ब्रिटिश प्रधानमंत्री लिज ने छोड़ा पद, पार्टी का भरोसा गंवाया

ब्रिटेन की PM लिज ट्रस का इस्तीफा:कहा- वादे पूरे नहीं कर सकी, सांसदों ने बनाया इस्तीफे का दबाव

लंदन20 अक्टूबर। एक हफ्ते से भारी दबाव का सामना कर रहीं ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने आखिरकार आज इस्तीफे का ऐलान कर दिया। हालांकि, वे अगला प्रधानमंत्री चुने जाने तक पद पर बनी रहेंगी। कंजर्वेटिव पार्टी की स्पेशल रूल कमेटी 1922 के चेयरमैन सर ग्राहम ब्रेडी ने लिज से मिलकर उन्हें बताया था कि पार्टी अब उन्हें नेता के तौर पर नहीं देखती।

BBC के मुताबिक- लिज सिर्फ 45 दिन पद पर रहीं। किसी भी ब्रिटिश प्रधानमंत्री का यह सबसे छोटा कार्यकाल है। इसके पहले 1827 में जॉर्ज केनिंग 119 दिन PM रहे थे।

इससे पहले ब्रिटेन की इंटीरियर मिनिस्टर सुएला ब्रेवरमेन ने बुधवार को कैबिनेट से त्यागपत्र दे दिया था। चंद दिन पहले ही वित्त मंत्री क्वासी ने भी इस्तीफा दिया था। सुएला के त्यागपत्र की खबर मीडिया रिपोर्ट्स में दी गई है। प्रधानमंत्री लिज ट्रस या सरकार के प्रवक्ता ने इस बारे में कुछ नहीं कहा है।

लिज ने क्या कहा

ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने अपने सरकारी आवास 10 डाउनिंग स्ट्रीट के बाहर मीडिया से कहा- मैं जिन वादों के साथ सत्ता में आई थी, उन्हें पूरा नहीं कर सकी। इसका अफसोस है। किंग चार्ल्स को मैंने इस बारे में जानकारी दे दी है। पार्टी और खुद की आलोचना के बीच भी लिज पिछले हफ्ते चुप रहीं थीं। हालात, ये हुए कि विपक्ष ने उन पर संसद में बेंच के नीचे छिपने का व्यंग्य तक कस दिया।

उन्ऐ सोमवार को BBC को इंटरव्यू में कहा- वादाखिलाफी और गलतियों की जिम्मेदारी लेते हुए माफी मांगती हूं। हम हर वादा पूरा करना चाहते हैं, लेकिन अब इसमें वक्त लगेगा। इस्तीफे के सवाल पर कहा- मैं हार नहीं मानती। लोगों के लिए काम करना चाहती हूं। इसलिए इस्तीफे जैसी फिजूल बातों पर वक्त खराब नहीं करना चाहिए। यही बात देशहित में भी है। हालांकि, 2 दिन बाद ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया।

क्यों दिया इस्तीफा? सिर्फ 45 दिन ब्रिटेन की प्रधानमंत्री बन दर्ज करवाया यह रिकॉर्ड

ब्रिटिश प्रधानमंत्री लिज ट्रस के इस्तीफे बाद कंजर्वेटिव पार्टी के नए नेता की खोज शुरू हो गई है। पार्टी की चुनाव समिति अध्यक्ष सर ग्राहम ब्रैडी ने कहा है कि अगले हफ्ते तक नए नेता का चुनाव हो जाएगा। लिज ट्रस ब्रिटिश इतिहास में सबसे कम समय तक प्रधानमंत्री रही हैं।

हाइलाइट्स
1-लिज ट्रस के इस्तीफे के बाद नए नेता की तलाश शुरू
2-सिर्फ 45 दिनों तक ही प्रधानमंत्री रहीं लिज ट्रस
3-टैक्स कटौती को लेकर विरोधियों के निशाने पर थीं ब्रिटिश प्रधानमंत्री


