ज्ञानवापी:सुप्रीम कोर्ट की सर्वे पर रोक से इंकार, नमाज पर रोक नहीं

Gyanvapi Masjid Case: ज्ञानवापी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दखल देने से किया इनकार, सुनवाई के महत्वपूर्ण बिंदु

Reported by राजेश चौधरी |

Gyanvapi case hearing in Supreme Court: ज्ञानवापी मस्‍ज‍िद मामले पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इसमें देश की सबसे बड़ी अदालत ने जिला न्‍यायालय से फैसला देने को कहा है। साथ ही कोर्ट ने कहा, ‘जहां शिवलिंग मिलने का दावा क‍िया गया है, उस जगह को डीएम संरक्षित करें। लेकिन, मुस्लिमों को मस्जिद में नमाज से न रोका जाए।’

हाइलाइट्स
1-सुप्रीम कोर्ट ने शिवलिंग मिलने वाली जगह को सुरक्षित रखने का आदेश बनाये रखा
2-मुस्लिम पक्ष ने वाराणसी कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया था
3-सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मुसलमानों को ज्ञानवापी मस्जिद में नमाज पढ़ने की अनुमति होगी

नई दिल्ली 18 मई: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) परिसर में जिस जगह शिवलिंग मिलने का दावा किया गया है, उस जगह को संरक्षित करने का आदेश दिया, साथ ही कहा कि मुसलमानों को नमाज पढ़ने में कोई बाधा नहीं होनी चाहिए। वाराणसी कोर्ट ने सोमवार को मस्जिद के वजूखाने को सील करवा दिया था। हिंदू पक्ष ने वजूखाने के तालाब में ही शिवलिंग मिलने का दावा किाय है। साथ ही कोर्ट ने कहा था कि सिर्फ 20 मुसलमान ही नमाज पढ़ने मस्जिद में जा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के इस आदेश पर रोक लगा दी है। मामले में अगली सुनवाई 19 मई को होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा, साफ-साफ समझ लीजिए

सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्टीकरण इसलिए जारी किया क्योंकि निचली अदालत के आदेश में हिंदू पक्ष का आवेदन स्वीकार की गई थी और आवेदन में शिवलिंग की जगह प्रोटेक्ट करने की गुहार के साथ-साथ मस्जिद में मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक की भी मांग  थी। दरअसल हिंदू पक्ष की ओर से वाराणसी कोर्ट में आवेदन दाखिल कर कई गुहार लगाई गई थी जिसमे शिवलिंग सुरक्षित रखने को उस जगह को सील किए जाने के साथ-साथ मस्जिद में मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक लगाने की भी मांग थी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में कहा कि हम शिवलिंग मिलने वाली जगह संरक्षित करने का आदेश रखते हुए बाकी तीन रिलीफ हटा रहे हैं। संतुलित आदेश होगा कि शिवलिंग की जगह प्रोटेक्ट की जाए और मुस्लिम को मस्जिद में नमाज के लिए जाने की इजाजत दी जाए।

ध्यान रहे कि वाराणसी की अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद मैनेजमेंट कमिटी ने वाराणसी कोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है जिसमें निचली अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद का वीडियोग्राफी सर्वे का आदेश दिया। कमिटी के वकील हुजैफा अहमदी पेश हुए जबकि यूपी सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। दिल का दौरा पड़ने से वाराणसी कोर्ट में आवेदक एडवोकेट हरिशंकर जैन पेश नहीं हो पाए। वो अस्पताल में हैैं।आइए जानते हैं किस पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के सामने क्या-क्या दलीलें दीं…

वकील हुजैफा अहमदी

पहले पूजा को वाराणसी कोर्ट में गुहार थी लेकिन बाद में कई गुहार और लगाई गई। वाराणसी कोर्ट ने सर्वे का आदेश दिया जो अयोध्या मामले में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के विपरीत है। पहले आदेश में सर्वे को कोर्ट ने कमीश्नर नियुक्त कर दिया। इसके बाद कईं बातें हो गईं। इसके बाद वादी ने कोर्ट में आवेदन दाखिल कर कहा कि कमिश्नर ने सर्वे में शिवलिंग पाया है और ऐसे में वह जगह सील की जाए और उसे प्रोटेक्ट किया जाए, साथ ही मस्जिद में नमाज को मुस्लिमों के जाने पर रोक लगाई जाए। कमीश्नर की रिपोर्ट पर नहीं बल्कि वादी के आवेदन पर निचली अदालत ने आदेश पारित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या फैसले में कहा था कि धार्मिक प्रकृति जगहें, 15 अगस्त 1947 को जहां थी उसी रूप में उसे संरक्षित किया जाएगा। मौजूदा आदेश नुकसानदायक है। ऑर्डर संसद के नियम के खिलाफ है उस पर रोक लगाई जाए।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़

आपकी दलील में एक आधार यही है कि प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का यह उल्लंघन है और आप इसी आधार पर रिलीफ चाहते हैं?

अहमदी

निचली अदालत में वादी के आवेदन का आधार क्या है कि इतिहास में गलत हुआ है, लेकिन अयोध्या जजमेंट में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इतिहास में क्या गलत हुआ यह याचिका का आधार नहीं हो सकता । शुरू से आवेदन पर गलत आदेश हुए हैं और आदेशों पर रोक लगनी चाहिए।

जस्टिस चंद्रचूड

वादी के लिए कौन पेश हो रहे हैं।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता

मैं यूपी सरकार की ओर से हूं लेकिन वादी के बारे में बताया गया है कि उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ है और वो अस्पताल में हैं। वादी के वकील हरि शंकर जैन हैं। हमें पेपर नहीं मिला है हमें जवाब को वक्त चाहिए।

जस्टिस चंद्रचूड़

आप सहयोग करें। आवेदन में वादी ने क्या कहा है, ये देखिए। मस्जिद परिसर में शिवलिंग मिला है और कहा कि परिसर सील हो और नमाज बंद की जाए। निचली अदालत का आदेश है कि आवेदन स्वीकार किया जाता है। जैसे ही आवेदन स्वीकार होगा तभी सभी गुहार स्वीकार हो जाएगी। हम निर्देश देंगे डीएम को कि शिवलिंग जहां मिलने की बात कही गई है, वह जगह प्रोटेक्ट हो लेकिन नमाज पढ़ने पर रोक नहीं होगी।

अहमदी

देखा जाए कि कैसे ऑर्डर पास किया जा रहा है। ये कमीशन की रिपोर्ट पर नहीं हुआ बल्कि वादी के आवेदन पर आदेश पारित किया गया है।

जस्टिस चंद्रचूड़

हम तीन रिलीफ, जो आवेदन में मांगा गया था, उसे हटा रहे हैं। हम शिवलिंग मिलने वाली जगह को प्रोटेक्शन दे रहे हैं। हम साफ करना चाहते हैं कि  नमाज़ पर रोक नहीं होगी। यह ऑर्डर संतुलित होगा।

अहमदी

ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक हो।

सॉलिसिटर जनरल

जहां शिवलिंग मिला है वहां सील किया जाना चाहिए। किसी के आने जाने पर रोक होनी चाहिए। वहां कुछ भी अवांछित होने पर कानून- व्यवस्था का खतरा हो सकता है।

जस्टिस चंद्रचूड़

जहां भी शिवलिंग मिलने की बात कही गई है, वहां प्रोटेक्शन किया जाए। संबंधित डीएम सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। मुस्लिम को नमाज और धार्मिक कर्म के लिए रोक नहीं लगाई जाएगी। नोटिस जारी किया जाता है। गुरुवार को होगी अगली सुनवाई।

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