गज़वा ए हिन्द: दारूल उलूम देवबंद पर होगा मुकदमा

Darul Uloom gave Fatwa,will be registered fir: गजवा ए हिंद’ को लेकर दिए फतवा पर घिरा दारुल उलूम देवबंद; राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने लिया एक्शन, होगी पुलिस प्राथमिकी
दारुल उलूम देवबंद एक मदरसा होने के साथ-साथ देश में मदरसा संचालक सबसे बड़ी इस्लामिक संस्था है और भारत, पाकिस्तान व बांग्लादेश में इससे संबंद्ध मदरसे संचालित हैं जिनमें लाखों बच्चे अध्ययनरत हैं। ज्यादातर आतंकी इन्हीं मदरसों से निकले हैं। दारुल उलूम देवबंद ने अपनी वेबसाईट से एक फतवा जारी किया है जिसमें गजवा ए हिंद को इस्लामिक दृष्टिकोण से वैध बताते हुए महिमामंडित किया गया है।

मदरसा दारूल उलूम देवबंद से गजवा ए हिंद को वैधता देने वाला फतवा

सहारनपुर डीएम और एसएसपी को पत्र भेजा
सहारनपुर 23 फरवरी 2024। विश्व प्रसिद्ध इस्लामिक शिक्षण केंद्र दारुल उलूम देवबंद गजवा ए हिंद (भारत पर आक्रमण) को महिमामंडित करने वाले अपने फतवे से चर्चाओं में है। इस्लामिक संस्था ने अपनी वेबसाइट से ये फतवा दिया है। इसे लेकर राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने इस फतवे को देश विरोधी बताते हुए सहारनपुर जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से पुलिस प्राथमिकी लिखने को कहा है।
दरअसल, किसी ने दारुल उलूम देवबंद से गजवा ए हिंद पर जानकारी मांगी थी। पूछा था कि क्या हदीस में इसका कोई जिक्र है? दारुल उलूम देवबंद ने इसके जवाब संख्या 9604 में साहिहसीता की पुस्तक सुन्नन अल-नसाई का हवाला देते हुए कहा कि इसमें गजवा ए हिंद को लेकर एक पूरा चैप्टर है।
फतवे में कहा गया
इसमें हजरत अबू हुरैरा (पैगंबर मोहम्मद साहब के करीबी रहे) से एक हदीस सुनाई गई है। इसमें उन्होंने गजवा ए हिंद पर कहा कि मैं इसमें लडूंगा और अपनी सभी धन संपदा इसमें कुर्बान कर दूंगा। मर गया तो महान बलिदानी बनूंगा। जिंदा रहा तो गाजी कहलाऊंगा। हजरत मोहम्मद साहब ने इस संबंध में भविष्यवाणी भी की थी। फतवे में किताब को प्रिंट करने वाली कंपनी का भी नाम है।
Deoband: Order To Register FIR Against Darul Uloom After Ghazwa-E-Hind Is Declared Valid

गजवा-ए-हिंद (भारत पर आक्रमण) को वैध करार के जवाब पर इस्लामी शिक्षण संस्था दारुल उलूम दस वर्ष बाद सवालों के घेरे में आया है। वेबसाइट से दिए गए फतवे को आधार बनाकर राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने इसे राष्ट्र विरोधी बताते हुए जिलाधिकारी सहारनपुर और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को जांच कर कार्रवाई के आदेश दिए हैं। बृहस्पतिवार को देवबंद परगनाधिकारी अंकुर वर्मा और पुलिस क्षेत्राधिकारी अशोक सिसोदिया ने दारुल उलूम प्रबंधन से इस संबंध में पूछताछ भी की।
दरअसल, वर्ष 2015 में दारुल उलूम की वेबसाइट पर किसी व्यक्ति ने गजवा-ए-हिंद को लेकर जानकारी मांगी थी। जिस पर दारुल उलूम ने अपने जवाब में पुस्तक सुन्नत-अल-नसाई का संदर्भ दे कहा था कि गजवा-ए-हिंद पर इसमें पूरा एक अध्याय है। बाल संरक्षण आयोग ने कहा कि यह देश विरोधी है, क्योंकि इसमें गजवा-ए-हिंद को इस्लामी नजरिए से जायज बताया है। मामले में आयोग अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर कार्रवाई करने को कहा।
बृहस्पतिवार को परगनाधिकारी अंकुर वर्मा और क्षेत्राधिकारी अशोक सिसोदिया उच्चाधिकारियों के निर्देश पर दारुल उलूम पहुंचे। यहां उन्होंने संस्था के मोहतमिम मौलाना अबुल कासिम नौमानी और नायब मोहतमिम मौलाना अब्दुल खालिक मद्रासी से पूछताछ की। संस्था के दोनों जिम्मेदारों ने अधिकारियों के सामने अपना पक्ष रखा।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2015 में पूछे गए सवाल पर हदीस में जो लिखा है वही नकल कर बताया गया। इसमें आज के लिए नया कुछ भी नहीं है। मोहतमिम मौलाना अबुल कासिम नौमानी ने बताया कि उन्हें लिखित में कुछ नहीं मिला है। अधिकारियों ने मौखिक में उनसे जो पूछा उसका जवाब मौखिक में ही दिया है। गजवा-ए-हिंद मौहम्मद साहब की भविष्यवाणी है। इसका अर्थ यह है कि इस्लाम के अनुयायियों की अपने विरोधियों से जंग होगी। यह जंग होगी या हो चुकी है इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता।
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग से इस संबंध में पत्र मिला है जिसमें फतवे में दिए जवाब को बच्चों के अधिकारों का हनन और कानून के खिलाफ बताया गया है। इस मामले में जांच कर कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।                         – डॉक्टर दिनेश चंद्र, जिलाधिकारी

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