अफगानिस्तान में रात्रि में आये भूकंप का उत्तराखंड तक असर

Earthquake In Uttarakhand Tremors Felt In Many Districts Of Uttarakhand

उत्तराखंड के कई इलाकों में महसूस हुए भूकंप के झटके, घरों से बाहर भागे लोग

देहरादून/नई दिल्ली 21 मार्च। रात्रि लगभग  10.17 से 10.21 बजे तक अफगानिस्तान से लेकर पंजाब,नई दिल्ली और उत्तराखंड में चमोली, देहरादून, मसूरी, हरिद्वार, उत्तरकाशी तक रिक्टर पैमाने पर 6.6 शक्ति के भूकंप के तेज झटके महसूस हुए हैं। भूकंप महसूस होते ही लोग घरों और दुकानों से बाहर निकल आए।

भूकंप के झटके महसूस होने पर घरों से बाहर निकले लोग।

उत्तराखंड में मंगलवार रात करीब 10:21 बजे भूकंप के झटके महसूस हुए। राजधानी देहरादून समेत गढ़वाल के कई जिलों में भूकंप महसूस किया गया। जानकारी के अनुसार, चमोली, देहरादून, मसूरी, हरिद्वार, रुड़की, चमोली और उत्तरकाशी में भूकंप के तेज झटके महसूस हुए। गंगा के मायके मुखबा तक महसूस भूकंप के झटके महसूस हुए। भूकंप महसूस होते ही लोग घरों और दुकानों से बाहर निकल आए। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान का फायजाबाद रहा। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.6 मापी गई।

जोन चार और पांच में है उत्तराखंड का ज्यादातर क्षेत्र

वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के भूकंप विज्ञानियों की मानें तो उत्तराखंड भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील है। उत्तराखंड का ज्यादातर इलाका भूकंप के लिहाज से जोन चार और पांच में हैं। इसलिए बार-बार भूकंप की घटनाएं देखने को मिल रही हैं।

 इस माह कब-कब आया भूकंप

5 मार्च- देर रात तीन झटके। 12:40 पहला झटका, 12:45 दूसरा झटका, 01:01 तीसरा झटका (तीव्रता 2.5 रिक्टर स्केल)
8 मार्च- होली के दिन सुबह 10:07 (तीव्रता 2.5 रिक्टर स्केल)
21 मार्च- रात 10:20बजे

भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के हिंदुकुश क्षेत्र में था। जहां भूकंप का मैग्नीट्यूड 6.7 था। दिल्ली और रुड़की में इसकी इंटेंसिटी 4 से 5 के बीच होगी। जो ज्यादा खतरनाक नहीं है। इस भूकंप का उत्तराखंड में भविष्य में भूकंप की आशंका से कोई सीधा संबंध नहीं है। प्रो. एमएल शर्मा, अर्थक्वेक डिपार्टमेंट, आईआईटी रुड़की

उत्तर भारत में भूकंप, दिल्ली-NCR, UP, पंजाब, राजस्थान हिले:तीव्रता 6.6 आंकी गई; अफगानिस्तान में सेंटर, कजाकिस्तान, पाकिस्तान और चीन में भी झटके

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में झटके महसूस होने के बाद लोग घरों से बाहर आ गए।
दिल्ली-NCR में मंगलवार रात करीब सवा दस बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए। UP, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, बिहार में भी झटके महसूस किए गए। इसकी तीव्रता 6.6 आंकी गई। भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के फैजाबाद से 133 किमी दक्षिण पूर्व में रहा। भूकंप का केंद्र जमीन से 156 किमी की गहराई में था।

भूकंप से जानमाल के नुकसान की खबर तो अभी नहीं है, लेकिन दिल्ली में शकरपुर इलाके में एक इमारत के झुकने की सूचना मिली थी। दमकल विभाग के डायरेक्टर अतुल गर्ग ने कहा- हमारी टीम ने पूरे इलाके में सर्च किया। हमें कहीं ऐसी बिल्डिंग नहीं मिली है। भारत के अलावा, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, कजाकिस्तान और चीन में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए।

भूकंप के झटके लगने से लोग घबराहट में घरों से बाहर निकल गए। भूकंप के झटके कई सेकेंड तक महसूस किए गए।

जयपुर सहित राजस्थान के कई जिलों में रात साढ़े दस बजे महसूस हुए झटके

राजस्थान में मंगलवार रात करीब साढ़े दस बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए। जयपुर सहित तमाम शहरों में लोग घरों से बाहर भागे। एक-दूसरे को फोन कर भूकंप आने की जानकारी दी।

बीकानेर, जोधपुर, अलवर, गंगानगर, अजमेर, झुंझुनूं आदि शहरों में भूकंप के झटके महसूस होते ही लोग घर से बाहर की ओर दौड़े। अपने नाते-रिश्तेदारों को फोन करके इसकी जानकारी भी दी, ताकि सभी सुरक्षित अपने घरों से बाहर आ जाएं।

ग्वालियर में भूकंप से डरे लोग, घरों से बाहर निकले
मध्यप्रदेश के ग्वालियर में भी रात करीब 10:20 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए। लोगों ने कुछ सेकेंड्स के लिए कंपन महसूस किया। शहर में ऊंची इमारतों में रहने वाले लोग तो सड़क पर निकल आए। भूकंप को लेकर लोगों में भय देखा गया। हालांकि, कहीं से किसी प्रकार के नुकसान की खबर अब तक नहीं है।

नोएडा में घरों में पंखे और झूमर हिलने लगे।

झटकों पर दिल्ली-NCR के लोगों का रिएक्शन

नोएडा हाइड पार्क सोसाइटी में रहने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि उसने सबसे पहले डाइनिंग टेबल को हिलते हुए देखा। इसके तुरंत बाद हमने देखा कि पंखे भी हिल रहे थे। भूकंप की तीव्रता काफी तेज थी और यह काफी देर तक रुका रहा।
दिल्ली में एक कैब मालिक रमेश पवार ने कहा कि जब वह कनॉट प्लेस के पास यात्रियों का इंतजार कर रहा था तो उसने भूकंप महसूस किया। अचानक मेरी कार हिलने लगी। मैं तुरंत चिल्लाया और अपने दोस्तों को इसके बारे में बताया।
दक्षिणी दिल्ली के लाजपत नगर की रहने वाली ज्योति ने कहा कि वह TV देख रही थी, तभी अचानक उसने देखा कि टीवी और सोफा हिल रहे हैं। शुरू में उसने इसे नजरअंदाज किया, लेकिन जब उसके पति ने उसे सचेत किया तो वह और उसके परिवार के सदस्य अपने घर से बाहर निकल गए।
नोएडा में रहने वाले लोग झटके महसूस होते ही अपनी सोसाइटी से बाहर आ गए। लोग ऊंची बिल्डिंग्स से निकलकर खुले मैदान में खड़े हो गए।

भारत भी यूरोप की तरफ खिसक रहा है

2022 में ऑस्ट्रेलिया के भूवैज्ञानिकों ने धरती पर मौजूद सभी टैक्टोनिक प्लेटों का एक नया नक्शा तैयार किया था। इसमें बताया गया था कि इंडियन प्लेट और ऑस्ट्रेलियन प्लेट के बीच माइक्रोप्लेट को नक्शे में शामिल किया गया है। साथ ही कहा गया था कि भारत यूरोप की तरफ खिसक रहा है।

इससे अंदेशा जताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में इन दो प्लेटों के टकराव से हिमालय सहित उत्तरी हिस्सों में भीषण भूकंप आ सकता है। ऑस्ट्रेलिया के यूनिवर्सिटी ऑफ एडिलेड में डिपार्टमेंट ऑफ अर्थ साइंसेस के लेक्चरर डॉक्टर डेरिक हैस्टरॉक और उनके साथियों ने मिलकर ये नक्शा तैयार किया है।

डॉक्टर डेरिक ने कहा है कि हमारा नक्शा पिछले 20 लाख सालों में धरती पर आए 90 फीसदी भूकंपों और 80% ज्वालामुखी विस्फोटों की पूरी कहानी बताता है। वहीं वर्तमान मॉडल सिर्फ 65% भूकंपों की जानकारी देता है। इस नक्शे की मदद से लोग प्राकृतिक आपदाओं की गणना कर सकते हैं।

उत्तर प्रदेश के नोएडा में झटके महसूस होने के बाद लोग घरों से बाहर निकल आए।

2004 में अंडमान का इंदिरा पॉइंट डूब गया था

26 दिसंबर 2004 को इंडोनेशिया में आए भूकंप और फिर सुनामी के चलते अंडमान-निकोबार द्वीप समूह का इंदिरा पॉइंट जलमग्न हो गया था। यह द्वीप सुमात्रा से 138 किमी की दूरी पर स्थित है।
यहां पर एक ही लाइट हाउस है जिसका उद्घाटन 30 अप्रैल 1972 को हुआ था। यह भारत के एकदम दक्षिण में स्थित है और इसे भारत का आखिरी बिंदु भी कहा जाता है।
इसका नाम भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर रखा गया है। इंदिरा पॉइंट का लाइट हाउस भारत होते हुए मलेशिया और मलक्का जाते हुए जहाजों को रोशनी देता है।

204 साल पहले भूकंप से भुज में बना था टापू

भारत में 204 साल पहले यानी साल 1819 में गुजरात के भुज में भूकंप से टापू बन गया था। इसे अल्लाह बंद नाम से जाना जाता है। वैज्ञानिकों की मानें तो रिक्टर पैमाने पर 7.8 से अधिक तीव्रता के भूकंप आने पर ऐसा होना संभव है।
इसकी वजह जमीन के भीतर प्लेटों के बीच दरार को माना जा सकता है। एक्सपर्ट का कहना है कि यह प्लेटें लगातार मूवमेंट करती हैं। कई बार इनके बीच दरार होती है।
ऐसे में समुद्र के भीतर अगर 7.5 से ज्यादा तीव्रता और अधिक गहराई का भूकंप आता है तो यह प्लेटें कई मर्तबा एक-दूसरे के ऊपर चढ़ जाती हैं। अगर प्लेटें 6-7 मीटर की भी ऊंचाई ले लेती हैं तो वह टापू जैसी स्थिति हो जाती है।

भारत का एक हिस्सा 10 फीट तक नेपाल में खिसका

एडिलेड यूनिवर्सिटी के सैंडी स्टेसी ने दावा किया था कि हिमालय की वजह से दबाव के कारण उत्तर की ओर बढ़ रहीं भारतीय टैक्टोनिक प्लेट्स जिन्हें यूरेशियन प्लेट कहा जाता है वह उत्तरपूर्व की तरफ 10 डिग्री नीचे चली गई हैं। इससे भूकंप के वक्त कुछ ही समय में भारत का एक हिस्सा करीब एक से दस फीट तक नेपाल के नीचे खिसक गया है। इस पूरी भौगोलिक प्रक्रिया में हिमालय का करीब एक से दो हजार वर्ग मील क्षेत्रफल खिसका है।

अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी के लेमोंट-डोहर्टी अर्थ ऑब्जर्वेट्री के एसोसिएट रिसर्च प्रोफेसर कोलिन स्टार्क के मुताबिक नेपाल की सीमा से लगे बिहार में धरती की सतह की ऊपरी चट्टान (चूना पत्थर की चट्टानें हैं) चंद सेकेंड में उत्तर दिशा की ओर खिसक कर नेपाल के नीचे समा गई।

भारतीय प्लेट में हुए इस घर्षण से नेपाल के भरतपुर से लेकर हितौदा होते हुए जनकपुर जोन पर इसका असर हुआ है। इसी इलाके से लगी भारतीय जमीन (पूर्वी-पश्चिमी चंपारण) नेपाल की सतह के नीचे चली गई है। यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि पूरा भारतीय उपमहाद्वीप बहुत ही मंद गति से नेपाल और तिब्बत की फाल्ट (दरार) के नीचे जा रहा है। भारतीय उप महाद्वीप के नेपाल और तिब्बत की सतह के नीचे जाने की रफ्तार हर साल 1.8 इंच होती है।

एक दिन पहले उत्तराखंड, हिमाचल और गुजरात में आया था भूकंप

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में सोमवार सुबह साढ़े पांच बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। नेशनल सीस्मोलोजी सेंटर के मुताबिक भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.1 मापी गई थी। भूकंप का केंद्र पिथौरागढ़ से 40 किलोमीटर दूर जमीन के पांच किलोमीटर नीचे था। गुजरात के कच्छ जिले में सोमवार सुबह 3.2 तीव्रता का भूकंप आया था। भूकंप सुबह सात बजकर 35 मिनट पर आया, जिसका केंद्र कच्छ जिले के भचाऊ शहर से करीब 10 किलोमीटर उत्तर-पूर्वोत्तर (एनएनई) में था। कच्छ जिले में भूकंप का खतरा अधिक बना रहता है और नियमित रूप से यहां हल्के झटके महसूस किए जाते हैं।

हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। लोग घरों से बाहर की ओर दौड़े। राहत की बात यह रही कि इस भूकंप के कारण जिला चंबा में फिलहाल किसी तरह के जानमाल का नुकसान नहीं हुआ था।

