इंदिरा के गहने दान कथा के पीछे नेहरू की शर्मनाक गफलत,मनमानी और भारत की हार

नेहरू की गफलत, चीन का धोखा और इंदिरा गांधी को दान करने पड़ गए अपने सभी जेवर, क्या है प्रियंका के दावे का सच?

नेहरू ने किसी की बात नहीं सुनी। उन्होंने अपने कमांडर इन चीफ को सलाह भी हवा में उड़ा दिया। 12 साल बाद जब चीन ने नेफा और लद्दाख सेक्टर पर एक साथ हमला किया तो भारतीय सेना बिल्कुल भी तैयार नहीं थी। फिर जो हुआ वो सभी को पता है।
तिब्बत पर चीन के हमले का सीधा असर भारत पर हुआ। चीन इस कदम के साथ भारत की सीमा पर आ चुका था। चीन के सैनिकों द्वारा नेफा यानी नार्थ ईस्ट फ्रंटियर एरिया से जुड़े नक्शे को लेकर घूमने की जानकारी जब भारत के फील्ड मार्शल केएम करिप्पा ने प्रधानमंत्री नेहरू को इस खतरे की ओर आगाह करते हुए इससे निपटने की बात जैसे ही कही। नेहरू ने जोर से मेज पर हाथ मारते हुए कहा कि ये हमारे कमांडर इन चीफ का काम नहीं है कि वो भारत के प्रधानमंत्री को बताए कि कौन कहां हमला कर रहा है। आप सिर्फ कश्मीर और पाकिस्तान पर फोकस कीजिए। प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को 12 साल तक चेताया जाता रहा कि चीन की नीयत ठीक नहीं है। चीन से हमें सतर्क रहना होगा। लेकिन नेहरू ने किसी की बात नहीं सुनी। उन्होंने अपने कमांडर इन चीफ की सलाह भी हवा में उड़ा दिया। 12 साल बाद जब चीन ने नेफा और लद्दाख सेक्टर पर एक साथ हमला किया तो भारतीय सेना बिल्कुल भी तैयार नहीं थी। फिर जो हुआ वो सभी को पता है।

मंगलसूत्र विवाद पर प्रियंका का दावा

लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण से पहले कर्नाटक में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और उन पर लोगों का ध्यान भटकाने के लिए चुनाव के दौरान भड़काऊ बयान देने का आरोप लगाया। प्रियंका ने कहा कि पिछले दो दिनों में प्रधान मंत्री कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी आपका सोना और मंगलसूत्र लूट लेगी। 70 साल तक भारत आज़ाद रहा, 55 साल तक कांग्रेस ने देश पर शासन किया, क्या आपका सोना छीन लिया गया? प्रियंका ने कहा कि जब युद्ध चल रहा था तो इंदिरा गांधी ने अपना सोना देश को दे दिया। मेरी मां का मंगलसूत्र इस देश के लिए बलिदान कर दिया गया। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी प्रधानमंत्री  की आलोचना करते हुए सवाल किया कि क्या किसी भी भाजपा-आरएसएस नेता ने देश के लिए बलिदान दिया है। खरगे ने कहा कि चुनाव के लिए, मोदी जी लोगों से झूठ बोल रहे हैं कि उनका मंगलसूत्र सुरक्षित नहीं रहेगा। कांग्रेस ने इस देश पर 55 साल तक शासन किया. क्या ऐसा एक बार भी हुआ है? 1962 के युद्ध में इंदिरा गांधी ने अपने आभूषण दान कर दिये थे। पंडित मोतीलाल नेहरू और पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इलाहाबाद में आनंद भवन के रूप में अपना घर स्वतंत्रता आंदोलन के लिए दान कर दिया था। हमारे नेताओं ने देश के लिए अपना जीवन और खून बलिदान किया है।

प्रधानमंत्री  मोदी ने क्या कहा था

प्रियंका और खड़गे की टिप्पणी प्रधानमंत्री   मोदी के बयान के जवाब में सामने आया जब प्रधानमंत्री  ने एक जनसभा में कहा था कि कांग्रेस के घोषणापत्र में वादा किया गया है कि अगर वे सत्ता में आते हैं, तो सभी की संपत्ति का सर्वेक्षण किया जाएगा, माताओं और बहनों के सोने की गणना की जाएगी और फिर उसका पुनर्वितरण किया जाएगा। प्रधानमंत्री  ने कहा था कि वे आपका मंगलसूत्र भी नहीं छोड़ेंगे।

इंदिरा को दान करने पड़ गए अपने गहने

करीब एक महीने तक चले भारत चीन युद्ध ने भारत को कई सबक भी सिखाए। तब भारत को आजाद हुए डेढ़ दशक ही हुए थे। भारत कई चुनौतियों से जूझ रहा था। उस वक्त हालात ऐसे हो गए थे कि बॉर्डर पर तैनात सैनिक आधे अधूरे सामान के साथ संघर्ष कर रहे थे। तब भी हमारे जवानों ने अदभुत साहस दिखाते हुए शक्तिशाली चीन को एक महीने तक संघर्ष करने के लिए मजबूर कर दिया। देश जवानों के लिए एकजुट हो गया था।

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा है कि मेरी मां का मंगलसूत्र इस देश पर कुर्बान हुआ है. दादी इंदिरा गांधी ने जंग में अपना सोना देश को दिया था और प्रधानमंत्री मोदी कह रहे हैं कि कांग्रेस पार्टी आपका मंगलसूत्र और सोना छीन लेगी. देश में 55 साल तक कांग्रेस की सरकार रही है. किसी ने आपसे आपका सोना और मंगलसूत्र छीना?

