त्रिवेंद्र नाराज़ क्यों हैं अपनी सरकार से?

 

DHAMI GOVERNMENT ON BACKFOOT DUE TO THE STATEMENTS OF FORMER CM TRIVENDRA SINGH RAWAT
Uttarakhand Politics: CM धामी पर गैरों से ज्यादा ‘अपनों’ का सितम! त्रिवेंद्र के बयानों से बैकफुट पर सरकार

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मुश्किलें जितनी विपक्षी नेताओं ने बढ़ा रखी है, उससे कई ज्यादा अपने घेरने में जुटे हैं.  आजकल पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के उन बयानों से धामी सरकार सवालों के घेरे में हैं.

देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जितना परायो के निशाने पर हैं, उतना ही अपनों के निशाने पर भी हैं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सत्ता संभलाने के बाद से ही पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के कई फैसलों पर सवाल खड़े कर चुके. हाल में  पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून में बेरोजगारों पर लाठीचार्ज को गलत बताया. सरकार तंत्र ने भले ही इस मामले बाहरी तत्वों का हाथ बताया हो, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पुलिस की इस कार्रवाई के लिए युवाओं से विधिवत माफी मांगी हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कुछ बयान इन दिनों उत्तराखंड की राजनीति में चर्चित हुए हैं. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह ने जिस तरह बेरोजगारों पर पुलिस का लाठीचार्ज गलत बताते हुए माफी मांगी, उसने वे प्रदेश में अपनी अलग छवि दिखाने को अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा करते दिखे. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह के बयान भाजपा सरकार को ही मुश्किलें में डालने वाले हैं. त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयानों से साफ पता चलता है कि वे सरकार  से खुश नहीं हैं.

हालांकि उनका बयान इस बार लोकसभा चुनाव 2025 से भी जोड़कर देखा जा रहा है. उत्तराखंड में लोकसभा की पांच सीटें हैं और पांचों ही सीटों पर युवा निर्णायक भूमिका में है. यदि युवा भाजपा से छिटक गया तो लोकसभा चुनाव जीतना पार्टी को मुश्किल होगा. वहीं, चर्चाएं ऐसी भी है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत इस बार पौड़ी से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं. इसीलिए अपनी सरकार कठघरे में खड़ा करते हुए भी युवाओं से लाठीचार्ज के मुद्दे पर माफी मांगने से चूक नहीं रहे हैं.

सरकार घेरने को मौका नहीं छोड़ा

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पहली बार अपनी सरकार के खिलाफ कोई इस तरह का बयान नहीं दिया हो, ऐसा नहीं है, पहले भी वे कई बार बयानों- सवालों से सरकार को बैकफुट पर ला चुके. हाल ही में त्रिवेंद्र सिंह रावत का जोशीमठ संकट पर बयान भी चर्चित रहा  था, जिसमें उन्होंने सरकार के उस फैसले पर सवाल खड़े किए थे, जिसमें जिला विकास प्राधिकरण (डीडीए) खत्म किये गये थे. त्रिवेंद्र सिंह रावत कार्यकाल में आये जिला विकास प्राधिकरणों को धामी सरकार ने वापस ले लिया था.

तब त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बिना नाम लिए कहा था कि कभी-कभी जनता ऐसे नेता चुन लेती है और उन नेताओं पर इस तरह की जिम्मेदारी अचानक आ जाती है ,जो उसे उठाने  लायक या अनुभवी नहीं होते हैं. यह बयान भी सीधे मौजूदा सरकार के लिए देखा जा रहा था.

धामी को नहीं दिया श्रेय

दिल्ली में चर्चित छावला रेपकांड में जब कोर्ट ने आरोपितों को निर्दोष मुक्त किया गया तो इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर हुई. उत्तराखंड के सभी नेताओं ने रिव्यू पिटीशन का श्रेय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी दिया, लेकिन पूर्व त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की बचाए भाजपाई राज्यसभा सांसद  अनिल बलूनी की तारीफ की. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अनिल बलूनी को रिव्यू पिटीशन का श्रेय दे सोशल मीडिया पर पोस्ट भी किए.

वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जब पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के पूर्व में औद्योगिक  सलाहकार रहे पंवार पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में जांच के आदेश दिए तो पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इशारों ही इशारों में मुख्यमंत्री पर सवाल खड़े किए थे. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के सभी लोग जानते हैं कि यह सब क्या हो रहा है. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा था कि उत्तराखंड में ब्लैक मेलिंग पॉलिटिक्स नहीं चलनी चाहिए और यह राज्य के लिए किसी भी स्थिति में ठीक नहीं है.

कांग्रेस ने त्रिवेंद्र को  दिखाया दर्पण

पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयानों पर भाजपा में तो मौन है लेकिन  कांग्रेस ने जरूर चुटकी ले ली . कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी माहरा का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत हो या वर्तमान पुष्कर सिंह धामी, सत्ता में  दोनों ही एक तरीके से काम करते हैं. गरिमा दसौनी का कहना है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री रहते हुए न कोई भर्ती हुई और नहीं कोई परीक्षा. धामी सरकार के कार्यकाल में भी ऐसा ही हो रहा है.
रही बात बेरोजगार युवाओं से माफी मांगने की तो कांग्रेस का कहना है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत शायद चमोली में अपने कार्यकाल में महिलाओं पर लाठीचार्ज भूल गए हैं. कांग्रेस ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को शिक्षिका बहुगुणा का मामला भी याद दिला दिया. कांग्रेस ने कहा कि जिनके घर शीशे के होते है वो दूसरों के घरों में पत्थर नहीं मारते हैं. वहीं, त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयानों पर जानकारों का मानना है कि त्रिवेंद्र भले ही समयपूर्व मुख्यमंत्री की कुर्सी से हट गए हो, लेकिन उनके इरादे अभी भी सत्ता गलियारों में बने रहने के हैं.

Dehradun Lathicharge: ‘अपनों’ पर ही भड़के त्रिवेंद्र! बोले- पुलिस बताए किसके इशारे पर किया लाठीचार्ज?

राजधानी देहरादून में बीते 9 फरवरी को युवाओं पर पुलिस ने जो लाठीचार्ज किया है, उस पर न सिर्फ कांग्रेस के नेता, बल्कि सत्ताधारी दल बीजेपी के नेता भी सवाल खड़े कर रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का इस मामले पर एक बार फिर से बयान आया है.

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