इकोनोमिक सर्वे: ‘V’ शेप रिकवरी होगी अर्थव्यवस्था में

इकोनॉमिक सर्वे में टीम इंडिया के ऑस्ट्रेलिया में कमबैक से की तुलना, CEA ने महाभारत और 3 इडियट्स का भी किया जिक्र
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ( nirmala sitharaman) ने शुक्रवार को लोकसभा में इकोनॉमिक सर्वे 2021 (Economic Survey 2021) पेश किया है. इसमें देश के आर्थिक स्वास्थ्य की तस्वीर होती है और आगे किस तरह के ग्रोथ का अनुमान हैं इस बारे में जानकारी दी होती है

इकोनॉमी में होगी ‘V’ शेप रिकवरी

नई दिल्ली 29 जनवरी : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM nirmala sitharaman) ने शुक्रवार को लोकसभा में इकोनॉमिक सर्वे 2021 (Economic Survey 2021) पेश किया है. इसमें देश के आर्थिक स्वास्थ्य की तस्वीर होती है और आगे किस तरह के ग्रोथ का अनुमान है इस बारे में जानकारी दी होती है. सर्वे की बात करें तो मौजूदा वित्‍त वर्ष में देश की आर्थिक विकास दर (GDP) में 7.7 फीसदी गिरावट का अनुमान है. वहीं, वित्त वर्ष 2021-22 के लिए GDP ग्रोथ 11 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है. बता दें कि मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति वी. सुब्रह्णण्यम ने सर्वे की भूमिका में भारतीय अर्थव्यवस्था की V-आकार की रिकवरी की तुलना ऑस्ट्रेलिया गई भारतीय क्रिकेट टीम के दौरे से की है, जो पहले मैच में 36 रन पर ऑल आउट होने के बाद भी सीरिज जीतने में कामयाब रही थी.

दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था होगा भारत

वी. सुब्रह्णण्यम और उनकी टीम द्वारा लिखित सर्वेक्षण की सबसे मुख्य बात यही है कि भारत अगले दो वर्षों में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनकर उभर सकता है. उन्होंने कहा कि इंडियन इकोनॉमी भी कुछ इसी तर्ज पर रही है. बता दें भारतीय अर्थव्यवस्था ने भी पहली तिमाही में 24 फीसदी का आर्थिक संकुचन (कॉन्ट्रैक्शन) देखने के बाद चौथी तिमाही में अनुमानित 3.1 फीसदी की वृद्धि दर्ज की है।

इकोनॉमी की रिकवरी के लिए उठाए जाएंगे ठोस कदम, जानें क्या है केंद्र सरकार का आगे का प्लान

इससे पहले,संसद के बजट सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के साथ हुई. आम बजट पेश किए जाने के पूर्व आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाता है.इसमें देश अर्थव्‍यवस्‍था का पूरा लेखा जोखा रहता है.

निवेश बढ़ाने पर रहेगा जोर

आर्थिक सर्वेक्षण में वित्त मंत्री ने कहा कि निवेश बढ़ाने वाले कदमों पर जोर रहेगा. इसके अलावा ब्याज दर कम होने से बिजनेस इक्विटी बढ़ेगी. साथ ही कोरोना वैक्सीन के आ जाने के बाद से महामारी पर भी काबू पाया गया है. वित्त मंत्री ने कहा कि आगे इकोनॉमिक रिकवरी के लिए ठोस कदम उठाए जाने हैं, जिसके बाद इंडियन इकोनॉमी कोरोना वायरस के प्रभाव से निकलकर जबरदस्त बाउंस बैक करेगी.

