ज्ञान: मोदी के 5जी लांच से कितनी रफ्तार से दौड़ेगा भारत?

5G लॉन्च: भारत में अब किस रफ़्तार से दौड़ेगी ज़िंदगी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को दिल्ली में 5जी सेवाओं की शुरुआत की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में एक कार्यक्रम में भारत में 5जी मोबाइल इंटरनेट सेवा की शुरुआत कर दी है.

इसी के साथ भारत में बेहद तेज़ मोबाइल इंटरनेट युग की शुरुआत भी हो गई है.

5जी सेवा लॉन्च करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत सरकार का मक़सद सभी भारतीयों को इंटरनेट सेवा मुहैया कराना है.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “अब भारत में इस सेवा की शुरुआत हो गई है और हर भारतीय तक हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचने में अब बहुत वक़्त नहीं लगेगा.”

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस तकनीक को सिर्फ़ वॉयस कॉल या वीडियो देखने तक सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि इससे नई क्रांति होनी चाहिए
उद्योगपति मुकेश अंबानी ने कहा है कि रिलायंस जियो की 5जी सेवाएं दिसंबर 2023 तक समूचे भारत में उपलब्ध होंगी.

वहीं भारती एयरटेल के सुनील मित्तल ने कहा है कि 1 अक्तूबर 2022 से एयरटेल 5जी सेवाएं शुरू कर रही है और मार्च 2024 तक ये समूचे भारत में उपलब्ध होंगी.

एयरटेल का कहना है कि मार्च 2024 तक देशभर में उसकी 5जी सेवा उपलब्ध होगी

10 करोड़ यूज़र 5जी से जुड़ना चाहते हैं

पहले चरण में भारत के आठ शहरों- अहमदाबाद, बैंगलुरु, चंडीगढ़, चेन्नई, दिल्ली, गांधीनगर, गुरुग्राम और हैदराबाद में 5जी सेवाएं शुरू की जाएंगी.

भारती एयरटेल का कहना है कि देश के सभी शहरी इलाक़ों में मार्च 2023 तक उसकी 5जी सेवाएं शुरू हो जाएंगी.

भारत के सूचना मंत्रालय के मुताबिक 2035 तक देश की अर्थव्यवस्था पर 5जी का असर 450 अरब डॉलर तक होगा.

5जी कनेक्टिविटी के साथ डिवाइस 10 जीबी प्रति सेकंड की इंटरनेट स्पीड हासिल कर सकेंगे. अभी 4जी नेटवर्क में ये अधिकतम 100 एमबीपीएस प्रति सेकंड होती है.

‘एरिक्सन कंज़्यूमर लैब’ के मुताबिक भारत में क़रीब दस करोड़ मोबाइल उपभोक्ता ऐसे हैं जो 5जी से जुड़ने के लिए तैयार हैं. रिपोर्ट के मुताबिक इन उपभोक्ताओं के पास 5जी रेडी स्मार्टफ़ोन हैं और ये अगले 12 महीनों के भीतर तेज़ इंटरनेट स्पीड से जुड़ना चाहते हैं.

इस साल की दूसरी तिमाही के दौरान किए गए इस शोध में शहरी उपभोक्ताओं के विचार शामिल किए गए हैं. शोध के मुताबिक 5जी को लेकर तैयारी भारत में दुनिया में सर्वाधिक नज़र आई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के उपभोक्ताओं में 5जी नेटवर्क पर जाने की इच्छा ब्रिटेन या अमेरिका जैसे एडवांस मार्केट के मुक़ाबले लगभग दोगुनी है.

