खड़के इंडी गठबंधन चेयरमैन, किसके लिए क्या है संदेश

Decoding Political Messages Of Mallikarjun Kharge Being Chairperson Of India Alliance
किस-किसके लिए झटका खरगे का I.N.D.I.A. चीफ बनना , किसके लिए क्या मतलब, जानिए
विपक्षी गठबंधन इंडिया की पांचवीं बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को गठबंधन का चेयरपर्सन बनाने का निर्णय हुआ है। आज वर्चुअल बैठक में ये फैसला हुआ। बैठक में विपक्षी गठबंधन के सिर्फ 10 सदस्य दल ही थे। ममता बनर्जी,अखिलेश यादव और उद्धव ठाकरे शामिल नहीं हुए।
मुख्य बिंदु
इंडी गठबंधन की 5वीं बैठक में बड़ा फैसला,कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे गठबंधन के चेयरपर्सन
नीतीश कुमार ने संयोजक बनाने का प्रस्ताव ठुकराया
नई दिल्ली 13 जनवरी 2024: विपक्षी दलों के गठबंधन I.N.D.I.A.(इंडियन नैशनल डिवेलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को गठबंधन का चेयरपर्सन चुना है। ये निर्णय गठबंधन की आज वर्चुअल बैठक में लिया गया। गठबंधन की इस पांचवीं मीटिंग में 10 पार्टियों के नेता थे। इसके सभी दलों ने खरगे को इंडिया ब्लॉक का चीफ बनाने पर सहमति दे दी। हालांकि, इसकी औपचारिक घोषणा गठबंधन के बाकी नेताओं से चर्चा के बाद होगी। आज हुई वर्चुअल मीटिंग में न तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी थीं और न ही उनकी पार्टी टीएमसी से कोई और प्रतिनिधि। इसी तरह समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे भी नहीं थे। बैठक से पहले अटकलें थीं कि इसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को गठबंधन का संयोजक बनाने का निर्णय हो सकता है,लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आखिर खरगे को इंडिया गठबंधन का चेयरपर्सन बनाए जाने का मतलब क्या है?
गठबंधन चीफ यानी विपक्ष की तरफ से प्रधानमंत्री चेहरा?
मल्लिकार्जुन खरगे को इंडी गठबंधन का चीफ बनाने का कहीं ये मतलब तो नहीं कि वह लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद के विपक्षी उम्मीदवार होंगे? वैसे भी पिछली मीटिंग में अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी ने खरगे को गठबंधन की तरफ से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने का सुझाव दिया था। उनका कहना था कि दलित समुदाय के खरगे को प्रधानमंत्री चेहरा बनाने से चुनाव में विपक्ष को फायदा होगा। तो क्या खरगे को विपक्ष की तरफ से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार माना जा सकता है? इसका जवाब है- नहीं। गठबंधन का चेयरपर्सन होना अलग बात है, प्रधानमंत्री पद का दावेदार होना अलग। यूपीए में सोनिया गांधी गठबंधन की चेयरपर्सन थीं लेकिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह। इसलिए गठबंधन का चेयरपर्सन बनाने को प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी के तौर पर नहीं देखा जा सकता।

सीट शेयरिंग असल चुनौती

इंडी ब्लॉक का संयोजक या मुखिया कौन होगा,ये तय करना एक बड़ी चुनौती थी। विपक्ष इस बड़ी चुनौती से पार पा लिया है। लेकिन सबसे बड़ी चुनौती तो सीट शेयरिंग की है। लोकसभा चुनाव में 3-4 महीने हैं लेकिन विपक्षी गठबंधन अब तक यही नहीं तय कर पाया है कि किस राज्य में कौन सी पार्टी कितनी सीटों पर लड़ेगी। यह तय हो जाए तो आगे ये तय करना भी चुनौती होगी कि किन-किन सीटों पर कौन पार्टी लड़ेगी। हालांकि,इसे लेकर बातचीत चल रही है। गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस का राष्ट्रीय प्रभाव है इसलिए वह सीट शेयरिंग को लेकर क्षेत्रीय दलों से अलग-अलग बैठकें कर रही है। आज बैठक में नीतीश कुमार ने भी सीट शेयरिंग को सबसे बड़ी चुनौती बताया। ममता बनर्जी के बैठक में शामिल नहीं होने को भी सीट शेयरिंग की जटिलता से जोड़कर देखा जा रहा है। पश्चिम बंगाल, केरल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, पंजाब, दिल्ली जैसे राज्यों में सीट शेयरिंग फॉर्म्युला तय करना बहुत चुनौतीपूर्ण है। ये मामला इतना जटिल है कि अगर सही से हल नहीं हुआ तो चुनाव से पहले कुछ पार्टियों की राह गठबंधन से अलग भी हो सकती है।
नीतीश कुमार का क्या होगा?
मल्लिकार्जुन खरगे को गठबंधन का चेयरपर्सन बनाने के बाद अब गठबंधन का कोई संयोजक भी चुना जाएगा,इसकी संभावना कम है। वैसे चेयरपर्सन और कन्वेनर यानी संयोजक ये दोनों पद एक साथ भी रह सकते हैं,लेकिन हाल के वर्षों में गठबंधनों पर नजर डालें तो इसकी संभावना बहुत कम है। कांग्रेस की अगुआई में इससे पहले जो संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) था,उसकी चेयरपर्सन सोनिया गांधी थीं। यूपीए में कोई संयोजक नहीं था। दूसरी तरफ,अटल बिहारी वाजपेयी के समय भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में संयोजक का पद रहा,चेयरपर्सन नहीं। जॉर्ज फर्नांडीज,शरद यादव और चंद्रबाबू नायडू एनडीए संयोजक रहे। फिलहाल उसमें संयोजक पद खाली है। अब खरगे को चेयरपर्सन बनाने पर नीतीश कुमार को विपक्षी गठबंधन का संयोजक बनाने को लेकर अटकलों पर विराम लग गया है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो मीटिंग में सोनिया गांधी समेत कुछ बड़े नेताओं ने नीतीश कुमार को संयोजक बनाने की पेशकश की लेकिन नीतीश ने उसे ठुकरा दिया।

खाली हाथ नीतीश, क्या नाराज हैं?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा के विजय रथ को रोकने को नीतीश कुमार ने ही सबसे पहले विपक्षी दलों को एकजुट करने का बीड़ा उठाया। असल में वही इंडी गठबंधन के शिल्पकार हैं। इसलिए समय-समय पर उन्हें गठबंधन का संयोजक बनाने की अटकलें लगती रहती थीं। ये भी अटकलें लगती थीं कि इसमें देरी से नीतीश कुमार नाराज हैं। अब गठबंधन की पांचवीं बैठक से साफ हो गया कि वह संयोजक नहीं बनने वाले तो क्या बिहार के मुख्यमंत्री नाराज हैं? कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से दावा हुआ है कि मीटिंग में नीतीश कुमार ने ही कहा कि कांग्रेस से ही किसी नेता को गठबंधन का चेयरपर्सन बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें किसी पद में दिलचस्पी नहीं है,वह कोई पद नहीं चाहते। वह सिर्फ ये चाहते हैं कि गठबंधन मजबूत हो। नीतीश कुमार ने कहा कि एकजुटता जरूरी है।

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