इलैक्ट्रिक वाहनों में,और उनमें भी दोपहिया में क्यों लगती है आग, क्या है समाधान

EV Fire: आखिर ज्यादातर इलेक्ट्रिक स्कूटरों में ही क्यों लग रही है आग? जानिए इसके पीछे की असल वजह
भारत में एक के बाद एक कई इलेक्ट्रिक वाहनों में आग लगने की घटना सामने आई है जिसमें ज्यादातर इलेक्ट्रिक स्कूटरों में ऐसा देखा गया है। इसलिए आज हम आपको विस्तार से बताएंगे कि ऐसी कौन सी वजह है जिससे ई-स्कूटरों में ऐसा देखा जा रहा है।

नई दिल्ली 21 अप्रैल : पिछले कुछ समय से इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों में आग लगने की कई घटनाएं सामने आई हैं। अगर आपने ध्यान दिया होगा तो इनमें से ज्यादातर आग की चपेट में आने वाले दोपहिया वाहन, इलेक्ट्रिक स्कूटर ही रहे हैं। जिससे इलेक्ट्रिक स्कूटरों को लेकर सुरक्षा संबंधी सवाल उठने लगे हैं। इसलिए आज हम आपको इसके पीछे की असल वहज बताने जा रहे हैं, जिससे ज्यादातर इलेक्ट्रिक स्कूटरों में आग लग रही है।

क्यों लग रही है ई-स्कूटरों में आग?

इसमें कोई शक नहीं है कि बाकी इलेक्ट्रिक वाहनों की तरह ही ई-स्कूटरों में भी आग लगने की मुख्य वजह बैटरी ही है। भारत में बनने वाले 90 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहनों में लिथियम-आयन बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें लिथियम के कण होते हैं।

बैटरी में लिथियम इलेक्ट्रोलाइट अत्यधिक ज्वलनशील होता है और आसानी से गर्म हो सकता है, जिससे कभी-कभी विस्फोट हो सकता है। इसी वजह से EVs में आग लगने की घटना समाने आ रही है।

अब ऐसे में सवाल उठता है कि तब सारे EVs में आग क्यों नहीं लग रही है और सिर्फ ज्यादातर इलेक्ट्रिक स्कूटरों में ही ऐसा क्यों देखा जा रहा है। तो इसके पीछे के कारण ये हो सकते हैं-

1. कूलिंग सिस्टम

आग लगने के सबसे मुख्य कारणों में इलेक्ट्रिक स्कूटरों का कूलिंग सिस्टम हो सकता है। इंजन को ठंडा करने के के लिए लिक्विड कूलिंग सिस्टम को सबसे अच्छा माना गया है, जो कि आपको ज्यादातर इलेक्ट्रिक कारों और बसों जैसे चार पहिया वाहनों में देखने को मिलता है। इसके उलट इलेक्ट्रिक स्कूटरों में एयर-कूल्ड सिस्टम का इस्तेमाल होता है। एयर-कूल्ड सिस्टम मोटर को ठंडा करने में लिक्विड कूल्ड सिस्टम की तरह सक्षम नहीं होते हैं। खास कर गर्मी के मौसम में ऐसा देखा गया है।

2. बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम

बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम को भी इलेक्ट्रिक स्कूटरों में आग लगने की मुख्य वजहों के तौर पर देखा जा रहा है। जानकारों के मुताबिक, इलेक्ट्रिक वाहनों में लगने वाली बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम लैब-स्केल डेटा और मॉडल के आधार पर बैटरी को ऑपरेट करती है। वहीं, कारों में बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम को स्कूटर की तुलना में बेहतर तरीके से टेस्ट किया जाता है। इसलिए, ऐसी दुर्घटनाओं से बचने के लिए रीयल-टाइम ऑपरेशन को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन किया जाना चाहिए।

3. चार्जिंग के तरीके

आग लगने की वजहों में इस बात से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि इसके चार्जिंग के तरीके भी कारण हो सकते हैं। ज्यादातर लोग स्कूटरों को रात भर चार्ज में लगा कर छोड़ देते हैं, पर शायद आपको पता होना चाहिए कि बैटरी को ओवरचार्ज करना हमेशा जोखिम भरा होता है। ओवरचार्जिंग की स्थिति में बैटरी में क्षमता से अधिक करंट पंप की जाती है। इस प्रक्रिया के दौरान, 100% चार्जिंग के बाद डिवाइस में पंप किया गया करंट बैटरी मटेरियल को खराब कर देता है, जिससे आग लगने की संभावना बहुत अधिक हो जाती है।

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किन कारणों से इलेक्ट्रिक वाहनों में आग लगती है? सरकार ने इसे लेकर क्या रुख अपनाया है?

