उप सतही जल प्रबंधन पर नवें इंटरनेशनल ग्राउंड वॉटर सम्मेलन का आईआईटी रुड़की में उद्घाटन

आईआईटी रूड़की ने किया उप-सतही जल प्रबन्धन पर नौंवे इंटरनेशनल ग्राउण्डवॉटर सम्मेलन- 2022 का उद्घाटन

रूड़की, 3 नवंबर 2022: इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रूड़की (आईआईटी, रूड़की) के डिपार्टमेन्ट ऑफ हाइड्रोलोजी ने नौंवे इंटरनेशनल ग्राउण्डवॉटर कॉन्फ्रैन्स- 2022 का उद्घाटन किया। इस भव्य कार्यक्रम का आयोजन आईआईटी रूड़की द्वारा 2 नवम्बर से 4 नवम्बर 2022 के बीच आईआईटी रूड़की के एमएसी ऑडिटोरियम में किया जा रहा है। आईजीडब्ल्यूसी-2022 शुष्क एवं अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों में उपसतही जल स्रोंतों के प्रभावी प्रबन्धन की थीम पर आयोजित किया गया है। उद्घाटन के दौरान 12 देशों से 300 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इंटरनेशनल कॉन्फ्रैन्स के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता प्रोफेसर के.के. पंत, डायरेक्टर, आईआईटी रूड़की ने की तथा प्रोफेसर एस एम हस्सानीज़ादेह, हाइड्रोज्योलॉजी विभाग, उतरेक्ट युनिवर्सिटी इस मौके पर अतिथि थे।
प्रोफेसर बृजेश के. यादव, हैड- डिपार्टमेन्ट ऑफ हाइड्रोलोजी, आईआईटी रूड़की, इस कार्यक्रम के संयोजक थे। प्रोफेसर सी. मयीलस्वामी, प्रेज़ीडेन्ट- एसोसिएशन ऑफ ग्लोबल ग्राउण्डवॉटर साइन्टिस्ट ने प्रतिनिधियों का स्वागत किया तथा भूमिगत जल के स्थायी विकास के लिए मानव संसाधनों के महत्व पर रोशनी डाली। एजीजीएस के अलावा नाबार्ड, एसईआरबी, डीएचआई, थर्मो फिशर साइन्टिफिक एवं रूड़की इंडस्ट्रीज़ ने भी सम्मेलन में योगदान दिया।
उद्घाटन समारोह के बादसम्मेलन को 23 टेकनिकल सत्रों में बांटा गया है, जिसकी अध्यक्षता आईआईटी रूड़की के फैकल्टी सदस्य एवं विभिन्न संस्थानों के प्रतिनिधि कर रहे हैं। प्लेनेरी प्रवक्ताओं, सत्रों के अध्यक्षों एवं मुख्य प्रवक्ताओं ने इस मौके पर कई विषयों पर विचार रखे जैसे भूजल संसाधानों का मूल्यांकन/मात्रा, साईट विवरण, एब्सट्रैक्शन एवं मॉनिटरिंग; भूमिगत जल में माइक्रो-प्लास्टिक, वायरस एवं कॉलोइडल ट्रांसपोर्ट, रिएक्टिव ट्रांसपोर्ट मॉडलिंग एवं सी-वॉटर इंट्रुज़न; प्रदूषित साईट्स एवं डीसलाइनेशन के लिए निवारक तकनीकें एवं उपाय; भूजल स्रोतों के प्रबन्धन को अप्लाईड ग्राउण्डवॉटर फ्लो एवं सोल्यूट ट्रांसपोर्ट मॉडलिंग; पोरस मीडिया में हेटरोजेनेसिटी, टूटी कड़ी चट्टानों में प्रवाह, दोहरी पोरोसिटी/ परमिएबिलिटी मॉडलिंग, ज्यो-स्टैटिसटिक्स तकनीकें; जलवायु परिवर्तन और उपसतही हाइड्रोलोजी, भूमि के वातावरण के इंटरैक्शन, चरम घटनाएं, पूर्वानुमान एवं रूझानों का विश्लेषण आदि। अन्य विषयों में शामिल थे- मृदाजल का प्रदूषण, स्रोत, संवेदनशीलता, पर्यावरणी प्रभाव और आईसोटोप हाइड्रोलोजी; पौधे-मिट्टी-वातातवरण के बीच तालमेल, जल उपयोगिता की प्रभाविता, जल फुटप्रिन्ट का मूूल्यांकन एवं प्रत्यास्थ कृषि, फसलों के अनुकूल प्रारूप। गतिविधियों की विस्तृत सूची में शामिल थे- हाइड्रोलोजिकल एवं हाइड्रोज्योलाजिकल अध्ययन में जीआईएस औरआरएस ऐप्लीकेशन, जल संचयन, प्रबन्धित एक्विफायर रीचार्ज, और सतही एवं भूमिगत जल का कंजक्टिव उपयोग/ इंटरैक्शन, वॉटरशेड प्रबन्धन, सेडीमेन्ट परिवहन, ग्लेशियर हाइड्रोलोजी आदि। टेकनिकल सत्रों के अलावा भूमिगत जल मॉडलिंग पर दो दिवसीय प्री-सम्मेलन का आयोजन भी डीएचआई के सहयोग से 31 अक्टूबर-1 नवम्बर 2022 के बीच किया गया। देश के विभिन्न हिस्सों से 50 प्रतिभागियों से समूह ने प्रशिक्षण में हिस्सा लिया।

इन महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा एवं विचार-विमर्श के अलावा कार्यक्रम में कई सांस्कृतिक गतिवधियों का आयोजन भी किया गया जैसे कुमांओं क्षेत्र से लाकप्रिय लोक नृत्य जैसे बगवाल, घासियारी, चपेेली; राजस्थान क्षेत्र से कालबेलिया; और आसाम से बीहू। इसके अलावा मैक ऑडिटोरियम में कई लोकप्रिय लोक गीत भी पेश किए गए। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर हिमांशु जोशी ने किया, जिसके बाद एक रात्रिभोज का आयोजन किया गया।
सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए प्रोफेसर के.के. पंत, डायरेक्टर, आईआईटी रूड़की ने कहा, ‘‘शुष्क एवं अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में सतही जल पर इस तरह के विचार-मंथन सत्र उपसतही जल एवं एक्विफायर प्रबन्धन पर रोशनी डालते हैं। आधुनिक अनुसंधानों एवं विकास कार्यों पर इस तरह के विचार-विनिमय वैज्ञानिकों, अनुसंधानकर्ताओं, छात्रों एवं इंजीनियरों को उत्कृष्ट अवसर प्रदान करते हैं।’
सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए प्रोफेसर एस. एम हस्सानीज़ादेह, हाइड्रोज्योलॉजी विभाग, उतरेक्ट युनिवर्सिटी ने कहा, ‘‘300 प्रतिनिधियों एवं शोधकर्ताओं के साथ इतने बड़े पैमाने के सम्मेलन में हिस्सा लेना सही मायनों में जोश और उत्साह को दर्शाता है, जिसके साथ संस्थान सतही जल संरक्षण एवं प्रबन्धन की आवश्यकता पर ज़ोर दे रहा है।’
प्रोफेसर बृजेश के. यादव, सम्मेलन के संयोजक ने कहा, ‘‘हाइड्रोलोजी विभाग की स्वर्ण जयंती एवं आईआईटी रूड़की के 175 साला पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित यह सम्मेलन हमारे समाज एवं पर्यावरण के लिए भूमिगत जल संसाधनों के प्रबन्धन के महत्व पर रोशनी डालता है।’

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