चीनी एप्स से ठगे गए पांच लाख से ज्यादा भारतीय, ठगी गई रकम दो अरब से ज्यादा

5 लाख भारतीय शिकार, ₹200करोड़ की ठगी: दिल्ली पुलिस ने चीनी गैंग का भंडाफोड़ कर 11 पकड़े

नई दिल्ली 11 जून। दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने ठगी के एक चीनी गिरोह का पर्दाफाश किया है। शुरुआती जाँच में पता चला है कि यह गिरोह ने करीब 5 लाख भारतीयों को शिकार बना चुका है। उनके डाटा के साथ-साथ दो महीने में करीब 150 करोड़ रुपए की ठगी कर चुका है। डीसीपी अन्येश रॉय ने बताया कि पैसे डबल करने का झाँसा देकर गिरोह लोगों को अपना शिकार बनाता था।

मामले में पुलिस ने दो सीए और एक तिब्बती महिला समेत 11 आरोपितों को गिरफ्तार किया है। आरोपितों ने लोगों को मल्टी लेवल मार्केटिंग के जरिए निवेश की रकम पर हाई रिटर्न का वादा किया था।

रॉय ने बताया, “5 लाख से अधिक पीड़ितों के साथ 150 करोड़ रुपए से अधिक की धोखाधड़ी की गई है। पुलिस कार्रवाई में बैंक में जमा 11 करोड़ रुपए की राशि को फ्रीज कर दिया गया है और 97 लाख रुपए नकद बरामद किए गए हैं।” पुलिस अधिकारी के मुताबिक, अब तक नकद और बैंक खातों से लगभग 12 करोड़ रुपए की रिकवरी की गई है। पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव के अनुसार, गुरुग्राम के जिस सीए के घर से 97 लाख रुपए नकद बरामद की गई है, उसने चीनियों के लिए 110 से अधिक फर्जी कंपनियाँ बना रखी थी।

पुलिस अधिकारी रॉय ने कहा कि साइबर ठग बड़ी संख्या में फेक एप्स ईजेड प्लान, सन फैक्टरी, पावर बैंक , लाइटनिंग पावर बैंक, पाकेट वालेट जैसे एप भारतीय बाजार में चला रहे थे। इनमें से कुछ तो Google Play Store पर भी लिस्टेड हैं। इनमें से एक पावर बैंक ऐप हाल ही में गूगल प्ले स्टोर पर चौथे नंबर पर ट्रेंड कर रहा था।

उन्होंने कहा कि फिलहाल साइबर ठगों के ठिकानों, उनके काम करने के तरीकों और उनके नेटवर्क को खँगाला जा रहा है। पुलिस के मुताबिक जाँच में इस बात का खुलासा हुआ है कि इस घोटाले में शामिल कुछ मोबाइल नंबर चीन से ऑपरेट हो रहे थे। ये नंबर बैंक खातों से जुड़े हुए थे।

डीसीपी ने कहा कि इस बड़े घोटाले में शामिल चीनी ठग व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे कई एप्स के जरिए लोगों से संपर्क करते थे और इच्छुक व्यक्तियों को फर्जी बैंक खातों की खरीद, शेल कंपनियाँ बनाने, एप्स का प्रचार और उसे बढ़ावा देने के लिए काम करते थे।

साइबर सेल के डीसीपी के मुताबिक, पश्चिम बंगाल, एनसीआर क्षेत्र, बेंगलुरु, ओडिशा, असम और सूरत में इन साइबर ठगों का सुराग लगा है। ये ठग अपने टेलीग्राम चैनल्स के फॉलोवर्स का उपयोग कर ऐसे लोगों की भर्ती करते थे जो उनके लिए कुछ इंसेंटिव पर काम कर सकें।

पुलिस ने इस मामले में बंगाल के उलूबेरिया से गिरफ्तार शेख रॉबिन के पास से 30 मोबाइल फोन जब्त किया है। उसने चीनी नागरिकों द्वारा शेल कंपनियों, डमी मोबाइल नंबरों और बैंक खातों के द्वारा धोखाधड़ी की सुनियोजित साजिश का खुलासा किया है।

शेख रॉबिन ने चीनियों के लिए खोले फर्जी बैंक अकाउंट

शेख रॉबिन से ही चीनियों ने टेलीग्राम के जरिए संपर्क किया था। उसी ने इन ठगों के लिए बैंक खाता खोला। देश के बाहर पूरी तरह से सुरक्षित बैठे इन ठगों के बैंक खातों में फंड ट्रांसफर करने की जिम्मेदारी शेख रॉबिन की थी। शेख रॉबिन 30 शेल कंपनियाँ चला रहा था।

