ पत्र नोटरी किया लगाया गया है, उसमें नबी रजा खां की उम्र 55 वर्ष दर्शायी गई है। ये शपथ पत्र नौ अगस्त 2007 को सत्यापित कराया गया है। रिट में नबी रजा खां और अख्तरी बेगम की ओर से जिलाधिकारी को फ्री होल्ड को भेजे गए पत्रों को आधार बनाया गया है। ये पत्र जिलाधिकारी को आठ जून 2006 और अनुस्मारक पत्र 28 मई 2007 को भेजा गया है। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर जब नबी रजा खां 1988 में ही मर गए थे तो उनके नाम से रिट किसने डाली। शपथ पत्र कैसे बन गया?शपथ पत्र कैसे सत्यापित हो गया? जिलाधिकारी को क्या मृतक ने फ्री होल्ड के लिए आवेदन किया?
कहां गया 500 फलदार पेड़ों का बाग
कपंनी बाग में जब 1991 में 500 फलदार पेड़ थे तो वह कहां गए क्या जमीन बेचने को पेड़ों को काट दिया गया? 13 बीघा जमीन कहां चली गई? नबी रजा खां के भाई गौस रजा ने 10 अक्तूबर 1991 में नगर निगम को लिखित बयान दिया था। इसमें कहा गया था कि अख्तरी बेगम मेरी मां है। उन्हें पक्षाघात पड़ा है। नबी रजा खां की मृत्यु 1988 में हो गई है। इस जमीन में 500 फलदार पेड़ हैं। यहां पर एक 12 बाई 12 फिट का कमरा बना हुआ है। 31 जनवरी 2024 को गौस रजा खां ने शपथ पत्र देकर कहा है कि स्वर्गीय अख्तरी बेगम और नबी रजा खां ने अपने जीवित रहते इस भूमि का हिब्बा साफिया मलिक के पिता स्वर्गीय अब्दुल हनीफ निवासी बरेली को कर दिया था। हिबा कब किया ये नहीं बताया गया है।
1994 में कैसे मिल गया हिब्बा
अब्दुल मलिक की पत्नी साफिया मलिक ने 2024 में एक शपथ पत्र न्यायालय को दिया है। उसमें कहा गया है कि लीज होल्डर नबी रजा खां ने उनके पिता स्वर्गीय हनीफ खां को 1994 में हिबा में दी थी। अब सवाल उठ रहे हैं कि जब नबी रजा खां 1988 में मर गए थे तो 1994 में हिबा में ये जमीन कैसे साफिया मलिक को मिली।

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