कश्मीर:हार न मानेगा भारत, धरे जायेंगे आतंक के हस्तक छोटे अपराधी

Kashmir faces targeted killings : कश्मीर में टारगेट किलिंग रोकने को सरकार ने तैयार की रणनीति, अगले कुछ दिनों में दिखेगा असर

कश्मीर में डरा हिंदू समुदाय एक बार फिर पलायन कर रहा हैं या इसकी सोच रहा हैं। कई तस्वीरें हैं, जिसमें साफ दिखता है कि घाटी छोड़कर कश्मीरी पंडितों के परिवार जम्मू चले आए हैं। पिछले एक महीने में कई टारगेट किलिंग हुई हैं।

नई दिल्ली 07 जून: घाटी में एक बार फिर 1990 की तरह हिंदुओं को चुन-चुनकर निशाना बनाया जा रहा है। अल्पसंख्यक हिंदू डरा हुआ है। ऐसे में केंद्र सरकार ने आतंकियों के खिलाफ रणनीति तैयार कर ली है। इसको जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा का पूरा ढांचा बदलने की तैयारी है। केंद्रशासित प्रदेश में यह सुनिश्चित होगा कि बेस्ट पुलिसकर्मियों की पहचान कर उन्हें कम समय में स्पेशल ट्रेनिंग दी जाए। जम्मू-कश्मीर पुलिस के ये स्पेशल जवान थाने स्तर पर SHO और अन्य महत्वपूर्ण पदों पर तैनात होंगें। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में घाटी में कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा पर विस्तार से चर्चा में ‘सॉफ्ट टारगेट’ हत्यायें रोकने को पुलिस तंत्र मजबूत करने पर फोकस हुआ। शाह ने एक के बाद एक जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा और अमरनाथ यात्रा की तैयारियों पर बैठक की है। इसमें उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, NSA अजीत डोभाल, गृह सचिव अजय कुमार भल्ला, खुफिया ब्यूरो प्रमुख अरविंद कुमार, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल महानिदेशक कुलदीप सिंह, सीमा सुरक्षा बल प्रमुख पंकज सिंह, जम्मू कश्मीर पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह सहित प्रमुख अधिकारी थे।

आतंकी हमलों का नया पैटर्न

हाल में हुई हत्याएं एक नया पैटर्न दिखाती हैं। कम महत्व के टारगेट युवाओं ने पिस्टल से निशाना बनाये। ये हमलावर अब तक पुलिस या खुफिया एजेंसियों के रेडार पर भी नहीं थे और यह हाइब्रिड आतंकियों की एक नई नस्ल उभरी हैं। ये ऐसे लोग हैं जो अचानक आसान लक्ष्य टारगेट कर समाज में घुलमिल जाते हैं। ये हमले अमरनाथ यात्रा में बाधा पहुंचाने के संगठित प्रयास के तौर पर देखे जा रहे हैं।
इस पर गौर किया गया है कि पहचाने गए, मतलब एजेंसियों के रेडार पर मौजूद आतंकवादी अब हाइब्रिड आतंकियों का सहारा ले रहे हैं क्योंकि इनके लिए हाई-वैल्यू टारगेट को निशाना बनाना मुश्किल हुआ है। एक अधिकारी ने कहा, ‘सॉफ्ट टारगेट हमले आतंकियों की हताशा दिखाते हैं। जैसे बड़े हमले काफी घंटे हैं, उसी तरह इन सॉफ्ट टारगेट हमलों से भी रणनीति बदल कर निपटा जाएगा।’

अगले कुछ दिनों में हो सकती है ताबड़तोड़ गिरफ्तारी

सूत्रों के अनुसार नई रणनीति में निकट भविष्य में माहौल खराब करने वाले स्थानीय लोगों, छोटे अपराधियों और आतंकियों से हमदर्दी रखने वालों को पूछताछ को हिरासत में लिया जा सकता है। इसी तरह के कदम अक्टूबर 2021 में उठाए गए थे जब नागरिकों की हत्याओं का यही पैटर्न देखा गया था। सबूत मिलने पर गिरफ्तारियां भी होंगी। जरूरी हुआ तो पब्लिक सेफ्टी ऐक्ट में डिटेंशन में भी रखा जा सकता है।

थाना स्टाफ मजबूत किया जाएगा, जो फिलहाल नाका/बंदोबस्त या वीआईपी ड्यूटी में लगे हैं। उन्हें ट्रेनिंग देकर स्पेशल मिशन को तैयार किया जाएगा। SHO इलाके के उपद्रवियों पर नजर रखने के साथ ही खुफिया जानकारी हासिल करेंगें। हाल में हुई हत्याओं से जुड़े मामलों की जांच को स्पेशल जवान लगाये जा सकते हैं।

घाटी के कई हिस्सों में चुन-चुनकर हो रही हत्याओं के मद्देनजर कश्मीर में डर है। हमने अपने सहकर्मी राहुल भट्ट खोया जिसे बड़गाम जिले में 12 मई को उसके कार्यालय में गोली मारी गई। इसके बाद हमने जम्मू जाने का फैसला किया।
दीपांकर रैना

पैसा या ड्रग्स?