41061 स्टार्टअप्स को दी मान्यता

23 दिसंबर 2020 तक, GoI ने कुल 41061 स्टार्टअप्स को मान्यता दी है और 39,000 से अधिक स्टार्टअप्स द्वारा 4,70,000 नौकरियों की सूचना दी गई है. 1 दिसंबर 2020 तक, सिडबी (SIDBI) ने 60 सेबी द्वारा पंजीकृत वैकल्पिक निवेश कोष (AIFs) के लिए फंड की निधि से स्टार्टअप्स (FFS) के लिए 4326.95 करोड़ रुपये का भुगतान किया है,जिसमें कुल 10,000 करोड़ रुपये का कोष है. इन फंडों ने 1,598 करोड़ रुपये का कोष कोष जुटाया है. FFS से 1270.46 करोड़ रुपये निकाले गए हैं और 4509.16 करोड़ रुपये 384 स्टार्टअप्स में लगाए गए हैं.

इकाेनॉमी को झटका, दिसंबर में कोर इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में आई 1.3 फीसदी की गिरावट

आठ सेक्टरों में केवल कोल और इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर में तेजी आई है. जबकि क्रूड ऑयल, नैचुरल गैस, रिफाइनरी प्रोडक्ट्स, फर्टिलाइजर, स्टील और सीमेंट जैसे सेक्टरों में रहा कमजोर प्रदर्शन.
क्रूड ऑयल, नैचुरल गैस, रिफाइनरी प्रोडक्ट्स, फर्टिलाइजर, स्टील और सीमेंट में क्रमश: 3.6%, 7.2%, 2.8%, 2.9%, 2.7% और 9.7% की गिरावट दर्ज की गई.
संसद में पेश हुए आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट के बीच शुक्रवार को इंफ्रास्ट्रक्चर गतिवधियों को पैरामीटर माने जाने वाले आठ कोर इन्फ्रा सेक्टर इंडेक्स के आंकड़े भी जारी हुए है. दिसंबर महीने में आठ कोर इन्फ्रा सेक्टर इंडेक्स में 1.3 फीसदी की गिरावट आई है. इसकी वजह क्रूड ऑयल, नैचुरल गैस, रिफाइनरी प्रोडक्ट्स, फर्टिलाइजर, स्टील और सीमेंट जैसे सेक्टरों में कमजोर प्रदर्शन है. जबकि, दिसंबर 2019 में इन कोर सेक्टर में 3.1 फीसदी की तेजी दर्ज की गई थी.
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्ट्री) की तरफ से कोर इंफ्रा का डेटा जारी किया गया है. इसके मुताबिक क्रूड ऑयल, नैचुरल गैस, रिफाइनरी प्रोडक्ट्स, फर्टिलाइजर, स्टील और सीमेंट में क्रमश: 3.6%, 7.2%, 2.8%, 2.9%, 2.7% और 9.7% की गिरावट दर्ज की गई. सबसे ज्यादा सीमेंट सेक्टर प्रभावित हुआ.
आठ सेक्टरों में केवल कोल और इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर में तेजी आई है. कोल में 2.2 प्रतिशत की तेजी आई है.हालांकि इससे पिछले महीने यानी नवंबर में ग्रोथ 6.1 प्रतिशत थी. यानी इसकी भी ग्रोथ कमजोर हुई है.वहीं,इलेक्ट्रिसिटी में 4.2 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया गया है.बिजली मंत्री आर के सिंह ने कहा कि बिजली मांग गुरुवार को अबतक के रिकॉर्ड स्तर 1,88,452 मेगावाट पहुंच गई और जल्दी ही इसके 2,00,000 मेगावाट को पार कर जाने की उम्मीद है. कोरोना महामारी के बीच अप्रैल-दिसंबर 2020 के बीच कोर इन्फ्रा सेक्टर के आउटपुट में 10.10 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई.उससे पिछले साल की पिछली छमाही में इन सेक्टरों के आउटपुट में 0.60 फीसदी की तेजी दर्ज की गई थी.
आईआईपी में 40 फीसदी योगदान देते हैं 8 कोर सेक्टर
क्रूड ऑयल में 3.6 फीसदी,नैचुरल गैस में 7.2 फीसदी, रिफाइनरी प्रोडक्ट्स में 2.8 फीसदी,फर्टिलाइजर में 2.9 फीसदी,स्टील में 2.7 फीसदी,सीमेंट में 9.7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.बता दें कि इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन इंडेक्स यानी IIP में आठ कोर इन्फ्रा सेक्टर का योगदान 40.27 फीसदी है.ऐसे में कोर इन्फ्रा आउटपुट में गिरावट बुरी खबर है.

बिजली की मांग रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची

बिजली मंत्री ने शुक्रवार को ट्विटर पर लिखा,‘बिजली की मांग 28 जनवरी,2021 को सुबह 9.42 पर नए रिकॉर्ड स्तर 1,88,452 मेगावाट पहुंच गई.हम जिस दर से आगे बढ़ रहे हैं,जल्दी ही 2,00,000 मेगावाट को पार कर जाएंगे.’एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा,‘दक्षिणी क्षेत्र में 28 जनवरी को सुबह 9.49 मिनट पर मांग सर्वाधिक 53,214 मेगावाट रही.’इससे पहले, 20 जनवरी को बिजली मांग 1,87,300 मेगावाट के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गयी थी. बिजली मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार बिजली की अधिकतम मांग पिछले साल जनवरी में 1,70,970 मेगावाट तक गई थी.बिजली मांग में वृद्धि आर्थिक गतिविधियों में तेजी को बताता है.


Economic Survey 2021 में पश्चिम बंगाल पर निशाना!

आयुष्मान भारत लागू नहीं करने के कारण पड़ोसियों से पिछड़ा राज्‍य

शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) में गिरावट क्रमशः 20 फीसदी और 12 फीसदी दर्ज की गई. इस प्रकार पीएमजेएवाई राज्यों में 8 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई.
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं. केंद्र में सत्त्ताधारी पार्टी भाजपा पश्चिम बंगाल में चुनाव जीतने के लिए पूरा जोर लगा रही है. इसी बीच, शुक्रवार को संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में पहली बार पश्चिम बंगाल का दूसरे राज्यों से पिछड़ने की तस्वीर बताई गई है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश करते हुए बताया कि जिन राज्यों ने इस आयुष्मान भारत स्वास्थ्य योजना को अपनाया, उन राज्यों में इसका मजबूत सकारात्मक परिणाम सामने आया है. सर्वे में असम, बिहार, सिक्किम और पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य मानकों पर तुलना कर इसे दिखाया गया है.

नेशनल डायलिसिस मिशन को पीएमजेएवाई के साथ मिलाने के संकेत

सर्वेक्षण के मुताबिक योजना के तहत महामारी और लॉकडाउन के समय भी डायलिसिस जैसी सुविधाएं बिना किसी बाधा के सुचारू रूप से जारी रहीं. सामान्य दवाएं, मुख्य रूप से विशेषज्ञ क्लीनिकल सेवाएं लॉकडाउन के दौरान भी सुधार देखा गया. आर्थिक समीक्षा में यह संकेत मिल रहा है कि राष्ट्रीय डायलिसिस मिशन को पीएमजेएवाई के साथ मिलाया जा सकता है. वहीं, पीएमजेएवाई न अपनाने वाले राज्यों में संस्थागत जन्म, सार्वजनिक सुविधा में संस्थागत जन्म और घरों में जन्म के मामले अधिक हैं. जबकि सीजेरियन जन्म देने वालों के मामले पीएमजेएवाई अपनाने वाले राज्यों में इसे न अपनाने वाले राज्यों की तुलना में अधिक है.
ऐसी है पीएमजेएवाय
पश्चिम बंगाल सरकार ने प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पी एमजेएवाय, PMJAY) योजना लागू नहीं की है. पीएम जेएवायसरकार की आयुषमान भारत योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.इसे 2018 में समाज के वंचित एवं कमजोर वर्ग को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू किया गया था.PMJAY का इस्तेमाल कम मूल्य में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के सामान्य उपयोग के लिए किया जा रहा है.

