साक्षात्कार: चुनाव आयोग का काम ठीक,बस बनती धारणा पर दे त्वरित जवाब:ओपी रावत

Former Election Commissioner Op Rawat Interview Election Commission Accused Of Biasness Said About Perception
आयोग काम ठीक कर रहा है, बस बन रहे परसेप्शन पर थोड़ा ध्यान दे, ECI को क्या-क्या बोले पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त
देश में लोकसभा चुनाव चल रहे हैं। सात चरणों में हो रहे चुनाव को कराने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग पर है। देश में भयमुक्त और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना एक बहुत अहम कार्य है। ऐसे में निर्वाचन आयोग पर विपक्षी दलों की तरफ से पक्षपात के आरोप भी लग रहे हैं। इस पर पूर्व चुनाव आयुक्त ने अपनी राय रखी।

मुख्य बिंदु

1-पक्षपात पर कहा- चुनाव आयोग को ऐसे इंप्रेशन से दूर रहने का प्रयास करना चाहिए
2-पूर्व सीईसी बोले- मेरी राय में पीएम का भाषण हेट स्पीच के दायरे में नहीं आता है
3-कहा- EVM और VVPAT को ना तो हैक हो सकता है ना ही कोई गड़बड़ी संभव

लोकसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण पर आपत्ति जैसे कई विवाद सामने आ रहे हैं। विपक्ष चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप लगा रहा है। चुनाव आयोग की साख पर सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में  चुनाव आयोग के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत   से मनीष अग्रवाल ने विस्तार से बात की। प्रस्तुत हैं मुख्य अंश:

सवाल : आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन को लेकर विपक्ष चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप लगा रहा है। इसे कैसे देखते हैं आप?
जवाब : देखिए, इसके जवाब में मैं यही कहूंगा कि चुनाव आयोग को ऐसे इंप्रेशन दूर करने को कुछ प्रयास जरूर करना चाहिए क्योंकि गलती कहीं नहीं है। समस्या है समय पर सही ढंग से अपनी बात नहीं रखने की। जैसे हेट स्पीच की शिकायत हो तो उस पर एक्शन लीजिए। आज के डिजिटल युग में कोई भी मसला सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर आते ही वायरल होने लगता है। कुछ ही घंटे में वह पूरी दुनिया के कई चक्कर काट लेता है। ताजा मामले में अभिषेक मनु सिंघवी सोमवार को आयोग से शिकायत करने गए। इसमें उन्होंने ना तो पूरी रेकॉर्डिंग दी और ना ही स्पीच की ट्रांसक्रिप्ट। बस लिख दिया कि मंगलसूत्र ले लेंगे और दूसरों को बांट देंगे। इस पर तो एक्शन हो नहीं सकता। आयोग ने पूरा ब्योरा मांगा, लेकिन शिकायतकर्ता ने समय पर पूरी डीटेल नहीं दी। दो दिन निकल गए। इधर, सोशल मीडिया पर यह शिकायत कई चक्कर लगा चुकी थी। ऐसे में इंप्रेशन यह जा रहा है कि आयोग से इतने दिन पहले शिकायत की गई, लेकिन अभी तक आयोग सोया हुआ है। अब आप ही बताइए, बिना पूरी डीटेल आयोग क्या कर सकता है। लेकिन ये बातें आयोग को जनता में रखनी चाहिए ताकि सभी को रियल टाइम में यह पता लगता रहे कि आयोग से शिकायत आधी-अधूरी थी।

सवाल :पक्ष और विपक्ष एक-दूसरे पर हेट स्पीच के आरोप भी लगा रहे हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी इस तरह के आरोप लगे। ऐसे मामलों में चुनाव आयोग को क्या करना चाहिए?
जवाब : प्रधानमंत्री ने अपने चुनावी भाषण में जो कहा, मुझे लगता है कि वह हेट स्पीच में नहीं आता। जहां तक मेरी जानकारी है, उन्होंने विपक्ष के घोषणापत्र की आलोचना करते हुए यह बात कही। अपने आप में कोई कहे कि हिंदुओं के मंगलसूत्र छुड़ाकर उसे मुस्लिमों में बांट देंगे तो यह हेट स्पीच में आएगा। इस पर तुरंत एक्शन हो सकता है। लेकिन अगर किसी के मेनिफेस्टो में यह लिखा गया है तो इसका काउंटर करने वाला भाषण हेट स्पीच में नहीं आएगा। चुनाव में राजनीतिक दल या उम्मीदवार परस्पर घोषणापत्रों की आलोचना कर सकते हैं।

