सैकुलर सवाल:हवाई अड्डों पर हिंदू भी कर सकते हैं पूजा?

सेवा में,
श्रीमान प्रधानमंत्री महोदय,
भारत सरकार,

विषय – संविधान प्रदत हमारे धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के संरक्षण हेतु भारतीय विमानपत्तन को आवश्यक दिशा निर्देश देने के संबंध में।

माननीय प्रधानमंत्री महोदय,

मैं आपका ध्यान एक बेहद ही गंभीर समस्या की तरफ आकृष्ट कराना चाहता हूँ। उम्मीद है मेरे साथ-साथ देश की एक बड़ी आबादी के साथ हो रहे धार्मिक भेदभाव को समाप्त करने के लिए भारतीय विमानपत्तन को आप निर्देशित करेंगे। मैं दिनांक 28-2-2022 को पटना एयरपोर्ट से हैदराबाद के लिए उड़ान भरा था। लगभग शाम को 7:00 बजे मैं हैदराबाद एयरपोर्ट पहुंचा। एक धार्मिक परंपराओं में पालन पोषण किया गया हिंदू होने के नाते, मैं शाम के धार्मिक कर्मकांड पूजा-पाठ-ध्यान करने हेतु जगह तलाश रहा था। इसी दौरान मुझे एक कमरा दिखाई दिया, जिस पर प्रेयर रूम लिखा था। मैं उस प्रार्थना कक्ष में गया। मुझे लगा की हैदराबाद एयरपोर्ट के संचालकों द्वारा यह एक सर्व धर्म प्रार्थना कक्ष बनाया गया है ? जहां मुझे प्रार्थना-पूजा-पाठ करने की आजादी होगी ? लेकिन जब मैं प्रवेश किया तो मुझे लगा कि मैं किसी मस्जिद में आ गया हूँ। क्योंकि अंदर पूरी तरह से उस प्रार्थना कक्ष को मस्जिद का स्वरूप दे दिया गया है। मैं वापस आया और सीआईएसएफ के सुरक्षा गार्ड से पूछा कि मुझे पूजा पाठ करनी है, कृपया कोई जगह उपलब्ध कराएं।🙏

सीआईएसफ के सभी जवान आश्चर्यचकित होकर मुझे देख रहे थे, मेरे भगवा कुर्ते को देखते ही उन लोगों ने पूछा क्या आप हिंदू हैं ? मैंने हां में सिर हिलाया, फिर उन्होंने कहा कि आज तक इस एयरपोर्ट पर एक भी हिंदू व्यक्ति इस तरह की मांग नहीं किया है। वहां जो प्रार्थना कक्ष है, वहां सिर्फ मुस्लिम समुदाय के लोग ही नमाज अदा करते हैं। मैंने कहा क्या मेरा वहां पर जाना सुरक्षित रहेगा ? उन्होंने कहा कि इस विषय में आप भारतीय विमानपत्तन हैदराबाद के पदाधिकारियों से जाकर बात करिए। इस तरह लगभग 30 मिनट तक मैं अलग-अलग जगहों पर जा कर के अपने लिए प्रार्थना कक्ष उपलब्ध कराने का अनुरोध करता रहा।

जहां भी जाता था, वहां लोग सिर्फ ये पूछते थे कि आपकी अगली फ्लाइट कब है ? शायद वो इस इंतजार में थे कि मैं कब अगली फ्लाइट के लिए निकल जाऊं ? लेकिन मुझे संध्या काल में किए जाने वाले धार्मिक अनुष्ठानों की चिंता थी।

अंततः एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के हैदराबाद कार्यालय और सीआईएसएफ ने यह निर्णय किया कि मुझे उसी प्रार्थना कक्ष में जाकर के अपनी पूजा पाठ करना होगा। लेकिन जब मैं अंदर गया तो पाया कि वहां पर 15-20 की संख्या में मुस्लिम समाज के भाई बंधु नमाज अदा कर रहे थे। उस पूरी तरीके से मस्जिद में बदल दिए गए प्रार्थना कक्ष में, मैं घुसपैठिए की तरह देखा जा रहा था। ऐसा लग रहा था कि मैं मस्जिद में आ करके बहुत बड़ी गलती किया ? लेकिन सीआईएसएफ के द्वारा मुझे यही निर्देश दिया गया कि आपको भी वही जा करके अपनी प्रार्थना पूजा करनी पड़ेगी। वहां जाने के बाद मैं बहुत असहज था और शायद मुझसे ज्यादा असहज वहां मुस्लिम समाज के लोग थे। लेकिन अंततः मैंने एक कुर्सी ली और अपने भगवान भोलेनाथ के स्वरूप शिवलिंग को स्थापित किया और जमीन पर बैठ कर के #शिव_रुद्राष्टकम , #राम_रक्षा_स्त्रोत, #कनकधारा_स्त्रोत और #हनुमान_चालीसा का पाठ करना आरंभ किया।