इलेक्ट्रिक स्कूटर में आग लगने के कारण

इस समय इलेक्ट्रिक वाहनों को आगामी भविष्य कहा जा रहा है. यह पारंपरिक ईंधन पर लगभग पूर्ण निर्भरता को कम करने के तरीकों में से एक है. भारत में भले इसका बाजार अभी अपने शुरुआती चरण में हो, लेकिन साल 2030 तक देश विश्व के सबसे बड़े ईवी बाजारों में से एक होगा.

क्या है समस्या?

 

कुछ स्टडीज के अनुसार, भारत में 2030 तक ईवी बाजार में 206 बिलियन डॉलर का कारोबार होगा और इसमें अधिकतर हिस्सेदारी दोपहिया वाहनों की होगी. लेकिन जैसे-जैसे देश महत्वाकांक्षी रूप से एक नए इलेक्ट्रिक युग की ओर बढ़ रहा है, उसी के साथ दोपहिया ईवी क्षेत्र एक बड़े संकट के दौर से भी गुजर रहा है.

आग लगने की हुई हैं कई घटनाएं

19 अप्रैल की रात चार्जिंग के लिए रखे गए इलेक्ट्रिक स्कूटर की डिटेचेबल बैटरी के घर में फट जाने से एक व्यक्ति की मौत हो गई साथ ही पिछले एक महीने में इन वाहनों में आग की कई घटनाओं ने इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ यात्रियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

अभी इसी महीने नोएडा के सेक्टर 78 में एक इलेक्ट्रिक स्कूटर सवार डिलीवरी ब्वॉय के वाहन में अचानक आग लग गई, इस घटना में किसी तरह उसने कूदकर अपनी जान बचाई, लेकिन उसका स्कूटर और सारा सामान जलकर राख हो गया.

तो सवाल यह है कि आखिर भारत में ई-स्कूटर में आग क्यों लग रही है? समस्या को समझने के लिए, आइए पहले देखें कि बैटरी कैसे काम करती है और इसमें कौन से तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है.

कैसे काम करती है बैटरी?

स्मार्टफोन और लैपटॉप से ​​लेकर इलेक्ट्रिक कारों तक, लिथियम-आयन (ली-आयन) बैटरी सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. यह बैटरी एक एनोड, कैथोड, सेपरेटर, इलेक्ट्रोलाइट और दो करंट कलेक्टर के जरिए काम करती है. इलेक्ट्रोलाइट पॉजिटिव चार्ज को लिथियम आयनों में एनोड से कैथोड तक ले जाता है और इसके विपरीत चार्ज बनाता है. अन्य प्रकार की बैटरियों की तुलना में ली-आयन बैटरी को कुछ प्रमुख चीजें बेहतर बनाने का काम करती हैं, जिनमें इसका हल्का होना, हाई पावर कैपिसिटी, ऊर्जा संरक्षण और रिचार्ज करने की क्षमता होना प्रमुख हैं.

क्यों लगती है बैटरी में आग?

हालांकि, ली-आयन बैटरी के सबसे बड़े लाभों में से एक-इसका हाई एनर्जी क्षमता है. बैटरी पैक में आग इसके फैक्टर्स को कंट्रोल न कर पाने के कारण होती है. ज्यादातर यह कारण शॉर्ट सर्किट होता है. आग के प्राथमिक कारण हैं- सेल की गुणवत्ता, बैटरी डिजाइन और बैटरी प्रबंधन सिस्टम (बीएमएस) और सेंसिंग और सॉफ्टवेयर इंटेलिजेंस के जरिए सेल्स का मैनेजमेंट जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

आग लगने का यह अकेला मामला नहीं है. बाजार की बढ़ती मांग के साथ, निर्माता उत्पादों के डिजाइन और परीक्षण के लिए सरकारी निकायों द्वारा निर्धारित टेस्टिंग मानकों का अनुपालन करने में पर्याप्त समय नहीं दे रहे हैं. पर्याप्त समय दिए बिना, बाजार में बैटरियों को लाने की यह जल्दी खराब सेल गुणवत्ता, खराब बैटरी डिजाइन और खराब बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम की ओर ले जाती है, जहां सेल्स को सही सॉफ्टवेयर इंटेलिजेंस के साथ ठीक से कंट्रोल नहीं किया जाता है.

