शिव सेना नाम, चुनाव चिन्ह पर उद्धव को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे से नहीं छीना शिवसेना का नाम-निशान:कोर्ट ने शिंदे और चुनाव आयोग से 14 दिन में जवाब मांगा

मुंबई22 फरवरी। शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और निशान सौंपे जाने के खिलाफ उद्धव की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के फैसले पर रोक नहीं लगाई है। हालांकि, SC ने शिंदे खेमे और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर 2 हफ्ते में जवाब मांगा है।

CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने कहा कि शिंदे गुट ने चुनाव आयोग के सामने खुद को साबित किया है। इस स्थिति में अभी हम चुनाव आयोग के आदेश पर रोक नहीं लगा सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि उद्धव कैंप अभी मिले अस्थायी नाम और चुनाव निशान का इस्तेमाल जारी रख सकता है।

बेंच ने यह आदेश 26 फरवरी को होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा उपचुनाव को देखते हुए दिया है। इस दौरान कोर्ट ने शिंदे गुट से कहा कि आप भी अभी ऐसा कोई व्हिप नहीं जारी करेंगे जिसे न मानने से उद्धव समर्थक सांसद और विधायक अयोग्य हो जाएं। इस पर शिंदे गुट के वकील नीरज किशन कौल ने सहमति जताई।

उद्धव गुट की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने पैरवी की। उन्होंने बेंच से कहा कि पार्टी के कार्यालयों और बैंक खातों को शिंदे समूह  कब्जा रहा है। ऐसे में कोर्ट यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दे। हालांकि बेंच ने इसे मानने से इनकार कर दिया।

शिंदे गुट ने भी उद्धव की याचिका से पहले सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की थी। जिसमें कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट कोई भी फैसला देने से पहले उसका पक्ष जरूर सुने।

उद्धव ठाकरे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था- हमारी पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह छिन गया है, लेकिन हमसे ठाकरे नाम कोई नहीं छीन सकता।

शिंदे के वकील की दलील

शिंदे पक्ष के वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुनवाई हाई कोर्ट में होनी चाहिए। सीधे सुप्रीम कोर्ट में बात रखने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए। कौल ने कहा कि इन्होंने पहले भी सुप्रीम कोर्ट से चुनाव आयोग की कार्रवाई पर रोक की मांग की थी, जो नहीं मिली थी। अब फिर कह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट में विवाद के बाकी मामले लंबित हैं, इसलिए इसे भी सुनिए। लेकिन यह कोई आधार नहीं।

कपिल सिब्बल ने क्या कहा?

वहीं उद्धव ठाकरे के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि चुनाव आयोग कह रहा है कि शिवसेना का 2018 का संविधान रिकॉर्ड पर नहीं है। इसलिए विधायक दल में बहुमत के हिसाब से सुनवाई करेंगे। यह गलत है। अगर यह भी आधार हो तो विधान परिषद और राज्यसभा में हमारे पास बहुमत है। उसकी उपेक्षा की गई।

इस पर शिंदे गुट के वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि 2018 में एक पार्टी संविधान बना दिया गया कि सारे अधिकार अध्यक्ष के पास ही रहेंगे। इस तानाशाही भरे संविधान की जानकारी भी चुनाव आयोग को नहीं दी गई। उन्होंने आगे कहा कि सिर्फ अयोग्यता की कार्रवाई लंबित होना किसी विधायक को सदन के कामकाज से अलग नहीं करता।

चुनाव आयोग ने क्या कहा?

चुनाव आयोग के वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि आयोग ने सुप्रीम कोर्ट की तरफ से रोक न लगाने के बाद अपना काम किया। दोनों पक्षों ने खुद को असली पार्टी बताया। आयोग ने विस्तार से सुनवाई कर फैसला लिया है।

SC में ठाकरे गुट ने पार्टी संविधान का हवाला दिया

उद्धव गुट की याचिका में कहा गया था कि चुनाव आयोग ने शिवसेना के नाम और चुनाव निशान के विवाद के निपटारे का आधार पार्टी के 1999 के संविधान को बनाया, जबकि इसे 2018 में बदला जा चुका था। संशोधन में कहा गया था कि शिवसेना में अध्यक्ष ही सबसे ऊपर होगा। किसी को पार्टी में शामिल करने, निकालने या बैठक करने पर आखिरी फैसला पार्टी अध्यक्ष का ही होगा।

उद्धव गुट ने कहा था कि 1999 के संविधान के मुताबिक पार्टी प्रमुख के पास इस तरह का कोई पावर नहीं था। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने 2018 के संविधान को रिकॉर्ड पर रखने का समय ही नहीं दिया। फैसला लेते वक्त नए संविधान को अनदेखा किया गया है। इसी दलील के आधार पर उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी।

शिंदे गुट के मुख्य सचेतक भरत गोगावले अन्य विधायकों के साथ विधानसभा पहुंचे, यहां उन्होंने स्पीकर राहुल नार्वेकर से मुलाकात की।

