हजारों करोड़ की धोखाधड़ी में साकेत बहुगुणा का नाम भी

Ghaziabad Vijay Bahuguna Son Saket Bahuguna Booked In Cheating Assault And Threatening Case

गाजियाबाद में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के बेटे साकेत पर भी दर्ज हुआ केस, धोखाधड़ी, मारपीट और धमकी देने का भी आरोप

गाजियाबाद के थाना इंदिरापुरम में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे के अलावा इंडियाबुल्स के पूर्व चेयरमैन और 18 अधिकारियों पर मुकदमा लिखाया गया है। यह मुकदमा शिप्रा समूह ने 156/3 में लिखाया है।
गाजियाबाद 12 अप्रैल: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के थाना इंदिरापुरम में एनबीएफसी में से इंडियाबुल्स के एक डायरेक्टर और सीनियर अधिकारियों सहित कुल 18 लोगों पर कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज हुआ है। यह मुकदमा शिप्रा समूह की ओर से 156/3 में लिखाया गया है। मुकदमे में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे और इंडियाबुल्स में कार्यरत साकेत बहुगुणा का नाम भी है। इस एफआईआर में इंडियाबुल्स के डायरेक्टर और अन्य सभी 18 सीनियर अधिकारियों पर धोखाधड़ी,मारपीट और धमकी देने का आरोप है।

18 सीनियर अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज़

जानकारी के मुताबिक, इंडियाबुल्स के पूर्व चेयरमैन और 18 सीनियर अधिकारियों पर शिप्रा समूह ने हजारों करोड़ रुपए के लोन दिलाने के प्रस्ताव और हजारों करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी का आरोप लगाया। इतना ही नहीं, शिप्रा समूह ने न्यायालय का दरवाजा खटखटा इंडिया बुल्स के डायरेक्टर समेत कुल 18 सीनियर अधिकारियों के खिलाफ मुकदमे की अपील की जिसे गंभीरता से ले न्यायालय ने शिप्रा समूह के प्रार्थना पत्र के अनुसार इन सभी के ख़िलाफ़ प्राथमिकी  के आदेश जारी किए और इन सभी के खिलाफ थाना इंदिरापुरम में प्राथमिकी लिखी गई है।

शिप्रा समूह ने 156/3 में कराया मुकदमा

डीसीपी विवेक चंद्र ने बताया कि शिप्रा समूह ने इन सभी पर धोखाधड़ी, मारपीट व धमकी का आरोप लगाया है। इनकी तरफ से न्यायालय में दी प्रार्थना पर 156/3 में 9 अप्रैल को न्यायालय से इन सभी के खिलाफ मुकदमा लिखने के आदेश मिले हैं। न्यायालय के आदेश के पालन में इन सभी के खिलाफ थाना इंदिरापुरम में मुकदमा लिखा गया है। इसमें मुख्य आरोपित इंडिया बुल्स के पूर्व चेयरमैन समीर गहलोत के अलावा 18 सीनियर अधिकारियों के नाम है, जिसमें बताया गया है कि लोन संबंधी प्रक्रिया में नियमों का पालन नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि यह मामला बड़ा है इसलिए इस पूरे मामले की जांच में ओ डब्ल्यू को भी शामिल किया जाएगा।

Yamuna Expressway Authority Action On Builder Shipra Group Lodged Fir

बिकने को तैयार था इंदिरापुरम का शिप्रा मॉल, तभी आ गया ट्विस्ट, पूरी इनसाइड स्टोरी

Shipra alleges bid to usurp properties (File Photo)

शिप्रा ग्रुप ने कराई एफआईआर तो खुला बड़ा मामला (File Photo)

दिल्ली एनसीआर (Delhi NCR) में कभी फ्लैट के नाम पर खरीदारों को उल्लू बनाने का खूब गोरखधंधा चलता था। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। इसमें अथॉरिटी (Noida Authority) सख्त हो गई है। ताजा मामला नोएडा शहर में एक बिल्डर ने बिना जमीन का मालिकाना हक पाए एक हाउसिंग प्रोजेक्ट (Housing Project) लॉन्च कर दिया। इस पर यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (Yamuna Expressway Industrial Development Authority) ने बड़ी कार्रवाई की है।

हाइलाइट्स
1-नोएडा में जमीन से जुड़ा एक और घोटाला सामने
2- घोटाला अथॉरिटी को बिना टीएम चार्ज चुकाए जमीन की खरीद-बिक्री का है
3-अब अथॉरिटी ने इस पर बड़ी कार्रवाई की है

मामला नोएडा के सेक्टर 128 (Noida Sector 128) में अथॉरिटी ने जमीन का एक बड़ा टुकड़ा डेवलपमेंट के लिए जेपी ग्रुप (JP Group) को दिया। जेपी ग्रुप पर कर्ज बोझ बढ़ा तो उसने इसे गाजियाबाद के कदम ग्रुप को बेच दिया। कदम ग्रुप का अधिकतर शेयर शिप्रा ग्रुप के पास था, इसलिए यह जमीन शिप्रा के पास आ गई। उसने इस पर प्रोजेक्ट बनाने को इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस (Indiabulls Housing Finance) से लोन लिया। इंडियाबुल्स ने यह जमीन एम3एम (M3M) को बेच दी। एम3एम ने इस जमीन पर एक लक्जरी हाउसिंग प्रोजेक्ट लॉन्च करने की घोषणा कर दी, हालांकि उसे इसकी जरूरी अनुमति भी नहीं मिली थी। अब यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (Yamuna Authority) के संज्ञान में यह मामला आया है। अथॉरिटी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अरुणवीर सिंह (Arunvir Singh IAS) ने एम3एम बिल्डर, कदम ग्रुप और इंडियाबुल्स के खिलाफ एक्शन का आदेश दे दिया है।

