पत्नी से मिलेगा गुजारा भत्ता 10 साल मुकदमे के बाद

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मुजफ्फरनगरः 10 साल बाद फैमिली कोर्ट ने दिया आदेश- पति को हर महीने गुजारा भत्ता दे पत्नी
मुजफ्फरनगर के फैमिली कोर्ट ने आर्मी से रिटायर महिला को अपने पति के लिए मासिक गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है। 10 साल से कोर्ट में लंबित पड़े मामले में पति के पक्ष में फैसला आया है। बताया गया कि पति-पत्नी शादी के कुछ ही साल बाद से साथ नहीं रहते थे।

मुजफ्फरनगर 21 नवंबर। तलाक के बाद गुजारा भत्ता के लिए पतियों के खिलाफ केस लड़ते कई पत्नियों को आपने देखा होगा लेकिन उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर फैमिली कोर्ट में इसका ठीक उल्टा मामला सामने आया है। यहां चाय बेचने वाला एक जन अपनी पत्नी से गुजारा भत्ता पाने के लिए तकरीबन 10 साल से केस लड़ रहा था। दिलचस्प बात यह है कि लगभग एक दशक तक मामला चलने के बाद कोर्ट ने उसकी दलीलों को मान लिया है और महिला को अपने पति को हर महीने गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है।
मामला मुजफ्फरनगर के खतौली तहसील इलाके का है। यहां रहने वाले किशोरी लाल का 30 साल पहले मुन्नी देवी के साथ विवाह हुआ था। शादी के कुछ ही समय बाद से दोनों अलग-अलग रह रहे थे। मुन्नी देवी कानपुर में भारतीय सेना में चौथी श्रेणी की कर्मचारी थीं जबकि किशोरी लाल खतौली में ही एक चाय की दुकान चलाते थे। आर्मी से रिटायर होने के बाद मुन्नी देवी को हर महीने 12 हजार रुपये पेंशन मिलने लगे।

पति ने दायर किया था मुकदमा

गरीबी में जी रहे किशोरी लाल ने 10 साल पहले मुजफ्फर नगर की फैमिली कोर्ट में गुजारा भत्ता के लिए मुकदमा दायर किया था। उन्होंने कोर्ट से मांग की थी कि वह मुन्नी देवी को उन्हें गुजारा भत्ता देने का आदेश दे क्योंकि उनकी स्थिति काफी दयनीय है और आने वाले दिनों में और खराब होने की संभावना है। किशोरी लाल ने पत्नी की पेंशन का एक तिहाई हिस्सा भत्ते के तौर पर मांगा था। अब 10 साल बाद फैमिली कोर्ट ने मामले में फैसला सुनाया है।

हर महीने पति को 2 हजार दे पत्नीः कोर्ट

कोर्ट ने महिला को आदेश दिया है कि वह अपने पति को हर माह 2 हजार रुपये का गुजारा भत्ता दें। हालांकि, किशोरी इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। वह पत्नी की पेंशन से एक तिहाई हिस्से की मांग कर रहे थे। गौरतलब है कि दोनों का अभी तक तलाक भी नहीं हुआ है लेकिन दोनों अब साथ नहीं रहते। हालांकि, पत्नी को अपने पति के लिए गुजारा भत्ता देने का आदेश देने का यह पहला मामला नहीं है।
इससे पहले दिल्ली की एक कोर्ट ने व्यापारी पत्नी को आदेश दिया था कि वह गरीबी से जूझ रहे अपने पति को हर महीने गुजारा भत्ता दे। कोर्ट ने महिला से अपनी चार कारों में से एक कार पति को सौंपने का भी आदेश दिया था। बाद में निचली अदालत के इस फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट ने भी सही ठहराया है।

दरअसल, खतौली तहसील क्षेत्र के रहने वाले किशोरी लाल सोहंकार का 30 साल पहले कानपुर की रहने वाली मुन्नी देवी के साथ विवाह हुआ था. शादी के कुछ समय बाद ही दोनों में विवाद हो गया. इसके बाद लगभग 10 साल से किशोरी लाल और मुन्नी देवी अलग-अलग रह रहे थे. उस समय पत्नी मुन्नी देवी कानपुर में स्थित इंडियन आर्मी में चतुर्थ श्रेणी की कर्मचारी थीं. कुछ समय पूर्व किशोरी लाल की पत्नी मुन्नी देवी रिटायर्ड हो गई थीं, इसके बाद मुन्नी देवी अपनी 12 हज़ार की पेंशन में अपना गुजर बसर करती आ रही हैं. वहीं, किशोरी लाल भी खतौली में रहकर चाय बेचते हैं.

7 साल पहले गुजारा भत्ते को पति ने दायर किया वाद

7 साल पहले किशोरी लाल ने अपनी दयनीय हालत के चलते मुज़फ्फरनगर की फैमिली कोर्ट में गुजारे भत्ते के लिए एक वाद दायर किया था. इसमें फैमिली कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए पत्नी मुन्नी देवी को पति किशोरी लाल सोहंकार को 2 हज़ार रुपये गुजारा भत्ता देने के आदेश जारी किया है. हालांकि, कोर्ट के इस फैसले से किशोरी लाल सोहंकार पूरी तरह संतुष्‍ट नहीं हैं. किशोरी लाल का कहना है कि लगभग 9 साल बाद कोर्ट का फैसला आया है. लोगों से कर्जा लेकर उन्‍होंने केस लड़ा है. लॉकडाउन में भी इधर-उधर से मांग कर अपना इलाज कराया. कभी-कभी जब स्वस्थ रहता तो चाय की दुकान कर लेता हूं, लेकिन अब मैं दुकान करने के काबिल नहीं हूं. लगभग 20 साल से विवाद चल रहा है.

एक तिहाई पेंशन की मांग

किशोरी लाल ने बताया कि वर्ष 2013 से मामला कोर्ट में है. अब इसमें 2000 प्रतिमाह गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया गया है, जबकि 9 साल से जो मैं केस लड़ रहा हूं. उसका कोई जिक्र नहीं है.कायदा यह है कि एक तिहाई गुजारा भत्ता मिलना चाहिए था,जबकि मुझे 2000 प्रतिमाह मिला है.किशोरी लाल ने कहा कि उनकी पत्‍नी का पेंशन 12000 प्रतिमाह से अधिक है.आने वाले समय में मेरी स्थिति और डाउन हो जाएगी. मैं अपना इलाज भी नहीं करा सकता.
किशोरी लाल सोहंकार के अधिवक्ता बालेश कुमार तायल ने बताया कि यह मामला फैमिली कोर्ट में पेंडिंग था. किशोरीलाल ने सेक्शन 9 में प्रेस्टीज ऑफ कंज्यूमर राइट्स का मुकदमा दायर किया. सेक्शन 25 हिंदू एक्ट के तहत यह मामला लगभग 7 से 8 साल पहले फाइल किया गया था. पहला मुकदमा तय होने के बाद फैसला आया है. उन्‍होंने बताया कि विपक्षी पार्टी की कुल इनकम 12000 महीना है. वादी किशोरी लाल चाय की दुकान भी करते हैं. दिलचस्‍प है कि दोनों का तलाक नहीं हुआ है, जबकि इसमें कोर्ट पहले दोनों को साथ रहने का आदेश दे चुकी है.

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