जिस वक्त साइबर सेल ने उसे गिरफ्तार किया, उस दौरान उसके पास 29 बैंक अकाउंट और 30 एक्टिव मोबाइल फोन थे। उसी दौरान दिल्ली के रहने वाले उमाकांत आकाश जॉय, वेद चंद्र, हरिओम और अभिषेक मंसरमणि नाम के चार लोगों को भी गिरफ्तार किया गया। ये सभी चीनियों की फर्जी कंपनियों के निदेशक हैं।

पुलिस ने कहा कि एक अन्य आरोपित अरविंद को भी गिरफ्तार किया है, जिसने इन तीनों व्यक्तियों को शेल कंपनियों का निदेशक बनाया था। इन्हीं आरोपितों ने शेल कंपनीज बनाने के पीछे दो सीए अविक केडिया और रौनक के शामिल होने का खुलासा किया है। अविक केडिया 110 शेल कंपनियाँ चला रहा था।

पुलिस ने जाँच के आधार पर चीनियों को फर्जी कंपनियाँ और बैंक खाते उपलब्ध कराने में शामिल आरोपित शशि बंसल और मिथलेश शर्मा को भी गिरफ्तार किया है।

शुरू में कुछ रिर्टन देते थे

आरोपित निवेशकों को शुरुआत में कुछ रिर्टन देते थे। किसी ने 300 रुपए निवेश किए तो उसे 24 दिन में दो गुना पैसे दे देते थे। ये पीड़ित से और पैसा निवेश करवाते थे और अपने सर्किल के लोगों को निवेश करवाने के लिए कहते थे। कुछ समय बाद ये पीड़ित को पैसा देना बंद देते थे। ये पीड़ित के एप पर पैसा देने का मैसेज दिखा देते थे, जबकि पीड़ित के खाते में पैसे नहीं जाते थे।

चीन में बैठे धोखेबाज़ों ने 5 लाख भारतीयों से ऐसे ठगे करोड़ों रुपये

अपने जाल में फंसाने के लिए इन कंपनियों ने लोगों को अपने ऐप पर एक घंटा बिताने की एवज में पहले 6 से 10 रुपये दे दिए।

: चीन में बैठेे इन ठगों ने लगभग 5 लाख भारतीयों की मेहनत की कमाई पर डाका डाला है। भारत के भोले-भाले लोगों ने कम समय में ज्यादा पैसा कमाने की उम्मीद में इन चीनी ऐप्स को 50 लाख से ज्यादा बार डाउनलोड किया था। जिस बड़े पैमाने पर ठगी की इन घटनाओं को अंजाम दिया गया, उससे साफ पता चलता है कि यह एक जानलेवा चीनी वित्तीय वायरस की तरह था जो ऐसे समय मे भारतीयों के पैसे लूटने की कोशिश कर रहा था, जब घातक चीनी कोरोना वायरस उपमहाद्वीप में अपने पांव पसार रहा था।

पूरे फाइनेंशियल रैकेट का भंडाफोड़ तब हुआ जब दिल्ली पुलिस ने इन चीनी ऐप्स के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई करते हुए भारत में 12 लोगों को गिरफ्तार किया। उनमें से ज्यादातर अपने चीनी आकाओं या चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के एजेंट हैं जिन्होंने चीन में बैठे अपने मास्टरमाइंड्स को शेल कंपनियों के जरिए निवेशकों का पैसा इधर से उधर करने में मदद की।

चीन की कुछ कंपनियों ने Google Play Store पर EZPlan और Power Bank जैसे फ्रॉड ऐप्स को उतारा और 24 से 35 दिनों के भीतर इन्वेस्ट किए गए पैसे को दोगुना करने का लालच दिया। 300 रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक के निवेश पर प्रति घंटा या दैनिक आधार पर रिटर्न की पेशकश की गई थी। शुरुआत में पैसे लगाने वाले लोगों का भरोसा जीतने के लिए छोटी रकम पर रिटर्न दिया गया और उसके बाद लंबा हाथ मारा गया। एक समय तो चीनी ऐप्स इतने लोकप्रिय हो गए थे Play Store पर सबसे पॉप्युलर ऐप्स में Power Bank नंबर 4 पर था।

इन ऐप्स में पैसा लगाने वाले सैकड़ों लोगों द्वारा दिल्ली पुलिस में शिकायत करने के बाद एक युवा साइबर सेल अधिकारी को चीनी नेटवर्क में घुसपैठ करने और विभिन्न खातों में पैसे के ट्रांसफर के बारे में पता लगाने के काम पर लगाया गया था। चीनी नेटवर्क में घुसपैठ के बाद दिल्ली पुलिस लिंक पेमेंट गेटवे, यूपीआई, ट्रांजेक्शन आईडी और घोटालेबाजों द्वारा इस्तेमाल किए गए बैंक खातों की पहचान करने में कामयाब हो गई।