उद्धव की मुसीबतें लगातार बढ़ती जा रही हैं

उद्धव ठाकरे की मुसीबत लगातार बढ़ती जा रही हैं। पहले पार्टी का नाम और निशान गया, फिर विधानभवन में पार्टी का ऑफिस भी चला गया। अब BMC हेडक्वार्टर पर शिंदे गुट की नजर है। वहीं, शिंदे गुट ने महाराष्ट्र असैंबली में बने शिवसेना के ऑफिस पर दावा ठोका है। शिंदे गुट के विधायकों ने ऑफिस को अपने अधिकार में ले लिया। मुंबई के शिवसेना भवन में उद्धव गुट की मीटिंग से पहले शिंदे गुट के नेता सदा सर्वंकर ने कहा कि हम किसी प्रॉपर्टी पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। न सिर्फ सेना भवन, बल्कि हमारे लिए पार्टी की हर शाखा एक मंदिर है।​​​​​​

ठाकरे गुट का दावा- नाम खरीदने 2000 करोड़ में सौदा

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता संजय राउत ने दावा किया है कि शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न तीर-कमान खरीदने को 2000 करोड़ रुपए का सौदा हुआ है। राउत ने रविवार काे सोशल मीडिया में लिखा था कि 2000 करोड़ रुपए एक शुरुआती आंकड़ा है और यह पूरी तरह सच है।

राउत ने था कहा कि सत्तारुढ़ दल के करीबी एक बिल्डर ने यह जानकारी साझा की है। इसका खुलासा वे जल्द करेंगे। वहीं, राउत के इस बयान पर CM एकनाथ शिंदे के विधायक सदा सर्वंकर ने पूछा कि क्या उस डील के कैशियर संजय राउत हैं? इस मामले में नासिक में संजय राउत के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।

शिंदे गुट का शिवसेना के असैंबली ऑफिस पर दावा; उद्धव बोले- सिंबल छीना लेकिन ठाकरे नाम कोई नहीं छीन सकता

उद्धव ठाकरे सोमवार दोपहर मुंबई के शिवसेना भवन में अपने गुट के साथ मीटिंग के लिए पहुंचे, इस दौरान उनके समर्थकों ने शिंदे के खिलाफ नारेबाजी की।
शिवसेना नाम और तीर-कमान सिंबल मिलने के बाद अब शिंदे गुट ने महाराष्ट्र असैंबली में बने शिवसेना के ऑफिस पर दावा ठोका है। शिंदे गुट के विधायकों ने ऑफिस को अपने अधिकार में ले लिया। इस पर उद्धव ठाकरे ने कहा- हमारी पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह छिन गया है, लेकिन ठाकरे नाम कोई नहीं छीन सकता। उद्धव ने कहा- चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ हमने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

अमित शाह बोले- EC ने दूध का दूध, पानी का पानी किया

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को पुणे दौरे के दौरान एकनाथ शिंदे गुट की पार्टी को शिवसेना नाम और तीर-कमान चिन्ह दिए जाने पर चुनाव आयोग के फैसले का स्वागत किया।

EC के फैसले का स्वागत करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि दूध का दूध और पानी का पानी हो गया। सत्यमेव जयते का सूत्र चरितार्थ हुआ है। जब कभी भी 2014 से 2022 के कालखंड का भारत की चुनी हुई सरकारों का इतिहास लिखा जाएगा तो स्वर्णिम अक्षरों से लिखा जाएगा।

उद्धव का शाह पर तंज- मोगैंबो खुश हुआ, कहा-वो लोगों को लड़ाकर राज करना चाहते हैं

उद्धव ने कहा था कि पहली बार ठाकरे परिवार ने उस पार्टी से नियंत्रण खो दिया, जिसकी स्थापना बाल ठाकरे ने 1966 में की थी।

शिवसेना नाम और तीर-कमान चिन्ह को लेकर चुनाव आयोग के फैसले पर नाराजगी जताते हुए उद्धव ठाकरे ने अमित शाह पर तंज किया था। उद्धव ने शाह का नाम लिए बिना कहा था कि मोगैंबो खुश हुआ। उन्होंने कहा था कि आपको मिस्टर इंडिया फिल्म याद है, मोगैंबो यही तो चाहता था। वो देश के लोगों को आपस में लड़ाकर राज करना चाहते हैं। यही आज के मोगैंबोस हैं। ​​​​​​

पार्टी और निशान छिनने पर उद्धव बोले- अब जंग शुरू

उद्धव ठाकरे ने शनिवार को अपने समर्थकों से कहा था कि गली-गली में जाकर लोगों को बताइए कि पार्टी का चुनाव चिह्न ‘तीर-कमान’ चोरी हो गया है। CM एकनाथ शिंदे पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा था कि चोर को सबक सिखाने की जरूरत है। वह पकड़ा गया है। मैं चोर को तीर-कमान लेकर मैदान में आने की चुनौती देता हूं और हम जलती हुई मशाल से उसका मुकाबला करेंगें।

 शिवसेना शिंदे की, तीर-कमान निशान भी मिला:चुनाव आयोग बोला- उद्धव गुट ने चुनाव बिना लोगों को नियुक्त किया

चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना मान लिया। आयोग ने पिछले शुक्रवार को शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और तीर-कमान का निशान इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी। आयोग ने पाया कि शिवसेना का मौजूदा संविधान अलोकतांत्रिक है। उद्धव गुट ने बिना चुनाव कराए अपनी मंडली के लोगों को अलोकतांत्रिक रूप से पदाधिकारी नियुक्त करने को इसे बिगाड़ा।

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