आजादी के बाद से ही सावरकर को बदनाम करने का अभियान,अगला नंबर विवेकानंद का: भागवत

संघ प्रमुख ने इशारों में साधा निशाना:भागवत बोले- आजादी के बाद से ही सावरकर को बदनाम करने की मुहिम चल रही है, अगला नंबर विवेकानंद का

नई दिल्ली 12 अक्टूबर।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को इशारों-इशारों में कांग्रेस समेत उन लोगों पर हमला बोला जो सावरकर को बदनाम कर रहे हैं। संघ प्रमुख ने कहा- वीर सावरकर को लेकर आज के भारत में जानकारी का अभाव है, सावरकर को बदनाम करने की कोशिश की गई है।

भागवत ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद से ही वीर सावरकर को बदनाम करने की मुहिम चली है। इसके बाद स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद सरस्वती और योगी अरविंद को बदनाम करने का नंबर लगेगा, क्योंकि सावरकर इन तीनों के विचारों से प्रभावित थे।

अशफाक उल्लाह खान जैसों का नाम गूंजना चाहिए

भागवत ने कहा कि सैयद अहमद को मुस्लिम असंतोष का जनक कहा जाता है। इतिहास में दारा शिकोह, अकबर हुए पर औरंगजेब भी हुए जिन्होंने चक्का उल्टा घुमाया। अशफाक उल्लाह खान ने कहा था कि मरने के बाद अगला जन्म भारत में लूंगा। ऐसे लोगों के नाम गूंजने चाहिए। भागवत दिल्ली में सावरकर पर लिखी एक किताब के विमोचन कार्यक्रम में बोल रहे थे।

सावरकर के बारे में देशवासी जानते ही नहीं

स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने क्रांतिकारी सावरकर को लेकर कहा कि आजादी के बाद से लगातार सावरकर को बदनाम करने की मुहिम चलाई गई है जबकि वास्तव में अब भी सावरकर के बारे में सही जानकारी का लोगों में अभाव है। उनकी कही हुई बहुत सी बातें भविष्यवाणी के रूप में सच साबित हुई हैं। भारत में मानवता के विचार को ही भारत में धर्म कहा गया है। जोडऩे वाले, बिखरने न देने वाला ही शाश्वत सत्य धर्म है। उन्होंने कहा कि इस देश में कट्टरपंथी औरंगजेब के स्थान पर उदार दाराशिकोह जैसे मुसलिम हमारे देश के लिए आदर्श हैं और उनके नाम पर स्थान हो तो कोई समस्या नहीं हो सकती है।

मोहन भागवत ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद से ही वीर सावरकर को बदनाम करने की मुहिम चली है। अब इसके बाद स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद सरस्वती और योगी अरविंद को बदनाम करने का नंबर लगेगा, क्योंकि सावरकर इन तीनों के विचारों से प्रभावित थे। सावरकर का हिन्दुत्व, विवेकानंद का हिन्दुत्व ऐसा बोलने का फैशन हो गया, हिन्दुत्व एक ही है, वो पहले से है और आखिर तक वो ही रहेगा।

सावरकर ने उद्घोष जोर से करना जरूरी समझा

उन्होंने कहा कि सावरकर ने परिस्थिति को देखकर इसका उद्घोष जोर से करना जरूरी समझा और यदि सभी जोर से बोलते तो देश का बंटवारा नहीं होता। उदय माहुरकर, चिरायु पंडित की पुस्तक ‘ वीर सावरकर हू कुड हैव प्रिवेंटेड पार्टिशन’ के विमोचन पर उन्होंने यह विचार व्यक्त किये। भागवत ने कहा कि 2014 के बाद पहली बार अनुभव हो रहा है कि राष्ट्रनीति के पीछे सुरक्षा नीति है, जबकि पहले ऐसा नहीं था। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व का अर्थ अस्तित्व मूल में एक है। विविध होना ही हमारे आनंद की बात है। उन्होंने जोर देते हुए कहा हम अलग नही हैं हम एक ही हैं। उन्होंने कहा कि गांधी और सावरकर एक दूसरे से भिन्न मत के बाद भी एक दूसरे का पूरा सम्मान करते थे। मत अलग हों और तब भी एक साथ चलेंगे, यहां राष्ट्रीयता में ये सब बात है।

संघ प्रमुख ने कहा कि सावरकर की भविष्यवाणी के एक एक करके सत्य हुई। विभाजन के बाद शांति नसीब नही होगी, ऐसा उन्होंने कहा था और वास्तव में कहीं न कहीं ऐसा दिखा भी है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद हम सोचते हैं कि अगर उस समय जोर से बोलते तो शायद देश का बंटवारा नहीं होता। उन्होंने कहा कि इस देश में जितने आए सब विद्यमान हैं और स्वागत है। लेकिन अलगाव की बात न करें।
उन्होंने कहा कि जो भारत का है उसकी सुरक्षा भारत से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि विभाजन के बाद जो लोग पाकिस्तान गए वह वहां सुरक्षित नहीं रहे हैं।

