विवादित डॉक्टर कफील अंततः सेवा मुक्त

लखनऊ 13 नवंंब। उत्तरर प्रदेश की योगी सरकार ने गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के बाल चिकित्सा विभाग में कार्यरत रहे डॉक्टर कफ़ील ख़ान को बर्खास्त कर दिया है.

इस फ़ैसले की आधिकारिक पुष्टि प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा के प्रमुख सचिव आलोक कुमार से मिली है.

डॉक्टर कफ़ील के मुताबिक़, 6 अगस्त 2021 को सरकार ने हाई कोर्ट को जानकारी दी थी कि वो उनके ख़िलाफ़ दूसरी जाँच वापस ले रही है. उनके मुताबिक़ दूसरी जाँच तब शुरू की गई थी जब पहली जाँच में डॉक्टर कफ़ील को चिकित्सकीय लापरवाही और भ्रष्टाचार के आरोपों में क्लीन चिट मिली थी.

प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने कहा कि “सरकार ने यह कभी नहीं कहा था कि उनके ख़िलाफ़ एक्शन नहीं लेगी. अब तक सरकार ने कोई ऐसा बयान नहीं दिया है.

आरोपों को विस्तार से बताते हुए आलोक कुमार ने कहा कि, 2017 में जब वो पीडीऐट्रिक वार्ड के इंचार्ज थे. पहला आरोप था कि वो सरकारी डॉक्टर होते हुए प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे थे. जबकि सरकारी डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं कर सकते हैं.

दूसरा आरोप उन पर अपने कर्तव्यों में लापरवाही बरतने का था जिसकी वजह से कुछ बच्चों की मौत हुई. तीसरा आरोप यह था कि उन्होंने समय पर ऑक्सीजन की कमी के बारे में अस्पताल प्रबंधन को जानकारी नहीं दी थी.”

डॉक्टर कफ़ील का दावा है कि उन्हें हमेशा अदालतों से न्याय और राहत मिली है.

कल सोशल मीडिया पर जारी एक बयान में उन्होंने वर्तमान ऑर्डर को ऊंची अदालतों में चुनौती देने की बात कही है.

डॉक्टर कफ़ील ने आदेश की टाइमिंग के बारे में सवाल उठाते हुए कहा कि 10 नवम्बर को ही हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई थी लेकिन सरकार ने अदालत को मेरी बर्ख़ास्तगी की कोई जानकारी नहीं दी. और उसी शाम मीडिया को इसकी जानकारी दी गई.

डॉक्टर कफ़ील का दावा है कि जिलाधिकारी से लेकर प्रमुख सचिव स्तर की जांच में उन्हें क्लीन चिट मिली. हाई कोर्ट ने कहा है कि मेरे ख़िलाफ़ लापरवाही और भ्रष्टाचार के कोई सबूत नहीं हैं, फिर भी मुझे बर्खास्त कर दिया गया.

जाँच में देरी के आरोप के बारे में आलोक कुमार का कहना है कि, “जाँच पूरी होने में थोड़ा वक़्त ज़रूर लगा, लेकिन जाँच पूरी हो गयी थी. जाँच चलने के दौरान उन्हें सस्पेंड भी किया गया.”

“उन्होंने कोर्ट से कहा कि मुझे इतने लम्बे समय तक सस्पेंड किया है, जब कि दूसरे लोगों को सरकार ने जाँच पूरी कर फिर से बहाल कर दिया है. लेकिन असल में बात यह है कि जिनको बहाल किया उनकी जाँच पूरी होकर उन्हें सज़ा मिली और उसके बाद उन्हें बहाल किया गया क्योंकि कफ़ील का मामला थोड़ा पेचीदा था तो फिर उनकी जाँच थोड़ी लम्बी खिंच गई. पिछली बार की सुनवाई में कोर्ट के कहने पर जाँच निर्धारित समय में पूरी की गई. सरकार ने सभी क़ानूनी नियमों के अनुसार और सर्विस कमीशन की इजाज़त के बाद ही यह अंतिम फ़ैसला लिया है.”क्योंकि मामला हाई कोर्ट में लंबित है तो इसकी जानकारी सरकार की तरफ़ से कोर्ट को दे दी गयी है.

इसके अलावा डॉक्टर कफ़ील को आदेश की कॉपी बीआरडी मेडिकल कॉलेज के माध्यम से सौंपी जाएगी.

डॉ कफील खान की बर्खास्तगी को प्रियंका गांधी ने बताया दुर्भावना से प्रेरित, कहा- संविधान से ऊपर नहीं है योगी सरकार


प्रियंका गांधी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा डॉ. कफील खान की बर्खास्तगी दुर्भावना से प्रेरित है। नफरती एजेंडा से प्रेरित सरकार उनको प्रताड़ित करने के लिए ये सब कर रही है। लेकिन सरकार को ध्यान रखना चाहिए कि वो संविधान से ऊपर नहीं है।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा डॉ कफील खान को बर्खास्त किए जाने को लेकर अब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी यूपी सरकार पर हमला बोला है। प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा है कि सरकार को ध्यान में रखना चाहिए कि वो संविधान से ऊपर नहीं है।

प्रियंका गांधी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा डॉ. कफील खान की बर्खास्तगी दुर्भावना से प्रेरित है। नफरती एजेंडा से प्रेरित सरकार उनको प्रताड़ित करने के लिए ये सब कर रही है। लेकिन सरकार को ध्यान रखना चाहिए कि वो संविधान से ऊपर नहीं है। कांग्रेस पार्टी डॉ कफील की न्याय की लड़ाई में उनके साथ है और हमेशा रहेगी।

रोक के बाद भी कफील खान को यूपी सरकार ने किया बर्खास्त

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने डॉ कफील खान को बर्खास्त कर दिया है। हालांकि उनकी बर्खास्तगी पर हाईकोर्ट ने रोक लगा रखी थी। उन पर 2017 में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से हुई कई बच्चों की मौत का आरोप है।

डॉ कफील की बर्खास्तगी का फैसला उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन की मंजूरी के बाद लिया गया है। उनकी बर्खास्तगी के आदेश में कोई खास वजह नहीं बताई गई है, लेकिन यूपीपीएससी ने बर्खास्तगी के आदेश बीती रात मेडिकल शिक्षा विभाग को भेज दिए।

मेडिकल शिक्षा विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी आलोक कुमार ने कहा कि डॉ कफील को बर्खास्त कर दिया गया है। जांच के बाद उन्हें दोषी पाया गया है। गौरतलब है कि गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के ऑक्सीजन केस में डॉ कफील बरी हो चुके हैं, लेकिन बाद में उन पर अन्य मामले दायर किए गए। डॉ कफील फिलहाल निलंबित चल रहे हैं और उन्हें मेडिकल शिक्षा विभाग के निदेशक के दफ्तर से संबद्ध किया गया है।

डॉ खान को 22 अगस्त 2017 को निलंबित किया गया था। उनके साथ ही 7 अन्य लोगों को भी उस वक्त निलंबित कर दिया गया जब अगस्त 2017 में गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से कम से कम 60 बच्चों की मौत हुई थी। अप्रैल 2019 में डॉ कफील को चिकित्सीय लापरवाही के मामले से बरी कर दिया गया था लेकिन 24 फरवरी को उत्तर प्रदेश सरकार ने फिर से इस मामले की जांच के आदेश दिए थे।

 

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