पाकिस्तान के लिए जासूसी करते अमृत गिल और रियाजुद्दीन बंदी

Up Ats Arrested Two Accused Involved In Spying For Pakistani Agency Isi Terrorist Activity News
यूपी ATS को मिली बड़ी सफलता, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के लिए जासूसी करने वाले 2 आरोपित गिरफ्तार
टीएस की टीम ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के लिए जासूसी करने के आरोप में दो आरोपितों को गिरफ्तार किया है। इनकी पहचान पंजाब भटिंडा निवासी अमृत गिल उर्फ अमृत पाल सिंह उर्फ अमृत उर्फ मंत्री और गाजियाबाद निवासी रियाजुद्दीन के रूप में हुई है।

लखनऊ 26 नवंबर: उत्तर प्रदेश एटीएस को बड़ी सफलता हाथ लग गई है। एटीएस की टीम ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के लिए जासूसी करने के आरोप में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनकी पहचान पंजाब भटिंडा निवासी अमृत गिल उर्फ अमृत पाल सिंह उर्फ अमृत उर्फ मंत्री और गाजियाबाद निवासी रियाजुद्दीन के रूप में हुई है। दरअसल उप्र एटीएस को इनपुट मिला था कि कुछ लोगों को संदिग्ध स्रोत से पैसा मिल हो रहा है जिसका इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों और जासूसी में किया जा रहा है। इसी क्रम में ये दोनों आरोपित गिरफ्तार किए गए हैं। इनका एक अन्य साथी बिहार की जेल में बंद है।
गिरफ्तार संदिग्ध
एटीएस को पैसे के लालच में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI को गोपनीय और संवेदनशील सूचनाएं भेजने का भी इनपुट मिला था। इसी इनपुट के आधार पर एटीएस ने धारा 121ए में रियाजुद्दीन, इजहारुल और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के एजेंट के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। इसी के चलते 23 नवंबर को अमृत गिल को पंजाब से और रियाजुद्दीन को गाजियाबाद से पूछताछ के लिए लखनऊ मुख्यालय लाया गया था। 26 नवंबर को गहन पूछताछ के बाद इन दोनों को लखनऊ से ही गिरफ्तार कर लिया गया है। इनका एक साथी इजहारुल पहले से बिहार की जेल में बंद है।

वहीं एटीएस की जांच में खुलासा हुआ है कि रियाजुद्दीन के एक खाते में अज्ञात स्रोत से मार्च 2022 से अप्रैल 2022 के बीच लगभग 70 लाख रूपये आए थे। जिसे अलग अलग खातों में भेजा गया है। इसके साथ ही ISI को सूचना भेजने वाले ऑटो चालक अमृत गिल को भी इनके द्वारा पैसे ट्रांसफर किए गए हैं। अमृत गिल पर पाकिस्तानी खुफिया एजेन्सी को भारतीय आर्मी टैंक की संवेदनशील सूचनाएं देने का आरोप है।

एटीएस की जांच में यह भी सामने आया है कि रियाजुद्दीन और इजहारूल की मुलाकात राजस्थान में वेल्डिंग का काम करते समय हुई थी। तभी से ये दोनों संपर्क में थे। वहीं एटीएस की ओर से यह भी बताया गया कि अमृत गिल पाकिस्तानी ISI एजेंट्स के संपर्क में था और भारतीय सेना से जुड़ी संवेदनशील और प्रतिबंधित जानकारियां आईएसआई को भेजता था। इस देश विरोधी काम के बदले अमृत गिल को ISI पाकिस्तानी हैंडलर से रियाजुद्दीन और इजहारुल की मदद से पैसे भी मिलते थे।

वहीं एटीएस की टीम पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी से जुड़े अन्य लोगों की पहचान करने के लिए उन खाताधारकों की भी जांच में जुट गई है, जिन्होंने रियाजुद्दीन और इजहारुल के खातों में पैसा भेजा था। इसके साथ ही एटीएस उन खाताधारकों की भी जानकारी इकट्ठा करेगी, जिनके खाते में इन लोगों के द्वारा पैसा भेजा गया है। इसके अलावा इस मामले में नामजद एक अन्य आरोपित इजहारुल जो कि पहले से ही बिहार की बेतिया जेल में बंद है। उसे भी वारंट-बी दाखिल कर लखनऊ जाएगा। उससे पूछताछ कर Up एटीएस की टीम इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की जानकारी जुटाएगी।

चार महीने पहले खोया था रियाजुद्दीन का मोबाइल, कई राज दफन; कस्बे में भय
आरोपित रियाजुद्दीन दो जिले हापुड़ व गाजियाबाद में रहकर चोरी-छिपे सूचनाएं आइएसआइ एजेंटों तक पहुंचाता रहा। लेकिन दोनों ही जिलों का खुफिया तंत्र इसका पता लगाने में विफल रहा। एटीएस सूत्रों की माने तो आरोपित सैन्य ठिकाने व संवेदनशील इलाकों की सूचना भेजते थे। चार महीने पहले रियाजुद्दीन का मोबाइल खो गया था जिससे कई रहस्य साफ़ हो गए।

