खालिस्तानी अमृत पाल सिंह कथा अ से ज्ञ तक

दीप सिद्धू जान गया था अमृतपाल के इरादे, एक्टर की मौत के बाद ऐसे किया ‘वारिस पंजाब दे’ पर कब्जा!
आखिर कौन है ये अमृतपाल? कहां रहता है? क्या करता है? क्यों लोग उसे भिंडरावाले 2.0 के नाम से पुकारने लगे हैं? और सबसे महत्वपूर्ण ये है आखिर ये अमृतपाल चाहता क्या है? तो आइए आज आपको क्रमानुसार अमृतपाल सिंह की कहानी सुनाते हैं.

अमृतपाल सिंह की तलाश में पुलिस लगातार छापेमारी कर  रही है

सतेंदर चौहान/मनजीत सहगल/कमलजीत संधू/सुप्रतिम बनर्जी

नई दिल्ली,21 मार्च 2023,सिर पर बड़ी सी गोल पगडी. हाथों में किरपाण और हमेशा सुरक्षा के साये में घिरे रहने वाले अमृतपाल सिंह को पंजाब में लोग भिंडरावाले 2.0 के नाम से बुलाने लगे हैं. 30 साल के इस नौजवान को वैसे तो पंजाब में आए हुए अभी जुम्मा-जुम्मा छह से सात महीने ही हुए हैं, लेकिन उसके इशारे पर उसके समर्थकों ने इन चंद महीनों में पंजाब में जो बवाल मचाया है, उसे संभालने में अब पंजाब सरकार से लेकर तमाम खुफिया एजेंसियों तक के पसीने छूट रहे हैं.

अब सवाल ये है कि आखिर कौन है ये अमृतपाल? कहां रहता है? क्या करता है? क्यों लोग उसे भिंडरावाले 2.0 के नाम से पुकारने लगे हैं? और सबसे महत्वपूर्ण ये है आखिर ये अमृतपाल चाहता क्या है? तो आइए आज आपको सिलसिलेवार तरीके से अमृतपाल सिंह की कहानी सुनाते हैं.

खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह. (फाइल फोटो)

उन दिनों में दिल्ली में किसान आंदोलन पूरे उभार पर था. पंजाब से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश और देश के अलग-अलग कोने से आए हजारों किसान अपने हक की मांग को लेकर दिल्ली के बॉर्डर्स पर धरना प्रदर्शन कर रहे थे. और इन्हीं अफरातफरी भरे दिनों में ‘वारिस पंजाब दे’ नाम के एक संगठन के नेता एक्टर दीप सिद्धू ने ‘क्लब हाउस’ नाम के एक सोशल मीडिया एप पर एक ऑडियो चैट रूम शुरु किया. इरादा था पंजाब के अलग-अलग विषय पर बात. जैसे नदियों के पानी पर पंजाब का अधिकार, चंडीगढ़ पर दावा, पंजाबी भाषियों की एकजुटता आदि.

ऐसे मिला अमृतपाल सिंह को मौका

वैसे तो इस चैटरूम में पंजाब से लेकर कनाडा तक के बीसियों लोग जुड़े थे, जो इन विषयों पर लगातार बातें करते थे. लेकिन न जाने कब अमृतपाल सिंह नाम के नौजवान की इस चैटरूम में एंट्री हो गई. अमृतपाल की एंट्री वैसे तो चैटरूम में एक लिसनर यानी श्रोता रूप में ही हुई थी, लेकिन रूम के कुछ पुराने सदस्यों और एनआरआईज़ के इशारे पर अमृतपाल सिंह को बोलने का मौका मिल गया. अब अमृतपाल सिंह अक्सर चैट रूम में अपनी बातें रखने लगा. लेकिन वो पंजाब और पंजाबियों  पर कम बल्कि खालिस्तान पर ज्यादा बातचीत करता था. अलग देश की मांग रखता था.

