नूपुर शर्मा विरोधी प्रदर्शनकारी मुस्लिम मजदूर कतर से बाहर, वीजा रद्द

Prophet row: कुवैत में नूपुर शर्मा के खिलाफ प्रदर्शन करना प्रवासियों को पड़ा भारी, अब डिपोर्ट करने की तैयारी

कुवैत के कानूनों के अनुसार, कुवैत में प्रवासियों को धरना या प्रदर्शन आयोजित करने की अनुमति नहीं है। इसके बावजूद फहील क्षेत्र में रहने वाले कुछ प्रवासियों ने इस कानून को तोड़कर प्रदर्शन किया। इसी पर सरकार की तरफ से संबंधित प्रदर्शनकारियों के खिलाफ ऐक्शन लेने का आदेश दिया गया है।

हाइलाइट्स
1-कुवैत में प्रदर्शन करने वाले प्रवासियों को डिपोर्ट करने की तैयारी
2-कुवैती कानून के हिसाब से प्रवासियों को प्रदर्शन की अनुमति नहीं
3-पुलिस ने प्रवासियों को गिरफ्तार करना शुरू किया, लगाएगा प्रतिबंध

कुवैत सिटी 12 जून : कुवैत ने पैगंबर मुहम्मद पर टिप्पणी के खिलाफ प्रदर्शन में भाग लेने वाले प्रवासियों को निर्वासित करने का फैसला किया है। स्थानीय प्रशासन ने जुमे की नमाज के बाद प्रदर्शन का आयोजन करने वाले फहील क्षेत्र से प्रवासियों को गिरफ्तार करने का आदेश जारी किया है। इन प्रदर्शनकारी प्रवासियों को कुवैत के कानून का उल्लंघन करने के कारण निर्वासित किया जाएगा। इनमें भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश सहित कई देशों के नागरिक शामिल हैं।

कुवैत में धरना प्रदर्शन की अनुमति नहीं

कुवैत के कानूनों के अनुसार, कुवैत में प्रवासियों को धरना या प्रदर्शन आयोजित करने की अनुमति नहीं है। इसके बावजूद फहील क्षेत्र में रहने वाले कुछ प्रवासियों ने इस कानून को तोड़कर प्रदर्शन किया। इसी पर सरकार की तरफ से संबंधित प्रदर्शनकारियों के खिलाफ ऐक्शन लेने का आदेश दिया गया है। सरकार का तर्क है कि अगर इन प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती है तो उनके देश में रहने वाले दूसरे देशों के नागरिक कानून को अपने हाथ में लेने लगेंगे।

प्रदर्शनकारी प्रवासियों के दोबारा कुवैत आने पर भी प्रतिबंध

अल राय की रिपोर्ट के अनुसार, जासूस उन्हें गिरफ्तार कर निर्वासन केंद्र को सौंपने लगे हैं। यहीं से इन प्रवासियों को उनके देश वापस भेजा जायेगा। ऐसे लोगों के कुवैत में फिर से प्रवेश करने पर प्रतिबंध भी लगाया जा रहा है। प्रशासन ने अपने आदेश में कहा कि कुवैत में सभी प्रवासियों को कुवैती कानूनों का सम्मान करना चाहिए और किसी भी प्रकार के प्रदर्शनों में भाग नहीं लेना चाहिए।

नूपुर शर्मा मामले में प्रदर्शन करने वाले भारतीय मुसलमानों को कुवैत से भगाया जा रहा है:अरब टाइम्स आनलाइन

सोशल मीडिया पर कुवैत से जुड़ा एक मजबूत ट्रेंड चल रहा है. कुवैत की कथित मीडिया रिपोर्ट के आधार पर दावा किया जा रहा है कि वहां भारत विरोधी प्रदर्शन करने वाले भारतीय मुसलमानों को वापस भेजा जा रहा है.

