कांग्रेस विधायक दल बैठक: हंगामें,आरोप-प्रत्यारोप के बाद अजीत शर्मा बने नेता

ऊपर बघेल, नीचे बवाल:अजीत शर्मा बने कांग्रेस विधायक दल के नेता; इसी पद के लिए कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में गाली गलौज, धक्का-मुक्की भी हुई
अजीत शर्मा भागलपुर विधानसभा सीट से चुनाव जीते हैं।
अजीत शर्मा के साथ ही पांच को मिली अन्य जिम्मेदारियां
दिन में बैठक के दौरान भिड़ गए थे दो विधायकों के समर्थक

पटना 13 नवंबर। बिहार प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में दिन में हुए हंगामे के बाद शाम तक माहौल शांत हो गया। इसी दौरान भागलपुर विधानसभा से जीते अजीत शर्मा को कांग्रेस विधायक दल का नेता भी घोषित किया गया। इसी पद के लिए दिन में बिक्रम से जीते विधायक सिद्धार्थ सौरभ और सिसवन के विधायक विजय शंकर दुबे के समर्थकों के बीच हाथापाई और गाली गलौज भी हो गई। वह भी तब, जब इसी कार्यालय में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ विधायक दल की बैठक कर रहे थे।

बिहार विधानसभा चुनाव में जीते कांग्रेस के 19 विधायकों के दल का नेता चुनने के लिए भूपेश बघेल और स्क्रीनिंग कमिटी के चेयरमैन अविनाश पांडे को अधिकृत किया गया था। शुक्रवार की शाम तक चली विधायक दल की बैठक और फिर सभी से एक-एक कर बात करने के बाद अजीत शर्मा का नाम फाइनल कर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा गया। उनकी स्वीकृति के बाद शर्मा सहित अन्य पद धारकों के नाम का ऐलान किया गया।

कौन क्या बने?

अजित शर्मा, विधायक दल के नेता
मो. आफाक आलम, डिप्टी CLP लीडर
राजेश कुमार राम, मुख्य सचेतक
छत्रपति यादव, उप सचेतक
प्रतिमा कुमारी दास, उप सचेतक
आनंद शंकर, विधायक दल के कोषाध्यक्ष
सदाकत आश्रम में बैठक करते वरिष्ठ कांग्रेस नेतागण

क्यों हुई हाथापाई और गाली गलौज

प्रदेश कांग्रेस कार्यालय सदाकत आश्रम में कांग्रेस विधायक दल की बैठक शुरू होते ही हंगामा होने लगा। बिक्रम विधायक सिद्धार्थ शर्मा को कांग्रेस विधायक दल का नेता बनाने की मांग पर गाली-गलौज से लेकर हाथापाई तक हो गई। सिद्धार्थ शर्मा को लेकर हंगामा करने वाले कार्यकर्ता इसकी भी मांग कर रहे थे कि विधायक विजय शंकर दूबे को विधायक दल का नेता नहीं बनाया जाए।

कांग्रेस की जमीन बेचने का आरोप

हंगामे के बीच कुछ कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि विजय शंकर दूबे ने कांग्रेस की जमीन बेच दी। इसके जवाब में विजय शंकर दूबे ने कहा है कि कोई किसी की जमीन कैसे बेच सकता है। राजेंद्र स्मारक समिति के पक्ष में कोर्ट ने फैसला दिया था। कांग्रेस ने इसका मुकदमा 10 -15 साल तक लड़ा। जो भी हुआ, कोर्ट के फैसले के बाद हुआ। इसलिए इस तरह का आरोप फिजूल है।

आगे की रणनीति पर चर्चा

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मौजूदगी में बैठक हुई। कांग्रेस के जीते 19 विधायकों में से दो कांग्रेस विधायक दल की बैठक में अनुपस्थित रहे। मनिहारी विधायक मनोहर प्रसाद और अररिया विधायक हबीबुर्रहमान नहीं आए। बताया जाता है कि दोनों कल की बैठक में मौजूद थे और कल ही लौट गए। आज की बैठक की देर से सूचना मिली, इसलिए नहीं आ पाए।

