मोदी मंत्रीमंडल के नये स्वरूप में होंगे सर्वाधिक एससी-एसटी,ओबीसी, युवा और महिलाएं

कैबिनेट विस्तार से पहले मोदी सरकार ने बनाया नया मंत्रालय, सहकारिता आंदोलन को मजबूत करना होगा मकसद

Centre Govt Create Cooperation Ministry: मंत्रालय सहकारिता के लिए कारोबार को आसान बनाने के लिए प्रक्रिया को कारगर करेगा और बहु-राज्य सहकारिताओं के विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा.
नई दिल्ली 06 जुलाई. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने देश में सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने के लिए एक नया सहकारी मंत्रालय सृजित करने का फैसला किया है. आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी. मंत्रिपरिषद में बुधवार को बड़ा फेरबदल होने के बारे में चर्चा के बीच सरकारी सूत्रों ने कहा कि नया मंत्रालय सहकार से समृद्धि के विजन को साकार करने के लिए सृजित किया जा रहा है. सूत्रों ने बताया कि मंत्रालय देश में सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने के लिए एक अलग प्रशासनिक, कानूनी और नीतिगत ढांचा उपलब्ध कराएगा.

नए मंत्रालय के लिए एक प्रभारी मंत्री को बुधवार को नामित किया जाएगा. सूत्रों ने बताया कि नया मंत्रालय सहकारिता को एक सच्चे, जमीनी स्तर तक पहुंचने वाले जन आधारित आंदोलन में तब्दील करेगा. मंत्रालय सहकारिता के लिए कारोबार को आसान बनाने के लिए प्रक्रिया को कारगर करेगा और बहु-राज्य सहकारिताओं के विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा.

इस बीच, नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में फेरबदल को लेकर पिछले एक महीने से चल रही अटकलों पर विराम लगाते हुए सूत्रों ने अब पुष्टि की है कि बुधवार शाम को मंत्रिमंडल में फेरबदल की तैयारी है. सूत्रों ने कहा कि नया मंत्रिमंडल युवा होगा और इसमें सभी समुदायों का उचित प्रतिनिधित्व होगा, जबकि कुछ ऐसे मंत्रियों को हटा दिया जाएगा, जिन्होंने कोई खास काम नहीं किया है, क्योंकि प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत रूप से वर्तमान मंत्रियों के प्रदर्शन की समीक्षा की है.

सूत्र ने कहा कि सभी को कैबिनेट में उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा, जिससे यह संदेश जाएगा कि मोदी सरकार सभी की सरकार है और खासकर समाज के गरीब और वंचित तबके के लिए वह काम करती है. सूत्रों ने बताया कि चुनाव वाले राज्यों और सामाजिक समीकरणों को देखते हुए करीब दो दर्जन मंत्रियों को शामिल किया जाएगा.

नई कैबिनेट में होंगे रिकॉर्ड SC, ST, OBC नेता, ज्यादा महिलाओं को मिलेगी एंट्री: सूत्र

शीर्ष सूत्रों (Top Sources) के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक कैबिनेट में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग का रिकॉर्ड प्रतिनिधित्व होगा. साथ ही महिलाओं की संख्या भी बढ़ सकती है. केंद्रीय कैबिनेट (Central Cabinet) में विस्तार पर इस वक्त सभी की निगाहें लगी हुई हैं. राजनीतिक पंडितों से लेकर नेताओं तक में उत्सुकता है कि किन्हें कैबिनेट में जगह मिलेगी! इस बीच सीएनएन-न्यूज़18 को सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि कैबिनेट में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग का रिकॉर्ड प्रतिनिधित्व होगा. साथ ही महिलाओं की संख्या भी बढ़ सकती है.

सूत्रों का कहना है कि कैबिनेट में ओबीसी वर्ग के करीब 24 मंत्री होंगे. सरकार का प्लान ये है कि सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व कैबिनेट में रखा जाए. इसके अलावा महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने पर भी विचार जारी है. माना जा रहा है कि नई कैबिनेट में सदस्यों की औसत उम्र आजाद भारत के इतिहास में सबसे कम हो सकती है. यानी ये एक ‘यंग कैबिनेट’ होगी. उन लोगों को कैबिनेट में प्राथमिकता दी जाएगी जिन्हें राज्य या केंद्र में प्रशासनिक अनुभव रहा हो.

बैठक हुई रद्द

इससे पहले आज शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की बैठक कैंसिल कर दी गई थी. इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बीएस संतोष के शामिल होने की भी खबरें थीं.

प्रधानमंत्री मोदी ने खुद की है समीक्षा

बता दें कि जून महीने के शुरुआती पखवाड़े में प्रधानमंत्री मोदी ने मंत्रियों के साथ बैठक कर काम-काज की समीक्षा की थी. इसके अलावा उन्होने पार्टी के विभिन्न मोर्चे के अध्यक्षों से भी मुलाकात की थी. इसके बाद वो पार्टी के राष्ट्रीय महासचिवों से भी मिले थे. साल 2019 में सरकार बनने के बाद अब तक मोदी कैबिनेट में कोई विस्तार नहीं हुआ है. जबकि कई मंत्रियों के पास तीन कैबिनेट पोर्टफोलियो तक हैं. वहीं कुछ मंत्रालयों में कोई राज्य मंत्री नहीं है. अकाली दल के साथ छोड़ने के बाद अब केंद्रीय कैबिनेट में सिर्फ बीजेपी के नेता ही मंत्री हैं.

इन्हें मिल सकती है हिस्सेदारी

राजनीतिक एक्सपर्ट्स ने यह भी इशारा किया है कि जेडीयू को मंत्रालय में अहम हिस्सेदारी मिल सकती है. ज्योतिरादित्य सिंधिया, सर्बानंद सोनोवाल को भी कैबिनेट में जगह दी जा सकती है. वहीं अगले साल जिन राज्यों में चुनाव होने हैं वहां से भी महत्वपूर्ण नेताओं को जगह दी जा सकती है. ऐसी सभी जातियों, समूहों पर निगाहें हैं जिन्हें अभी तक प्रतिनिधित्व नहीं मिल सका है. पश्चिमी यूपी से दिल्ली और लखनऊ की राजनीति में ऐसे समूहों के नेताओं को जगह मिल सकती है जिनका प्रतिनिधित्व कम है.

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