उत्तराखंड न सीखा आतिथ्य तो हाथ से जायेगा तीर्थाटन भी

हम सभी किस्म के गढ़वाल व्यापारियों कों‌ सही Business Culture सीखना ही होगा।

मोदी जी ने अवसर बनाकर तो दे‌ दिये । अब हमें ही अपने व्यापार व्यवहार में सुधार लाना ही होगा।‌ कुछ अच्छी बातें सीखनी होंगी।

मैं‌ सितम्बर 23 तारीख से 16 अकटूबर तक के दौरान लगातार रूद्र प्रयाग, कर्ण प्रयाग और चमोली जनपद में घूमता रहा हूं। और अपने कुछ सुखद अनुभवों को यहा शेयर कर रहा हूं ।

1) मोदी जी ने चारधाम औल वैदर रोड योजना के अधीन‌ सकडों को इतना बढिया चौड़ा कर दिया है यातायात बहुत सुगम हो गया है। Travelling time भी घट गया है । कर्ण प्रयाग से देहरादून तक आने जाने में पहले कम से कम कार से 9, साढ़े 9 घंटे लगते ही थे। पर अब मात्र 6, साढ़े 6 घंटों में मैने खुद ड्राइविंग करके ये दूरी तय की है, जबकि मैं अच्छा ड्राईवर नहीं हूं।
कोई रूकावट नहीं। खुली चौड़ी सडकें। कहीं ही मलवा जरूर गिरा है सडकों पर लेकिन कोई खास बड़ा वयवधान नहीं होता।

2) अब सड़कों के किनारे कयी नये नये ढाबे और रात्रि विश्राम के लिए होटल भी खुल गये हैं। जहां चाहे वहां रूको, खाना खाओ, रात्रि विश्राम करो। इससे सबसे बढिया बात यह हुई है कि सैकड़ों लोगों को अपने घर गांव के पास भी अच्छा रोजगार मिल गया है।

3) पहले सामान्य परिस्थितियों मे भी रात 8 बजे के बाद यातायात बंद कर दिया जाता था। पर अब लगातार रात 12 बजे तक भी यातायात चल रहा है । जब सडकें पूरी तरह बनकर तैयार हो जायेंगी तब हो सकता है कि बसों और अन्य वाहनो की रात्रि सेवायें भी शुरू हो जायेगी।
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इसी सडक पर मैं अपने पिताजी को इलाज के लिए श्रीनगर से देहरादून ला रहा था वर्ष 1997 मे और इतना ट्रैफिक जाम था कि हम 6, साढे 6 घंटो में ऋषीकेश पहुंच सके । लेकिन तब तक उनका देहांत हो गया था और अस्पताल वालों ने मृत घोषित कर दिया। उस दिन भी हमे अहसास हो रहा था कि यदि traffick jam , न होता, सड़कें चौडी होती तो हम समय रहते ऋषीकेश पहुंच जाते। और हो सकता है कि पिताजी की जान बच जाती ऐसा हादसा बहुत सारे अन्य लोगों के साथ भी होता रहता था। सडकें संकरी थी , ट्रैफिक जाम रहता ही था।
3) 14 अकटूबर को तेज बारिस भी हो रही थी लगातार लेकिन इसके बावजूद इतनी बडी संख्या में तीर्थयात्रियों क़ श्री बद्रीनाथ केदारनाथ धामों को पहले कभी अक्टूबर महीने मे जाते नही देखा जितना अबकी बार देखा। बहुत बडी संख्या थी तीर्थयात्रियों की । इस साल‌ केदारनाथ अकेले धाम में 14 लाख तीर्थयात्री दर्शनार्थ आये। पहले केलव 4 या 5 लाख तीर्थयात्री ही आते थे। यात्रियों की संख्या में तीन गुना बढ़ोतरी हुई है। ये भी शुभ संकेत है।

4) वैसे औल वैदर रोड की योजना में बारह महीने यात्रा चलती रहे ये भी परिकल्पना शामिल है। अगर ऐसा होता है तो 12 महीनों‌ चलने वाले तीर्थ पर्यटन से रोजगार के अवसरों में‌ बहुत वृद्धि होगी गढवाल में। मै तो यहां तक मानता हूं कि यही चारधाम औल वैदर रोड गढवाल का सारा आर्थिक परीदृशय बदल‌ डालेगी। आज के समय साऊथ ईस्ट एशिया के कयी देश ऐसे हैं जो केवल Entertainment tourism पर चलते है।
हमारे यहा चलने वाला religious tourism तो उससे भी ज्यादा मजबूत आधार है। बाकी भविष्य बतलायेगा।

