खनन माफिया ही है रानीपोखरी पुल गिरने का बड़ा कारण

ऋषिकेश: जाखन पुल की बर्बादी उगल रही कई राज, पुल टूटने का मुख्य कारण बना अवैध खनन
ऋषिकेश को राजधानी देहरादून से जोड़ने वाला रानीपोखरी के जाखन नदी पर बना पुल टूट चुका। पुल के टूटने के पीछे सबसे बड़ा कारण अवैध खनन को बताया जा रहा है। लोनिवि अधिकारी खनन को एक कारण मानते हुए पुल की इस बर्बादी के और भी कई कारण गिना रहे हैं

देहरादून 31 अगस्त। गढ़वाल मंडल सहित ऋषिकेश को राजधानी देहरादून से जोड़ने वाला रानीपोखरी के जाखन नदी पर बना पुल टूट चुका है। पुल के टूटने के पीछे सबसे बड़ा कारण अवैध खनन को बताया जा रहा है। वहीं लोनिवि अधिकारी खनन को एक कारण मानते हुए पुल की इस बर्बादी के और भी कई कारण गिना रहे हैं। हकीकत पुल के समीपवर्ती क्षेत्र के लोग बाखूबी जानते हैं, क्योंकि उन्होंने रात के अंधेरे में कई बार जेसीबी और पोकलैंड मशीनों से नदी का सीना छलनी होते देखा है। घूम फिर कर बात पुल के लिए गठित जांच समिति पर ठहर जाती है, जिसकी जांच अब तक शुरू नहीं हो पाई।

जाखन नदी में शासन की ओर से दो वर्ष पूर्व खनन के पट्टे जारी किए गए थे। खनन को लेकर उस वक्त भी सवाल उठते रहे हैं। मसलन रात के अंधेरे में होने वाला खनन और एक ही रवन्ने पर कई वाहनों की निकासी जैसे सवाल अब तक अनुत्तरित हैं। जाखन नदी में जब खनन चरम पर था तो रानीपोखरी और आसपास क्षेत्र में कई व्यक्तियों ने अपने निजी भूखंडों पर अवैध खनिज भंडारण कर रखा था। वहीं जिनके पास खनिज भंडारण की अनुमति दी थी वे क्षमता से ज्यादा खनिज का भंडारण करते थे। राजनीतिक संरक्षण प्राप्त यह लोग पर विभाग कभी कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया।

इतना ही नहीं जाखन नदी में मई 2019 को खनन पर रोक लग गई थी। इसके बाद भी खनन माफिया नदी का सीना चीरते रहे। तत्काल समय में अपर आयुक्त गढ़वाल मंडल हरक सिंह रावत जब यहां से गुजर रहे थे तो उन्होंने रात में मशीनों के जरिये खनन होता देखा। जिसके बाद उन्होंने उपजिलाधिकारी ऋषिकेश को कार्रवाई के निर्देश भी दिए थे। उस कार्रवाई में जेसीबी पकड़ी गई थी। अवैध खनन को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर कई बार सवाल उठे।

सितंबर 2020 में पुल के नीचे बुनियाद और पिलर की सुरक्षा के लिए लोक निर्माण विभाग ने 40 लाख रुपये से अनुरक्षण कार्य कराया था। इस दौरान पुल से 50 मीटर की दूरी पर ही खनन कर खनिज को इस निर्माण कार्य में प्रयोग में लाया जा रहा था जिस पर थानों रेंज के वन क्षेत्राधिकारी एनएल डोभाल ने विभागीय दो ठेकेदारों पर 30 और 20 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया था, लेकिन लोनिवि ने ऐसे ठेकेदारों को ब्लैक लिस्टेड नहीं किया।

कार्रवाई की खानापूर्ति कर सो गए विभाग

रानी पोखरी में जहां यह पुल बना है वह समूचा क्षेत्र तीन विभाग लोक निर्माण विभाग, वन विभाग और सिंचाई विभाग के अंतर्गत आता है। इसका ऊपरी हिस्सा ग्राम सभा से जुड़ा है। नदी में अवैध खनन को इन सभी विभागों की जिम्मेदारी थी। विशेष रूप से वन विभाग कि यहां पर ज्यादा जिम्मेदारी बनती है। वन निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक आइएस नेगी ने बताया कि मई 2019 तक यहां खनन की अनुमति थी, उसके बाद से वन निगम की यहां भूमिका समाप्त हो जाती है। रेंज अधिकारी थानों एनएल डोभाल ने बताया कि सितंबर 2020 में पुल के नीचे खनन पर विभाग दो ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई कर चुका है। गिनी-चुनी कार्रवाई के बाद विभागों ने अपनी जिम्मेदारी से क्यों इतिश्री कर दी यह बड़ा सवाल है।

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