एक टीवी डिबेट में नुपुर शर्मा के कथन को लेकर जिस तरह देश विरोधी मानसिकता ग्रस्त तमाम चमन चम्पुओं ने पाकिस्तान के इशारे पर माहौल बिगाड़ने की कोशिशें कीं, क्या अब उसके उलटे परिणाम आने शुरू हो गए हैं? उलटे परिणाम आ रहे हों या नहीं, लेकिन एक चीज पानी की तरह साफ़ है. कुछ लोग इस्लाम के बहाने देश में अराजकता फैलाने की तैयारी में थे. नुपुर शर्मा पर कार्रवाई के बाद लगातार जिस तरह से संगठित हिंसक प्रदर्शन किए जा रहे हैं- वह तो इसी बात का सबूत दे रहे हैं. आम-ख़ास हर किसी देश विरोधी ने खराब माहौल में हाथ सेंकने की कोशिश की. डिजिटल फोरेंसिक रिसर्च एंड एनालिटिक्स सेंटर की एक रिपोर्ट में भी यही बात सामने आ रही है. पाकिस्तान ने नुपुर शर्मा की टिप्पणी के बहाने भारत विरोधी कैम्पेन चलाने और अराजकता फैलाने में जमकर मेहनत की.

पाकिस्तान की जमीन से सोशल मीडिया और कई मुस्लिम देशों के सच झूठ के घालमेल को फिल्म, मीडिया, राजनीति से जुड़ी भारत विरोधी हस्तियों और कुछ मौलाना-उलेमाओं के जरिए अभियान को हवा दी गई. हालांकि साजिश बेकाम हुई है. भारत के अंदरुनी मामले की वस्तुस्थिति जानने के बाद ईरान समेत कई मुस्लिम देश अपने कदम पीछे खींच चुके हैं. इस बीच सोशल मीडिया पर कुवैत से जुड़ा एक नया ट्रेंड (#Kuwait #NupurSharma) जोर पकड़ता दिख रहा है. यह ट्रेंड तो नुपुर मामले में दूसरा ही पक्ष दिखा रहा है.

असल में पैगम्बर मोहम्मद साहब के निजी जीवन पर नुपुर शर्मा के कथित विवादित बयान के बाद कुवैत में प्रवासी एशियाई मुसलमानों के कुछ जगहों पर प्रदर्शन की खबरें आई थीं. एशियाई मुसलमानों में बड़ी संख्या में भारतीय, पाकिस्तानी और बांग्लादेशी मुसलमान थे. फ़हाहील में भी प्रदर्शन की खबरें थीं. अब दावा किया जा रहा है कि कुवैत की सरकार ने प्रदर्शनों को गंभीरता से लिया है. वहां की सरकार ने प्रदर्शन में शामिल लोगों को गिरफ्तार कर उन्हें संबंधित देशों में वापस भेजने का फरमान दिया है. यह भी दावा है कि प्रदर्शन में शामिल होने वालों को दोबारा कुवैत लौटने की अनुमति ना दी जाए. क्योंकि इन प्रदर्शनों की वजह से कुवैत में क़ानून का उल्लंघन हुआ

 

कुवैत के अरब टाइम्स ने ब्रेक की खबर

अरब टाइम्स की वेबसाइट ऑनलाइन ने “Expats who took part in Fahaheel demonstration to be deported” हेडिंग के साथ पब्लिश एक रिपोर्ट में कुवैत सरकार की कार्रवाई के बारे में जानकारी दी गई है. अरब टाइम्स  कुवैत के सबसे बड़े अंग्रेजी पोर्टल में से एक है. हालांकि यह खबर दूसरी प्रतिष्ठित न्यूज वेबसाइट में नहीं दिखी है. कुछ भारतीय वेबसाइट्स ने जरूर खबर को ब्रेक किया है, लेकिन उन्होंने भी अरब टाइम्स के हवाले से रिपोर्ट की है. ट्विटर पर कुछ सोशल मीडिया हस्तियों ने इस खबर को प्रमुखता से ट्वीट और रीट्वीट किया है. हमने फ़हाहील प्रोटेस्ट से जुड़ी सरकारी गाइडलाइन या दूसरे सोर्स से खबर की सत्यता जानने की कोशिश की, मगर सूत्र हाथ नहीं लगे..