दिल्ली पुलिस के कमिश्नर एस. एन. श्रीवास्तव के मुताबिक, पुलिस ने विभिन्न बैंक खातों और पेमेंट गेटवे में 11 करोड़ रुपये फ्रीज कर दिए और चार्टर्ड एकाउंटेंट अविक केडिया के गुरुग्राम स्थित घर से 97 लाख रुपये नकद जब्त किए हैं। उन्होंने अपने चीनी आकाओं के लिए 110 से अधिक शेल कंपनियां बनाई थीं। वह अपने चीनी मास्टरमाइंड से शेल कंपनियां बनाने के लिए 3 लाख रुपये लेता था। एक अन्य चार्टर्ड अकाउंटेंट रौनक बंसल सारे लेन-देन का रिकॉर्ड रखता था, और क्रिप्टोकरंसी के माध्यम से अपने चीनी आकाओं को पैसे ट्रांसफर करता था।

जांच के दौरान पता चला कि उनका ‘हेडक्वॉर्टर’ पश्चिम बंगाल में उलुबेरिया के पास कहीं था, जहां से वे बंगाल, ओडिशा, असम और अन्य उत्तर पूर्वी राज्यों में लोगों को निशाना बनाते थे। बाद में उन्होंने दिल्ली एनसीआर और अन्य राज्यों में अपना जाल फैलाया। पुलिस ने कहा, पावर बैंक ऐप ने खुद को बेंगलुरु स्थित स्टार्टअप के रूप में पेश किया, जबकि EZPlan भारत में स्थित इसी नाम की अपनी वेबसाइट पर उपलब्ध था। इन दोनों ऐप्स के सर्वर चीन में थे।

ये ठग लोगों से उनके व्हाट्सऐप और टेलीग्राम नंबरों पर रैंडमली कॉन्टैक्ट करते थे, और जो भारतीय इसमें रूचि दिखाते थे उनको फर्जी बैंक खातों की खरीद, शेल कंपनियां बनाने, चीनी ऐप्स को सर्कुलेट और प्रमोट करने और पैसे ट्रांसफर करने के लिए अपने पार्टनर्स के रूप में काम पर रख लेते थे। इन ऐप्स को कई YouTube चैनलों पर भी प्रमोट किया गया था, जबकि पैसा लगाने वाले संभावित भारतीयों को बल्क एसएमएस के जरिए चैट लिंक भेजे गए थे।

एक बार किसी ने ऐप पर अपना नाम रजिस्टर कर लिया, तो उसे बार-बार आकर्षक रिटर्न पाने के लिए पैसा लगाने को कहा गया, और लोग इनके झांसे में आ गए। दिल्ली के वजीराबाद लेकर से बिहार के बांका तक, बंगाल के बोलपुर से लेकर कर्नाटक के बेल्लारी तक, भोले-भाले लोगों से उनका पैसा ठग लिया गया। उनमें से ज्यादातर को इन अर्निंग ऐप्स के बारे में WhatsApp और Facebook से पता चला था।

इन ठगों के काम करने का तरीका बेहद आसान था। एक बार जब कोई शख्स ऐप को डाउनलोड करता है और अपना बैंक डिटेल रजिस्टर करता है, तो उसे शुरुआती रकम के रूप में 6 रुपये मिलते थे। 300 रुपये का निवेश करने पर एक दिन में 10 पर्सेंट मनीबैक, और २४ दिनों के बाद इन्वेस्ट किए गए पैसे को दोगुना करने की पेशकश की जाती थी। इस ऐप को कम से कम 10 दोस्तों या रिश्तेदारों को फॉरवर्ड करने वाले लोगों को इन्सेंटिव अलग से देने की बात कही गई। उन्होंने लोगों को एक निश्चित शुल्क का भुगतान करने पर करोड़पति बनने के सपने दिखाए। शुरुआत में ऐप ने लोगों को रिटर्न में पैसे भी दिए, लेकिन जैसे ही किसी ने ज्यादा पैसा लगाया, तो रिटर्न के साथ-साथ अकाउंट भी बंद हो गया और ऐप्स से संपर्क करने का कोई जरिया भी नहीं बचा।

