कोर्ट से ज्ञानवापी सर्वेक्षण को मिले चार सप्ताह, छह अक्टूबर तक मांगी रपट

कोर्ट ने ASI को ज्ञानवापी सर्वेक्षण को 4 हफ्ते दिए:6अक्तूबर तक मांगी रिपोर्ट, 35 वें दिन मसाजिद कमेटी ने टीम को रोका था

वाराणसी 08 सितंबर।ज्ञानवापी सर्वेक्षण को लेकर जिला कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने ASI टीम को 4 हफ्ते में सर्वेक्षण करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट में सर्वेक्षण की रिपोर्ट 6 अक्तूबर तक पेश करने का आदेश दिया। वहीं शुक्रवार सुबह अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने आज 35वें दिन ASI टीम को परिसर में जाने से रोका था। अंजुमन कमेटी ने कोर्ट के आदेश के बाद ही टीम को सर्वेक्षण के लिए अंदर जाने की बात कही थी। वहीं, गुरुवार को भी सर्वेक्षण शुरू होने के बाद मुस्लिम पक्ष ने विरोध जताया था, जिसके चलते सर्वेक्षण रोका गया था।

कोर्ट के फैसले के बाद ही टीम को अंदर जाने देंगे

अंजुमन कमेटी का कहना था कि कोर्ट के आदेश आने के बाद ही सर्वेक्षण की कार्रवाई को आगे बढ़ाया जाएगा। अधिकारियों ने ASI की टीम और मसाजिद कमेटी के पदाधिकारियों से बात की, लेकिन सहमति नहीं बन सकी थी। मसाजिद कमेटी का कहना है कि जिला जज की अदालत ने सर्वेक्षण और उसकी रिपोर्ट जमा करने के लिए 2 सितंबर तक की अनुमति दी थी।

सर्वेक्षण रिपोर्ट नहीं जमा की गई और जिला जज की अदालत ने 8 सप्ताह का समय और मांगा गया। आज सुनवाई के बाद ही फैसले के आधार पर आगे की कार्रवाई के लिए टीम को प्रवेश करने देंगे। ASI की 30 सदस्यीय टीम ज्ञानवापी परिसर में ही मौजूद रही।

 7 सितंबर को भी किया था विरोध

ज्ञानवापी परिसर में सर्वेक्षण पर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी तीन सितंबर से लगातार अपना विरोध दर्ज करा रही है। ASI की टीम से चार तारीख पर सुनवाई के बाद मुस्लिम पक्ष ने सर्वेक्षण नहीं करने की अपील की थी, लेकिन सर्वेक्षण जारी रहा। 7 सितंबर गुरुवार को मसाजिद कमेटी के विरोध से ASI की 30 सदस्यीय टीम ज्ञानवापी परिसर में सर्वेक्षण नहीं कर सकी।

समय बढ़ाने की याचिका पर हुई सुनवाई
जिलाधिकारी एस राजलिंगम और अपर पुलिस आयुक्त (कानून एवं व्यवस्था) ने एस चनप्पा मौके पर पहुंचे थे। उन्होंने समझाने का प्रयास किया लेकिन दोनों पक्षों की सहमति नहीं बनी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर 4 अगस्त से लगातार ज्ञानवापी परिसर में ASI का साइंटिफिक सर्वेक्षण का काम चल रहा है।

बेंगलुरु से आई टीम ने (GPR ग्राउंड पेनेट्रेटिंग राडार) सर्वे भी किया है। इस बीच परिसर में कई जगहों का चिह्नांकन किया गया है। अब तक ASI को सर्वेक्षण के दौरान कई महत्वपूर्ण सूत्र मिले हैं, जिसे हिंदू पक्ष अपने दावे की पुष्टि बताता रहा है।

अब तक सर्वेक्षण में हुए इतने काम

ज्ञानवापी में 27 दिन के सर्वेक्षण में ASI टीम के 40 सदस्य शामिल रहे। दीवारों और गुंबद में मिली कलाकृतियों और कारीगरी का आकलन हुआ। टीम ने ज्ञानवापी परिसर में वुजूखाना को छोड़कर पूरे परिसर का सर्वे किया। मस्जिद परिसर की पूरी पैमाइश के बाद केवल GPR सर्वेक्षण हुआ।

सदस्यों ने यूनिट के अनुसार, बाहरी दीवार, पश्चिमी दीवार, व्यासजी तहखाना समेत अन्य तहखाने, गुंबद और छतों का गहन अध्ययन किया। इन जगहों से सैंपल जुटाकर लैब में भेजे और प्राचीनता के लिए पुरातन दस्तावेजों से साक्ष्यों का मिलान किया गया है।

पिछले साल दिसंबर में लगाई थी याचिका

ज्ञानवापी से जुड़े शृंगार गौरी वाद की महिला वादियों (रेखा, सीता, मंजू, लक्ष्मी) ने पिछले साल दिसंबर में जिला जज की कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर 7 मामलों की सुनवाई एक साथ, एक ही कोर्ट में करने की मांग की थी। इसमें 6 सिविल जज सीनियर और किरन सिंह विसेन का एक केस 712/2022 भगवान आदि विश्वेश्वर केस फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रहा था।

इस केस पर जिला जज की अदालत ने 17 अप्रैल को आदेश पारित किया था कि उनकी कोर्ट में सभी 7 मामलों की फाइलों को रखा जाये। इसके बाद एक साथ सभी केस की सुनवाई का आदेश जिला जज ने दिया।

सभी केस राग-भोग, पूजा-दर्शन की मांग से जुड़े हैं

जिन 7 मामलों को क्लब करने की सुनवाई हुई, उसमें शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की भी याचिका शामिल है। इसमें उन्होंने वुजूखाने में मिले कथित शिवलिंग को आदि विश्वेश्वर का सबसे पुराना शिवलिंग बताया था जिनके राग-भोग, पूजा-दर्शन की मांग की गई है। वहीं ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग के साइंटिफिक सर्वेक्षण और कॉर्बन डेटिंग के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक चल रही है।

जिला कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक अपील

21 जुलाई को वाराणसी की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने ASI को सर्वे करके 4 अगस्त को रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा था।

सुप्रीम कोर्ट ने 26 जुलाई की शाम तक सर्वे पर रोक लगा दी और हाईकोर्ट जाने को कहा।
25, 26, 27 जुलाई को मुस्लिम पक्ष की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई।
27 जुलाई को कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया और 3 अगस्त को आदेश देने की बात कही।
3 अगस्त को हाईकोर्ट के जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा, ‘न्यायहित में सर्वेक्षण जरूरी है। मुझे इस तर्क में कोई दम नहीं दिखता कि बिना दीवार खोदे ASI नतीजे पर नहीं पहुंच सकता।’
3 अगस्त को इस आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट चला गया। 4 अगस्त को मुस्लिम पक्ष की अपील निरस्त हो गई, तब से 1 सितंबर तक सर्वेक्षण चला है।
बीच में 15 अगस्त को एक दिन के लिए सर्वेक्षण का काम रुका था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *