राहुल विश्वप्रसिद्ध शिवभक्त,प्रियंका निर्जला व्रती,सतपाल महाराज फर्जी बाबा:दसौनी

महाराज कहलाने लायक नहीं सतपाल महाराज -गरिमा मेहरा दसौनी

देहरादून 12 अप्रैल 2024 । उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता और उत्तर प्रदेश की मीडिया प्रभारी गरिमा मेहरा दसौनी ने सतपाल महाराज पर कड़ा हमला बोला है। सतपाल महाराज द्वारा दिए गए बयान जिसमें उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान यह कहा कि गांधी परिवार को बाबर की मजार में जाना तो गवारा है लेकिन राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में आना नहीं ,गरिमा ने महाराज के बयान पर पलटवार करते हुए कहा- क्या सतपाल महाराज चारों पीठों के शंकराचार्यों और उन महामंडलेश्वरों को भी हिंदू नहीं मानते जिन्होंने प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में जाने से मना कर दिया? दसौनी ने कहा कि राहुल गांधी विश्व प्रसिद्ध शिव भक्त हैं,दुनिया राहुल गांधी के शिव के प्रति आस्था और प्रेम से भली भांति अवगत है। दसोनी ने यहां तक कहा कि शायद शिव शंकर के बारे में सतपाल महाराज को भी उतना ज्ञान ना हो जितना राहुल गांधी को है और प्रियंका गांधी तो पावन दिनों में निर्जला व्रत किया करती हैं,यह और बात है कि गांधी परिवार अपने देवी देवताओं को वोट उगाही का साधन नहीं बनाते वह अपनी धार्मिक मान्यताओं और आस्थाओं की आड़ लेकर जनता का भावनात्मक दोहन नहीं करते । दसोनी ने कहा कि अगर सतपाल महाराज के बयान को देखा जाए तो मजारों पर जाने वाले व्यक्ति को वह हिंदू नहीं मानते ऐसे में क्या देश और दुनिया के जो करोड़ करोड़ हिंदू ताजमहल जाते हैं जो की बेगम मुमताज की मजार है और जो शाहजहां ने अपनी बेगम की याद में बनाई थी।दसौनी ने कहा की क्या सतपाल महाराज हिम्मत दिखा कर हिंदुओं को ताजमहल जाने से मना करेंगे?दसौनी ने यह भी पूछा कि सतपाल महाराज क्या कभी ताजमहल नहीं गए? दसोनी ने सतपाल महाराज के बयान को गरिमाविहीन,घटिया और निम्न स्तर का बयान बताया उन्होंने कहा कि समाज को ऐसे नफरत फ़ैलाने वाले फर्जी बाबाओं का बहिष्कार करना चाहिए जो इंसानियत का पाठ पढ़ाने के बजाय धार्मिक ध्रुवीकरण में विश्वास रखते हैं। दसौनी ने कहा कि क्या मोदी जी ने सतपाल महाराज को हिंदू धर्म की ठेकेदारी सौंप दी हैं?

असल में लोनिवि और सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने कांग्रेस नेतृत्व को हिंदूविरोधी बताते हुए एक बयान जारी किया था जिसमें उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व के बाबर की मजार के आकर्षण का जिक्र किया है। लेकिन कांग्रेस प्रवक्ता ने जिस अंदाज में इसका प्रतिवाद किया है उससे यह विवाद होने की बजाय और बढ़ना तय है क्योंकि चुनावी फोटो सेशन की बात छोड़ दें तो कांग्रेस का स्थाई नेतृत्वकारी परिवार बिना किसी अपराधबोध हिंदुत्व से अपनी घृणा कभी नहीं छुपाता। बहरहाल कभी कांग्रेस के बड़े नेता रहे सतपाल महाराज का बयान निम्नवत था –

 

*कांग्रेस के लिए रामलला नहीं बाबर की मजार रही आस्था का केन्द्र: महाराज*

अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में निमंत्रण के बावजूद भी कांग्रेस के शामिल न होने का बड़ा कारण यह है कि उसके शीर्ष नेतृत्व के लिए हमेशा से ही काबूल स्थित बाबर की मजार ही आस्था एवं श्रृद्धा का प्रमुख केन्द्र रही है।

उक्त बात प्रेस को जारी अपने एक बयान में भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कही है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में मंदिर ट्रस्ट के निमंत्रण के बावजूद भी कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व का शामिल न होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। इतिहास इस बात का साक्षी है कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व का पीढ़ी दर पीढ़ी काबूल स्थित बाबर की मजार से आस्था एवं श्रृद्धा का अटूट रिश्ता रहा है। कांग्रेस सरकार में विदेश मंत्री रहे क़द्दावर नेता नटवर सिंह ने अपनी किताब ‘वन लाइफ़ इज नॉट एनफ़’ में स्पष्ट लिखा है कि 1959 में जवाहरलाल नेहरू, 1968 में इंदिरा गांधी, 1976 में राजीव गांधी और 2005 में राहुल गांधी ने मनमोहन सिंह के साथ अफगानिस्तान में बाबर की कब्र का दौरा किया और कब्र पर श्रद्धांजलि भी अर्पित की। इसलिए सनातन विरोधी कांग्रेस ने आमंत्रण मिलने के बाद भी रामलला के दर्शन करना उचित नहीं समझा।

नटवर सिंह ने अपनी पुस्तक में यह भी लिखा है कि इंदिरा गांधी बाबर की कब्र पर फूल चढ़ाने काबुल गई थीं और अफगानिस्तान में बाबर की कब्र पर इंदिरा गांधी ने दावा किया था कि वह उनके उत्तराधिकारी हैं और देश उनके नियंत्रण में है। यही कारण है कि कांग्रेस अपने सहयोगियों द्वारा सनातन धर्म के अपमान पर चुप्पी साध लेती है।

इसलिए आज हमें यह तय करना होगा कि देश की सत्ता को भगवान श्री राम में आस्था रखने वाले चलायेंगे या बाबर की मजार पर श्रृद्धा सुमन अर्पित करने वाले राम द्रोही।

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