लिज ट्रस के इस्तीफे के बाद ब्रिटेन में राजनीति फिर एक बार गहरा गई है। लिज ट्रस सिर्फ 45 दिनों तक ही ब्रिटेन की प्रधानमंत्री रह पाईं। अब लिज ट्रस के नाम ब्रिटेन के सबसे कम दिनों तक प्रधानमंत्री रहने का रिकॉर्ड भी दर्ज हो गया है। दूसरे सबसे कम समय तक सेवा देने वाले प्रधानमंत्री जॉर्ज कैनिंग थे, जिन्होंने 1827 में कार्यकाल के दौरान निधन से पहले 119 दिनों तक सत्ता संभाली थी। ट्रस प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही टैक्स कटौती को लेकर विरोधियों के निशाने पर थीं। इस कारण उन्हें अपने वित्त मंत्री क्वासी क्वार्टेंग को बर्खास्त तक करना पड़ा था। अब संभावना जताई जा रही है कि नया प्रधानमंत्री चुनने के लिए कंजर्वेटिव पार्टी के नेता का चुनाव कराया जाएगा। ऐसे में मुख्य मुकाबला ऋषि सुनक और उनके विरोधी बोरिस जॉनसन की टीम के किसी नेता के बीच हो सकता है। बोरिस जॉनसन ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद ऋषि सुनक पर पीठ में छुरा घोंपने का आरोप लगाया था। चुनाव प्रचार में तो जॉनसन ने सांसदों से ऋषि सुनक के खिलाफ वोट देने की अपील भी की थी।

लिज ट्रस ने इस्तीफे के बाद क्या कहा

लिज ट्रस ने इस्तीफा देने के बाद कहा, ”मैं ऐसे समय में सत्ता में आईं, जब ब्रिटेन गहरे आर्थिक और अंतर्राष्ट्रीय अस्थिरता से जूझ रहा था। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन बहुत लंबे समय से कम आर्थिक विकास के कारण पीछे था और उन्हें उनकी पार्टी ने इसे बदलने के लिए जनादेश के साथ चुना था। इसके लिए ब्रिटिश सरकार ने तेल और गैस की कीमतों में कटौती की। सरकार ने कम टैक्स और उच्च विकास अर्थव्यवस्था का एक दृष्टिकोण निर्धारित किया था। मैं मानती हूं … स्थिति को देखते हुए मैं वह जनादेश नहीं दे सकती जिस पर मुझे कंजरवेटिव पार्टी ने चुना था।” ट्रस ने कहा कि मैंने महामहिम महाराज से यह सूचित करने के लिए बात की है कि मैं कंजरवेटिव पार्टी के नेता के रूप में इस्तीफा दे रहा हूं।
लिज ट्रस ने 45 दिनों में कई बड़ी घटनाओं को देखा
लिज ट्रस के छह हफ्तों के कार्यकाल के दौरान कई बड़ी घटनाओं का सामना करना पड़ा, जिसका असर ब्रिटेन की राजनीति पर पड़ा। 5 सितंबर को लिज ट्रस अपने प्रतिद्वंदी ऋषि सुनक को हराकर कंजर्वेटिव पार्टी के नेता चुनी गई थीं। इसके अगले दिन ब्रिटेन की तत्कालीन महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने उन्हें प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई थी। लेकिन, 8 सितंबर को महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का निधन हो गया। इस कारण ब्रिटेन में राजकीय शोक का ऐलान कर दिया गया और पूरा प्रशासनिक अमला और सरकार शाही परिवार की सेवा में जुट गए।

