चुनाव घोषणापत्र तक नहीं पढ़ पाए उच्च शिक्षित अखिलेश

सत्यवचन बोलने में 51 बार क्यों अटके अखिलेश?:ऑस्ट्रेलिया से पढ़ाई करके लौटे अखिलेश की डिक्शनरी के इन शब्दों को सुनकर आप भी चौंकेंगे

लखनऊ09 फरवरी ( अविनाश रावत)UP चुनाव 2022 में भाजपा को तगड़ी टक्कर अखिलेश यादव ही दे रहे हैं। जब भी मुखातिब होते हैं… तेवर में होते हैं। सधे शब्दों में ही बोलते हैं और लोगों को बांधते भी हैं। उन्हें लोगों ने हमेशा धाराप्रवाह बोलते सुना और देखा है। हालांकि, UP चुनाव के पहले चरण का प्रचार थमने के साथ ही अखिलेश के शपथपत्र पढ़ने के दौरान अटकने का वाकया भी हुआ।

अखिलेश ने अपने शपथपत्र को सत्यवचन ‘अटूट वादा’ नाम दिया है। इन सत्यवचनों को पढ़ने में अखिलेश ने 41 मिनट का समय लिया और कुल 51 बार अटके। आलम यह था कि शुरूआत के 22 बिंदु पढ़ने में ही 13 गलतियां की। हिंदी और अंग्रेजी भाषा के कई शब्द ठीक से नहीं पढ़ सके। कई शब्द तो गलत ही बोल दिए। संसद में लोगों ने कन्नौज की सांसद डिंपल यादव को भाषण पढ़ने के दौरान अटकते देखा है, लेकिन अखिलेश के साथ शायद ये पहला ही वाकया था। वह घोषणापत्र को ठीक से पढ़ नहीं सके।

यहां आपको अखिलेश यादव की एजुकेशन के बारे में भी बताते हैं। धौलपुर के मिलिट्री स्कूल से हाईस्कूल और इंटरमीडिएट किया। फिर मैसूर यूनिवर्सिटी से पर्यावरण प्रौद्योगिकी में ग्रेजुएशन किया। फिर वह ऑस्ट्रेलिया गए। सिडनी यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन किया। भारत वापस लौटकर उन्होंने पॉलिटिक्स में कदम रखा। सपा के लिए चुनाव में प्रचार की कमान अखिलेश के हाथ ही रही। लोगों को शब्दों से बांधने की कला में वो माहिर माने जाते हैं। बावजूद इसके मंगलवार को शपथपत्र पढ़ते हुए वो अटकते और फंसते ही रहे।

आइए आपको बताते हैं कि अखिलेश ‘सत्यवचन ‘को पढ़ने के दौरान किन शब्दों को ठीक से नहीं पढ़ सके…

शुरुआत में किसानों को कर्ज मुक्त बनाने का वादा करते हुए 2025 कहने में ही अटक गए।
दो पहिया वाहन मालिकों को पेट्रोल देने की घोषणा में ‘को’ की जगह की बोल गए।
शिक्षा मित्र वाले बिंदु पर पारिश्रमिक की जगह परिश्रमण…परिश्रमायिक बोल गए।
यहां तक कि मौजूद बोलने में भी अटके, फिर संभलकर बोले।
इन्वेस्टिगेशन को इन्वेस्ट फिर इन्वेस्टिगेशन बोला।
सेंट्रल फैसिलिटेशन को फेसिली…फेसिलेशन कहा।
असंगठित को असखंड कह गए।
स्मार्ट विलेज क्लस्टर बोलने में अटके, पहले क्लस…फिर क्लसर और आखिर में क्लस्टर बोला।
इसके बाद एग्रो टेक वाले बिंदु में इनोवेशन इन्वेस्टिगेशन बोलने वाले थे, लेकिन रुके, फिर ठीक से पढ़ने के बाद बोला।
प्रोत्साहित के लिए प्रतोसा..प्रतासिह… फिर प्रोत्साहित कहा।
CNG कहने के दौरान पहले अटके, फिर ठीक से पढ़कर बोला।
बैंक डिसप्ले मार्ट बोलने में अटके।
ई-कॉमर्स सपोर्ट सिस्टम बोलने में भी अटके।
क्लीन ड्रिंकिंग वाटर मिशन बोलने में भी अटके।
प्रदूषण की समस्या के निवा… फिर निवारण के लिए कहा।
एमिनेंस स्कीम बोलने में भी अटके थे।
गरीबी रेखा को गरीब रेखा बोला।
परिवार जनों को परिवजनो बोला।
रक्त संबंधियों बोलने में रुके थे।
कृषि भूमि का हस्तांतरण नहीं बोल पाए। पहले हस्तां फिर हस्तांतरण बोला।
कृषि विस्तार सेवा प्रदाता बोलने में अटके…बोले प्रदा…फिर प्रदाताओं बोला था।
सांस्कृतिक पहचान को मजबूती के बजाय मजबूत फिर ती बोला।
ग्रामीण क्षेत्र में पांच सुपर स्पेशिलिटी पर रुके ठीक से पढ़ा फिर बोल पाए।
फार्मासिस्ट को फार्मेस…फार्मेसिस फिर फार्मासिस्ट बोला।
पीएससी के बाद सीएससी बोलने में अटके थे।
प्राइमरी सेकेंडरी एजुकेशन मिशन के तहत …2027 पढ़ने में अटके।
आवंटन को पहले आवंट फिर आवंटन बोला।
संविदा भर्ती व्यवस्था बंद करने वाले बिंदु में नियुक्तियां की जगह नियुक्तियों बोला।
वृद्धि बोलने में अटके, फिर नियमित को नियमिति बोले।
निवारण बोलने में अटके थे।
लैपटॉप वितरण में, की जगह लैपटॉप वितरण की बोले, फिर सुधारा था।
प्रतिनिधित्व को प्रतिनित्व बोल डाला।
स्ट्रक्चरल को स्ट्रकरल बोल गए थे।
वैधानिक बोलने में अटके.. ठीक से पढ़ा फिर बोले।
सार्वजनिक उपक्रमों को उपकर्मो, उपक्रमणों बोला।
मजबूत और उदार को मजबूत और उद्धार बोला।
पुलिस कर्मियों के निवास स्थल की जगह निवास स्थान बोला फिर सुधारा।
संकल्पबद्ध के बजाय समकल्पबद्ध बोला।
गांव की आंतरिक सड़कों के बजाय अंतरिक सड़क कहा, फिर सुधारा।
निपटान को निपटा फिर निपटान बोला।
एमएसएई नीति 2022 को 2020 बोला, फिर सुधारा।
इंस्पेक्टर बोलने में रुके फिर पूरा बोला था।
अनुमतियां बोलने में अटके थे।
माइक्रो सेक्टर को री-क्लेरिफाई को रिक्लेफाइड बोला, उसमें भी अटके थे।
व्यवसायों को व्यवसा फिर व्यवसायों बोला था।
अनुसंधान को अनुसं…अनुसंधा… अनुसंधन बोला।
सफलता को रुक-रुककर बोला।
पुनरोद्धार बोलने में अटके…पुनरो…धाराओं बोला।
जलाशयों को जलाशायों बोला।
कॉर्पोरेशन भी नहीं बोल पाए… कार्पोरेस…फिर कॉर्पोरेशन बोला।
असंगठित बोलने में अटके थे।

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