5) अब बहुत बडी जिम्मेदारी आन‌ पड़ीं है पर्यटन व्यवसाय से जुडे सभी कारोबारियों पर कि वे पर्यटन से अपनी आजीविका कमायें‌ जरूर लेकिन अच्छे business culture के साथ, मानव सेवा भाव के साथ।
हम एक बार द्वारका , सोमनाथ, पोरबंदर गये घूमने और दरशन‌ करने । वहां करीब 8 दिन रूके । वहा कुछ लोग मित्र भी बन गये। उन्होंने हमें‌ बताया कि वे भी एक बार बद्रीनाथ, केदारनाथ की यात्रा पर गये थे लेकिन ‌यहां के हर कारोबारी ने उनको जमकर लूटा। बासी भोजन, गंदे मैले‌ बिसतर , अशिष्ट व्यवहार करने‌वाले बस और टैक्सी ड्राइवर, बच्चों के एक गिलास दूध के दो सौ रूपये, बिसलरी की पानी की बोतल 150 रू में, निर्लज्ज लूट मचाना, बारिस लगी हो तो अपने छप्पर के नीचे तक खडा नही होने देते आदि आदि । उन द्वारिका वाले मित्रों ‌ने हम से कहा कि आपके लोगों के ऐसे‌ वयवहार से नहीं लगता कि उत्तराखंड देवभूमि है। ऐसा सभ्य शिष्ट व्यापार व्यवहार तो बिल्कुल ‌नही हैं‌।
हम 8 दिनों गुजरात के अलग इलाकों में घूमें लेकिन वहा हरेक वयापारी का व्यवहार बडा आतमीय था, शालीन‌था, कोई लूट खसूट नही , जिसने भी लिए वाजिब पैसे लिए। हर ढाबे वाले ने ताजा खाना खिलाया वो भी बडे परेम के साथ। काठियावाड़ इलाके में तो महिलाएं 25, 30 तोला सोने के भरपूर आभछषण पहने बसों मे आ जा रही थीं। कोई लूटपाट नहीं। और देहरादून मे गले मे पहनी ढाई तोले की सोने की चेन भी लूट लेते हैं लोग। हमारे यहां तो देवभूमि वाले लक्षण तो धीरे धीरे खत्म होते जा रहे हैं।
बहुत दुःखद है लेकिन सत्य है।

व्यापार करते हुए भी मानवीय मूल्यों को भी अपनाया ही जाना चाहिए। Business culture हम गढवालियों को नही आता। बिलकुल नही आता। पर ये हमे सीखना ही होगा । तभी हम पैसा भी कमायेंगे‌ और इज्जत भी कमा पायेंगे।

कालिका प्रसाद काला की फेसबुक पोस्ट

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500 का कमरा 10 हजार तो 20 की पानी बोतल 100 रुपये में…चार धाम यात्रा में मची लूट पर प्रशासन सख्त

Char Dham Yatra in uttarakhand 2022: चार धाम यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों से मनमाना वसूली को लेकर अब प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। कोरोना संक्रमण काल के दो साल के बाद जैसे ही चार धाम के पट भक्तों के लिए खुले, वे उमड़ने लगे हैं। देश-विदेश से भारी संख्या में पहुंच रहे श्रद्धालुओं से स्थानीय दुकानदार से लेकर होटल संचालक तक मनमानी वसूली में लगे हैं।
देहरादून: उत्तराखंड की चारधाम यात्रा ( के लिए देश-विदेश से आ रहे तीर्थयात्रियों से यात्रा के दौरान खाने-पीने की चीजों के दाम कई गुना बढ़ाकर लिए जाने की खबरों पर प्रशासन सख्त हो गया है। राज्य के मुख्य सचिव एसएस संधू ने यात्रियों से मनमानी कीमत वसूल करने वालों को गिरफ्तार करने का आदेश दिया है। मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि दोषियों को दंडित करें। बता दें कि यात्रा मार्गों में बने होटल, रेस्टोरेंट और दुकानदारों पर यात्रियों से बेतहाशा ऊंचे दाम वसूलने की शिकायतें आ रही हैं। 500 रुपये के कमरे के लिए 5 से 10 हजार रुपये तक वसूले जा रहे हैं। 20 रुपये की पानी की बोतल के लिए 100 रुपये देने को मजबूर किया जा रहा है।

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