मिनी बजट के बाद निशाने पर आईं लिज ट्रस

लिज ट्रस सरकार 23 सितंबर को मिनी बजट पेश करने के बाद विरोधियों के निशाने पर आ गई थीं। इसी दिन ब्रिटेन के तत्कालीन वित्त मंत्री क्वाजी क्वार्टेंग ने मिनी-बजट पेश किया थआ। इसमें 45 अरब डॉलर की टैक्स कटौती की बाद की गई थी, जिसने ब्रिटेन के बाजार में कोहराम मचा दिया। शेयर बाजार में भी गिरावट देखी गई। ब्रिटेन के अमीर तबके ने इसे अपने खिलाफ बताया और लिज ट्रस सरकार की आलोचना की। तीन दिन बाद ही 26 सितंबर को डॉलर के मुकाबले पाउंड रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। यह मामला जब बढ़ा तो 3 अक्टूबर को लिज ट्रस ने यू-टर्न लेते हुए टैक्स कटौती के फैसले को पलट दिया। इसके बावजूद जब बवाल नहीं थमा तो उन्होंने 14 अक्टूबर को वित्त मंत्री क्वाज़ी क्वार्टेंग को हटा कर उनकी जगह जेरेमी हंट की नियुक्ति कर दी।

गृह मंत्री के इस्तीफे ने लिज ट्रस को मजबूर कर दिया

वित्त मंत्री हटने का मामला अभी ठंडा नहीं पड़ा था कि ब्रिटिश गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने 19 अक्टूबर को त्यागपत्र दे दिया। उन्हें प्रवासियों से संबंधित एक सीक्रेट ड्राफ्ट बिना मंजूरी अपने सहयोगी को शेयर करने का दोषी पाया गया । सुएला ने त्यागपत्र में नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार की और कहा कि उनसे नियमों का उल्लंघन हुआ है। अपने त्यागपत्र में ब्रिटिश गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने प्रधानमंत्री लिज ट्रस पर जमकर हमला बोला था और नैतिकता की दुहाई दी थी। इसी के बाद लिज ट्रस के त्यागपत्र की मांग ने जोर पकड़ लिया था।

फिर से चर्चाएं शुरू हो गई हैं कि देश का अगला पीएम कौन बनेगा?

हाइलाइट्स
1-यूके की प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने अपने पद से इस्‍तीफा दिया
2-ट्रस ने कहा है कि नए नेता का चुनाव एक हफ्ते के अंदर होगा
3-पार्टी के कई नेता पूर्व पीएम बोरिस जॉनसन की वापसी चाहये हैं

यूके की प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने सिर्फ छह हफ्तों में ही अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है। इसके साथ ही एक बार फिर कंजर्वेटिव पार्टी अपना नेता चुनने की तरफ बढ़ चुकी है। ट्रस ने कहा है कि नए नेता का चुनाव एक हफ्ते में होगा। बुकीज का दांव अब भारतीय मूल के ऋषि सुनक और पेनी मोरदाउंट पर है। माना जा रहा है कि दोनों में से कोई एक अगला पीएम हो सकता है। लेकिन इन सबसे अलग पार्टी के कई नेता पूर्व पीएम बोरिस जॉनसन की वापसी चाहते हैं।

63 प्रतिशत सांसदों की पसंद जॉनसन

द सन के मुताबिक कंजर्वेटिव पार्टी के बहुत से नेता चाहते थे कि ट्रस को अपने पद से इस्‍तीफा दे देना चाहिए। इसके बाद सब बुधवार को गृहमंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने इस्‍तीफा देने का ऐलान किया तो ट्रस पर दबाव बढ़ गया। YouGov पोल में पार्टी के 55 प्रतिशत सदस्‍यों का कहना है कि चुनाव की स्थिति में वह सुनक को वोट करेंगे। वहीं 63 प्रतिशत सदस्‍य मानते हैं कि पूर्व पीएम जॉनसन बेहतर विकल्‍प हो सकते हैं। 32 प्रतिशत नेताओं ने उन्‍हें टॉप कैंडीडेट करार दिया। 23 प्रतिशत सदस्‍य सुनक के पक्ष में हैं।
60 प्रतिशत सदस्‍य मानते हैं कि सुनक को रिप्‍लेसमेंट के तौर पर लाना एक अच्‍छा आइडिया हो सकता है। वहीं, 47 प्रतिशत सदस्‍यों ने जर्मी हंट को वोट दिया है। पेनी मोरदाउंट के पक्ष में 54 प्रतिशत सदस्‍य हैं। 62 प्रतिशत लोग रक्षा मंत्री बेन वॉलेस के पक्ष में हैं। पार्टी के सांसदों का मानना है कि वो देश के भविष्‍य के लिए एक बेहतर नेता का चुनाव कर पाएंगें।

