उत्तराखंड कोरोना 24 अगस्त:नये केस 15, ठीक हुए 17, सक्रीय केस 313

Coronavirus in : मंगलवार को 15 नए संक्रमित मिले, एक भी मरीज की मौत नहीं

प्रदेश में मंगलवार को सात जिलों अल्मोड़ा, बागेश्वर, चंपावत, रुद्रप्रयाग, टिहरी, ऊधमसिंह नगर और उत्तरकाशी में एक भी संक्रमित नहीं मिला है।

उत्तराखंड में बीते 24 घंटे में 15 नए कोरोना संक्रमित मिले हैं। वहीं, एक भी मरीज की मौत नहीं हुई है। जबकि 17 मरीजों को ठीक होने के बाद घर भेजा गया। सक्रिय मामलों की संख्या भी घटकर 310 पहुंच गई है। जबकि सोमवार को प्रदेश में 313 सक्रिय मामले हैं।

स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार, मंगलवार को 16356 सैंपलों की जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है। सात जिलों अल्मोड़ा, बागेश्वर, चंपावत, रुद्रप्रयाग, टिहरी, ऊधमसिंह नगर और उत्तरकाशी में एक भी संक्रमित नहीं मिला है। वहीं, चमोली, हरिद्वार और पौड़ी में एक-एक, देहरादून में आठ, नैनीताल और पिथौरागढ़ में दो-दो संक्रमित मरीज मिले हैं।

प्रदेश में अब तक कोरोना के कुल संक्रमितों की संख्या 342786 हो गई है। इनमें से 329047 लोग ठीक हो चुके हैं। प्रदेश में कोरोना के चलते अब तक कुल 7377 लोगों की जान जा चुकी है।

बता दें कि राज्य में अब तक कोरोना के 342786 मामले आए हैं। जिनमें 95.99 फीसद यानी 329047 स्वस्थ हो चुके हैं। फिलवक्त कोरोना के 310 सक्रिय मामले हैं। एकमात्र देहरादून जनपद में ही सौ से ज्यादा सक्रिय मामले हैं, जबकि अन्य 12 जनपदों में कोरोना के सक्रिय मामले सौ से कम हैं। वहीं कोरोना संक्रमित 7377 मरीजों की अब तक मौत हो चुकी है।

स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार निजी व सरकारी लैब से 16 हजार 371 सैंपल की जांच रिपोर्ट प्राप्त हुई है। इनमें 16356 सैंपल की रिपोर्ट निगेटिव आई है। देहरादून में सबसे अधिक आठ लोग संक्रमित मिले हैं। इसके अलावा नैनीताल व पिथौरागढ़ में दो-दो, चमोली, पौड़ी व हरिद्वार में एक-एक व्यक्ति संक्रमित पाया गया। जबकि अल्मोड़ा, बागेश्वर, चंपावत, रुद्रप्रयाग, टिहरी, उत्तरकाशी व ऊधमसिहनगर में कोई नया मामला नही आया है।

फंगस के 26 मरीज हुए ठीक

फंगस (म्यूकर माइकोसिस) से मंगलवार को भी राहत रही है। क्योंकि इस बीमारी का ना ही कोई नया मामला मिला और न किसी मरीज की मौत हुई है। जबकि 26 मरीज ठीक होकर अस्पताल से डिस्चार्ज हुए हैं। राज्य में अब तक फंगस के 574 मामले मिल चुके हैं। इनमें से 131 मरीजों की मौत हो चुकी और 333 ठीक हुए हैं।

साढ़े 88 हजार व्यक्तियों को लगा टीका

कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए टीकाकरण अभियान तेजी से चल रहा है। मंगलवार को भी प्रदेश में 845 केंद्रों पर 88 हजार 582 व्यक्तियों को कोरोनारोधी टीका लगा। प्रदेश में अब तक 60 लाख 20 हजार 730 व्यक्तियों को वैक्सीन की पहली खुराक लग चुकी है। जबकि 18 लाख 90 का पूर्ण टीकाकरण हो चुका है। 18 से 44 आयु वर्ग के 33 लाख 18 हजार 148 व्यक्तियों को वैक्सीन की पहली और दो लाख 74 हजार 738 को दोनों खुराक लग चुकी है।

