संपादकीय:फैक्टर ‘M’ से पछाडेगी केजरीवाल को कांग्रेस?

 

Congress Party Trying To Defeat Arvind Kejriwal
संपादकीयम आम आदमी पार्टी की सफलता का राज बना ‘M’ फैक्टर, केजरीवाल के विजय रथ रोकने जा रही कांग्रेस

गैर भाजपा शासित राज्यों की सरकारों द्वारा मुफ्त में बिजली-पानी जैसी सुविधाएं और साइकिल-स्कूटी से लेकर किताब-पोशाक तक मुफ्त बांटने के वादे बीजेपी की राह में रोड़ा अटका सकते हैं। देश के संविधान में इस तरह का प्रावधान न होने के बावजूद यह सिलसिला जोर पकड़ता जा रहा है। आम आदमी पार्टी ने पहली बार मुफ्त बिजली-पानी का वादा किया था। दिल्ली में इस वादे पर कामयाबी मिली तो पार्टी ने इसे पंजाब में भी आजमाया और कामयाबी हासिल की। अब तो दूसरे राज्यों में भी इसकी होड़ लगी हुई है।

 

हाइलाइट्स
गैर भाजपा शासित राज्यों में ‘मुफ्त’ बना कामयाबी का टूल
आम आदमी पार्टी को मुफ्त बिजली-पानी पर मिली सफलता
AAP ने पंजाब में भी इसी वादे पर हासिल की थी कामयाबी
कर्नाटक में कांग्रेस की जीत में भी मुफ्त बिजली की भूमिका

प्रधानमंत्री, आर्थिक मामलों के जानकार और सर्वोच्च अदालत (Supreme Court) ने इस बात पर चिंता जाहिर की है कि कई राज्य सरकार जनता को मुफ्तखोर बना रही हैं। ये खतरनाक है। इसे सीधे-सीधे आर्थिक विकास की नीतियों को अपने लक्ष्य से भटकाव कहना ज्यादा उचित होगा। हालांकि जनता को मुफ्त सुविधाएं देने का कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है और वित्तीय मामलों के जानकार इसे खतरनाक कदम के रूप में देखते हैं, फिर भी राजनीतिक दल मुफ्त सुविधाएं देने की हड़बड़ी में दिख रहे हैं। भाजपा रेवड़ियां बांटने के खिलाफ है और विपक्षी दल फ्री के प्रति मुखर हैं। दिल्ली, पंजाब और कर्नाटक में मुफ्त बिजली के वादे ने भाजपा की हवा निकाल दी। अगर इस साल होने वाले चुनावों में गैर भाजपा सरकार ने मुफ्त सुविधाओं-सेवाओं की चाल चली तो भाजपा के लिए न सिर्फ विधानसभा चुनावों, बल्कि लोकसभा चुनावों में भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

मुफ्त बिजली देने की परिपाटी AAP ने शुरू की

दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने जनता को मुफ्त बिजली-पानी देने का जो सिलसिला शुरू किया, वह अब अधिकतर गैर भाजपा शासित राज्यों में परवान पर है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) ने पहली बार असेंबली इलेक्शन में मुफ्त बिजली-पानी का वादा जनता से किया था। सरकार बनी तो उसे व्यवहार में भी लाई। उसके बाद पंजाब में भी मुफ्त की बिजली (एक निश्चित सीमा तक) देने की घोषणा की। वहां भी उसे कामयाबी मिल गई। आप को लगातार इस ‘मुफ्त’ की रेवड़ी से मिल रहे फायदे को देख कर दूसरे राज्यों में सत्ता में बैठी पार्टियों ने भी निश्चित सीमा तक बिजली फ्री करने या सब्सिडी देने का चलन शुरू किया है। कर्नाटक में हाल ही संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 5 गारंटी का वादा किया था। उसमें 200 यूनिट फ्री बिजली देने की भी बात थी। कैबिनेट की पहली ही बैठक में 5 गारंटी स्कीम को सैद्धांतिक स्वीकृति दे दी गई। यानी वहां भी 200 यूनिट मुफ्त की बिजली जनता को मिलेगी। बिहार में बिजली पर सब्सिडी है तो बंगाल और झारखंड में भी 100 यूनिट तक बिजली मुफ्त मिल रही है।

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दिल्ली में मुफ्त-अनुदानित सुविधाओं की भरमार

अप्रैल 2023 में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार ने बिजली पर दो तरह की सुविधाएं दी हैं। अगर कोई 200 या इससे कम यूनिट बिजली की खपत करता है तो उसे कोई शुल्क नहीं देना होगा। पर, 201 से 400 यूनिट के बीच किसी के यहां बिजली की खपत है तो उसे आधी कीमत ही चुकानी पड़ती है। यानी 50 प्रतिशत सब्सिडी मिलती है। दिल्ली सरकार ने सिर्फ बिजली ही नहीं, बल्कि पानी, इंटरनेट, तीर्थयात्रा, सर्जरी, बस में सफर जैसी कई चीजों को लगभग फ्री कर दिया है या उस पर अनुदान देकर लोगों को राहत दी है। दिल्ली सरकार राज्य के लोगों को हर महीने 20 हजार लीटर पानी मुफ्त में दे रही है।

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दिल्ली में और क्या-क्या मुफ्त में दे रही सरकार