ट्रस ने मांगी माफी

ट्रस ने अपने इस्‍तीफे में लिखा है, ‘सरकार का काम उन लोगों पर निर्भर है जो अपनी जिम्‍मेदारी संभालते हैं और गलतियों को मानते हैं। हमें ऐसा लगता है कि हमने कोई गलती नहीं की है और उम्‍मीद करना कि जादुई तरीके से सारी चीजें सही हो जाएंगी, गंभीर राजनीति नहीं है।’ ट्रस ने सोमवार को जनता से माफी मांगी थी और कहा था कि वे काफी तेजी से ढेर सारे सुधार करना चाहती थी। ट्रस ने जिन सुधारों की घोषणा की थी उनसे देश में आर्थिक संकट पैदा हो गया। ट्रस सरकार ने पिछले महीने ही बाजार में जारी अस्थिरता के बीच ही ऋण-ईधन टैक्‍स में कटौती की घोषणा की थी।

ब्रेवरमैन ने बढ़ाईं मुश्किलें

गृहमंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने अपना इस्‍तीफा देते हुए कहा कि उन्‍होंने गल‍तियां की हैं और जिम्‍मेदारी स्‍वीकारते हुए पद छोड़ रही हैं। आर्थिक सुधारों के अलावा ट्रस सरकार उस ट्रेड डील की वजह से भी अपने घर में घिर चुकी थी जो भारत के साथ होने वाली थी। ब्रेवरमैन के बयान ने ट्रस की मुश्किलें दोगुना कर दी थी। उन्‍होंने कहा था,’भारत से ट्रेड डील के बाद यूके में गैर-कानूनी अप्रवासन बढ़ जाएगा।’ ब्रेवरमैन का कहना था कि गैर-कानूनी तौर पर रहने वालों में भारतीयों की संख्‍या सबसे ज्‍यादा है। जिस समय उन्‍होंने बयान दिया भारत और यूके के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर बातचीत जारी थी।

क्या अभी जनरल इलेक्शन भी मुमकिन है

‘द नेशनल वर्ल्ड’ के मुताबिक- कंजर्वेटिव,लेबर और लिबरल डेमोक्रेट्स पार्टी के कई सांसद ऐसे हैं जो सियासी रस्साकशी से ऊब चुके हैं। इनका कहना है कि पॉलिटिकल स्टैबिलिटी को आम चुनाव ही रास्ता हैं। यहां दो बातें हैं। पहली- शेड्यूल के मुताबिक,अगला जनरल इलेक्शन 2025 में होना है।

दूसरी- सरकार चाहे तो इलेक्शन अनाउंस कर दे या जो चल रहा है, उसे ही जारी रखे। सत्तारूढ़ दल इलेक्शन तभी अनाउंस करते हैं, जब उन्हें जीत का भरोसा हो। बोरिस जॉनसन और थेरेसा मे ने यही किया था। लिज फिलहाल राजनीतिक तौर पर बेहद कमजोर हैं। लिहाजा, लगता नहीं कि वो कदम उठाएंगी।

पर्दे के पीछे की कहानी क्या

दरअसल, कंजर्वेटिव पार्टी की एक रूल बुक कमेटी है। इसे 1922 कमेटी कहा जाता है। इसके मुताबिक, किसी प्रधानमंत्री को हटाने के दो तरीके हैं- अविश्वास प्रस्ताव या त्यागपत्र। जॉनसन अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के बाद त्यागपत्र पर राजी हुए थे। यहां एक पेंच है और वो लिज ट्रस के मामले में तो बेहद महत्वपूर्ण था। दरअसल, 1922 कमेटी की रूल बुक कहती है कि किसी भी प्रधानमंत्री के खिलाफ एक साल तक अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता।