सावरकर के जीवन के इतने आयाम हैं उसे एक किताब में समाहित करना मुश्किल

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सावरकर के जीवन के इतने आयाम हैं उसे एक किताब में समाहित करना बेहद मुश्किल काम है। उन्होंने कहा कि ये पुस्तक उन्हें लेकर मौजूद भ्रांतियां दूर करेंगी। राजनाथ ने कहा कि सावरकर के जीवन की कहानी अब तक खास विचारधारा से प्रभावित लोग बताते रहे हैं। लोग देशभक्ति से उनकी अपरिचित रहे हैं। जबकि वे स्वतंत्रता सेनानी महान थे। महानायक थे, हैं और रहेंगे। उन्होंने कहा कि सावरकर पर फासीवादी और नाजीवादी का आरोप भी लगता है। जबकि वे केवल यथार्थ और राष्ट्रवादी थे।

वे हेल्थी डेमोक्रेसी की बात करते थे

वे हेल्थी डेमोक्रेसी की बात करते थे। उनका मानना था कि सांस्कृतिक समानता देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उनके लिए देश सबसे पहले था। सिंह ने कहा कि उनकी माफी पेटिशन को लेकर भी खास विचारधारा के लोगों ने बेबुनियाद बात प्रचारित की हैं। कार्यक्रम में प्रकाशक एस.मेहरा, संघ के अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बालमुकुंद पांड्ेय आदि शामिल रहे।

संघ प्रमुख ने कहा कि हमारी पूजा अलग हो सकती है लेकिन मातृभूमि नहीं बदल सकते। जो भारत का है उसकी सुरक्षा, प्रतिष्ठा भारत के साथ ही जुड़ी है। उन्होंने सावरकर और उनके विचारों का जिक्र करते हुए कहा कि हिंदू राष्ट्रीयता पूजा पद्धति के आधार पर भेदभाव नहीं करती

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि आजादी के बाद सावरकर को बदनाम करने की मुहिम बहुत तेजी से चली है। उन्होंने एक किताब का जिक्र करते हुए कहा कि जो लोग सावरकर को बदनाम कर रहे हैं उनका निशाना दयानंद, विवेकानंद, योगी अरविंद होंगे। क्योंकि इन्होंने भारत की वास्तविक राष्ट्रीयता का प्रथम उद्घोष किया था।

संघ प्रमुख ने सुरक्षा नीति पर सरकार की तारीफ भी की। उन्होंने कहा कि पहले सुरक्षा नीति चलती थी लेकिन वह राष्ट्रनीति के पीछे-पीछे चलती थी। लेकिन 2014 के बाद सुरक्षा नीति आगे है। उन्होंने यह भी कहा कि 1962 ने दिखा दिया कि सेना की कितनी जरूरत है।

भागवत ने कहा कि यह देश के लोगों को कर्तव्य और अधिकार बराबर की भागीदारी सिखाने वाला युग है। एक किताब का विमोचन करते हुए भागवत ने कहा कि भारत की राष्ट्रीयता पूरी दुनिया को जोड़ने का मार्ग उजागर करती है। मानवता के विचार को ही भारतीय भाषा के परंपरा के अर्थ में धर्म कहा जाता है। धर्म का अर्थ मानवता है, संपूर्ण विश्व की एकता है। उसी के लिए सावरकर जी ने हिंदुत्व शब्द का इस्तेमाल किया।

संघ प्रमुख ने कहा कि हमारी पूजा अलग हो सकती है लेकिन मातृभूमि नहीं बदल सकते। जो भारत का है उसकी सुरक्षा, प्रतिष्ठा भारत के साथ ही जुड़ी है। उन्होंने सावरकर और उनके विचारों का जिक्र करते हुए कहा कि हिंदू राष्ट्रीयता पूजा पद्धति के आधार पर भेदभाव नहीं करती। हिंदुत्व एक ही है, वैसा ही रहेगा, वो सनातन है। उन्होंने कहा कि अगर इसी बात को आजादी से पहले सब जोर से बोलते तो शायद विभाजन नहीं होता।

अंग्रेजों ने भ्रांतियां पैदा कर हिंदू-मुसलमानों को लड़ाया: मोहन भागवत

भागवत ने कहा कि ये कहा जाना चाहिए था कि अलगाव की बात मत करो, विशेषाधिकार की बात मत करो। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व का विचार यह है कि सबका अस्तित्व एक है, अलग दिखने से कोई अलग नहीं होता। हम एक देश के हैं, पूजा-भाषा अलग होना हमारे देश की परंपरा है।

..तो विभाजन नहीं होता

संघ प्रमुख ने कहा, भारतीय भाषा की परंपरा के अर्थ में धर्म का अर्थ जोड़ने वाला है, उठाने वाला है, बिखरने ना देने वाला है। साधारण शब्दों में समझा जाए तो भारतीय धर्म मानवता है। जो भारत का है, उसकी सुरक्षा, प्रतिष्ठा भारत के ही साथ जुड़ी है।

विभाजन के बाद भारत से पाकिस्तान में गए मुसलमानों की प्रतिष्ठा पड़ोसी देश में भी नहीं है। जो भारत का है, वो भारत का ही है। इतने वर्षों के बाद अब हम जब परिस्थिति को देखते हैं तो ध्यान में आता है कि जोर से बोलने की आवश्यकता तब थी, सब बोलते तो शायद विभाजन नहीं होता।

राजनाथ सिंह बोले- महान स्वतंत्रता सेनानी थे सावरकर

कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी शामिल हुए। राजनाथ सिंह ने कहा- वीर सावरकर जी महान स्वतंत्रता सेनानी थे, इसमें कहीं दो मत नहीं हैं। किसी भी विचारधारा के चश्मे से देखकर राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को अनदेखा करना, अपमानित करना ऐसा काम है, जिसे कभी माफ नहीं किया जा सकता।

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