सरकार ने अपनाया कड़ा रुख

आग लगने की इन बढ़ती घटनाओं को देखते हुए सरकार हरकत में आ गई है, इसके लिए केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने अचानक आग लगने वाले वाहनों की जांच के आदेश दिए हैं और इसके लिए उन्होंने सेंटर फॉर फायर एक्सप्लोसिव एंड एनवायरनमेंट सेफ्टी की मदद ली है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने यह भी घोषणा की है कि ग्राहक सुरक्षा के साथ लापरवाही करने वाली किसी भी ईवी कंपनी पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा. उन्होंने खराब इलेक्ट्रिक वाहनों को रिकॉल करने के भी आदेश जारी किए है.

इलेक्ट्रिक वाहनों में आग क्यों लगती है? ईवी बैटरी में आग लगने से बचाव के लिए अपनाएं ये आसान टिप्स

पिछले कुछ महीनों में कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं जब इलेक्ट्रिक वाहनों, खासतौर पर इलेक्ट्रिक स्कूटर में आग लग गई। यहां हम आपको बता रहे हैं लिथियम-आयन इलेक्ट्रिक वाहनों में आग लगने के कारणों के बारे में और ईवी बैटरी को आग से कैसे बचाया जाए।
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ओला इलेक्ट्रिक S1 Pro स्कूटर में लगी आग – फोटो

इलेक्ट्रिक वाहनों में लोगों की बढ़ती दिलचस्पी के साथ ही इसका बाजार बड़ा होता जा रहा है। लेकिन पिछले कुछ महीनों में कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं जब इलेक्ट्रिक वाहनों, खासतौर पर इलेक्ट्रिक स्कूटर में आग लग गई। एक दुखद घटना में, तमिलनाडु में एक पिता और पुत्री की मृत्यु हो गई, जब उनके घर के अंदर उनके इलेक्ट्रिक स्कूटर में आग लग गई जिससे उनका दम घुट गया। इसके अलावा, ओकिनावा और ओला इलेक्ट्रिक स्कूटरों में आग लगने की कई घटनाएं सामने आई हैं।

इन सभी घटनाओं के दृष्टिगत एक सवाल खड़ा होता है कि आखिर इलेक्ट्रिक वाहन की बैटरी में आग क्यों लगती है। इसलिए यह जानना बहुत जरूरी है कि ईवी की बैटरी में आग लगने से कैसे बच सकते हैं। यहां हम आपको बता रहे हैं लिथियम-आयन इलेक्ट्रिक वाहनों में आग लगने के कारणों के बारे में और ईवी बैटरी को आग से कैसे बचाया जाए।

ईवी की बैटरी में आग क्यों लगती है

लिथियम-आयन बैटरी मुख्य रूप से दो अलग-अलग कारणों से नाकाम हो जाती हैं। पहला कारण यह है कि अगर बैटरी की मैन्युफेक्चरिंग में ही खराबी है। दूसरा कारण यह है कि बैटरी की नाकामी आमतौर पर कई कारकों का नतीजा होती है – बैटरी पर बाइब्रेशन जैसा तनाव, इलेक्ट्रिक शॉर्ट, या बस दुर्भाग्यवश। बैटरी में मैन्युफेक्चरिंग की खराबी के कारण आग लग सकती है। दूसरी ओर, बहुत अधिक वाइब्रेशन, जो लिथियम-आयन बैटरी की हैंडलिंग क्षमता से परे है, आग लगने का जोखिम पैदा कर सकता है। साथ ही बिजली के शॉर्ट होने से भी आग लग सकती है।

लिथियम-आयन और लिथियम-मेटल सेल फेल होने की स्थिति के दौरान थर्मल रनअवे से गुजरते हैं। ज्वलनशील गैस के निकलने के साथ-साथ थर्मल रनअवे बैटरी सेल तापमान और दबाव में तेजी से वृद्धि करता है। अक्सर बैटरी के उच्च तापमान से इन ज्वलनशील गैसों के असर से आग की लौ निकलने लगती है, जो आखिरकार आग का कारण बनती है।