लेकिन इस पूरी प्रार्थना के दौरान मैं आशंकित और भयभीत था। क्योंकि मुझे लग ही नहीं रहा था कि मैं सर्व धर्म प्रार्थना स्थल पर हूँ। मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं एक मस्जिद प्रांगण में बैठ कर के अपने धार्मिक अनुष्ठानों को पूरा करने पर मजबूर किया हुआ हिंदू हूँ।

सीआईएसएफ के पदाधिकारी दरवाजे के बाहर शांति बनाए रखने के लिए मुस्तैद खड़े थे। मैं उन सभी का धन्यवाद देता हूँ। जिन्होंने मेरा सहयोग किया,

लेकिन कुछ सवाल, जो मेरी धार्मिक स्वतंत्रता का हनन करते हैं। उनकी तरफ आपका ध्यान आकृष्ट कराना चाहता हूँ।

ताकि अगले हफ्ते में जब हम #हैदराबाद_विमानपत्तन पर पहुंचे, तो हमें इन समस्याओं का सामना न करना पड़े। जो अब तक करना पड़ा था। या मेरे जैसे अन्य हिंदू,जैन,बौद्ध,सिख,ईसाई धर्मावलंबियों को भी न सामना करना पड़े।

1- सबसे पहली बात तो यह है कि अगर वह सर्व धर्म प्रार्थना कक्ष है। तो उससे एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने मस्जिद के रूप में कैसे परिवर्तित करा दिया ? वहां पर इस्लाम से जुड़े प्रतीक रखे हैं। वहां पर इस्लामिक धर्म ग्रंथ रखा गया है। वहां पर ग्रीन कारपेट बिछाया गया है जहां पर लोग नमाज पढ़ रहे हैं। क्या हमारे जैसे दोयम दर्जे के हिंदू को एक जूट का बोरा भी नहीं रखा जाना चाहिए ? जिस पर मेरे जैसे हिंदू,सिख, ईसाई,जैन,पारसी,बौद्ध भाई बैठ कर के अपनी अपनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रार्थना कर सकें ? क्या वहां पर राम,कृष्ण,महावीर,बुद्ध,जीसस की तस्वीरें नहीं लगाई जानी चाहिए, ठीक उसी तर्ज पर जैसे इस्लामिक धार्मिक प्रतीक लगाए गए हैं ? जिससे उस जगह पर हम जाएं, तो हमें भी यह लगे कि ये हमारे धार्मिक स्थल जैसी ही जगह है ?

2- अगर वह सर्व धर्म प्रार्थना कक्ष है, तो वहां पर सिर्फ इस्लामिक धर्म ग्रंथ ही क्यों रखे गए हैं ? वहां पर #श्रीमद्भागवत_जी, #श्री_रामायण_जी, #पवित्र_बाइबल, #श्री_बुद्धायन_जी, #श्री_गुरु_ग्रंथ_साहिब_जी जैसे अन्य धार्मिक ग्रंथों को क्यों नहीं रखा गया है ? अगर वहां पर हमारी धार्मिक प्रतीकों को, धार्मिक ग्रंथों को नहीं रखा जाएगा, तो फिर कोई अन्य जगह हमें उपलब्ध करा दी जाए ? जहां हम आरामदायक स्थिति में, बिना किसी तनाव के अपने संविधान प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उपयोग कर सकें।

3- भारत में लगभग 125 एयरपोर्ट हैं। यह जांच का विषय है कि क्या उन सभी एयरपोर्ट पर सर्वधर्म प्रार्थना स्थल के रूप में बाहर से दिखने वाले, कक्षाओं को मस्जिद के रूप में बदल तो नहीं कर दिया गया है ? यह भी एक जांच का विषय है, और स्वर्गीय इंदिरा गांधी द्वारा संविधान की प्रस्तावना में जोड़े गए #सेक्युलरिज्म शब्द की मूल भावना के विपरीत है। इतने संवेदनशील जगह पर #मस्जिद का निर्माण कैसे हो रहा है ? और इतने संवेदनशील ग्रंथ, सर्व धर्म प्रार्थना कक्ष में क्यों रखे गए हैं ? देश और विदेश में ऐसा देखा जा रहा है कि #ईशनिंदा और #बेअदबी के नाम पर लोगों की #मांब_लीचिंग की जा रही है। तो एयरपोर्ट की सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी वहां पर धर्म विशेष के ग्रंथों को उस तरह से सार्वजनिक जगह पर रख देना, सामाजिक और सांप्रदायिक सद्भाव के लिए ठीक नहीं है। और देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा है।

