पत्रकार राजीव शर्मा बना चीनी जासूस, सालभर में पाये 45 लाख

दिल्ली पुलिस को मिली बड़ी कामयाबी:एक पत्रकार, चीनी महिला और नेपाली नागरिक गिरफ्तार, इन पर चीन को डिफेंस से जुड़ी खुफिया जानकारी देने का आरोप

नई दिल्ली 19 सितंबर।दिल्ली पुलिस ने फ्रीलांस पत्रकार राजीव शर्मा को 14 सितंबर को गिरफ्तार किया था, लेकिन जानकारी आज सार्वजनिक की

राजीव शर्मा को डेढ़ साल में चीन की इंटेलिजेंस एजेंसी से करीब 40 लाख रुपए मिले, एक इनपुट के लिए 73 हजार रुपए से ज्यादा मिलते थे

दिल्ली पुलिस ने शनिवार को एक फ्रीलांस जर्नलिस्ट राजीव शर्मा, एक चीनी महिला और नेपाली नागरिक को गिरफ्तारी किया है। इन पर चीन की इंटेलिजेंस को खुफिया जानकारी देने का आरोप है। पुलिस ने बताया कि ये जानकारियां बॉर्डर स्ट्रेटेजी और डिफेंस से जुड़ी हैं।

दिल्ली पुलिस ने राजीव को ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट के तहत गिरफ्तार किया। पुलिस का दावा है कि राजीव के पास से डिफेंस से जुड़े कुछ बेहद सीक्रेट दस्तावेज बरामद किए हैं। राजीव को इसके बदले शेल कंपनियों के जरिए पैसा दिया जाता था।

एक इनपुट के लिए 73 हजार रुपए से ज्यादा मिलते थे
पुलिस ने बताया कि राजीव 2016 से चीनी इंटेलिजेंस के लिए काम करता था। एक इनपुट के लिए 73,610 (एक हजार डॉलर) रुपए मिलते थे। वह कुछ चीनी इंटेलिजेंस के लिए काम करता था। पुलिस ने बताया कि फ्रीलांस पत्रकार को डेढ़ साल में करीब 40 लाख रुपए मिले थे।

राजीव को 14 सितंबर को गिरफ्तार किया था

डीसीपी ने बताया कि पुलिस ने राजीव शर्मा को 14 सितंबर को सेंट्रल इंटेलिजेंस के इनपुट के आधार पर गिरफ्तार किया था, उसे अगले ही दिन कोर्ट के सामने पेश किया गया था। जहां कोर्ट ने उसे 6 दिन की पुलिस कस्टडी में भेज दिया था।
पुलिस ने उसके पास से क्लासिफाइड डिफेंस डॉक्यूमेंट्स के अलावा लैपटॉप, मोबाइल फोन भी जब्त किया था। उसके सीडीआर को भी स्कैन किया जा रहा है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि वह किसके संपर्क में था।
स्पेशल सेल के डीसीपी संजीव कुमार यादव ने बताया कि शर्मा कुछ भारतीय मीडिया ऑर्गनाइजेशन के साथ-साथ चीन के ग्लोबल टाइम्स के लिए भी रक्षा संबंधी मुद्दों पर लिखता था।र्द्न्त्त्र्निंिि्निं्िंिंिििििि

फर्जी कंपनी बनाकर पत्रकार के खाते में एक साल में आए 45 लाख, चीनी महिला व उसका नेपाली सहयोगी भी नेटवर्क में

चीन के लिए जासूसी के आरोप में पकड़े गए भारतीय पत्रकार राजीव शर्मा (61) से पूछताछ के बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने शनिवार को राजधानी के महिपालपुर इलाके से एक चीनी महिला व उसके नेपाली सहयोगी को गिरफ्तार किया है।

