VPDO भर्ती घोटाला: 100 अभ्यर्थियों से बटोरे गये थे अरबों रुपए,ओआरएम शीट से किया खेल

VPDO Bharti Scam : 100 से अधिक अभ्यर्थियों को पास कराने का लिया था ठेका, एक से लिए गए छह से सात लाख रुपये
आरोपितों ने 100 से अधिक अभ्यर्थियों को पास कराने का ठेका लिया था।
ग्राम पंचायत विकास अधिकारी की भर्ती परीक्षा में आरोपितों ने 100 से अधिक अभ्यर्थियों को पास कराने का ठेका लिया था। परीक्षा में किए गए घपले का भेद खुलने पर हंगामा शुरू हुआ तो डाक्टर आरबीएस रावत ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।

देहरादून 09 अक्टूबर: ग्राम पंचायत विकास अधिकारी की भर्ती परीक्षा में आरोपितों ने 100 से अधिक अभ्यर्थियों को पास कराने का ठेका लिया था। एसटीएफ से जुड़े सूत्रों की मानें तो इसके लिए हर अभ्यर्थी से छह से सात लाख रुपये लिए गए।

इस तरह यूकेएसएसएससी के तत्कालीन अध्यक्ष आरबीएस रावत, सचिव मनोहर सिंह कन्याल और परीक्षा नियंत्रक राजेंद्र सिंह पोखरिया ने अरबों रुपए की संपत्ति अर्जित कर ली। परीक्षा में किए गए घपले का भेद खुलने पर हंगामा शुरू हुआ तो डाक्टर आरबीएस रावत ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।

ग्राम पंचायत विकास अधिकारी की भर्ती परीक्षा में जिस गिरोह ने घपले को अंजाम दिया, उसमें कुल सात लोग शामिल थे। आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष, सचिव व परीक्षा नियंत्रक गिरोह के सरगना थे, जबकि प्रिंटिंग प्रेस के सीईओ राजेश पाल व तीन अन्य सहयोगी की भूमिका में थे। इनमें से दो आरोपितों को एसटीएफ ने जांच में गवाह बना दिया है।

डॉक्टर रावत ने आयोग के एक सदस्य और अनुसचिव पर लगाया था आरोप

परीक्षा में किया गया घपला जगजाहिर होने पर हंगामा शुरू हुआ तो आरबीएस रावत ने आयोग के ही एक सदस्य और अनुसचिव पर आरोप लगाने शुरू कर दिए। नौ जुलाई 2016 को उन्होंने शासन को पत्र लिखकर कहा कि आयोग के एक सदस्य की बहु और भांजा परीक्षा में बैठे थे।

आरोप लगाया कि परीक्षा में पास नहीं होने के कारण वह झूठी शिकायत कर दोबारा परीक्षा का दबाव बना रहे हैं। अनुसचिव पर आरोप लगाया कि उनके तीन बच्चे परीक्षा में पास नहीं हो पाए, इसलिए वह भी परीक्षा निरस्त कराने को जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। हालांकि, इसके बाद रावत ने खुद पद से इस्तीफा दे दिया था।

OMR शीट की स्कैनिंग को किराये पर लिया था कन्याल का मकान

ओएमआर शीट की स्कैनिंग के लिए तत्कालीन सचिव मनोहर सिंह कन्याल का पित्थूवाला स्थित मकान किराये पर लिया गया था। यह मकान कन्याल की पत्नी के नाम पर है। इसी मकान में ओएमआर शीट की स्कैनिंग की आड़ में घपलेबाजी की गई। आरोपितों ने जिन अभ्यर्थियों से सांठगांठ की थी, उनको ओएमआर शीट में गोले न भरने के लिए कहा था।

ओएमआर शीट स्कैनिंग के लिए आई तो आरोपितों ने खुद गोले भर दिए। जांच के दौरान एसटीएफ ने 30 से अधिक अभ्यर्थियों को चिह्नित कर उनकी ओएमआर शीट का मिलान किया तो गड़बड़ी पकड़ी गई। इस मामले में गवाह बनाए गए दो आरोपितों ने गिरफ्तारी से बचने के लिए हकीकत एसटीएफ को बता दी, जिसके बाद एसटीएफ को आरोपितों को दबोचने के लिए अधिक परिश्रम नहीं करना पड़ा।

तुम गोले खाली छोड़ देना, बाकी सब हम देख लेंगे…UKSSSC भर्ती घपले में नकल का खेल

UKSSSC वीपीडीओ भर्ती घपले मामले में युवाओं को पास कराने के नाम पर दलालों ने उनसे खूब उगाही की। उनके आकाओं ने उन्हें पूरी पट्टी पढ़ाकर सक्रिय किया था। पुलिस जांच में कई खुलासे हुए हैं।