जाहिर है चैटरूम की नींव रखने वाले दीप सिद्धू को भी जल्द ही इसकी अनुभूति हो गई कि अमृतपाल के इरादे ठीक नहीं है और फरवरी 2022 आते-आते दीप सिद्दू ने अमृतपाल से दूरी बनाते हुए ना सिर्फ उसे चैटरूम से ब्लॉक कर दिया. बल्कि दो हफ्तों को उसे फोन पर भी ब्लॉक रखा.

15 फरवरी 2022, खरखोदा, हरियाणा

इस कहानी में पहला ट्विस्ट तब आया, जब 15 फरवरी 2022 के रोज एक सड़क दुर्घटना में दीप सिद्धू की अचानक मौत हो गई. अभी सिद्धू के चाहने वाले इस सदमे से उबर पाते तब तक उन्होंने देखा कि सिद्धू के संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ का फेसबुक पेज किसी ने हैक कर लिया है और चंद दिनों में इस फेसबुक पेज पर अमृतपाल सिंह को ‘वारिस पंजाब दे’ के मुखिया के तौर पर दिखा दिया गया. और तो और वारिस पंजाब दे की कमान हाथ में लेते वक्त भी अमृतपाल सिंह ने ना तो अमृत छका था और ना ही उसके बाल और दाढी पूरी तरह बढे हुए थे. अमृतसर के बाबा बकाला तहसील के जल्लूपुरा गांव से आने वाले अमृतपाल ने कपूरथला के पॉलिटेक्निक कॉलेज में दाखिला लिया था, लेकिन इससे पहले कि उसकी पढ़ाई पूरी होती, वो देश से बाहर चला गया और इन दिनों वो दुबई की एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में काम करता था.

25 सितंबर 2022, आनंदपुर साहिब, पंजाब

यहां तक तो सबकुछ ठीक था, लेकिन दीप सिद्धू की मौत के छह महीने गुजरते-गुजरते अमृतपाल सिंह की पंजाब की धार्मिक सियासत में ऐसी एंट्री हुई, जिसने तमाम एजेंसियों के कान खड़े कर दिए. इस रोज अमृतपाल ने पहली बार एक सिख के तौर पर अमृत छका और इसके ठीक चार दिन बाद अमृतपाल की दस्तारबंदी के बहाने मोगा जिले के रोडे गांव में एक विशाल समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें अमृतपाल को भिंडरावाले 2.0 के तौर पर प्रोजेक्ट करने की कोशिश हुई. अमृतपाल बिल्कुल उसी वेशभूषा में नजर आया, जिसमें कभी जरनैल सिंह भिंडरावाले रहा करता था. लंबा कुर्ता, छोटी सी पतलून, गोल नीली पगड़ी और हाथ में किरपाण. कुछ इस तरह पंजाब में भिंडरावाले 2.0 की लॉचिंग हो चुकी थी. वैसे तो अमृतपाल के तेवर शुरू से ही तीखे थे, लेकिन अब तक वो अपने भाषण में हिंसा की निंदा कर रहा था. इसके बाद उसने पंजाब में अमृत प्रचार अभियान की शुरुआत की, जिसका इरादा उन सिखों को उनके धर्म और घर की तरफ मोड़ना था जो सिख धर्म छोड़ कर किसी दूसरे धर्म को अपना चुके थे.