हार की समीक्षा की

विधायक दल की बैठक में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी विधायकों से मुलाकात की। बैठक में कांग्रेस के प्रदर्शन की समीक्षा की। किन सीटों पर क्या चूक हुई, इसकी विस्तृत जानकारी ली।

बैठक में नहीं आए कॉन्ग्रेस के 2 MLA, हाथापाई भी

बिहार कॉन्ग्रेस की मुसीबतों का अंत होता नहीं दिख रहा है। एक तरफ विपक्षी गठबंधन के बहुमत से चूक जाने का ठीकरा उस पर फोड़ा जा रहा है, दूसरी तरफ पार्टी के टूटने के कयासों ने भी जोर पकड़ लिया है।
बिहार कॉन्ग्रेस के नवनिर्वाचित विधायक दल की बैठक में जम कर हंगामा हुआ। कॉन्ग्रेस कार्यालय में हुई बैठक में दो विधायकों के समर्थक आपस में भिड़ गए। विवाद की शुरुआत विक्रम से विधायक चुने गए सिद्धार्थ शर्मा को विधायक दल का नेता बनाने की माँग से हुई। इस पर शर्मा और पार्टी के एक अन्य विधायक विजय शंकर दूबे के समर्थकों में हाथापाई हो गई।

विधायक दल की यह बैठक बिहार की राजधानी पटना स्थित कॉन्ग्रेस के प्रदेश कार्यालय सदाकत आश्रम में हुई। बैठक में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन अविनाश पाण्डेय भी मौजूद थे। इसके बावजूद कॉन्ग्रेस के कार्यकर्ताओं ने एक-दूसरे को अपशब्द कहे और मारपीट की। विवाद तब और बढ़ा जब विधायक सिद्धार्थ शर्मा के समर्थकों ने महाराजगंज से विधायक विजय शंकर दूबे को चोर कह दिया। इससे दूसरे पक्ष के कार्यकर्ता भड़क गए और बैठक के बीच में ही गाली-गलौच और हाथापाई शुरू हो गई।

हंगामा करने वाले कार्यकर्ताओं में कुछ का कहना था कि विधायक विजय शंकर दूबे ने कॉन्ग्रेस पार्टी की ज़मीन बेच दी थी इसलिए ऐसे नेता को विधायक दल का नेता नहीं बनाया जाना चाहिए। दूसरी तरफ इन आरोपों के जवाब में विधायक विजय शंकर दूबे ने कहा कि ऐसे किसी की ज़मीन बेचना संभव नहीं है। न्यायालय ने राजेन्द्र स्मारक समिति के पक्ष में आदेश सुनाया था, कॉन्ग्रेस पार्टी ने यह मुकदमा लगभग 10 से 15 साल तक लड़ा था। अंत में जो भी हुआ वह न्यायालय के आदेशानुसार हुआ, इन लिये सभी आरोप निराधार हैं।

कॉन्ग्रेस ने महागठबंधन के अंतर्गत कुल 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से पार्टी ने सिर्फ 19 सीटों पर जीत हासिल की थी। इसके पहले साल 2015 के विधानसभा चुनावों में कॉन्ग्रेस ने 27 सीटें ही जीती थीं।

नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक से मनोहर प्रसाद और अबिदुर रहमान गैरहाजिर थे। पूछे जाने पर बिहार कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष मदन मोहन झा ने बताया कि बैठक में हुई हाथपाई की उन्हें जानकारी नहीं। प्रसाद और रहमान की गैरहाजिरी को लेकर कयास उन्होंने खारिज कर दिये। झा ने कहा कि रहमान की तबीयत ठीक नहीं है और प्रसाद ने एक दिन पहले ही उनसे मुलाकात की थी।

कॉन्ग्रेस में टूट की खबरों को हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) अध्यक्ष जीतन राम मांझी के ऑफर से जोर मिला है। मांझी ने कॉन्ग्रेस के नवनिर्वाचित विधायकों को एनडीए में आने का ऑफर दिया था। गौरतलब है कि 2017 में जब नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग हुए थे तब भी बिहार कॉन्ग्रेस में टूट देखने को मिली थी। तब कॉन्ग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष रहे अशोक चौधरी ने भी पाला बदल लिया था।

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