दिल्ली पुलिस अब तक 200 करोड़ रुपये की ठगी का रिकॉर्ड निकाल चुकी है। पैसों का यह ट्रांसफर 2 पेमेंट गेटवे के जरिए हुआ है। पुलिस का मानना है कि पूरा घोटाला कई हजार करोड़ रुपये का हो सकता है क्योंकि उम्मीद है कि ठगी का शिकार हुए कई और लोग अपनी इन्वेस्टमेंट की डिटेल भेजेंगे।

पावर बैंक, लाइटनिंग पावर बैंक, EZMoney, सन फैक्ट्री, पॉकेट वॉलेट नाम के अर्निंग ऐप्स से लोगों को निवेश दोगुना करने का लालच देते हुए व्हाट्सएप और फेसबुक मैसेंजर के जरिए मैसेज भेजे गए। यदि आपको इन चाइनीज ऐप्स से कोई मैसेज मिलता है तो उन्हें तुरंत डिलीट कर दें। किसी भी कीमत पर अपना नाम और बैंक डिटेल्स न बताएं। वे शिकार के लिए घूमतीं भूखी शार्क की तरह हैं। चीन में बैठे मास्टरमाइंड कोरोना लॉकडाउन के चलते अपने घरों में बैठे लाखों भारतीयों के हालात का फायदा उठा रहे थे।

अपने जाल में फंसाने के लिए इन कंपनियों ने लोगों को अपने ऐप पर एक घंटा बिताने की एवज में पहले 6 से 10 रुपये दे दिए। इसके बाद पैसा लगाने वालों का लालच बढ़ा तो उनसे कहा गया कि वे 300 रुपये, 3000 रुपये और यहां तक कि 30,000 रुपये भी कमा सकते हैं। कंपनी ने कहा कि यदि निवेशक इन ऐप्स की स्कीम में अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को भी जोड़ते हैं तो उनके द्वारा लगाए गए पैसे दोगुने हो जाएंगे। दिल्ली पुलिस ने कहा, इन कंपनियों के पीछे जो लोग थे वे खुद को डिजिटल मार्केटिंग का ग्लोबल लीडर बताते थे। कभी-कभी वे अपनी कंपनियों को टेक स्टार्टअप कहते थे तो कई बार वे अपनी कंपनियों सर्विस प्रोवाइडर बताकर लूट लेते थे।

दिल्ली पुलिस ने इन सारे चाइनीज ऐप्स पर करवाई की है और इंटरनेट की मदद से इन्हें बैन करवा दिया है। गूगल ऐप स्टोर को भी दिल्ली पुलिस ने लिखा है कि इस तरह के ऐप्स को स्टोर में जगह देने से पहले उनकी जांच करें। लेकिन दिक्कत यह है कि यदि ऐसे कुछ ऐप्स हटा भी दिए जाते हैं, तो भी फ्रॉड करने वाले नए नामों वाले ऐप्स के साथ वापस आ जाएंगे। इस चीनी वायरस का कोई स्थायी समाधान नहीं है।

इस समस्या का एकमात्र समाधान यह है कि लोग जल्दी पैसा कमाने के लालच में न पड़ें और ऐसे धोखेबाजों के संपर्क में आने से बचें। यदि कोई पहले ही ठगा जा चुका है तो उसे तुरंत पुलिस से संपर्क करके सारी डिटेल देनी चाहिए। यदि उनका पैसा भारत में ही है और बाहर नहीं गया है तो इस बात की काफी संभावना है कि उन्हें उनका पैसा वापस मिल जाए। अगर पैसा चीन को ट्रांसफर कर दिया गया है, तो इसके वापस मिलने की संभावना न के बराबर है।

महामारी के इस वक्त में साइबर क्राइम के मामले पूरे भारत में उछाल पर हैं। 2019 में साइबर ठगी के 1,94,000 मामले सामने आए थे। महामारी के दौरान 2020 में यह संख्या बढ़कर 11,58,000 हो गई। 25 अप्रैल से 24 मई तक, जब कोरोना की दूसरी लहर अपने पीक पर थी, एक महीने में अकेले दिल्ली पुलिस को साइबर क्राइम की 791 शिकायतें मिली थीं। इस दौरान कुल 596 FIR दर्ज की गईं। अब इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि पूरे देश में किस पैमाने पर और कितनी तादाद में साइबर क्राइम करने वाले गैंग ऐक्टिव हैं। इस सबसे अपने आप को बचाने का एक ही तरीका है कि आप ऐसे किसी भी संदिग्ध ऐप के संपर्क में आने से बचें जो आपसे आपके पैसे को दोगुना करने का वादा करता हो। लालच में मत पड़िए, अपनी मेहनत की कमाई को लुटने से बचाने का यही एकमात्र तरीका है।

 

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