जयंती: जीनियस राजा जय सिंह आज भी हैं जिनके स्मारक देश के चप्पे-चप्पे पर

*जय हिन्द जय भारत*
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*मातृभूमि सेवा संस्था(पंजीकृत) जन जन में चरित्र निर्माण,समाज सुधार व राष्ट्रभक्ति जगाने के उद्देश्य हेतु प्रयासरत है, साथ ही देश के ज्ञात – अज्ञात महान विभूतियों ,राष्ट्र भक्तों, स्वतंत्रता सेनानियों को उनके अवतरण,स्वर्गारोहण तथा बलिदान दिवस पर करबद्ध नमन करती है*।।।
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🚩🚩 *सवाई राजा जयसिंह*🚩🚩

*( मूल नाम- विजय सिंह*)
*जन्म* – *03 नवंबर 1688 आमेर, राजस्थान*
*मृत्यु* – *21 सितंबर जयपुर*
*पिता – राजा बिशन सिंह*
*माता – इन्द्र कुंवरी*
*पुत्र – शिवसिंह,ईश्वर सिंह,माधो सिंह*
*पुत्री – विचित्र कुंवर,किशन कुंवर*
*आवास -आमेर, जयपुर, दिल्ली ,औरंगाबाद, अहमदनगर, दौलताबाद,उज्जैन*

*आइए आज जानते हैं एक बहुत ही प्रतिभावान राजा जो कि एक महान गणितज्ञ,खगोल शास्त्री,शहर योजनाकार ,कई भाषाओं के ज्ञाता थे – राजा जयसिंह*
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*सवाया/सवाई -1701 में औरंगजेब ने राजा जयसिंह को सवाया की उपाधि दी क्योंकि उन्होंने विशाला गढ़ किले को मराठा से काबिज किया था। इस सम्मान को याद रखने के लिए उस समय किले पर 2 झंडे फहराए गए ,एक पूरा झंडा और एक एक- चौथाई झंडा जिसका अर्थ था सवा अर्थात बाकी सब से सवा गुना अधिक ।।इस घटना के बाद राजा जयसिंह के नाम से पहले सवाया /सवाई लगाया जाने लगा।*

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*सवाई जय सिंह राजा होने के साथ साथ एक गणितज्ञ, खगोल विज्ञानी औऱ समझदार शहर योजनाकार भी थे।। उन्होंने जय नगर बसाया जिसे अब जयपुर के नाम से जाना जाता हैं ।जय सिंह ने जयपुर को शतरंज बिछात के आकार की तरह आठ के बजाए 9 चौकड़िया( क्षेत्र) बसाई। शहर के जो मुख्य रास्ते थे उनकी चौड़ाई 119 फीट ओर छोटे रास्तों की 60 फीट रखी, सभी एक दूसरे से मिलते थे, जो एक प्रकार से ग्रिड प्रणाली पर आधारित था।।सड़कों के दोनों ओर घने पेड़ लगाए गए जिनकी छाया रास्ते पर पड़ती थी( जिसकी छाप आज हम नई दिल्ली की सडकों पर देखते हैं), संपूर्ण शहर में जगह जगह नल लगवाए गए,जो पहले कभी भी नहीं थे।*

*सन 1739 जब दिल्ली पर आक्रमण करके नादिरशाह ने दिल्ली को पूरी तरह लूट लिया था ओर सिंहासन भी अपने साथ ले गया था ।इस कठिन समय में भी सवाई राजा जय सिंह ने बडी ही चतुराई से अपने शासन का विस्तार जारी रखा।। अनेकों युद्ध में अपने पराक्रम का लोहा मनवाया।। जय सिंह बहुत ही कुशल सेनापति भी थे।।*

*विभिन्न इमारतें – तालकटोरा तालाब,मानसागर झील में जलमहल, जयगढ़ किले का पुनः उद्धार,सुदर्शन गढ़ का किला( नाहरगढ़ किला), आगरा रोड पर ग्रीष्मकालीन बाग( सिसोदिया रानी के लिए),भगवान कल्कि का मंदिर,विष्णु मंदिर,राजपूत के आराध्य गोविंद देव मंदिर आदि जैसे बहुत ही अद्भुत इमारतें बनवाई।।*

*विश्व प्रसिद्ध – दिल्ली ,जयपुर,काशी ,उज्जैन,मथुरा में अपने गुरु पंडित जगन्नाथ सम्राट के सिद्धांतों से प्रेरित होकर तथा यूनान,अरब की अनेक पुस्तकों व ग्रंथों के सिद्धांतों पर आधारित 5 वेध शालाएं बनवाई जिनकी गणना एकदम सटीक होती हैं जो विश्व धरोहर सूची में सम्मिलित हैं ।।*

*राजा जय सिंह कच्छवाहा वंश के सर्वाधिक प्रतापी राजा थे ,उन्होंने जयपुर जैसा सुंदर ,सुव्यवस्थित, सुविधापूर्ण शहर बसाया,आज भी शिल्प शास्त्री व नगर नियोजन के रूप में उनकी ख्याति भारतीय इतिहास में अमर है।।*

🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 *आइए आज उनके जन्मदिवस पर उन्हें याद करते हुए हम उनके अद्भुत गुणों को अपने बच्चों में अंकुरित करने का प्रयास करते हैं ,अपने भारतीय इतिहास को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं।।*

🇮🇳🇮🇳 *जय हिन्द जय भारत* 🇮🇳🇮🇳

*शालिनी बैंसला*
*राष्ट्रीय उपाध्यक्ष*
*मातृभूमि सेवा संस्था*
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