दो दिन पहले इक्वाडोर में आया था भूकंप

साउथ अमेरिकी देश इक्वाडोर में शनिवार को भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे। रिक्टर स्केल पर तीव्रता 6.8 थी। इस भूकंप के चलते 16 लोगों की मौत हो गई, जबकि 381 लोगों के घायल हुए। US जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक, भूकंप का सबसे ज्यादा असर गुयास में हुआ। ये कोस्टल इलाका है। भूकंप का केंद्र यहां से 80 किलोमीटर दूर ग्वायाक्विल शहर में था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इमारतों को काफी नुकसान पहुंचा है।

पिछले महीने तुर्किये और सीरिया में आए भूकंप से 57 हजार लोगों की मौत हुई थी।

तुर्किये-सीरिया में 6 फरवरी को आए 3 बड़े भूकंप, 57 हजार लोगों की मौत

6 फरवरी को तुर्किये और सीरिया में 3 बड़े भूकंप आए थे। दोनों देशों में कुल मिलाकर 57 हजार लोग मारे गए थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, दोनों देशों में 2 करोड़ 60 लाख लोगों को अब भी मदद की जरूरत है। 75 साल में पहली बार WHO ने इतने बड़े लेवल पर रेस्क्यू ऑपरेशन किया था।

पहला भूकंप सुबह करीब चार बजे (7.8), दूसरा करीब 10 बजे (7.6) और तीसरा दोपहर 3 बजे (6.0) आया। इसके बाद आफ्टर शॉक्स भी दर्ज किए गए। इनकी तीव्रता 4 से 5 रही। तुर्किये में 7 फरवरी सुबह 8.53 पर फिर भूकंप आया। इसके बाद दोपहर 12.41 बजे 5.4 तीव्रता का भूकंप आया।

वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, तुर्किये के 11 राज्यों में 6,040 आफ्टर शॉक भी आए। इन इलाकों को डिजास्टर जोन कहा गया। 6 हजार में से 40 आफ्टर शॉक 5 से 6 तीव्रता के थे। एक 6.6 तीव्रता का था। तुर्किये की स्थिति इतनी खराब हो गई कि यहां एक लाख से ज्यादा इमारतें नष्ट हो गईं।।

पिछले साल नवंबर में नेपाल में 6.3 की तीव्रता का भूकंप आया था।

पिछले साल नेपाल में भूकंप से गई थीं 6 जानें

पड़ोसी देश नेपाल में पिछले साल नवंबर में 6.3 तीव्रता का भूकंप आया था। झटके भारत के दिल्ली, यूपी समेत उत्तर भारत के 5 राज्यों में भी महसूस किए गए थे। इसका एपिसेंटर नेपाल के मणिपुर में जमीन से 10 किमी नीचे था। नेपाल के दोती जिले में घर गिरने से 6 लोगों की मौत हो गई थी।

क्यों आता है भूकंप?

भूगर्भ वैज्ञानिकों के मुताबिक, भूकंप की असली वजह टेक्टोनिकल प्लेटों में तेज हलचल होती है। इसके अलावा उल्का प्रभाव और ज्वालामुखी विस्फोट, माइन टेस्टिंग और न्यूक्लियर टेस्टिंग की वजह से भी भूकंप आते हैं। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता मापी जाती है। इस स्केल पर 2.0 या 3.0 की तीव्रता का भूकंप हल्का होता है, जबकि 6 की तीव्रता का मतलब शक्तिशाली भूकंप होता है।

ऐसे लगाते हैं भूकंप की तीव्रता का अंदाजा

भूकंप की तीव्रता का अंदाजा उसके केंद्र (एपिसेंटर) से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है। सैकड़ों किलोमीटर तक फैली इस लहर से कंपन होता है। धरती में दरारें तक पड़ जाती हैं। भूकंप का केंद्र कम गहराई पर हो तो इससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा सतह के काफी करीब होती है, जिससे बड़ी तबाही होती है।

तुर्किये में भूकंप की सटीक भविष्यवाणी करने वाले रिसर्चर बोले:भारत में भी आने वाला है शक्तिशाली भूकंप

तुर्की के भूकंप की भविष्यवाणी करने वाले रिसर्चर फ्रेंक होगरबीट्स ने अब भारत को लेकर भी ऐसा ही दावा किया है। एक वीडियो में फ्रेंक कहते हैं, ‘ निकट भविष्य में एशिया के अलग-अलग भागों में जमीन के भीतर हलचल की संभावना है। ये हलचल पाकिस्तान और अफगानिस्तान से होते हुए हिंद महासागर के पश्चिमी तरफ हो सकती है। भारत इनके बीच में होगा। वहीं चीन में भी आने वाले कुछ दिनों में भूकंप आ सकता है।’

 

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