ये दूसरी बात है कि कुवैत समेत खाड़ी के तमाम देशों के क़ानून अलग तरह से होते हैं. कानूनों में स्थानीय नागरिकों और प्रवासी कामगारों को अलग-अलग तरह से ट्रीट किया जाता है. खाड़ी देशों में इस्लाम विरोधी टिप्पणी और मित्र देशों के खिलाफ धरना प्रदर्शनों की अनुमति भी नहीं है. तमाम देशों में तो अभी भी सत्ता का मॉडल शाही व्यवस्था वाला ही है. भारत की तरह लोकतांत्रिक व्यवस्था वहां नहीं है और मूल नागरिकों को भी एक हद तक ही स्वतंत्रता दी जाती है.

यूएई में प्रवासी मजदूरों को प्रोटेस्ट करने की अनुमति नहीं, पाकिस्तान ने कुछ दिन पहले जारी की थी एडवाइजरी
उदाहरण के लिए यूएई में प्रदर्शन करने और वहां के क़ानून के खिलाफ जाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने की प्रवासियों को अनुमति नहीं है. मई के आख़िरी हफ्ते में यूएई स्थित पाकिस्तानी दूतावास ने अपने नागरिकों को साफ़-साफ़ आगाह किया था कि वो किसी भी तरह के प्रदर्शंनों का हिस्सा ना बनें और सोशल मीडिया का इस्तेमाल भी वहां के क़ानून के हिसाब से ही करें.

 

 

 

कुछ महीने पहले दुबई में दुनिया के मशहूर भारतीय शेफ अतुल कोचर के एक सामान्य ट्वीट को “इस्लाम विरोधी” करार दे दिया गया था. वे दुबई के जेडब्ल्यू मेरियट मारक्विस होटल के रंग महल रेस्त्रां में नियुक्त थे, लेकिन एक ट्वीट पर नाराजगी के बाद उन्हें हटा दिया गया था.

असल में अतुल कोचर ने प्रियंका चोपड़ा की क्वांटिको देखने के बाद ट्वीट में लिखा था- “यह देखकर बहुत दुख हो रहा कि आपने (प्रियंका) हिंदुओं की भावनाओं का सम्मान नहीं किया जो 2000 साल से ज्यादा समय से इस्लाम के आतंक का शिकार होते आए हैं.” ट्वीट के बाद अतुल को लेकर लोग विरोध करने लगे. इसे इस्लाम विरोधी बताते हुए कार्रवाई की मांग की गई. जबकि अतुल ने सफाई भी दी कि उनका मकसद किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था- बावजूद होटल ने उन्हें उनके पद से हटा दिया. अतुल के मामले ने दुनियाभर के लोगों का ध्यान खींचा था.

भारत-कुवैत के संबंध सामान्य

कुवैत ने प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की है या नहीं- अभी यह साफ होना बाकी है. मगर जहां तक बात खाड़ी देशों के क़ानून की बात है वो बाहर से आने वाले मजदूरों को सीमित अधिकार देते हैं. और इसमें प्रदर्शन करने या अपनी जमीन को किसी मित्र देश के खिलाफ भी इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देते हैं. वैसे भारत और कुवैत के संबंध सामान्य हैं. इस बात का सबूत राजस्थान से कुवैत भेजे जाने वाला 192 टन गाय का गोबर है. कुवैत अपने एक रिसर्च के बाद खजूर की खेती के लिए गाय के गोबर को लाभदायक पाया है. और भारत पहली बार गोबर का निर्यात कर रहा है.

शुक्रवार को भारत में भी कई जगहों पर हुए थे प्रदर्शन
पैगंबर के खिलाफ टिप्पणी को लेकर शुक्रवार को भारत में भी कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। उत्तर प्रदेश के कानपुर के बाद प्रयागराज, सहारनपुर सहित कई शहरों में बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतरे। इसके अलावा दिल्ली, कोलकाता में भी विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया था। कई जगहों पर कानून व्यवस्था भंग होने पर पुलिस ने बल प्रयोग कर लोगों को खदेड़ा। इस मामले में सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है।

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