जैसे-जैसे एटीएस की जांच चल रही है वैसे ही नए रहस्यों से पर्दा हट रहा है। रियाजुद्दीन का मोबाइल चार महीने खो गया था। जिसमें तमाम राज थे, जो अब दफन हो गए हैं। मोबाइल की शिकायत पिलखुवा थाने में की थी, लेकिन केस दर्ज नहीं हुआ। इसके कुछ दिन बाद रियाजुद्दीन ने तीन हजार रुपये में अपने साथी से पुराना मोबाइल खरीदा। इस मोबाइल में मेमोरी कम थी, जिस कारण वह पुराने फोटो व वीडियो डिलीट कर देता था।

मोबाइल के डाटा को भी एटीएस रिकवर करने की कोशिश में है
पहला मोबाइल रियाजुद्दीन के पास दो साल से था। उसने इसका इस्तेमाल आइएसआइ एजेंटों से संपर्क में किया। उनके नंबर भी उस मोबाइल में होने की पूरी संभावना है। हालांकि, अब वाले मोबाइल के डाटा को भी एटीएस रिकवर करने की कोशिश में है।

एटीएस ने पंजाब से जिस आरोपित को पकड़ा था, उसके मोबाइल से सेना के टैंक आदि के फोटो मिले थे। ऐसे में यह कहना गलत नहीं कि रियाजुद्दीन के खाेये मोबाइल से भी ऐसे ही साक्ष्य मिलने की पूरी संभावना थी। लेकिन तब पुलिस ने भी रियाजुद्दीन को आम व्यक्ति की तरह टरका दिया। उसका मोबाइल खोजने की जरूरत नहीं समझी।

पिलखुवा का आरोपित पहले भी दहला चुका है मोदीनगर
मोदीनगर क्षेत्र में 1996 में बस में आतंकी वारदात हुई थी। पिलखुवा के आरोपित अब्दुल करीम टुंडा का नाम इसमें सामने आया था। बस में टिफिन बाक्स रखकर विस्फोट किया था, जिसमें 11 लोगों की जान चली गई थी। जबकि, कई घायल हो गए थे। अब फिर से राष्ट्रविरोधी गतिविधि में पिलखुवा से ही तार जुड़े हैं। आरोपित रियाजुद्दीन भले ही फरीदनगर का रहने वाला है। लेकिन पिलखुवा में उसके कई ठिकाने हैं।

सूत्रों के मुताबिक, आरोपित पिलखुवा के सद्दीकरपुरा, गढ़ी मोहल्ला में काफी समय बिताता था। तमाम लोग उसके संपर्क में हैं। पिछले दो साल में उसका फरीदनगर में दो या तीन बार ही आना हुआ। वह भी त्योहार या चुनाव में मतदान के लिए। यहां आकर वह अधिकांश समय कमरे में ही रहा। बाहरी लोगों से कम ही उसकी मुलाकात हुई।

दो जिलों के लोगों की बढ़ी बेचैनी

आरोपित रियाजुद्दीन दो जिले हापुड़ व गाजियाबाद में रहकर चोरी-छिपे सूचनाएं आइएसआइ एजेंटों तक पहुंचाता रहा। लेकिन, दोनों ही जिलों का खुफिया तंत्र इसका पता लगाने में विफल रहा। एटीएस सूत्रों की माने तो आरोपित सैन्य ठिकाने व संवेदनशील इलाकों की सूचना भेजते थे। ऐसे ही सैन्य ठिकाने हापुड़ व गाजियाबाद दोनों जिलों में हैं। ऐसे में लोगों को डर सता रहा है कि कहीं उनके जिले की सुरक्षा को लेकर भी तो आरोपित ने आइएसआइ एजेंटों को मुखबिरी नहीं की। हालांकि, पुलिस अधिकारी अभी इससे इनकार कर रहे हैं।

तीनों से एक साथ पूछताछ की तैयारी
आरोपित रियाजुद्दीन और अमृतपाल को एटीएस ने जेल भेज दिया है। बिहार का इजहारुल बिहार में शराब तस्करी के आरोप में जेल में बंद है। सूत्रों की मानें तो एटीएस इजहारुल को बी वारंट के जरिए पूछताछ को बुला सकती है जिसके बाद तीनों आरोपितों से एक साथ पूछताछ होगी। इससे पूरा नेटवर्क ध्वस्त करने में सफलता मिलेगी।

कस्बे में भय
आतंकी गतिविधियों में रियाजुद्दीन का नाम सामने आने से कस्बे में भय है। सोमवार को दुकानों व चौराहों पर रियाजुद्दीन के बारे में ही बात होती रही। पुलिस गश्त करने पहुंची तो लोग घरों में चले गए। फरीदनगर गेट के पास ही रियाजुद्दीन के पिता अनवर की वेल्डिंग की दुकान है, वहां भी लोग अनवर से रियाजुद्दीन के बारे में पूछने को आते रहे। स्थानीय मुस्लिम रियाजुद्दीन को निर्दोष बता रहे हैं। पिता अनवर का कहना है कि रियाजुद्दीन ने अप्रैल 2022 में ही खाता बंद कर दिया था। तब भी लेनदेन होता रहा। इसलिए बैंक कर्मियों की भूमिका की जांच होनी चाहिए।

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