सवाल : VVPAT और EVM हैक होने जैसे मामले उठे। आपको क्या लगता है, क्या इन्हें हैक किया जा सकता है?
जवाब : EVM और VVPAT को ना तो हैक किया जा सकता है और ना ही इसमें किसी तरह की गड़बड़ी हो सकती है। असल बात यह है कि देश में राजनीतिक दलों की एक बड़ी समस्या है। उनके वर्कर  इसी तरह के झूठ बोलकर वरिष्ठ नेताओं की निगाह में अपने नंबर बढ़ाते हैं, क्रेडिट ले इसके आधार पर फिर टिकट मांगते हैं। ऐसे वर्कर दावा करते हैं कि हमने तो EVM में इतने वोट डलवा दिए। लेकिन मैं आपको बता दूं कि कोई भी वर्कर, नेता या उम्मीदवार अगर EVM के माध्यम से फर्जी वोट डलवाने की बात करता है तो वह झूठ बोल रहा है। सच यह है कि EVM से फर्जी पोलिंग हो ही नहीं सकती। समस्या है इंसानी कैरेक्टर में। गरीबी इतनी अधिक है कि पोलिंग एजेंट कई बार दूसरी पार्टी के पैसों के लालच में आ ड्यूटी से भाग खड़ा होता है।

सवाल : सूरत में जिस तरह से BJP प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित हो गए, उस पर क्या कहेंगे?
जवाब : सूरत में जो भी हुआ, उसमें चुनाव आयोग का कोई दोष नहीं है। बस फर्क इतना रहा कि लोगों को सही समय पर सही पिक्चर नहीं दिखाई गई। नामांकन कैंसल हुआ, लेकिन लोगों को ऐसे बताया गया जैसे कि चुनाव आयोग ने उसे कैंसल कर दिया। सच यह है कि आपने टिकट लिया, नामांकन भेजा, रिश्तेदारों को प्रपोजर बनवा दिया। खुद ही उनसे एफिडेविट भी ले लिए कि यह हमारे दस्तखत नहीं हैं और खुद ही उन्हें आयोग के संबंधित अफसर के सामने कर दिया। ऐसे में जब साइन करने वाला प्रपोजर ही कह रहा है कि साइन उसके नहीं हैं तो चुनाव अधिकारी उस नामांकन पत्र को कैसे वैलिड बता सकते हैं। वह तो रिजेक्ट ही होना था, जो हो गया।

सवाल : आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों में अक्सर दिखता है कि आयोग आरोपित को नोटिस की खानापूर्ति करता है। आयोग दोषियों के खिलाफ ऐसा कठोर कदम क्यों नहीं उठाता जो दूसरों को सीख दे  सके?
जवाब : आपका सवाल ठीक है, लेकिन इसमें कई तरह की कानूनी बाध्यताएं हैं। कानूनी प्रावधान में आयोग अपने अधिकारों के हिसाब से एक्शन ले सकता है। अगर MCC उल्लंघन में किसी पर FIR हुई है तो मामला तय प्रक्रिया से आगे बढ़ेगा। हेट स्पीच में तीन साल की सजा है। दो साल की सजा हो तो उम्मीदवार अयोग्य घोषित हो जाता है। लेकिन कोर्ट  केस लंबे चलते हैं। फिर भी कुछ मामले हुए हैं कड़ी कार्रवाई वाले। हम आयोग में थे, तो 2016 में तमिलनाडु के दो विधानसभा क्षेत्रों में 90-90 करोड़ रुपये बांटे गए। इसमें कोई कानूनी प्रावधान नहीं था। फिर भी आयोग ने बूथ कैप्चरिंग  कानून का सहारा ले दोनों विधानसभा सीटों के चुनाव कैंसल कर दिए। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी आयोग का निर्णय सही बताया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *