क्यूएस यूनिवर्सिटी रैंकिंग में भारत निकला चीन और जापान से आगे

India Surpassed China In Qs World Rankings See Asia Top Institutes List Full Details
148 vs 133 : भारत ने QS यूनिवर्सिटी रैंकिंग में चीन को पछाड़ा, यहां देखें एशिया के टॉप इंस्टीट्यूट्स की लिस्ट
QS World Universities Ranking: QS यूनिवर्सिटी रैंकिंग जारी की गई है जिसमें भारत के 148 विश्वविद्यालयों के साथ चीन को पछाड़ा है। इस रैंकिंग में चीन की 133 यूनिवर्सिटीज ही अपना स्थान बना पाई हैं।

नई दिल्ली 09 नवंबर: QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग- एशिया 2024 में भारतीय यूनिवर्सिटीज ने चीन को पीछे छोड़ दिया है। चीन को पछाड़ते हुए भारत की 148 यूनिवर्सिटी (करीब 18 प्रतिशत) ने रैंकिंग में जगह बनाई है, जो पिछले साल से 37 ज्यादा हैं। चीन के संस्थानों की संख्या इस बार 133 है। जापान की 96 यूनिवर्सिटी इस लिस्ट में शामिल हैं। एशिया के 25 देशों के 856 शिक्षा संस्थानों की रैंकिंग की गई है। म्यांमार, कंबोडिया और नेपाल के शिक्षा संस्थान पहली बार लिस्ट में आए हैं। क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग- एशिया को देखें तो पहले नंबर पर चीन की पेकिंग यूनिवर्सिटी है। उसके बाद हॉन्गकॉन्ग की यूनिवर्सिटी है। तीसरे और चौथे नंबर पर सिंगापुर की यूनिवर्सिटी है। टॉप 20 में साउथ कोरिया, मलेशिया, जापान की यूनिवर्सिटीज ने भी जगह बनाई है।

भारत की तीन IIT टॉप पर

आईआईटी दिल्ली की रैंकिंग में कोई बदलाव नहीं हुआ है और 46वां स्थान हासिल किया है। आईआईटी मद्रास भी 2023 की तरह इस बार भी 53वीं रैंक पर है। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस को 58वीं रैंक मिली है। आईआईटी खड़गपुर को 59वीं,आईआईटी कानपुर को 63वीं रैंक मिली है। दिल्ली यूनिवर्सिटी को 94वीं रैंक हासिल हुई है। टॉप 100 में भारत के सात संस्थान हैं,जिसमें से 5 आईआईटी हैं। पिछले साल भी ये सभी संस्थान टॉप 100 में थे। लेकिन विशेषता यह है कि इस बार भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों का नंबर रैंकिंग में पिछले साल से कहीं ज्यादा है। आईआईटी गुवाहाटी 111,आईआईटी रूड़की 116 और जेएनयू को 117वां स्थान मिला है।

रैंकिंग पर ध्यान दें

इसके अलावा चंड़ीगढ़ यूनिवर्सिटी, वेल्लौर इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलोजी, यूनिवर्सिटी ऑफ कोलकाता, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, अन्ना यूनिवर्सिटी भी टॉप 200 में जगह बनाने में कामयाब हुई हैं। शिक्षा मंत्रालय की भी यही कोशिश है कि वर्ल्ड रैंकिंग में ज्यादा से ज्यादा भारतीय शिक्षा संस्थान शामिल हों। क्यूएस के मुताबिक भारत ने ‘आउटबाउंड स्टूडेंट मोबिलिटी’ (विदेश जाने वाले छात्र) में भी उपलब्धि हासिल की। अमेरिका में शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों की संख्या में खासी बढ़ोतरी हुई है। वहीं, भारत 15 वर्षों में पहली बार चीन से आगे निकल गया है। भारत की 21 यूनिवर्सिटी ने अपनी रैंकिंग में सुधार किया है जबकि 15 पिछले साल की तरह ही हैं। इस बार 37 नई एंट्री हुई हैं।

क्यूएस रैंकिंग क्या है

QS (Quacquarelli symonds) वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग पोर्टफोलियो 2004 में शुरू हुआ था। वर्ल्ड की टॉप यूनिवर्सिटी के प्रदर्शन के बारे में तुलनात्मक डेटा के आधार पर रैंकिंग तैयार की जाती है। इस रैंकिंग सिस्टम की विश्व में काफी ज्यादा अहमियत मानी जाती है और स्टूडेंट्स विदेशों में यूनिवर्सिटी का चयन करते समय क्यूएस रैंकिंग को भी ध्यान में रखते हैं.

