कण्वनगरी कोटद्वार बना कोटद्वार नगर निगम, त्रिवेन्द्र ने किया प्रस्ताव स्वीकार

उत्तराखंड: अब कण्वनगरी के नाम से जाना जाएगा कोटद्वार, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दी मंजूरी
अब कण्व नगरी के नाम से जाना जाएगा कोटद्वार। फाइल फोटो
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नगर निगम कोटद्वार का नाम परिवर्तित कर कण्व ऋषि के नाम पर कण्व नगरी कोटद्वार रखने की स्वीकृति प्रदान की है। अब नगर निगम कोटद्वार कण्व नगरी कोटद्वार के नाम से जाना जाएगा।
देहरादून 03 मार्च। पौड़ी गढ़वाल जिले के प्रवेशद्वार कोटद्वार का नाम अब कण्वनगरी कोटद्वार होगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कोटद्वार नगर निगम का नाम महर्षि कण्व के नाम पर रखने को स्वीकृति प्रदान कर दी है। कोटद्वार शहर की पहचान महर्षि कण्व की तपस्थली और भारत के नामदेय चक्रवर्ती सम्राट भरत की जन्मस्थली कण्वाश्रम से भी है। यह स्थली कोटद्वार नगर निगम मुख्यालय से करीब 14 किमी के फासले पर है। पूर्व में कोटद्वार नगर निगम ने कण्वाश्रम से लगे कलालघाटी का नाम कण्वघाटी के नाम पर रखने का प्रस्ताव भेजा था।
पिछले साल दिसंबर में शासन ने इस पर मुहर लगाई। यही नहीं, कोटद्वार का नाम कण्वनगरी करने की मांग भी लगातार उठ रही थी। इस संबंध में शासन को प्रस्ताव भी मिला, जिस पर मंथन चल रहा था। अब मुख्यमंत्री ने इस प्रस्ताव पर मुहर लगाते हुए कोटद्वार नगर निगम का नाम कण्वनगरी कोटद्वार रखने की स्वीकृति दे दी है। जाहिर है कि अब महर्षि कण्व के नाम पर कोटद्वार का नामकरण होने से कोटद्वार क्षेत्र को न सिर्फ देश-दुनिया में नई पहचान मिलेगी, बल्कि यहां के पर्यटन विकास को भी नए आयाम मिलेंगे।
उत्तर प्रदेश के नजीबाबाद से सटे उत्तराखंड के कोटद्वार का नाम महर्षि कण्व के नाम पर रखे जाने की लंबे समय से मांग की जा रही थी।
धार्मिक मान्यता है कि महर्षि कण्व की तपस्थली कण्वाश्रम कोटद्वार से करीब 14 किलोमीटर दूर है। इसलिए कोटद्वार की पहचान कण्व महर्षि के नाम पर भी है। इसी के आधार पर कोटद्वार का नाम बदलकर कण्व नगरी रखने की मांग हो रही थी।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की ओर से नए नाम पर सहमति दे दी गई है। माना जा रहा है कि नाम परिवर्तन से कोटद्वार को धार्मिक पर्यटन के रूप में पहचान मिल पाएगी।

सिद्धबली जनशताब्दी एक्सप्रेस से कोटद्वार को मिलेगी नई पहचान
कोरोना संक्रमणकाल के करीब सालभर बाद कोटद्वार में रेलवे की गतिविधियां शुरू होने का जिले के दूरस्थ विकास खंडों के लोगों और जनप्रतिनिधियों ने स्वागत किया है। उनका कहना है कि कोटद्वार के सिद्धबली धाम के नाम पर देश की राजधानी के लिए नई एक्सप्रेस ट्रेन संचालित होने से कोटद्वार के साथ ही गढ़वाल को नई पहचान मिलेगी। कई संगठनों के पदाधिकारियों ने बताया कि सिद्धबली के नाम से सीधी ट्रेन शुरू होने से गढ़वाल ही नहीं, बिजनौर, मेरठ और दिल्ली समेत मैदानी क्षेत्र में रहने वाले उत्तराखंडी प्रवासियों में उत्साह बना हुआ है। उन्हें उम्मीद है कोरोना संक्रमणकाल में बंद पड़ी मसूरी लिंक और गढ़वाल एक्सप्रेस भी जल्द पटरी पर लौट आएगी। 

कोरोना संक्रमण काल के बाद कोटद्वार से दिल्ली के लिए सीधी रेल सेवा का संचालन होने से पर्वतीय क्षेत्र के लोगों को फायदा मिलेगा। दिल्ली से गढ़वाल आने वाले लोगों के लिए यह सबसे अच्छी रेल सेवा साबित होगी। वे समय से पहाड़ के अपने गांवों के लिए रवाना हो सकेंगे। 
– राजेंद्र जखमोला, समाज सेवी कोटद्वार 

कोटद्वार से सिद्धबली जनशताब्दी एक्सप्रेस का संचालन रेल सेवाओं के विस्तार में मील का पत्थर साबित होगा। सिद्धबली जनशताब्दी एक्सप्रेस कोटद्वार और यहां के प्रसिद्ध सिद्धबली धाम को देश में नई पहचान दिलाएगा। पहाड़ के रेल यात्रियों के लिए यह सुगम आवागमन का साधन बनेगी।
– आशा भट्ट, ब्लाक प्रमुख यमकेश्वर 

पहले कलालघाटी का भी बदला गया नाम

पौड़ी गढ़वाल जिले के प्रवेश द्वार कोटद्वार स्थित कलालघाटी का भी नाम बदला गया है। उसे अब कण्वघाटी के नाम से जानी जा रहा है। कोटद्वार नगर निगम ने कलालघाटी का नाम बदलकर कण्वघाटी करने के शासन को प्रस्ताव भेजा था, जिसपर पिछले साल दिसंबर में मुहर लगाई थी।

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