बसपा से निष्कासित इमरान मसूद की कांग्रेस से लोस चुनाव की तैयारी

Big Action: Closeness To Congress, Former MLA Imran Masood Expelled From BSP
Imran Masood: बसपा से निकाले गए इमरान मसूद; कांग्रेस में जाने की अटकलें, बोले- लोगों से सलाह लेकर फैसला करूंगा

सहारनपुर 30 अगस्त। सहारनपुर के नेता इमरान मसूद बसपा से निष्कासित हो गये है। मायावती के निर्देश पर जिला अध्यक्ष ने निष्कासन पत्र जारी किया है। मसूद ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की जमकर तारीफ कर उन्हें राजनीति में देश का हीरो बताया था।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से मुस्लिम नेता पूर्व विधायक इमरान मसूद के कांग्रेस नेता राहुल गांधी तारीफ कर कांग्रेस से नजदीकी बढ़ाने पर बसपा ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया है। बसपा सुप्रीमो पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के निर्देश पर बसपा जिला अध्यक्ष जनेश्वर प्रसाद ने प्रेस नोट जारी कर इमरान मसूद को पार्टी से निष्कासन की जानकारी दी है।

जिला अध्यक्ष जनेश्वर प्रसाद में बताया कि इमरान मसूद को पार्टी में अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी गतिविधि में लिप्त होने से पार्टी से निष्कासन किया गया है। पार्टी हाई कमान के निर्देश पर यह निष्कासन हुआ है।
राहुल गांधी की तारीफ करने पर हुई कार्रवाई
उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की जमकर तारीफ कर उन्हें राजनीति में देश का हीरो बताया है।  वह फिर कांग्रेस का हाथ थाम सकते हैं।

उनका कहना था कि उन्हें बहनजी ने लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी के निर्देश दे रखे हैं,फिर भी चाहे जो हो जाए मुझे लोकसभा चुनाव तो हर हाल में लड़ना है। उनका सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने से राजनीतिक गलयारों में उनके फिर से पाला बदल की चर्चा तेज हैं।
इमरान मसूद ने एक निजी चैनल से बातचीत में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की खूब तारीफ की कि राहुल गांधी देश के हीरो हैं,वह देश और अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति की सोचते हैं। राहुल गांधी बेखौफ जनहित की बात करते हैं। सत्ता परिवर्तन जरूरी है, वर्तमान सरकार से संविधान को खतरा है। एक राहुल गांधी ही हैं, जो हर वर्ग और गरीब के हितैषी हैं। वर्तमान में अन्य पार्टियों के नेता सरकार की गलत नीतियों पर नहीं बोल रहे हैं। सिर्फ राहुल गांधी ही  गलत नीतियों का विरोध करते हैं।

बसपा से निकाले जाने के बाद इमरान मसूद की पहली प्रतिक्रिया, मायावती पर लगाया आरोप, बड़ी घोषणा

Imran Masood Reaction On Expelled From BSP
उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने अनुशासनहीनता के आरोप में इमरान मसूद को पार्टी से निकाल दिया है. बसपा से निकाले जाने के बाद इमरान मसूद की पहली प्रतिक्रिया सामने आ गई है. इमरान मसूद ने सबसे पहले मायावती को धन्यवाद कहा है. उन्होंने कहा कि मायावती ने जो आशीर्वाद दिया था, उसके वजन को समझते हुए बहुत ईमानदारी से काम किया.

इमरान मसूद ने आगे कहा कि “मैं जहां भी रहा काम बहुत ईमानदारी से किया.मैंने बसपा के उत्थान के लिए काम किया.बसपा को वोट भी मिले.वोटों में इसका अंतर दिख भी रहा था.उसके बाद भी अगर लगता है कि मैंने कुछ गलत किया तो इसमें मैं क्या कर सकता हूं.”
मसूद ने कहा कि”मेरी इतनी औकात नहीं है कि मैं 5 करोड़ रुपये सहारनपुर से जमा करके पार्टी को दे सकूं,अगर ये मेरा गुनाह है तो मैं कुछ नहीं कह सकता हूं.मैं छोटा सा किसान हूं,मैं कोई उद्योगपति नहीं हूं,मेरे पास लोग हैं,वोट हैं लेकिन मेरे पास नोट नहीं है.जनता मुझे पैसा देती और चुनाव लड़ाती है.मैंने यही बात बहनजी से कही थी कि मेरे पास पैसे नहीं हैं.”

लोकसभा चुनाव में बसपा को पता चल जाएगा’

उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव में सहारनपुर मेयर की टिकट अपने परिवार के सदस्य को देने और फिर लोकसभा चुनाव में टिकट के लिए पार्टी पर दबाव बनाने के आरोप को लेकर मसूद ने कहा कि लोकसभा चुनाव में पता चल जाएगा. उन्होंने कहा कि ” बसपा को पहले 8000 वोट सहारनपुर में मिले थे,अब डेढ़ लाख मिले हैं.ये सवाल मुझसे क्यों पूछा जा रहा है,सवाल तो बसपा से पूछा जाना चाहिए कि डेढ़ लाख वोट लाने वाले को पार्टी से क्यों निकाला जा रहा है.आप जीतते हुए उम्मीदवार को क्यों निकाल रहे हो.”