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बसों में सफर करने वाली महिलाओं को किराए से छूट दी है। यानी कोई महिला अगर दिल्ली में बस का सफर करती है तो उसे कोई किराया नहीं देना पड़ेगा। केजरीवाल सरकार ने वरिष्ठ नागरिक (Senior Citizen) को बिना किसी किराये के तीर्थ यात्रा की सुविधा दी है। दिल्ली सरकार मुफ्त सर्जरी स्कीम भी चला रही है। मुफ्त सर्जरी योजना में 1100 ऑपरेशन बिना शुल्क होते हैं। यह सुविधा प्राइवेट हास्पिटल में भी सरकार मुहैया कराती है, लेकिन इसके लिए शर्त है कि सरकारी हॉस्पिटल सर्जरी के लिए रेफर करे। सड़क दुर्घटना में घायल के फ्री इलाज की सुविधा भी दिल्ली सरकार दे रही है। प्राइवेट अस्पताल भी इसके लिए कोई शुल्क नहीं लेंगे। अब तो दिल्ली में फ्री वाईफाई की सुविधा भी उपलब्ध हो गई है। दिल्ली की कॉलोनियों में सीवर कनेक्शन मुफ्त मिलता है। यानी पहले डेवलपमेंट, कनेक्शन और रोड कटिंग का जो चार्ज लगता था, उससे लोगों को मुक्ति मिल गई है। इतना ही नहीं, दिल्ली सरकार कॉलोनी और गांवों में सेप्टिक टैंक की सफाई भी मुफ्त में कराती है। जय भीम मुख्यमंत्री प्रतिभा विकास योजना के तहत सभी जाति/ वर्ग के गरीब बच्चों को लाभ मिल रहा है। पहले यह योजना सिर्फ एससी के अलावा ओबीसी के बच्चों के लिए थी।

पंजाब में AAP सरकार फ्री बिजली के वादे पर बनी

पंजाब में विधानसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की तरह फ्री बिजली का वादा किया था। सरकार बनते ही मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 300 यूनिट बिजली फ्री कर दी। हालांकि दिल्ली में AAP सरकार 200 यूनिट बिजली ही मुफ्त में देती है। पंजाब में हर दो महीने पर बिजली का बिल आता है। हर महीने 300 के हिसाब से प्रत्येक बिल पर 600 यूनिट मुफ्त बिजली सरकार दे रही है।

मुफ्त बिजली पर आप की नकल कर रहे दूसरे दल

मुफ्त बिजली देने की जो परिपाटी आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में शुरू की और पंजाब में कामयाबी का इसे टूल बनाया, उसे देख कर दूसरे राज्यों में भी नकल होने लगी है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही कांग्रेस के पांच गारंटी पर सैद्धांतिक सहमति दे दी। इनमें एक गारंटी 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने की है। कर्नाटक में सभी घरों को 200 यूनिट बिजली फ्री मिलेगी। बंगाल और झारखंड में भी 100 यूनिट तक बिजली फ्री दी जा रही है। चुनावों के वक्त मौजूदा सत्ताधारी दलों ने जनता से इसका वादा किया था। बिहार में अभी तक फ्री बिजली तो नहीं मिल रही है, लेकिन राज्य सरकार खासा सबसिडी देती है। जिस तरह मुफ्त बिजली की घोषणाओं का जनता पर सीधा असर दिखता रहा है, वैसे में आने वाले चुनाव के दौरान कुछ और राज्यों में भी बिजली फ्री हो जाए तो कोई आश्चर्य नहीं। खासकर उन राज्यों में, जहां गैर भाजपा सरकार है। इस साल होने वाले असेंबली इलेक्शन के मद्देनजर राजस्थान में अशोक गहलोत ने भी 100 यूनिट बिजली फ्री देने की घोषणा कर दी है। देखना है कि उनका तीर निशाने पर लगता है या चूक जाता है।

लैपटॉप, स्कूटी, साइकिल और पोशाक तक फ्री

बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने सबसे पहले स्कूली छात्राओं को साइकिल और पोशाक बांटने की शुरुआत की थी। धीरे-धीरे यह योजना दूसरे राज्यों तक पहुंच गई। अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने छात्रों को टैब बांटे। बेरोजगारों को कई राज्यों में बैठे-बिठाए निश्चित रकम भत्ते के तौर पर मिल रही है। स्कूली बच्चों को किताबें निःशुल्क मुहैया कराई जा रही हैं। ऐसे लोकलुभावन वादे किसी राजनीतिक दल को सत्ता तक पहुंचने की सीढ़ी बनते रहे हैं। बिजली-पानी के बिल जैसे वादे मतदाताओं को ज्यादा आकर्षित और प्रभावित करते हैं।

मुफ्त की रेवड़ियां बांटना आर्थिक रूप से खतरनाक

मुफ्त सुविधाएं देने के राजनीतिक दलों में बढ़ते चलन को लेकर साल 2022 में सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल दाखिल की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र सरकार से चुनावों के दौरान मुफ्त सुविधाएं देने की प्रथा पर लगाम लगाने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राजनीतिक दल सार्वजनिक धन से तर्कहीन मुफ्त सुविधाएं देने के वादों पर नियंत्रण करें। सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भी कहा कि यह गंभीर मुद्दा है। पर, राजनीतिक रूप से इस पर नियंत्रण मुश्किल है। वित्त आयोग राज्यों का आवंटन करता है। वही राज्य के कर्ज और मुफ्त सुविधाओं को ध्यान में रख सकता है। वित्त आयोग इससे निपटने के लिए उपयुक्त है। प्रधानमंत्री भी रेवड़ी बांटने की संस्कृति से सचेत रहने की चेतावनी दे चुके हैं। फिर भी मुफ्त में सुविधा-सेवा की परंपरा पर विराम लगता नहीं दिख रहा है।

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