तीखे हो गए थे अमृतपाल के तेवर

अब धीरे-धीरे अमृतपाल के तेवर तीखे हो चले थे. अमृतपाल अब दनदनाते हुए मर्सीडीज बेंज से लेकर इसुजू और दूसरी महंगी गाड़ियों में अपने हथियारबंद समर्थकों के साथ पंजाब में घूमने लगा था. भड़काऊ भाषण देने की शुरुआत हो चुकी थी. और तो और तब तो हद हो गई, जब उसने जालंधर के एक गुरुद्वारे पर ही धावा बोल कर वहां रखे तमाम फर्नीचरों को बर्बाद कर दिया. असल में ये फर्नीचर वहां उन श्रद्धालुओं के लिए थे, जो शारीरिक तकलीफ की वजह से नीचे नहीं बैठ पाते थे. लेकिन अमृतपाल और उसके समर्थकों को ये धर्म के खिलाफ लगा. अब अमृतपाल की मौजूदगी में उसकी जत्थेबंदी खुल कर खालिस्तान की वकालत करने लगी. सत्ता और शासन को चुनौती देने लगी. कहने की जरूरत नहीं है कि अमृतपाल की इन हरकतों में आने वाले तूफान की आहट सुनाई देने लगी थी, लेकिन इसे केंद्र और राज्य सरकार के दरम्यान विश्वास की कमी कहें या फिर कुछ और, अमृतपाल के इन हरकतों को तब इतनी गंभीरता से नहीं लिया गया, जैसे लेना चाहिए था.

23 फरवरी 2023, अजनाला, पंजाब

फिर आई वो तारीख. जिसने सिर्फ पंजाब और पंजाबियों का ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया. 23 फरवरी 2023, यही वो दिन था जब अमृतपाल ने अपने साथियों के साथ सीधे अजनाला के पुलिस स्टेशन पर ही धावा बोल दिया और थाने में तोड़फोड़ करने के साथ-साथ छह से सात पुलिसकर्मियों को बुरी तरह से जख्मी कर हिरासत में रखे गए अपने एक साथी लवप्रीत तूफान को पुलिस के शिकंजे से छुड़ा लिया. पंजाब पुलिस ने अमृतपाल के साथी लवप्रीत तूफान को रोपड़ के रहने वाले वरिंदर सिंह नाम के एक व्यक्ति की शिकायत पर हिरासत में लिया था, जिसने ये आरोपि लगाया था कि तूफान ने अपने साथियों के साथ मिल कर उसे अपहृत कर उससे मारपीट की, क्योंकि वो अमृतपाल और उसके साथियों की गतिविधियों का विरोध करता है.

पालकी साहिब के साथ पहुंचा थाने

बताते हैं कि इस रोज अमृतपाल ने पुलिस पर हमला तो किया ही, खुद को और अपने साथियों को पुलिस की जवाबी कार्रवाई से बचाने के लिए पालकी साहिब के साथ थाने पहुंच गया, जिसमें गुरुग्रंथ साहिब को रखा जाता है. ऐसे में पुलिस भी एक तरह से लाचार होकर रह गई और उस रोज पंजाब पुलिस के टूटते मनोबल की वो तस्वीरें पूरी दुनिया ने देखीं. हालांकि अमृतपाल के इस कदम की सिर्फ पंजाब में आम आदमी पार्टी और वहां की सरकार ने ही निंदा नहीं की, बल्कि सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी यानी एसजीपीसी से लेकर सिखों की सबसे बडे संस्था अकाल तख्त ने भी उसकी आलोचना की. यही वो दिन था, जब अमृतपाल और उसके बढ़ते मनोबल की उल्टी गिनती शुरू हो गई. शायद यही वो तारीख थी, जब केंद्र से लेकर राज्य सरकार ने ये महसूस किया अगर अब भी अमृतपाल नाम के इस जिन्न को बोतल में बंद नहीं किया गया, तो वो दिन दूर नहीं जब पंजाब की फिजा फिर से खराब हो सकती है और इसी के साथ अमृतपाल और उसके समर्थकों पर क्रैक डाउन की बुनियाद पड़ गई.

ऐसे कसी अमृतपाल सिंह पर पकड़

23 फरवरी को पंजाब के ही अजनाला पुलिस स्टेशन पर जिस तरह से अमृतपाल सिंह ने अपने साथियों को छुड़ाने के लिए धावा बोला और पुलिसवालों पर हमला कर उन्हें लहूलुहान कर दिया, उसके बाद से ही पंजाब सरकार की आलोचना होने लगी थी. सवाल सरकार की साख का था. कहा जाने लगा था कि ऐसे तत्वों से निपटने में पंजाब की सरकार कमज़ोर पड़ने लगी है. वैसे तो केंद्र की निगाहें भी पंजाब में बढती अमृतपाल की गतिविधियों पर टिकी थी, लेकिन केंद्र और राज्य सरकार के बीच उसे लेकर असमंजस के हालात भी थे. लेकिन इसी बीच गृह मंत्री अमित शाह से पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की मुलाकात हुई और अमृतपाल पर पकड़ कसने का रेखाचित्र खींच लिया गया. सरकार ने इसमें कुछ दिनों का समय तो लिया, लेकिन इसके बाद पंजाब पुलिस अमृतपाल और उसके साथियों पर टूट पड़ी.

