विवेचना: पटाखे प्रदूषण फैलाते हैं लेकिन वाहनों और कारखानों से कम

 

विवेचना:दिवाली आते ही होती है पटाखों से प्रदूषण की बात; पर्यावरण खराब करने में इनकी कितनी हिस्सेदारी?

हर साल दिवाली आते ही पटाखों और प्रदूषण की चर्चा जोर पकड़ने लगती है। कई राज्य दिवाली पर पटाखों की बिक्री पर बैन लगा देते हैं, तो कई राज्य केवल ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल की ही अनुमति देते हैं। इस साल भी अलग-अलग राज्यों ने पटाखों के इस्तेमाल पर अलग-अलग गाइडलाइन जारी की हैं। कई राज्यों ने पटाखों पर पूरी तरह बैन लगा दिया है, तो कई राज्यों ने केवल 2 घंटे के लिए पटाखे चलाने की अनुमति दी है।

दिवाली के समय पटाखों के इस्तेमाल को बैन करने से सवाल उठता है कि क्या वाकई पटाखे प्रदूषण फैलाते हैं? अगर पटाखे प्रदूषण फैलाते हैं तो क्या पटाखों से ही सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलता है? पटाखों में कौन से कैमिकल होते है, जो आपकी सेहत के लिए खतरनाक हैं? और कौन सा पटाखा कितना प्रदूषण फैलाता है? आइये जानते हैं…

क्या पटाखे प्रदूषण फैलाते हैं?

हां। पटाखों से प्रदूषण होता है। पटाखे हवा में मौजूद डस्ट और पॉल्यूटेंट्स को बढ़ा देते हैं। साथ ही पटाखों में मौजूद अलग-अलग कैमिकल विस्फोट के बाद हवा में मिल जाते हैं। ये न सिर्फ पॉल्यूशन को बढ़ाते हैं बल्कि आपकी हेल्थ के लिए भी खतरा पैदा करते हैं।

पिछले कुछ सालों से ये ट्रेंड भी देखने को मिला है कि दिवाली के बाद एयर क्वालिटी में गिरावट आई है। दिल्ली में 2018 से 2020 का दिवाली से पहले और दिवाली के बाद का एयर क्वालिटी डेटा बता रहा है कि पटाखों की वजह से प्रदूषण बढ़ा है।


तो क्या प्रदूषण के लिए बस पटाखे ही जिम्मेदार हैं?

नहीं। वायु प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह सड़कों पर चलने वाले वाहनों से निकलने वाला धुंआ और धूल है। दिल्ली में प्रदूषण को लेकर 2016 में IIT कानपुर की एक स्टडी कहती है कि वाहनों की वजह से पैदा होने वाली धूल और धुआं प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह है। कुल प्रदूषण में इसका योगदान 58% है। उसके बाद प्रदूषण की बड़ी वजहों में घरों, इंडस्ट्रीज और पराली जलाने से निकलने वाला धुआं और कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी जैसी गतिविधियां शामिल हैं।

2019 में सुप्रीम कोर्ट में पटाखों को बैन करने के लिए एक याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में मांग की गई थी कि पटाखों से प्रदूषण बढ़ता है इसलिए उनके इस्तेमाल पर पूरी तरह रोक लगाई जानी चाहिए।

याचिका पर सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ऐसा लगता है लोग पटाखों के पीछे पड़ गए हैं, जबकि पटाखों से ज्यादा प्रदूषण वाहनों से फैलता है। कोर्ट ने पटाखों पर बैन की वजह से लोगों के रोजगार खत्म होने पर भी चिंता जाहिर की थी। कोर्ट ने कहा “आपको हमें बेरोजगारी को रोकने का कोई तरीका भी बताना होगा। हम लोगों को बेरोजगार और भूखे नहीं रख सकते।”

कोर्ट ने कहा था कि अगर पटाखों का व्यापार वैध है और लोगों के पास कारोबार करने का लाइसेंस है तो पटाखों का इस्तेमाल और निर्माण कैसे रोका जा सकता है?

कौन सा पटाखा कितना प्रदूषण फैलाता है?

2016 में पुणे के चेस्ट रिसर्च फाउंडेशन ने अलग-अलग पटाखों से कितना प्रदूषण होता है ये जानने के लिए एक स्टडी की थी। इस स्टडी में पता लगाया गया कि एक पटाखे को कितनी देर तक जलाने से उसमें से कितना 2.5 पर्टिकुलेट मैटर रिलीज होता है।

पटाखों में होते हैं हानिकारक कैमिकल

पटाखों में अलग-अलग रंग की रोशनी के लिए अलग-अलग कैमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। इनमें से ज्यादातर कैमिकल पर्यावरण के साथ-साथ हमारी सेहत के लिए भी नुकसानदायक होते हैं।

इस साल कहां-कहां बैन हैं पटाखे?

दिल्ली में 1 जनवरी 2022 तक पटाखे फोड़ने पर बैन है। दिल्ली पॉपुलेशन कंट्रोल बोर्ड ने कहा है कि आम लोगों के हित में पटाखों पर पूरी तरह बैन लगाया गया है।
ओडिशा में भी इस साल पटाखे की खरीद-बिक्री और फोड़ने पर रोक लगाई है। ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल की छूट दी गई है।
1 अक्टूबर से राजस्थान ने भी पटाखे फोड़ने पर बैन लगा दिया है। हालांकि, ग्रीन पटाखों को छूट दी गई है।
पंजाब में लोग दिवाली पर रात 8 से 10 बजे तक पटाखे फोड़ सकेंगे।
हरियाणा ने भी NCR के अंदर के 14 जिलों में पटाखों पर बैन लगा दिया है। बाकी जिलों में ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल किया जा सकेगा।
उत्तरप्रदेश ने भी NCR के जिलों और उन इलाकों में पटाखों पर बैन लगा दिया है, जहां एयर क्वालिटी पुअर कैटेगरी में है। बाकी इलाकों में ग्रीन पटाखों को 2 घंटे तक फोड़ने की छूट दी गई है।
बाकी राज्यों में भी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार ग्रीन पटाखे और टाइमिंग को लेकर अलग-अलग छूट दी गई है।

हर साल होने वाली मौतों की चौथी सबसे बड़ी वजह प्रदूषण

दुनियाभर में होने वाली कुल मौतों में प्रदूषण चौथी सबसे बड़ी वजह है। 2019 में प्रदूषण की वजह से 66.7 लाख लोगों की मौत हुई है। 2018 में प्रदूषण मौत की 5वीं सबसे बड़ी वजह था। वायु प्रदूषण की वजह से लो और मिडिल इनकम देशों में सबसे ज्यादा मौतें हो रही है

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