इसके अलावा, बैटरी के विभिन्न हिस्सों के संपर्क में आने वाले सूक्ष्म धातु कणों के कारण भी एक थर्मल रनअवे हो सकता है, जिसके कारण शॉर्ट सर्किट हो सकता है। एक हल्के शॉर्ट सर्किट के मामले में, बैटरी में हाई सेल्फ-डिस्चार्ज होता है और थोड़ी गर्मी पैदा होती है क्योंकि डिस्चार्ज हुई एनर्जी बहुत कम होती है।

लेकिन, जब सूक्ष्म धातु के कणों की एक बड़ी मात्रा एक जगह पर जमा हो जाती है, तो इससे एक बड़ा इलेक्ट्रिक शॉर्ट हो सकता है, जिसकी वजह से पॉजिटिव और निगेटिव प्लेटों के बीच बड़े पैमाने पर बिजली दौड़ जाती है, जिससे आग लग सकती है। ऐसे में बैटरी के केस के अंदर का तापमान जल्दी से 500 डिग्री सेल्सियस तक भी पहुंच सकता है, जिसके कारण सेल में विस्फोट हो सकता है या आग लग सकती है।

ईवी बैटरी में आग लगने के चेतावनी संकेत

लिथियम-आयन बैटरी में आग लगने की स्थिति में कुछ संकेत अनुभव हो सकते हैं। बैटरी बहुत ज्यादा गर्म हो सकती है या फूल सकती है। इसके साथ ही, बैटरी का रंग फीका पड़ सकता है, जिससे नुकसान हो सकता है और धुंआ निकलना शुरू हो सकता है।

ईवी को आग से बचाने के आसान टिप्स

इलेक्ट्रिक वाहनों में आग लगने की घटनाएं बहुत दुर्लभ होती हैं। ICE(इंटरनल कंब्शन इंजन) से चलने वाले वाहनों की तुलना में ईवी में आग लगने का जोखिम काफी कम होता है। हालांकि, जब लिथियम-आयन बैटरी वाले ईवी में आग लगती है, तो उससे निपटना वाकई मुश्किल होता है। हालांकि आग के जोखिम को कम करने के लिए आप कुछ बुनियादी और आसान टिप्स को अपना सकते हैं।

इलेक्ट्रिक वाहन को कहीं से चलाकर आने के तुरंत बाद इसकी बैटरी को चार्ज नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि उस समय बैटरी के अंदर लिथियम-आयन सेल बहुत गर्म रहते हैं। इसके बजाय, बैटरी को ठंडा होने दें और उसके बाद इसे चार्ज करें। यदि यह एक डिटेचेबल (अलग करने योग्य) बैटरी है, तो वाहन से डिस्कनेक्ट करना और अलग से चार्ज करना सबसे अच्छा है।

सिर्फ उसी बैटरी का इस्तेमाल करें जिसे वाहन के लिए डिजाइन किया गया है। सस्ती स्थानीय बैटरी का इस्तेमाल करने से इलेक्ट्रिक वाहन को नुकसान भी हो सकता है। साथ ही, ईवी के साथ मिले चार्जिंग केबल का इस्तेमाल करें।

बैटरियों को सीधी धूप में या गर्म वाहनों में रखने से बचें। अगर यह डिटेचेबल बैटरी है तो इन्हें सूखी और वेंटिलेशन वाली जगह में रखें। पूरी तरह चार्ज होने पर बैटरियों को उनके चार्जर से हटा दें। रिप्लेसमेंट में मिलने वाली बैटरी और चार्जर वैसी ही होनी चाहिए जैसी पहले थी और ये ओरिजिनल निर्माता या अधिकृत विक्रेता से ही लेना चाहिए।

इस्तेमाल करने से पहले बैटरियों की जांच करें कि कहीं इन्हें कोई नुकसान तो नहीं पहुंचा है। यदि कोई डिफेक्ट दिखता है, तो इसका इस्तेमाल न करें और निर्माता को इसकी सूचना दें। यदि बैटरी बहुत ज्यादा गर्म लग रही है और कोई क्षति दिखती है तो बैटरी का इस्तेमाल करने से बचें।

इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री 2.33 लाख

भारत में दोपहिया ईवी बाजार में पिछले एक साल में 2.33 लाख यूनिट्स की रिकॉर्ड बिक्री के साथ तेजी से वृद्धि हुई है।

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