15 सालों में पहली बार चीन से आगे भारत

भारत ने आउटबाउंड स्टूडेंट मोबिलिटी (विदेश जाने वाले छात्रों) में भी उपलब्धि हासिल की है। अमेरिका में शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि के साथ भारत 15 वर्षों में पहली बार चीन से आगे निकल गया है। खास बात ये है कि 2014 में क्यूएस एशिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग में मात्र 16 भारतीय संस्थान ही शामिल थे, लेकिन अब यह संख्या डेढ़ सौ के करीब जा पहुंची है। यानी पिछले कुछ वर्षों में उच्च शिक्षा में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है।

रैंकिंग में सबसे ज्यादा यूनिवर्सिटी भारत की

बुधवार को जारी रैंकिंग के मुताबिक, इस सूची में सबसे ज्यादा यूनिवर्सिटी भारत की हैं। म्यांमार, कंबोडिया और नेपाल ने पहली बार रैंकिंग सूची में जगह पाई है। पिछले साल की तरह आईआईएससी बेंगलुरु, दिल्ली विश्वविद्यालय और आईआईटी बॉम्बे, दिल्ली, मद्रास, खड़गपुर और कानपुर ने एशिया के शीर्ष 100 संस्थानों में स्थान हासिल किया है। देश में आईआईटी बॉम्बे ने अपना शीर्ष स्थान बरकरार रखा है।

क्या बोले क्यूएस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष?

क्यूएस में वरिष्ठ उपाध्यक्ष बेन साटर ने कहा कि क्यूएस रैंकिंग में भारतीय विश्वविद्यालयों की बढ़ती संख्या भारत के उच्च शिक्षा परिदृश्य के विस्तार को दर्शाती है। भारत वैश्विक शैक्षणिक क्षेत्र में अपनी स्थिति को और मजबूत करेगा। भारत एकेडमिक रेपुटेशन (शैक्षणिक प्रतिष्ठा) और एंप्लायर रेपुटेशन (नियोक्ता प्रतिष्ठा) में क्षेत्रीय औसत से नीचे है, लेकिन इसने 10 से अधिक विश्वविद्यालयों के साथ उच्च शिक्षा व्यवस्था में प्रति संकाय मीट्रिक पेपर में दूसरा सबसे अच्छा क्षेत्रीय परिणाम हासिल किया है।
क्यूएस ने कहा है कि भारत ने पीएचडी इंडिकेटर (संकेतक) में कर्मचारियों के लिए अपने सर्वश्रेष्ठ औसत अंक हासिल किए हैं,जो मजबूत अनुसंधान परिणाम और उच्च योग्यता प्राप्त संकाय निकाय का संकेत देता है। बयान में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान नेटवर्क इंडिकेटर में भारत का प्रदर्शन 15.4 अंक के साथ क्षेत्रीय औसत 18.8 अंक से थोड़ा नीचे है। भारत दो महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को हासिल करने का प्रयास करता प्रतीत होता है। ये हैं- देश में बड़ी संख्या में छात्रों की जरूरतों को पूरा करना और अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों को आकर्षित करना। दोनों क्षेत्रों में एक साथ दक्षता हासिल करना एक बड़ी चुनौती है।

आईपी को मिली क्यू एशिया रैंक में 143वीं रैंक

गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी ने क्यू एशिया यूनिवर्सिटी रैंकिंग में 143 रैंक हासिल की है। साउथ एशिया के टॉप 150 संस्थाओं में दिल्ली सरकार की इस यूनिवर्सिटी को जगह मिली है। यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो महेश वर्मा ने बताया कि 2024 की क्यू एशिया रैंकिंग के लिए भारत से 148 संस्थान शामिल हुए थे, आईपी यूनिवर्सिटी को इन संस्थानों में 77वीं रैंक मिली है। उन्होंने कहा कि यह विशेष परफॉर्मेंस अकादमिक प्रतिष्ठा, रिसर्च, इंटरनैशनल रिसर्च नेटवर्क के बदौलत हो पाया है। आईपी का समर्पण उसे इंटरनैशनल एजुकेशनल स्टैंडर्ड पर खड़ा कर रहा है। उन्होंने कहा कि हाल ही में NAAC से मिले A++ एक्रिडिटेशन ने भी संस्था की अकादमिक प्रतिष्ठा को बढ़ाया है।

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