मैं लोकसभा चुनाव लड़ूंगा’

मसूद ने कहा कि जो लोकसभा चुनाव लड़ेगा वो बसपा के भरोसे तो लड़ नहीं रहा.मैं लोकसभा चुनाव तो लड़ूंगा.मेरे पास अपना सेटअप है.मैं जहां-जहां गया हूं,वोट उसी तरफ ट्रांसफर होता चला गया है.उन्होंने कहा कि अगर इंडिया गठबंधन में बसपा नहीं गई तो जीरो पर बहनजी आउट होंगी.उन्होंने अंत में कहा कि बसपा के जिस भी कार्यक्रम में मुझे बुलाया गया,ऐसा नहीं हुआ कि मैं नहीं गया.असल में बसपा ने लखनऊ बैठक में इमरान को बुलाया ही नहीं गया था।

200 रुपए शुल्क, 75 हजार फॉर्म; मायावती के जिस ‘किताब’ के चक्कर में इमरान निपटे, क्या है उसका आर्थिक गणित?

अविनीश मिश्रा

जानकारों का कहना है कि सदस्यता वाली किताबें बसपा की राजनीति का मुख्य आधार है.यह उन नेताओं को दी जाती है,जो लोकसभा या विधानसभा में टिकट के दावेदार होते हैं.

मायावती के साथ इमरान मसूद (Photo- ABP File)

मायावती ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जमें नेता इमरान मसूद को पार्टी से निकाल दिया है.बसपा ने मसूद पर सदस्यता वाली किताबों में गड़बड़ी का आरोप लगाया है.बसपा ने लेटर जारी कर कहा है कि समय बीतने पर भी मसूद ने सदस्यता की किताबें वापस नहीं की है.

बसपा के लेटर के बाद मायावती की सदस्यता वाली किताबें एक बार फिर चर्चाओं में हैं. बसपा संगठन में यह पहली बार नहीं है, जब किसी नेता पर किताबों के हिसाब-किताब में गड़बड़ का आरोप लगा है.

मायावती पहले भी सदस्यता वाली किताब में गड़बड़ी का आरोप लगाकर नसीमुद्दीन सिद्दीकी और इंद्रजीत सरोज को पार्टी से निकाल चुकी हैं. जानकारों का कहना है कि सदस्यता वाली किताबें बसपा की राजनीति का मुख्य आधार है. यह उन नेताओं को दिया जाता है, जो लोकसभा या विधानसभा में टिकट के दावेदार होते हैं.

यहां मायावती के इसी सदस्यता वाली किताबों के बारे में विस्तार से जानते हैं…

पहले जानिए मसूद ने क्या कहा है?
बसपा से निष्कासन के बाद इमरान मसूद ने कहा है कि सदस्यता को सहारनपुर से मायावती ने पार्टी के लिए पांच करोड़ रुपये मांगे गए थे.मेरी इनकी औकात नहीं है कि मैं पांच करोड़ रुपये दूं.मैने बहनजी से पहले ही कह दिया था कि मेरे पास आदमी हैं,वोट हैं,मगर नोट नहीं है.

मसूद ने कहा कि मायावती अगर गठबंधन में नहीं आती हैं, तो जीरो पर सिमट जाएंगी.मसूद 10 महीने पहले ही सपा का दामन छोड़ बहुजन समाज पार्टी में शामिल हुए थे.उस वक्त उन्हें 4 जोन की कमान मायावती ने सौंपी थी.

मायावती के डायरी का आर्थिक गणित
बहुजन समाज पार्टी के संविधान के मुताबिक कोई भी व्यक्ति पार्टी की सदस्यता लेता है,तो उसे प्रति वर्ष 10 रुपए का शुल्क पार्टी कार्यालय में जमा करना होगा. बसपा छोड़ चुके एक नेता के अनुसार टिकट के दावेदार सदस्य बनवाते हैं,तो उस सदस्य से 20 साल का शुल्क लिया जाएगा.यानी सदस्यता लेते समय उस सदस्य को कुल 200 रुपए जमा करने होंगे.

(Source- ECI)

बसपा सूत्रों के अनुसार विधायकी के दावेदार को एक डायरी मेंटेन करने को दी जाती है,जिसमें लगभग 75 हजार फॉर्म रहते हैं. दावेदार पूरे फॉर्म भरवाने में सफल होते हैं, तो एक डायरी से पार्टी फंड में लगभग 1.5 करोड़ रुपए आता है.
उत्तर प्रदेश में विधानसभा की कुल 403 और लोकसभा की 80 सीटें हैं.
इसी तरह लोकसभा के दावेदार को कम से कम 5 डायरी मेंटेन करने को दी जाती है.जोनल कॉर्डिनेटर पर 20-25 डायरी मेंटेन का जिम्मा रहता है.डायरी की रिपोर्ट मायावती सीधे जोनल कॉर्डिनेटर से लेती हैं.
कई बार एक-एक सीट पर टिकट के 2 दावेदार रहते हैं. ऐसे में टिकट का फैसला डायरी के आधार पर ही लिया जाता है.