हरिद्वार में भी लगने लगी स्पूतनिक की डोज

धर्मनगरी हरिद्वार में रूस की स्पूतनिक वैक्सीन लगनी शुरू हो गई है। निजी अस्पताल में दो दिन में 75 लोगों को स्पूतनिक का टीका लगवाया है। शहर के रानीपुर मोड़ स्थित ग्लोबल मेडिकल हेल्थ केयर में स्पूतनिक टीकाकरण शुरू किया गया है।

डाक्टर समंतु विरमानी ने बताया कि स्पूतनिक कोरोना वैक्सीन को रखने के लिए माइंस 25 डिग्री तापमान की जरूरत होती है जिसके लिए उनका हॉस्पिटल में यह सुविधा उपलब्ध है। इसके अलावा अन्य कई मानकों पर भी खरा उतरने पर वैक्सीन लगाने के लिए शहर में एक मात्र उन्हें अधिकृत किया गया है।

उन्होंने बताया कि एक डोज का शुल्क 1145 रुपये निर्धारित किया गया है। लोग दोनों डोज लगवा लें। इसलिए एक साथ दोनों डोज का 2290 रुपये ले लिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सोमवार को 35 और मंगलवार को 40 लोगों को वैक्सीन लगाई गई।न

हरियाणा के विशेषज्ञों को एम्स में मिला कोविड प्रशिक्षण
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गंभीर कोरोना मरीजों की देखभाल और वेंटिलेटर प्रबंधन के लिए कोविड कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में हरियाणा के विभिन्न चिकित्सा संस्थानों और जिला स्तरीय अस्पतालों के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। उत्तराखंड और अन्य राज्यों के विशेषज्ञ चिकित्सकों के लिए जल्द ही कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा।

एम्स में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों ने अत्याधुनिक सिमुलेटर का उपयोग करके महत्वपूर्ण देखभाल सिद्धांतों और यांत्रिक वेंटिलेशन पर प्रशिक्षण प्राप्त किया। कार्यशाला में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर गंभीर मरीजों के इलाज के लिए जरूरी सावधानियां बरतने को कहा गया। साथ ही प्रतिभागियों को विभिन्न प्रकार के वेंटिलेटरों की कार्यप्रणाली के तौर-तरीकों और विभिन्न बीमारियों के लिए विशिष्ट रणनीतियों के बारे में भी विस्तार से समझाया गया।

एम्स के निदेशक रविकांत ने कहा कि शैक्षणिक वृद्धि और नई-नई जानकारियां लेने व सीखने के लिए प्रत्येक चिकित्सक को सप्ताह में कम से कम दो से तीन घंटे का समय निकालना चाहिए। डीन एकेडेमिक प्रोफेसर मनोज गुप्ता ने गैर-शैक्षणिक संस्थानों से अनुसंधान के महत्व पर प्रकाश डाला।

कार्यशाला के समन्वयक प्रोफेसर देवेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि उत्तराखंड और अन्य राज्यों के विशेषज्ञों के लिए भी इसी तरह के कार्यक्रमों की योजना बनाई जा रही है। इसके तहत शीघ्र ही इस प्रकार की कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी।

कार्यशाला में एनेस्थिसियोलॉजी विभाग से डॉक्टर डीके त्रिपाठी, डॉक्टर अंकित अग्रवाल, डॉक्टर गौरव जैन, डॉक्टर प्रवीण तलवार, डॉक्टर भावना गुप्ता, डॉक्टर मृदुल धर, डॉक्टर समीर शर्मा, डॉक्टर उदय चंद्रन, डॉक्टर सौरव चंद्राकर, जनरल मेडिसिन विभाग से डॉक्टर प्रसन्न कुमार पांडा, पल्मोनरी मेडिसिन से डॉक्टर प्रखर शर्मा, इमरजेंसी मेडिसिन से डॉक्टर भारत भूषण भारद्वाज, डॉक्टर अंकिता काबी, बाल रोग विभाग से डॉक्टर नीलाद्री भुनिया आदि थे।

 

 

 

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