आरोपियों की पहचान चीनी नागरिक क्विंग शी (30) और शेर सिंह उर्फ राज बोहरा (30) के रूप में हुई है। आरोप है कि स्वतंत्र पत्रकार राजीव शर्मा 2016 से लगातार चीनी खूफिया एजेंसियों के एजेंट माइकल और जॉर्ज से जुड़कर उनके हाथ की कठपुतली बना हुआ था। चीनी खूफिया एजेंसियां हवाला, वेस्टर्न यूनियन मनी व भारत में फर्जी कंपनी (शेल कंपनी) बनाकर उनके जरिए जासूसी के बदले मोटी रकम दे रही थी।
पुलिस के मुताबिक, जनवरी 2019 से सितंबर 2020 के बीच राजीव को करीब 45 लाख रुपये चीनी खुफिया एजेंसियां दे चुकी हैं। राजीव को छह दिन की रिमांड पर लेकर पुलिस पूछताछ कर रही है। वहीं क्विंग शी और शेर सिंह से भी पूछताछ जारी है। पुलिस ने आरोपियों के पास से 12 मोबाइल, कई टैब, लैपटॉप, चीनी एटीएम समेत कई कार्ड व अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए हैं।
स्पेशल सेल के पुलिस उपायुक्त संजीव कुमार यादव ने बताया कि पिछले काफी दिनों से उनकी टीम को सेंट्रल खफिया एजेंसियों से राजीव शर्मा के बारे में जासूसी की जानकारी मिल रही थी। जानकारियों को पुख्ता करने के बाद 13 सितंबर को स्पेशल सेल ने सरकारी गोपनीयता कानून और अन्य धाराओं में मामला दर्ज कर 14 सितंबर को राजीव शर्मा को पीतमपुरा के सेंट जेवियर अपार्टमेंट से गिरफ्तार कर लिया। राजीव 1982 से पत्रकारिता कर रहा था। कई बड़े नामी अखबारों के अलावा राष्ट्रीय न्यूज एजेंसियों में राजीव ने नौकरी की थी।

राजीव रक्षा मामलों और विदेश नीति के बारे में लगातार लिख रहा था। पीआईबी कार्ड होने के कारण इनका आना-जाना मंत्रालयों में बड़े-बड़े अधिकारियों से भी था। 2010 में मेन स्ट्रीम छोड़कर इन्होंने स्वतंत्र पत्रकार के रूप में काम करना शुरू किया। इस बीच 2010 से 2014 के बीच यह चीन के मुखपत्र और वहां के प्रमुख समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स के लिए साप्ताहिक कॉलम लिखता रहा।

लेख पढ़कर चीनी खुफिया एजेंसी की नजर राजीव शर्मा पर पड़ी। इंटरव्यू देने के बहाने राजीव को चीन के कुनमिंग शहर बुलाया गया। माइकल नामक एजेंट ने सोशल साइट लिंक्डइन से राजीव से संपर्क किया। चीन पहुंचने पर माइकल ने राजीव को बुलाने की असली वजह बताई। मोटी रकम का लालच मिलने पर वह इनके झांसे में आ गया। आने-जाने का सारा खर्चा माइकल ने ही उठाया।

माइकल व उसके जूनियर शू ने राजीव से भारत-चीन की सीमा पर सेना की तैनाती और मूवमेंट की जानकारी, डोकलाम, भूटान-सिक्कम और चीन, ट्राई जंक्शन की जानकारी, भारत-म्यांमार सेना से जुड़ी जानकारियां मांगी। 2016 से 2018 के बीच राजीव थाईलैंड, मालद्वीव, नेपाल और लाओस जाकर इनके साथ मीटिंग करता रहा। यह लोग लगातार राजीव को ग्लोबल टाइम्स में कॉलम लिखने के लिए कहते रहे। इसके बदले राजीव को 500 से 1000 यूएस डॉलर दिए जाते रहे। बाद में 2019 में राजीव एक दूसरे चीनी एजेंट जॉर्ज के संपर्क में आया।

जॉर्ज ने नेपाल के रास्ते राजीव को चीन बुलाया। जॉर्ज ने दलाई लामा से जुड़ी जानकारियां देने और उसके बारे में कॉलम लिखने के लिए कहा। बदले में मोटी रकम देने की बात की गई। जॉर्ज के कहने पर दिल्ली के महिपालपुर में चीनी दंपती ने फर्जी कंपनियां एम.जेड फार्मेसी और एम.जेड मॉल बनाई।

दंपती के चीन वापस जाने पर चीनी युवती क्विंग शी और नेपाली युवक शेर सिंह को कंपनी का डायरेटकर बना दिया गया। क्विंग शी भारत में पढ़ने के बहाने आई थी। दोनों चीनी दवाइयां एक्सपोर्ट करने की आड़ में चीन से आए रुपयों को राजीव के खाते में भेजते थे। फर्जी कंपनियों से 10 ट्रांजेक्शन से 30 लाख रुपये राजीव के खाते में ट्रांसफर होने का पता चला है। पुलिस दोनों से पूछताछ कर मामले की छानबीन कर रही है।
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