अजेंद्र ने हरीश रावत को कवितामय जवाब दे पूछा 2017 के कविता चैलेंज का रिजल्ट

मोदी और हरदा के बाद अब बीजेपी के इस नेता ने हरीश रावत पर कविता से साधा निशाना

 

उत्तराखंड में प्रधानमंत्री मोदी की रैली के बाद कविताओं का दौर शुरू हो गया है पीएम ने रैली में कविताओं से समा बांधा तो कांग्रेस के हरीश रावत ने भी कविता से प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी पर निशाना साधा वही अब बीजेपी के नेता अजेंद्र अजय ने कविता से हरीश रावत पर निशाना साधा

 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आदरणीय हरीश रावत जी आजकल लगातार बड़े-बड़े दावे और वायदे कर रहे हैं। उनके वायदों और घोषणाओं को लेकर एक पूरा ग्रन्थ लिखा जा सकता है। बहरहाल, कल आपने देश के प्रधानमंत्री आदरणीय मोदी जी को लेकर एक कविता लिखी, तो मुझे आपका वर्ष 2017 में किया गया एक वायदा याद आ गया। सोचा आपको फिर से याद दिला दूं।

तब आपने अपनी कविता/ तुकबंदी की कुछ पंक्तियां सोशल मीडिया पर शेयर की थी और घोषणा की थी कि उनकी कविता को सही व लयबद्ध करने वाले सर्वश्रेष्ठ कवि को पांच हजार रूपए का पुरस्कार दिया जाएगा।

आपके वायदे के अनुरूप मैंने भी तब अपने मन में उपजे कुछ भाव कविता/ तुकबंदी के रूप में सोशल मीडिया में रखे थे, जो समाचार पत्रों के माध्यम से शायद आप तक पहुँच भी गए होंगे। मगर आप अपना वायदा भूल गए और आपने आज तक उस कविता प्रतियोगिता का परिणाम घोषित नहीं किया।

चलिए कोई नहीं। मगर आपने कल कविता के रूप में अपने मन के भाव प्रकट किए तो मुझे भी आप जैसे कवि श्रेष्ठ को अपनी वही कविता/ तुकबंदी समर्पित करने का लोभ संवरण करना कठिन हो रहा है।

‘उत्तराखंडवासियों को झूठ-मूठ बहलाता हूं’, PM की कविता पर हरीश रावत का शायराना तंज

मोदी ने देहरादून में रैली कर चुनावी शंखनाद किया तो हरीश रावत ने  मोदी पर निशाना साधा था . उन्होंने पीएम की कविता पर व्यंग्य कसते हुए लिखा था कि ‘मैं उत्तराखंड वासियों को कुछ झूठ-मूठ कुछ कहकर बहलाता हूं’. इसी के साथ हरीश रावत ने प्रधानमंत्री की कविता पर तंज कसने के लिए एक सोशल मीडिया पर कुछ पक्तियां लिखी थी.हरीश रावत ने लिखा-

प्रधानमंत्री जी आये, जुमलों की बरसात कर गये. एक कविता भी उन्होंने सुनाई. मेरे मन में भी कुछ भाव उपजे, प्रधानमंत्री जी कहते हैं,

“जब-जब मैं आता हूं, उत्तराखंड तेरे गीत गाता हूँ,

कभी केदार का नाम लेकर, कभी गंगा का नाम लेकर,

मैं उत्तराखंड वादियों को बहलाता हूं,उत्तराखंड वासियों को कुछ झूठ-मूठ कुछ कहकर बहलाता हूं.

मैं जब-जब आता हूं, उत्तराखंड मैं तेरे गीत तुझको ही सुनाता हूं,

दूसरों ने गुफा बनाई, उस तप कर उसको अपना बताता हूं.

ऑल वेदर रोड, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन पर भी अपना नाम खुदवाता हूं.

मंजूर चाहे वो कभी हुई हो, मैं प्रधानमंत्री हूं, मैं उसको अपना बताता हूं.

कुछ दे सकूं- न दे सकूं, मैं डबल इंजन का नाम लेकर मैं तुम्हारे वोटों को समेटने का काम करता हूं,

जब डबल इंजन कुछ काम न कर पाए तो मुख्यमंत्री बदलकर मैं लोगों का ध्यान भटकाता हूं,

कोरोना में कितना ही उत्तराखंड अपनों को खो गया हो,मैं उनके नाम पर एक भी आंसू नहीं बहाता हूं,

आपदा आए या कुछ आए,मैं उसमें राजनीति ढूंढता हूं,उत्तराखंड तुझको कुछ दूं-न दूं,मगर अपनी बातों से मैं हमेशा तेरा मन बहलाता हूं,

कुछ जुमले, कुछ बातें जो तुमसे जुड़ी हैं,उनको कह-कहकर मैं तुम्हारे मन को उकसाता हूं,

कुछ धरती पर दिखाई दे या न दिखाई दे,किसी ने भी कुछ किया हो, मैं उस सबको अपना बताता हूं,

रेडियो टेलीविजन अखबार पर मेरा एकाधिकार है,जो मैं तुमको सुनाता हूं वही उनसे छपवाता हूं, उनसे आपको बतवाता हूं.

मैं प्रधानमंत्री हूं, जुमलों से मुझको बड़ा है प्यार और उत्तराखंड तुझको बहलाने के लिए मैं हर बार कुछ नये जुमले गढ़ कर लाता हूं.,मैं जब-जब उत्तराखंड आता हूं, तुमको कुछ नये गीत सुनाता हूं.

इसी का काव्यात्मक जवाब भाजपा नेता अजेंद्र अजय ने दिया है।

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