UKSSSC वीपीडीओ भर्ती घपले मामले में युवाओं को पास कराने के नाम पर दलालों ने उनसे खूब उगाही की। उनके आकाओं ने उन्हें पूरी पट्टी पढ़ाकर सक्रिय किया था। वह युवाओं को यह कहकर फंसाते थे कि तुम समझ में न आने वाले सवालों के बस गोले खाली छोड़ देना, बाकी सब काम हम कर लेंगे।

दलाल युवाओं से 12 से 20 लाख रुपये की उगाही करते थे। एसटीएफ ने जांच में कई युवाओं से पूछताछ की तो यह खुलासे हुए हैं। वही अब उच्च पदों पर रहे अफसरों की गिरफ्तारी से भी साफ हो गया है कि ऊपर तक इन दलालों की पहुंच थी। इनके संरक्षण में ही ये पूरा गैंग चलाते थे।

बैग में ओएमआर शीट लेकर चलता था

एक अफसर के बारे में बताया गया है कि वह अपने बैग में ओएमआर शीट लेकर चलता था। दलालों एवं कई युवाओं के सामने उसने ओएमआर शीट दिखाई भी। जिससे युवा आसानी से उनके झांसे में आ जाते थे, और उन्हें नौकरी मिलने का भरोसा हो जाता था। अब इस अफसर पर ही शुरू में फंदा कसा गया है।

कंपनी का सीईओ भी हो चुका गिरफ्तार

भर्ती मामले में कंपनी का सीईओ राजेश पाल को एसटीएफ ने पहले ही गिरफ्तार कर लिया था। वहीं कंपनी मालिक के दोस्त मुकेश चौहान और एक अन्य कर्मचारी मुकेश को भी गिरफ्तार किया गया है। इन पर भी ओएमआर शीट दलालों को उपलब्ध कराने के आरोप लगे हैं।

VPDO Recruitment Scam: अंकों के खेल में पकड़ी गई थी गड़बड़ियां,दोबारा परीक्षा में 196 में से आठ ही हुए पास

किसी भी मेरिट में अचानक बीच का इतना फासला संभव ही नहीं हो सकता। लिहाजा, इस भर्ती की जांच की मांग उठनी शुरू हो गई थी। बाद में यह भर्ती रद्द हो गई थी। जब 25 फरवरी 2018 को दोबारा परीक्षा हुई तो पूर्व में चुने गए 196 में से केवल आठ ही अभ्यर्थी पास हो पाए थे। बाकी सभी टॉपर छात्र बाहर हो गए थे।

अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की वीपीडीओ भर्ती परीक्षा में हुई गड़बड़ी अंकों के खेल से पकड़ी गई थी। दरअसल, इस भर्ती के रिजल्ट में चुने गए 196 उम्मीदवारों व बाकी के उम्मीदवारों के अंकों के बीच भारी अंतर था। वीपीडीओ भर्ती में 196 उम्मीदवारों का चयन किया गया था। रिजल्ट में शुरुआती 196 छात्रों के अंक लगभग समान और सर्वाधिक थे।

उदाहरण को, 100 अंकों में से 98, 97, 98, 97…। इसके बाद के उम्मीदवारों के अंक सीधे 87, 88, 86, 85….के क्रम में थे। किसी भी मेरिट में अचानक बीच का इतना फासला संभव ही नहीं हो सकता। इसलिए, इस भर्ती की जांच की मांग उठनी शुरू हो गई थी।

जब अपर मुख्य सचिव रणबीर सिंह ने इसकी जांच की तो अंकों के ट्रेंड के आधार पर ही उन्होंने भी इस भर्ती में गड़बड़ी की आशंका जताई थी। बाद में यह भर्ती रद्द हो गई थी। जब 25 फरवरी 2018 को दोबारा परीक्षा हुई तो पूर्व में चुने गए 196 में से केवल आठ ही अभ्यर्थी पास हो पाए थे। बाकी सभी टॉपर छात्र बाहर हो गए थे।

एक गांव के 20 छात्र जैसी चौंकाने वाली बातें

2016 में हुई वीपीडीओ भर्ती में ऊधमसिंह नगर के महुआडाबरा गांव के ही 20 युवा पास हो गए थे। दो सगे भाई भी चुने गए थे। खास बात यह है कि इस परीक्षा में जिस छात्र ने टॉप किया था, उसे 10वीं के बाद 12वीं पास करने में ही चार साल लग गए थे।

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