पुलिस के हत्थे चढ़े अमृतपाल के साथी

शनिवार को पंजाब में दो जगहों पर अमृतपाल का प्रोगाम था. इस दिन से दूसरे ‘खालसा वहीर यात्रा’ की शुरुआत की तैयारी थी. इत्तेफाक से सिंगर सिद्धू मूसेवाला के पिता भी इसी वक्त अपने बेटे की बरसी मनाने का ऐलान कर चुके थे और पंजाब में मार्च निकालने की तैयारी थी. ऐसे में खुफिया एजेंसियों के कान खड़े हो गए. शक था कि अमृतपाल सिंह सिद्धू मूसेवाला के पिता की ओर से निकाले जाने वाले मार्च में शामिल हो सकता है और हालात हाथ से बाहर निकल सकते हैं. ऐसे में पंजाब सरकार ने आनन-फानन में अमृतपाल सिंह पर पकड़ कसने का फैसला किया. जालंधर और बठिंडा में प्रोग्राम वाली जगहों पर पुलिस की भारी नाकेबंदी कर दी गई और जैसे ही दोपहर 1 बजे अमृतपाल का काफिला मैहतपुर पहुंचा, तो पुलिस ने दो गाड़ियों में सवार उसके छह से सात साथी दबोच लिये. लेकिन मौके संवेदनशीलता भांप अमृतपाल यहां से भागने में सफल रहा.

अत्याधुनिक हथियार मिले

फिलहाल अमृतपाल तो भागा हुआ है. लेकिन उसके संगठन वारिस पंजाब दे से जुडे सौ से ज्यादा लोगों को बंदी कर लिया गया है. पुलिस ने फिलहाल उसके समर्थकों से कई अत्याधुनिक हथियार और दूसरी आपत्तिजनक सामग्री भी ढूंढी है। मामले की जांच कर रही पंजाब पुलिस ने अमृतपाल को लेकर कुछ चौंकानेवाले अनावरण भी किए हैं.

ISI का मोहरा अमृतपाल!

पुलिस सूत्रों का कहना है कि अमृतपाल सिंह को दरअसल भारत में इस तरह की गतिविधियों के लिए विदेश से फंड मिल रहा था. उसके फाइनेंसर दलजीत सिंह कलसी के पास दो सालों में 35 करोड़ रुपये का विदेशी फंड पहुंचा. उसके फोन से कई बार पाकिस्तान में बात भी हुई. फिलहाल पुलिस ने उसका फोन बरामद कर लिया है और उससे मोबाइल की जांच भी की जा रही है. पुलिस सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के समर्थन से अमृतपाल नशा मुक्ति केंद के नाम पर मरजीवडे हमलावर तैयार करने में जुटा था. पाकिस्तान से ही हथियार मंगवा कर वो अपने समर्थकों को बांट रहा था. और आनंदपुर खालसा फोर्स के नाम पर एक हथियार बंद संगठन की शुरुआत कर चुका था.

वैसे इस मामले की जांच अकेले पंजाब पुलिस ही नहीं एनआईए भी कर रही है, जिसे अमृतपाल के पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों से कनेक्शन के सूत्र मिले हैं. मामले की गंभीरता देख सरकार ने अमृतपाल और उसके साथियों पर एनएसए यानी नेशनल सिक्योरिटी एक्ट की धाराएं भी लगा दी हैं. कुल मिलाकर, कहा जा सकता है कि अमृतपाल की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है.

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