वंडर वुमैन को डिलीट करना पड़ा शाहीन बागन बिलकीस दादी वाला ट्वीट

शाहीन बाग की बिलकिस दादी के कारण ‘वंडर वुमेन’ हुईं ट्रोल, डिलीट करना पड़ा पोस्ट

गैल गैडोट
बिलकिस दादी पर गलत जानकारी देने के कारण गैल गैडोट हुईं ट्रोल

‘वंडर वुमेन’ गैल गैडोट (Gal Gadot) ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि वुमेन इक्वेलिटी पर बात करने के लिए उन्हें सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया झेलने पड़ेगी। आज साल 2020 का अंतिम दिन है और गैल अपने अकाउंट पर अपनी ‘पर्सनल वंडर वुमेन’ की तस्वीर शेयर करने के कारण ट्रोल हो रही हैं। आपको शायद हैरानी होगी लेकिन उनकी अकाउंट पर शेयर तस्वीर शाहीन बाग की बिलकिस दादी की है।

गैल गैडोट ने अपने इंस्टा स्टोरी पर बिलकिस दादी की तस्वीर शेयर करके लिखा है, “My personal wonder women” इसके नीच उन्होंने लिखा, “बिलकिस। ये 82 साल की एक्टिविस्ट भारत में महिलाओं को समानता दिलाने के लिए लड़ रही है, जो मुझे दिखाती हैं कि अपने विश्वास के लिए लड़ाई लड़ने के लिए कभी देरी नहीं होती।”

बता दें कि 31 दिसंबर को गैडोट ने उन महिलाओं की तस्वीर शेयर की जिनसे उन्हें प्रेरणा मिलती है। इन महिलाओं को उन्होंने पर्सनल वंडर वुमेन कहा। इनमें से एक शाहीन बाग की बिलकिस दादी थीं जो भारत में सीएए/एनआरसी के ख़िलाफ़ प्रदर्शनों में शामिल थीं और लेफ्ट लॉबी ने उन्हें वर्चुअली प्रदर्शन का चेहरा बना दिया।


जब वंडर वुमेन ने बिलकिस को वुमेन इक्वेलिटी दिलाने वाली कार्यकर्ता के नाम पर पेश किया तो कई लोग उन्हें बताने लगे कि ये औरत, महिला अधिकारों की लड़ाई नहीं लड़ रही थी, बल्कि इसलिए प्रदर्शन कर रही थी ताकि भारत उन अल्पसंख्यकों को देश में एंट्री न दे जिन्हें उनके देशों में मजहब के नाम पर प्रताड़ित किया जाता है। किसी ने तो गैल को यहूदियों का उदाहरण देकर समझाया कि भारत वैसे ही अल्पसंख्यकों को सीएए के तहत शरण देना चाहता है, जिन पर उनके देशों में यहूदियों जैसे अत्याचार हुआ।

बता दें कि अब यह तस्वीर इजराइली अभिनेत्री के स्टोरी से डिलीट हो चुकी है, लेकिन उनके अकाउंट पर यह तस्वीर अब भी मौजूद है। शायद उन्हें ये नहीं पता था कि बिलकिस दादी ने मानवता के आधार पर तैयार किए गए सीएए का विरोध किया था। वह उन प्रदर्शन का हिस्सा बनीं थीं जिससे कई लोगों की आवाजाही बाधित हुई, जहाँ हिंदू विरोधी नारे खुलेआम लगाए गए और जिसका परिणाम पूरी राजधानी को दंगों के रूप में झेलना पड़ा।

इजरायली अभिनेत्री द्वारा बिलकिस दादी का इस प्रकार का वर्णन उनकी अनभिज्ञता पर सवाल नहीं उठाता, बल्कि ये बताता है कि इंटरनेशनल मीडिया में दिल्ली दंगों और शाहीन बाग विरोध प्रदर्शनों के बारे कैसी रिपोर्टिंग हुई और किस तरह एक ऐसे प्रदर्शन को वैश्विक स्तर पर ऐतिहासिक दिखाया गया। यदि याद हो तो इसी साल राणा अयूब ने टाइम्स मैगजीन में बिलकिस दादी के लिए नोट लिखा था और झूठ फैलाया था कि सीएए मुस्लिमों को भारत में नागरिकता देने से रोकता है।

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