सर्वे के आंकड़ों से समझें कितना पिछड़ गया पश्चिम बंगाल

आर्थिक समीक्षा के मुताबिक बिहार,असम और सिक्किम में स्वास्थ्य बीमा अपनाने वाले घरों में 2015-16 से लेकर 2019-20 तक 89 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई.जबकि इसी दौरान पश्चिम बंगाल में 12 फीसदी तक की कमी हुई है.
वर्ष 2015-16 से 2019-20 तक पश्चिम बंगाल में नवजात शिशुओं की मृत्यु दर में 20 फीसदी तक की कमी दर्ज की गई है, जबकि उसके तीन पड़ोसी राज्यों में 28 फीसदी तक की कमी दर्ज की गई है.
पश्चिम बंगाल में दो बच्चों के बीच अंतर में कोई महत्वपूर्ण गिरावट नहीं देखी गई है जबकि तीनों पड़ोसी राज्यों में 37 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.

सर्वे में बताई गई पीएमजेएवाय की कामयाबी

शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) में गिरावट क्रमशः 20 फीसदी और 12 फीसदी दर्ज की गई. इस प्रकार पीएमजेएवाई राज्यों में 8 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई.
सभी राज्यों में परिवार नियोजन अपनाने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. जिन राज्यों में पीएमजेएवाई को अपनाया गया है वहां पर इसमें महत्वपूर्ण रूप से बढ़त देखने को मिली है.
पीएमजेएवाई अपनाने वाले राज्यों में अनियोजित परिवार नियोजन वाली महिलओं में 31 फीसदी तक की कमी दर्ज की गई है, जबकि पीएमजेएवाई न अपनाने वाले राज्यों में यह कमी केवल 10 फीसदी दर्ज की गई.

महाभारत का जिक्र कर बताया लॉकडाउन का मकसद

मुख्‍य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि कोरोना संकट के दौरान महाभारत में बताए गए मानवीय सिद्धांत पर ही लॉकडाउन लगाया गया था.उन्‍होंने कहा कि महाभारत में’आपदि प्राणरक्षा हि धर्मस्य प्रथमांकुर’का सिद्धांत दिया गया है.इसका मतलब है कि आपदाग्रस्त जीव की प्राणरक्षा करना ही धर्म है. लॉकडाउन लोगों की जिंदगियां बचाने के लिए लगाया गया. उन्‍होंने कहा कि आर्थिक वृद्धि की रफ्तार फिर हासिल कर ली जाएगी, लेकिन लोगों की जिंदगी नहीं लौटाई जा सकती.

आयुष्‍मान भारत को 3 इडियट्स से जोड़ा

सीईए ने आयुष्‍मान भारत की अहमियत को समझाने के लिए 3 इडियट्स फिल्म का सहारा लिया. उन्‍होंने कहा कि फिल्‍म में फरहान और रैंचो, राजू के घर पर खाने के लिए जाते हैं. इस सीन में राजू की मां उसके पिता के इलाज के खर्चे बढ़ने और सैलरी का बड़ा हिस्सा उस पर खर्च होने के बारे में बात करती है. बाकी की सैलरी से घर के खर्चे चलने की बात करती है. वह कहती हैं कि इस चक्‍कर में बहन की शादी के लिए पैसे नहीं जुड़ पा रहे हैं. सीईए ने कहा कि यह सीन भारत में कई परिवारों के असली हालात को दिखाता है. इसी समस्या से निपटने के लिए आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना लाई गई

कवर पेज पर दिखाईं चुनौतियां और ग्रोथ

देश की इकोनॉमी की स्थिति और कोरोना महामारी के बीच इस बार का बजट काफी महत्वपूर्ण है. इस बार सर्वे के कवर पेज पर भी सरकार ने अपनी चुनौतियों और ग्रोथ को साफ कर दिया है. कवर में कोरोना के तराजू पर अर्थव्यवस्था, जिंदगियां और स्वास्थ्य के जोखिम को सुधार, बुनियादी ढांचा, आत्मनिर्भर भारत और वैक्सीन के वजन से हलका होता दिखाया गया है. इसके अलावा इसमें 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट की कुछ झलकियों के बारे में भी बताया गया है

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