BBC के मुताबिक- लिज ने हर किसी को निराश किया था। यहां तक मांग उठने लगी कि 1922 कमेटी की मीटिंग बुलाकर एक साल वाला नियम खत्म किया जाए। यह काम कमेटी के चीफ सर ग्राहम ब्रेडी कर सकते थे,और उन्होंने ही किया।

बीच का रास्ता अपनाया गया

सांप भी मर जाएगा और लाठी भी नहीं टूटी। ब्रिटिश वेबसाइट ‘नेशनल वर्ल्ड’ के मुताबिक- कंजर्वेटिव पार्टी में एक नियम और भी है। इसमें पार्टी अपने नेता यानी प्रधानमंत्री को हटा सकती है। 50% कंजर्वेटिव सांसद 1922 कमेटी के चीफ सर ग्राहम ब्रेडी के पास जाकर लिज को नेता पद से हटाने की मांग कर सकते थे। यही किया गया।

इसके बाद सर ब्रेडी पार्टी के चीफ व्हिप वेंडी मॉटर्न के साथ लिज के पास गए। उन्हें सांसदों की इच्छा बताई। हालांकि, यह भी अप्रत्यक्षत: त्यागपत्र की प्रक्रिया थी। पार्टी की पॉपुलैरिटी 34% कम हो चुकी है। लिज की अप्रूवल रेटिंग माइनस 47 पहुंच चुकी थी। 2025 में जनरल इलेक्शन है।

कौन बनेगा प्रधानमंत्री? ऋषि सुनक तो चुप

पूर्व वित्त मंत्री क्वासी वारटेंग और जेरेमी हंट दोनों ही नए पार्टी लीडर की रेस से खुद को बाहर बता चुके हैं। अब सबसे तगड़ा दावा भारतीय मूल के ऋषि सुनक का माना जा सकता है। बुधवार को ही ‘द गार्डियन’ ने एक रिपोर्ट में कहा था- ब्रिटेन के लोगों और कंजर्वेटिव पार्टी के कई सांसदों की सोच यह है कि सितंबर में सुनक को ही प्रधानमंत्री बनाया जाना था। लिज को गलत चुना गया।

अब सवाल यह है कि क्या ऋषि सुनक दोबारा इस रेस में शामिल होंगे? इसकी बड़ी वजह यह है कि पार्टी और देश की राजनीति में 15 दिन से उथलपुथल मची थी और ऋषि शांत थे। पूर्व मंत्री मॉरडेन्ट भी रेस में शामिल हो सकती हैं। वैसे भी लिज के चुने जाने के पहले सांसदों ने जो वोटिंग की थी,उसमें सबसे ज्यादा वोट सुनक को ही मिले थे।

लेकिन, जब दो कैंडिडेट यानी लिज और सुनक बचे तो फैसला कंजर्वेटिव पार्टी के मेंबर्स ने किया। इसमें लिज ने बाजी मार ली। सुनक पहले ही सावधान कर रहे थे कि लिज जो वादे कर रहीं है, वो ब्रिटिश इकोनॉमी नष्ट कर देंगे।

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री चुनाव में सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव के सांसदों की पहली पसंद भारतीय मूल के ऋषि सुनक ही थे। पांचों राउंड की वोटिंग में सुनक हर बार बड़े अंतर से जीते। आखिरी फैसला पार्टी के 1.60 लाख मेंबर्स ने किया। इनकी पसंद लिज ट्रस रहीं। जीत बाद अगर लिज की पहली स्पीच को गौर से सुनें तो यह साफ हो गया था कि ट्रेड और इकोनॉमी के मास्टर ऋषि की फायरब्रांड लिज को कितनी जरूरत होगी।
47 साल की लिज की छवि ब्रिटेन की राजनीति में फायरब्रांड की है। जीत बाद लिज ने सुनक के बारे में कहा था- मैं खुशकिस्मत हूं कि मेरी पार्टी में इतनी गहरी समझ वाले नेता हैं।

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