5जी की ख़ास बाते

5जी यानी पांचवी पीढ़ी का मोबाइल इंटरनेट. मोबाइल नेटवर्क की पांचवी पीढ़ी यानी 5जी नेटवर्क विकसित करने की कोशिशें साल 2013 में ही शुरू हो गईं थीं और साल 2019 से दुनियाभर में इसे लांच किया जा रहा है.
सैमसंग ने जब 2013 में 5जी टेस्टिंग की थी तब उनकी स्पीड एक जीबीपीएस थी.अब 70 देशों में 5जी नेटवर्क चल रहा है जहां औसतन डाउनलोड स्पीड 700 एमबीपीएस है.
5जी स्पेक्ट्रम में डाटा रेडियो तरंगो के ज़रिए बेहद तेज़ गति से सफर करेगा और रेडियो तरंगें अलग-अलग बैंड्स और फ्रिक्वेंसी में बंट जाएंगी.
साधारण शब्दों में इसे सुपरफास्ट इंटरनेट कहा जा सकता है जो अभी 4जी की इंटरनेट स्पीड से सौ गुणा तेज़ होगा.
बहुत से लोगों को लगता है कि 5जी इंटरनेट के बाद ऐप नहीं रुकेंगे. वीडियो बफ़र नहीं करेगी और मोबाइल स्क्रीन पर न ख़त्म होने वाला डाउनलोड साइन नहीं दिखेगा.

दिखेगा बड़ा बदलाव

लेकिन 5जी की कहानी बस इतनी नहीं है. इससे और भी बहुत कुछ बदल जाएगा. ख़ासकर मेडिकल, एजुकेशन, उत्पादन और विज्ञान के क्षेत्र में.

साल 2014 में जब 5जी को विकसित करने की कोशिशें शुरू हुईं थीं तब ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ़ सरे में 5जी इनोवेशन सेंटर में रिसर्च टीम के मुख्य प्रोफेसर रहीम तफ़ाज़ोली ने कहा था, “5जी सब कुछ नाटकीय तरीके से उलट पुलट कर रख देगा.”

टेलीकम्यूनिकेशन मामलों के सलाहकार महेश उप्पल कहते हैं, “5जी नेटवर्क का सबसे अधिक फ़ायदा उत्पादन क्षेत्र में होगा, स्मार्ट शहर एक दूसरे से जुड़ सकेंगे, डॉक्टर दूर बैठकर सर्जरी कर सकेंगे और बिना ड्राइवर के गाड़ियां सड़कों पर चल सकेंगी’

5जी के सामने चुनौतियां

5जी नेटवर्क दो तरह से चल सकता है. पहला इसके लिए अलग से नेटवर्क स्थापित किया जाए जिसे स्टैंड अलोन नेटवर्क कहा जाता है.दूसरा पहले से स्थापित नेटवर्क का इस्तेमाल किया जाए जिसे नॉन स्टैंड अलोन नेटवर्क कहा जाता है.

हालांकि दुनियाभर में जहां भी नॉन स्टैंड अलोन नेटवर्क पर 5जी शुरू किया गया है.वहां भी स्टैंड अलोन नेटवर्क की ज़रूरत पड़ रही है.

5जी स्पीड का रास्ता खोलने के लिए रेडियो नेटवर्क का ढांचा नए सिरे से खड़ा करने की ज़रूरत होगी. नेटवर्क प्रोवाइडर कंपनियों को ये भी सुनिश्चित करना होगा कि 3जी और 4जी नेटवर्क पहले की तरह ही चलते रहें.

महेश उप्पल कहते हैं,”5जी टेक्नोलॉजी नई टेक्नोलॉजी है. महंगी है.इसमें अधिक निवेश की ज़रूरत है और इसका नेटवर्क स्थापित करने में गई गुना टॉवरों की ज़रूरत पड़ेगी. इस नेटवर्क को रोलआउट करने में अधिक खर्चा और समय लगेगा.ज़ाहिर है 5जी नेटवर्क स्थापित करने में चुनौतियां आएंगी.”

उप्पल कहते हैं,”5जी नेटवर्क विस्तार के दो पहलू हैं. पहला ये कि वायरलैस तकनीक को भोगौलिक रूप से विस्तार देना और दूसरा उसका प्रयोग बढ़ाना.नेटवर्क को विस्तार देने में समस्याएं आएंगी.कई तरह की अनुमतियों की ज़रूरत पड़ेगी.भारत में उसका प्रयोग बढ़ाने में भी समय लग सकता है.”