पार्टी फंड का सबसे बड़ा सोर्स है सदस्यता डायरी

बसपा के एक नेता नाम न बताने की शर्त पर कहते हैं- बड़े दलों को पूंजीपतियों से चंदा मिलता है,जबकि बसपा की राजनीति मूवमेंट आधारित है.पार्टी फंड का सबसे बड़ा सोर्स सदस्यता डायरी ही है.
नेता एडीआर रिपोर्ट का भी हवाला देते हैं, जिसमें कहा गया है कि बसपा को 20 हजार से ज्यादा का चंदा नहीं मिलता है.
एडीआर ने 2019-20 की एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी. इसके अनुसार भाजपा के बाद मायावती की पार्टी ही है, जिसके पास सबसे अधिक संपत्ति है.एडीआर के अनुसार बसपा के पास करीब 698 करोड़ की संपत्ति है.

पार्टी फंड में सहयोग के साथ-साथ डायरी मूवमेंट को भी मजबूती प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. बसपा सूत्रों के मुताबिक डायरी कोई नेता मेंटेन नहीं कर पाता है,तो उससे उस इलाके की जिम्मेदारी समय रहते ले ली जाती है.

विवादों में मायावती की सदस्यता डायरी, 2 किस्सा…

नसीमुद्दीन ने ऑडियो रिकॉर्ड वायरल कर दिया- 2017 में बसपा में नंबर-2 रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एक ऑडियो वायरल कर दिया.नसीमुद्दीन ने दावा किया कि ऑडियो में मायावती की आवाज है.वायरल ऑडियो ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में हड़कंप मचा दिया था.

ऑडियो में मायावती कथित तौर पर नसीमुद्दीन से मेरठ, मुरादाबाद और सहारनपुर मंडल के डायरी का हिसाब-किताब करने का निर्देश दे रही थीं.नसीमुद्दीन के अनुसार मायावती फोन पर सभी 4 मंडल में टिकट के दावेदारों से डायरी के जरिए पैसे मांग रही थीं.
बसपा ने नसीमुद्दीन के ऑडियो पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. पार्टी का कहना था कि नसीमुद्दीन पर कार्रवाई की गई, इसलिए ऐसा अनर्गल आरोप लगा रहे हैं.

सरोज ने कहा कि पैसा नहीं वसूल सकता हूं,इस्तीफा ले लो- सितंबर 2017 में कौशांबी के कद्दावर नेता इंद्रजीत सरोज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बड़ा धमाका कर दिया. सरोज ने कहा कि मायावती ने मुझे फोन कर पैसे वसूलने को कहा है,जिससे मैंने इनकार कर दिया है.
सरोज ने पत्रकारों से कहा था- मायावती ने मुझे फोन पर कहा कि 15 लाख रुपए की जरूरत है.डायरी लेकर इसे पूरा करिए.मैंने इनकार किया तो उन्होंने पार्टी से निकालने की धमकी दे दी. बसपा में अघोषित इमरजेंसी है. इसलिए मैंने पार्टी से अलग होने का फैसला किया है.

तब सरोज अपने साथ कौशांबी और प्रयागराज की पूरी यूनिट सपा में लेकर चले गए. वर्तमान में वे विधायक और सपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं.

खराब परफॉर्मेंस के बावजूद इनकम में कमी नहीं
एडीआर के मुताबिक 2012-13 में बहुजन समाज पार्टी की कुल आय 87.63 करोड़ रुपए थी.बसपा इसी साल उत्तर प्रदेश की सत्ता से बाहर हुई थी. पार्टी इसके बाद 2014, 2017 के चुनाव में बुरी तरह हारी.2019 के चुनाव में भी पार्टी को बड़ी सफलता नहीं मिली, जबकि 2022 में पार्टी उत्तर प्रदेश में सिर्फ 1 सीट पर सिमट कर रह गई.
इसके बावजूद पार्टी के कोष पर कोई असर नहीं पड़ा. रिपोर्ट के मुताबिक 2021-22 में बसपा की कुल आय 85.17 करोड़ रुपए है.

बहुजन समाज पार्टी की स्थापना साल 1984 में कांशीराम ने की थी. 1993 में पार्टी पहली बार उत्तर प्रदेश की सत्ता में आई. 1995 में मायावती बसपा की तरफ से पहली बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं. 2001 में बसपा की कमान मायावती के हाथों में आ गई।

2007 में पहली बार पूर्ण बहुमत से मायावती ने सरकार बनाईं. हालांकि, 2012 में मायावती की पार्टी सत्ता से बाहर हो गई, तब से विपक्ष की भूमिका में ही पार्टी है.

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