200 करोड़ रुपये वसूले जाएंगे

यमुना अथॉरिटी के सीईओ ने कहा है कि इन कंपनियों ने ट्रांसफर ऑफ मेमोरंडम या टीएम (TM) चार्ज जमा कराए बगैर जमीन का ऑनरशिप ट्रांसफर कर दिया। यहां तक कि मालिकाना हक के ट्रांसफर के बारे में अथॉरिटी को जानकारी भी नहीं दी है। इसलिए इन कंपनियों के खिलाफ एफआईआर तो होगी ही, इन कंपनियों से 200 करोड़ रुपए की वसूली भी होगी। यही नहीं, यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी ने नोएडा अथॉरिटी की सीईओ ऋतु महेश्वरी (Ritu Maheshwari IAS) को पत्र भी लिखा है। पत्र में कहा गया है कि नोएडा के सेक्टर-128 स्थित एम3एम ग्रुप की आने वाली हाउसिंग स्कीम का नक्शा पास नहीं किया जाए।

कहां से शुरू हुई कहानी

कहानी काफी पुरानी है। जब ग्रेटर नोएडा से आगरा तक यमुना एक्सप्रेसवे का निर्माण का खाका बना, तभी उत्तर प्रदेश सरकार ने एक एलडीएफ लैंड फोर डेवलपमेंट (Land For Development) जेपी इंफ्राटेक को दिया था। जमीन नोएडा के सेक्टर 128 में है। इस एलडीएफ में यमुना एक्सप्रेसवे अथॉरिटी के पास ही प्रोपर्टी ट्रांसफर का अधिकार है। जमीन में नोएडा अथॉरिटी के पास सिर्फ कंस्ट्रक्शन के लिए अप्रूवल देने का अधिकार है। कर्ज के कारण जेपी ग्रुप की हालत खराब हुई तो उसने सेक्टर 128 के एलडीएफ में से 73 एकड़ का एक प्लॉट गाजियाबाद के कदम ग्रुप को बेच दिया। कदम ग्रुप का अधिकतर शेयर गाजियाबाद के ही शिप्रा ग्रुप के पास है। इस तरह से जमीन का मालिक शिप्रा ग्रुप बन गया।

बीच में कैसे आया इंडियाबुल्स

शिप्रा ग्रुप ने गाजियाबाद और नोएडा के चार रेसिडेंशयल एंड कामर्शियल प्रोजेक्ट्स पूरा करने को इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड से साल 2017 में 1,939 करोड़ रुपये का लोन लिया। लोन लेने को शिप्रा ग्रुप ने अपनी छह प्रोपर्टी गिरवी रखी। साथ ही ग्रुप की कई कंपनियों के शेयर भी गिरवी रखे गए। साल 2021 में इंडियाबुल्स ने शिप्रा ग्रुप को लोन वापस करने को कहा। तब दोनों कंपनियों में नोएडा के सेक्टर 128 में 73 एकड़ जमीन बेचने का राजीनामा हुआ।

 

एम3एम की इंट्री कैसे हुई

जब इंडियाबुल्स और शिप्रा ग्रुप में राजीनामा हो गया तो जमीन के खरीदार की तलाश शुरू हुई। इसी क्रम में शिप्रा और डीएलएफ के बीच बातचीत शुरू हुई। डीएलएफ इसके लिए पैसे देने को भी तैयार हो गई थी। लेकिन इसी बीच इंडियाबुल्स ने अपने पास गिरवी रखे शेयर एम3एम को बेच दिये। इस तरह से नोएडा सेक्टर 128 के 73 एकड़ जमीन का मालिक एम3एम बन गया।

मामला गया पुलिस के पास

शिप्रा को नोएडा वाली जमीन बेचने की खबर मिली। साथ ही यह भी कि इंडियाबुल्स ने शिप्रा के गिरवी रखी अन्य प्रोपर्टीज भी बेचने का प्लान बनाया है। इसमें इंदिरापुरम का फेमस शिप्रा मॉल भी है। उसके बाद शिप्रा ग्रुप पुलिस के पास गया। पुलिस ने मामला नहीं लिखा तो कंपनी कोर्ट गई। कोर्ट आदेश के बाद पुलिस ने एफआईआर लिखी। जब एफआईआर लिखी गई तो मामले की जानकारी यमुना एक्सप्रेसवे अथॉरिटी तक भी पहुंची। उसके बाद अथॉरिटी एक्शन में आई।

बिना जमीन लॉन्च हुआ प्रोजेक्ट

बताया जाता है कि एम3एम बिल्डर ने बिना जमीन का मालिकाना हक पाए, उस पर प्रोजेक्ट लॉन्च कर दिया। यही नहीं, इसके लिए पूरे दिल्ली-एनसीआर में बड़े-बड़े होर्डिंग्स और विज्ञापन लगाए गए। अथॉरिटी की कार्यप्रणाली के जानकारों का कहना है कि सिर्फ कदम ग्रुप के शेयर खरीदने से इस जमीन का एम3एम को मालिकाना हक नहीं मिल जाता है। नियमानुसार पहले कदम ग्रुप को इंडियाबुल्स और फिर इंडियाबुल्स को यह जमीन एम3एम को ट्रांसफर करनी होगी। इसके लिए यमुना अथॉरिटी से ट्रांसफर मेमो हासिल (TM) करने होंगे। अभी यह जमीन एम3एम की नहीं है। यदि बिल्डर इस पर कोई हाउसिंग प्रोजेक्ट लॉन्च कर बुकिंग शुरू करना गैर-कानूनी है।

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