जम्मू-कश्मीर के एक अधिकारी ने कहा कि पिस्तौल चलाने वाले युवा तो आइसबर्ग का छोटा सिरा है, जांच कर उनके आतंकी हैंडलर पहचानने की जरूरत है जो पैसे या ड्रग्स के लिए बहला-फुसलाकर हमले कराते हैं। हमले में इस्तेमाल हथियार के सोर्स और मूवमेंट भी पकड़ना होगा। ऐसे में पूरा आतंकी तंत्र खत्म करने की जरूरत है।

अमरनाथ यात्रा के लिए क्या तैयारी

अमरनाथ यात्रा में भी सुरक्षा और बढ़ाने का फैसला है। इसमें सेना और केंद्रीय बलों की अतिरिक्त यूनिटें तैनात होंगीं, निगरानी को ड्रोन और रास्तेभर स्नाइपर्स (निशानेबाज कमांडो) मोर्चा संभालेंगें। बम या किसी अन्य खतरे से फौरन निपटने को यात्रियों के मूवमेंट की 24×7 निगरानी होगी और बख्तरबंद गाड़ियां मौजूद रहेंगी। यात्रियों के बीच मौजूद जवान रेडियो सिग्नल से सीधे एकीकृत कंट्रोल रूम श्रीनगर से जुड़े रहेंगे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘हर तरह की संभावित घटनाओं को इमर्जेंसी प्लान तैयार है। यात्रा को कई खतरे हैं लेकिन सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह से तैयार हैं।’

शाह ने घाटी में आतंकी संगठनों, खासतौर पर लश्कर ए तैयबा की ओर से चुनिंदा तरीके से सिलसिलेवार हत्याओं की दृष्टि से बैठक बुलाई थी। मृतकों में गैर-मुस्लिम, सुरक्षाकर्मी, कलाकार और स्थानीय निवासी शामिल हैं। प्रधानमंत्री पैकेज में 2012 में नियुक्त किए गए कश्मीरी पंडित, राहुल भट्ट की हत्या के बाद से प्रदर्शनरत हैं जिससे सामूहिक पलायन का खतरा है और यही आतंकी चाहते हैं। मध्य कश्मीर के बडगाम जिले के चदूरा में 12 मई को भट्ट की गोली मारकर हत्या की गयी थी। भट्ट की हत्या पर विभिन्न स्थानों पर करीब 6,000 कर्मचारियों ने खुद को घाटी से बाहर भेजने को प्रदर्शन किया है।

हमलों से डरे हिंदू जम्मू लौट रहे

बृहस्पतिवार को दो अलग-अलग घटनाओं में कश्मीर में बैंककर्मी और ईंट भट्टा मजदूर की हत्या की गई जबकि एक अन्य मजदूर घायल किया गया। एक मई के बाद कश्मीर में बैंककर्मी की हत्या नौंवी तथा श्रमिक की हत्या चुनिंदा ढंग की दसवीं हत्या थी। मंगलवार को कुलगाम में आतंकवादियों ने जम्मू क्षेत्र के सांबा जिले की एक अध्यापिका की गोली मारकर हत्या की थी। 18 मई को उत्तरी कश्मीर के बारामूला में आतंकी शराब की एक दुकान में घुसे थे और उन्होंने बम फेंककर जम्मू क्षेत्र के एक व्यक्ति मार डाला था।
प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज में कश्मीर घाटी में नौकरी पाने वाले कई कश्मीरी पंडित अपने परिवार के साथ जम्मू आ गए हैं। उनका कहना है कि हाल में आतंकवादियों के टारगेटेड हत्याओं से घाटी में डर व्याप्त है। पंडित समुदाय का कहना है कि पिछले कुछ सप्ताह में कश्मीर में उन्होंने किराए के घरों में रहकर रात गुजारी और अब जम्मू के बाहरी इलाके में स्थित जगती कस्बे में पहुंच कर राहत की सांस ली है।

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