भारत में 5जी के सामने एक चुनौती यह भी हो सकती है कि देश में एक बड़ा ग्राहक वर्ग ऐसा है जो ना 5जी मोबाइल ख़रीद सकता है और ना ही इसके महंगे डाटा की क़ीमत चुका सकता है.

महेश उप्पल कहते हैं, “अगर यूज़र के नज़रिए से देखें तो उन्हें भी ऐसा डिवाइस चाहिए होगा जो 5जी को सपोर्ट करे. आमतौर पर 5जी फ़ोन बीस हज़ार रुपए तक के आते हैं जिन्हें हर कोई नहीं ख़रीद सकता. हो सकता है आगे चलकर 5जी मोबाइल की क़ीमतें घटें.”

आम लोगों के लिए क्या बदलेगा?

भारत में अभी 4जी नेटवर्क है जिस पर आसानी से वीडियो कॉल किए जा सकते हैं और इंटरनेट पर फ़िल्में देखी जा सकती हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आम ग्राहक के लिए 5जी से क्या बदलेगा?

महेश उप्पल कहते हैं, “अगर हम अल्पकाल में देखों तो 5जी से आम यूज़र के लिए कोई ख़ास फ़र्क नहीं पड़ेगा, सिवाए इसके की इंटरनेट सर्फ़िंग तेज़ हो जाएगी.”

लेकिन 5जी के बहुत से फ़ायदे ऐसे होंगे जिन्हें नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है. इसका सबसे बड़ा फ़ायदा ऑटोमेशन और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में होगा.

महेश उप्पल कहते हैं,”लेकिन दीर्घकाल में 5जी का बहुत व्यापक असर होगा.उत्पादन क्षेत्र में,एजुकेशन और हेल्थ सेक्टर में क्रांति आ जाएगी..उत्पादन यूनिट में ऑटोमेटेड व्हीकल चलाए जा सकेंगे.डॉक्टर दूर बैठकर भी सर्जरी कर सकेंगे. ”

“अब तक आमतौर पर इंटर-ह्यूमन कम्यूनिकेशन था.लेकिन अब इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स से उपकरण और मशीनें एक दूसरे से कनेक्ट होकर तेज़ स्पीड में रियल टाइम में डाटा शेयर करेंगे जिससे लगभग हर क्षेत्र में फ़ायदा होगा.”

क्या सभी लोगों तक पहुंचेगा 5जी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत सरकार हर नागरिक तक तेज़ स्पीड इंटरनेट पहुंचाना चाहती है.

भारतीय टेलीकॉम क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी जियो का कहना है कि वो 2023 के अंत तक पूरे देश में 5जी नेटवर्क पहुंचा देगी.

वहीं भारती एयरटेल ने मार्च 2024 तक देशभर में 5जी पहुंचाने का ऐलान किया है.

लेकिन अभी भी भारत में मौजूदा 4जी नेटवर्क में भी कई जगह डॉर्क स्पॉट होते हैं. ऐसे में सवाल यही है कि क्या भारत में 5जी नेटवर्क वास्तव में आम लोगों तक पहुंच पाएगा?

महेश उप्पल कहते हैं, “अगर 4जी में दिक्कतें हैं तो 5जी में भी ज़रूर होंगी क्योंकि 5जी के लिए और भी घना नेटवर्क बिछाना होगा. मुझे लगता है कि अभी ऑपरेटरों की प्राथमिकता ऐसी जगहों पर 5जी नेटवर्क विकसित करना होगा जहां उन्हें पैसा चुकाने वाले ग्राहक मिल सकें. हो सकता है शुरुआत में फोकस इंडस्ट्री पर ही रहे. आम लोगों तक पहुंचने में इसे अभी और वक़्त लग सकता है.”

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