आर्थिक सर्वेक्षण में पहाड़-मैदान की विषमता रेखांकित,इस साल वृद्धि दर पड़ेगी धीमी

उत्तराखंड आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट ने खोली पहाड़ और मैदानी विकास की विषमता! मैदानी जिलों के मुकाबले कई गुणा पीछे है पहाड़

Uttarakhand Economic Survey Report
Economic Survey Report of Uttarakhand उत्तराखंड में आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 की रिपोर्ट ने राज्य के ऐसे कई आंकड़े सार्वजनिक किये है,जो प्रदेश की अर्थव्यवस्था की विषमता दर्शा रहे हैं.विशेष बात ये है कि आंकड़ों ने उत्तराखंड में साल 2023-24 में पिछले साल की तुलना में अर्थव्यवस्था धीमी पड़ने का अनुमान लगाया है। लेकिन इसमें प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय से लेकर राजस्व कलेक्शन में बढ़ोत्तरी का भी संकेत है.

देहरादून 28 फरवरी 2024: उत्तराखंड विधानसभा में आज आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट पेश की गई. आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में साल 2022-23 के दौरान जीडीपी में 7.63% की वृद्धि हुई थी. जबकि, साल 2023-24 में यह वृद्धि 7.58% रहने की संभावना है. यानी इस साल प्रदेश में अर्थव्यवस्था की रफ्तार 0.5% कम रह सकती है. इसके अलावा प्रति व्यक्ति आय को लेकर अच्छी खबर ये है कि राज्य में साल 2023-24 में करीब 12.64% की वृद्धि होने जा रही है. यानी उत्तराखंड में प्रति व्यक्ति आय अगले एक साल में और भी बेहतर स्थिति में पहुंच जाएगी.

इस बीच कुछ आंकड़े ऐसे भी हैं, जो चिंता पैदा करने वाले हैं. आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड में सबसे ज्यादा जीडीपी हरिद्वार जिले की है. यहां 85,636 करोड़ रुपए की जीडीपी है. जबकि, राज्य में सबसे कम जीडीपी रुद्रप्रयाग जिले की है. यहां की जीडीपी मात्र 2,838 करोड़ रुपए है. यानी उत्तराखंड के भीतर पर्वतीय और मैदानी जिलों में जीडीपी को लेकर भारी अंतर दिखाई देता है. इसी तरह प्रति व्यक्ति आय में भी भले ही ओवरऑल प्रति व्यक्ति आय बढ़ती हुई दिखाई दे रही है, लेकिन मैदानी जिलों में इसका लोगों को ज्यादा फायदा मिल रहा है. जबकि, पर्वतीय जिलों में उस लिहाज से प्रति व्यक्ति आय नहीं बढ़ रही है.

उत्तराखंड में राजस्व बढ़ोत्तरी को लेकर भी अच्छी खबर है. क्योंकि, प्रदेश में साल 2023-24 के दौरान 9.63% राजस्व में बढ़ोत्तरी रिकॉर्ड किए जाने का अनुमान है. इसी तरह राज्य स्थापना से लेकर 2021 तक टैक्स कलेक्शन में 52 गुना की बढ़ोत्तरी हुई है. राज्य स्थापना के दौरान 233 करोड़ रुपए का टैक्स कलेक्शन था, जो कि 12,000 करोड़ से ज्यादा का हो चुका है. उधर, साल 2023-24 में अकेले 8,000 करोड़ से ज्यादा का टैक्स कलेक्शन किए जाने का अनुमान है. इसमें केंद्रीय कंपनसेशन भी शामिल है।

अर्थव्यवस्था ने लगाई लंबी छलांग:धामी

*मुख्यमंत्री ने कहा यह सुशासन और वित्तीय अनुशासन का है प्रमाण।*

मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी के कुशल नेतृत्व में प्रदेश की अर्थव्यस्था ने बड़ी छलांग लगाई है यह तथ्य आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट वर्ष 2023-24 में सामने आया है, जिसमें स्पष्ट है कि प्रदेश की विकास दर 7.58 फीसदी रही है, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है। वर्ष 2023-24 में अर्थव्यवस्था का आकार बढ़कर 346.20 हजार करोड़ पहुंच गया है, जबकि 2022-23 में इसका आकार 303.78 हजार करोड़ था। उत्तराखंड में प्रति व्यक्ति आय में भी 12.64 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। प्रति व्यक्ति आय बढ़कर 2 लाख 60 हजार 201 रुपये पहुंच गई है। वर्ष 2022-23 में यही आय 2 लाख 30 हजार 994 थी।

आर्थिक सर्वेक्षण से स्पष्ट है कि राज्य की अर्थव्यवस्था में सेकेंडरी सेक्टर का सबसे अधिक 46.84 प्रतिशत का योगदान रहा है। दूसरे नंबर पर टर्सरी सेक्टर यानी की सर्विस सेक्टर रहा है। सर्विस सेक्टर का अर्थव्यवस्था में 43.17 प्रतिशत योगदान रहा है। वहीं प्राइमरी सेक्टर यानी एग्रीकल्चर का अर्थव्यवस्था में 9.99 प्रतिशत योगदान रहा है। दिनांक 09 नवम्बर, 2000 को राज्य के अस्तित्व में आने के पश्चात वर्ष 2000-2001 में प्राप्त कर संग्रह 233 करोड़ था, जो कि वर्ष 2022-23 तक लगभग 52 गुना बढ़कर 12,028.68 करोड़ (2,135.60 करोड़ प्रतिकर धनराशि सहित) हो गया है। वर्ष 2023-24 में माह दिसम्बर, 2023 तक कुल राजस्व संग्रह 8,496.82 करोड़ (476.62 करोड़ प्रतिकर धनराशि सहित) रहा है।

उत्तराखंड में बेरोजगारी दर में भी भारी कमी देखने को मिली है। 2021- 22 में उत्तराखंड में 8.4 प्रतिशत बेरोजगारी दर थी, जो 2022-23 में घटकर 4.9 प्रतिशत रह गई। वहीं बहुआयामी गरीबी में भी भारी गिरावट आई है। वर्ष 2015-16 में उत्तराखंड में बहुआयामी गरीबी की दर 17.67 थी जो साल 2019-21 में घटकर 9.67 प्रतिशत रह गई। इन पांच साल के अंतराल में राज्य के कुल 9,17,299 लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले हैं। यही नहीं राज्य में बहुआयामी गरीबी की तीव्रता 2015-16 में 44.35 प्रतिशत थी जो 2019-21 में घटकर 41.99 प्रतिशत रह गई है। उत्तराखंड में 125000 लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य है। इसके विपरीत अभी तक 68 हजार 579 लखपति दीदी बनाई जा चुकी हैं।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा है कि राज्य की वित्तीय स्थिति एवं विकास की प्रगति को आर्थिक सर्वेक्षण में दर्शायी गई प्रगति राज्य के समग्र विकास की झलक प्रस्तुत करती है। यह सुशासन एवं वित्तीय अनुशासन का भी स्पष्ट प्रमाण है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि 2025 तक उत्तराखण्ड को देश के अग्रणी राज्यों में शामिल करने के हमारे प्रयासों में भी इससे गति मिलेगी। सरलीकरण, समाधान, निस्तारण और संतुष्टि के मूल मंत्र से जन समस्याओं के समाधान एवं योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन की राह आसान हुई है। यह हमारे विकसित एवं आदर्श उत्तराखण्ड के निर्माण के संकल्प को सिद्धि तक पहुंचाने में भी प्रेरणादायी होगा।

 

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