दरअसल, राजस्थान के बांसवाड़ा में एक चुनावी रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि कांग्रेस महिलाओं के गहने और मंगलसूत्र लेकर पैसे ऐसे लोगों में बांट देगी, जिनके अधिक बच्चे हैं. इसी के जवाब में कांग्रेस महासचिव ने यह बात कही है. आइए जान लेते हैं कि आखिर वह क्या मौका था, जिसके कारण इंदिरा गांधी को सोना देश के लिए देना पड़ा था.

चीन ने भारत को दिया धोखा, बोल दिया था हमला
यह साल 1962 में हुए चीन-भारत युद्ध की बात है. 20 अक्तूबर को पश्चिम में आकसाई चिन और अरुणाचल प्रदेश (तब नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी या नेफा) पर चीन ने अचानक हमला बोल दिया था. भारत की सेना इस हमले लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी, क्योंकि आशंका ही नहीं थी कि चीन ऐसा भी कर सकता है. तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को भी चीन की इस मंशा का अंदाजा नहीं था. देश में इसी साल के शुरू में आम चुनाव हुए थे और पंडित नेहरू फिर से प्रधानमंत्री बने थे. चीन के हमले ने उनके सामने नई चुनौती खड़ी कर दी थी.

दरअसल, सीमा विवाद को लेकर पंडित नेहरू और चीन के तब के शीर्ष नेता झाऊ एन-ली में कई बार बातचीत हो चुकी थी. कई प्रस्तावों पर भी बात हुई थी. इसके बावजूद चीन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. वास्तव में वह इतिहास की परवाह किए बिना आकसाई चिन से तिब्बत तक रास्ता चाहता था. इसीलिए उसने हमला बोल दिया था.

अचानक शुरू हुई लड़ाई मुसीबत बन कर सामने आई
यह चीन का भारत को बहुत बड़ा धोखा था. पड़ोसी देश ने पंडित जवाहर लाल नेहरू के हिंदी-चीनी भाई-भाई के नारे को धत्ता बता दिया था. इस लड़ाई ने देश में हालात काफी बदल दिए थे. इस युद्ध की पीड़ा में हर देशवासी खाना-पीना तक भूल गया था. हर कोई सेना के सपोर्ट में खड़ा हो गया था. देश को आजाद हुए साल ही कितने हुए थे. फिर बंटवारे की विभीषिका देश झेल चुका था. ऐसे में लड़ाई के लिए हमारे पास अच्छे हथियार तक नहीं थे. आधे-अधूरे हथियारों और दूसरे साज-ओ-सामान के साथ सीमा पर डटे सैनिक शहीद हो रहे थे.

राइफल चलाने का अभ्यास करने लगी थीं महिलाएं
पूरे एक महीना युद्ध चला और भारत को इसका एक-एक दिन भारी पड़ रहा था. जानकार बताते हैं कि युद्ध इस तरह से चल रहा था, मानो खत्म ही नहीं होगा. भारतीयों के पास साज-ओ-सामान भले कम थे पर हौसले में कमी न थी. आर्मी रिक्रूटमेंट सेंटरों पर सेना में जाने को वॉलिंटियर्स की लाइनें लग गई. हर कोई देश के लिए गोलियां खाने को तैयार था. बड़ी संख्या में महिलाएं तक घरों से निकल कर राइफल चलाने का अभ्यास करने लगी थीं.

अपने सारे जेवर लेकर सैन्य सेंटर पहुंच गई थीं इंदिरा गांधी
इंदिरा गांधी ने भी अपने सभी जेवर सेना को दान में दे दिए. तारीख थी दो नवंबर 1962. इंदिरा गांधी अपने सारे जेवर लेकर सैन्य सेंटर पर पहुंच गईं और नेशनल डिफेंस फंड में दान दे दिया. उनके जेवरों का वजन 336 ग्राम था. घरों से महिलाएं निकल पड़ीं और उनसे जो कुछ भी बन पड़ रहा था नेशनल डिफेंस फंड (राष्ट्रीय सुरक्षा निधि) में जमा कर रही थीं. वे अपना हर तरह का जेवर सेना को दान करने लगीं. यहां तक महिलाएं अपना मंगलसूत्र तक सेना की दान पेटी में डालने से नहीं चूकी. बच्चे अपने गुल्लक फोड़-फोड़ कर पैसे जमा कर सेना को दे रहे थे. कोई नहीं चाहता था कि संसाधनों के अभाव में भारतीय सेना पीछे हटे.

फिल्म इंडस्ट्री ने भी सेना को खूब दिया था दान
फिल्म इंडस्ट्री के लोग भी सेना के लिए आगे आए. बॉलीवुड से लेकर दक्षिण तक की फिल्म इंडस्ट्री के कलाकारों, निर्माता-निर्देशक से लेकर हर वर्ग के लोगों ने सेना को दान दिया. राज कपूर, मीना कुमारी और दिलीप कुमार ने  50-50 हजार रुपए दान में दिए थे.

राष्ट्रीय रक्षा कोष (एनडीएफ)  राष्ट्रीय रक्षा प्रयासों को बढ़ावा देने को प्राप्त नकद और अन्य प्रकार के स्वैच्छिक दान का प्रभार लेने और निर्णय लेने को उसी वर्ष स्थापित की गई थी। अनुमान है कि एनडीएफ को लोगों से नकद और वस्तु के रूप में 22 करोड़ रुपये का दान मिला। दुर्भाग्य से दान के बावजूद, भारत युद्ध में जीत हासिल करने में असमर्थ रहा.

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