5- एयरपोर्ट पर बने उस प्रार्थना कक्ष रूपी मस्जिद में एक बात देखने को बड़ी अच्छी मिली कि वहां पर पर्दे की आड़ से एक छोटा कक्ष भी बनाया गया है, जिसमें महिला नमाजी भी बिना किसी लैंगिक भेदभाव के नमाज अदा कर रही थी।

मैं माननीय प्रधानमंत्री जी से एक भारतीय हिंदू होने के नाते अपनी धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों के संरक्षण का आश्वासन चाहता हूँ। और चाहता हूँ कि भविष्य में अगर भारत की किसी भी एयरपोर्ट पर हमारे जैसा कोई भी दबा कुचला हिंदू, सिख, पारसी, जैन, बौद्ध मतावलंबी जाए, तो उसे आधे घंटे इस इंतजार में न बैठना पड़े कि रुको, अभी यह तय करना है कि तुम उस तथाकथित हर एयरपोर्ट पर बनाए गए प्रार्थना कक्ष में जाने का संवैधानिक अधिकार रखते हो या नहीं ? और उन प्रार्थना कक्षों को इस तरह से विकसित करने की कोशिश की जाए, ताकि वह किसी धर्म विशेष के धर्मस्थल न लगें।

वह ऐसा लगे कि वहां पर निर्भीक होकर कोई भी अन्य धर्मावलंबी अपने धार्मिक अनुष्ठानों को पूरा कर सकें।

कल मैं अपने ही देश में #दोयम_दर्जे_के_नागरिक के रूप में महसूस कर रहा था। सीआईएसफ और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के हैदराबाद शाखा के पदाधिकारियों से हाथ जोड़कर के प्रार्थना कक्ष उपलब्ध कराने के लिए आग्रह कर रहा था। लेकिन वो लोग विषय की संवेदनशीलता को समझते हुए, आपस में टेलिफोनिक कन्वरसेशन करने में व्यस्त थे कि मुझे उस प्रार्थना कक्ष में जाने की अनुमति दी जाएगी की नहीं। खैर अंततः मुझे जाने की अनुमति तो मिली, लेकिन जो अंदर मस्जिद के रूप में उस प्रार्थना कक्ष को विकसित किया गया है। वह देखकर मैं क्या ? स्वयं आप भी वहां पर 2 मिनट रुक करके प्रार्थना करने की मानसिक स्थिति में नहीं रह सकते हैं।

साक्ष्यों के तौर पर मैं वहां की फोटोग्राफ शेयर कर रहा हूँ। इस मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और यह भी तय किया जाए कि क्या देश के अन्य एयरपोर्ट के प्रार्थना कक्ष को भी मस्जिद में तब्दील कर दिया गया है क्या ? अगर ऐसा किया गया है तो यह सेकुलरिज्म के लिए सबसे बड़ा खतरा है। मैं यह मामला सोशल मीडिया के जरिए आप तक पहुंचा रहा हूँ। मैं उम्मीद करता हूं कि हमारे सोशल मीडिया के जितने भी लोग, जो सेकुलरिज्म को मजबूत करने की दुहाई देते हैं ? वो हमारे इस अनुरोध को आप तक पहुंचाने में मेरी मदद करेंगे🙏

और मैं तमाम हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी, ईसाई धर्मावलंबियों से और खास तौर से धर्माचार्य महोदय लोगों से भी अनुरोध करूंगा कि आप भारत के किसी भी एयरपोर्ट पर जाएं, तो कम से कम सर्व धर्म प्रार्थना कक्ष में 2 मिनट अपने इष्ट का स्मरण अवश्य करें। ताकि ये लगे कि वो प्रार्थना कक्ष पर हम सभी भारतीयों का अधिकार है।

जय हिंद, जय भारत

—(-पंकज कुमार राय, फेसबुक पर)

 

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